03-01-2020, 10:55 AM
Update 109
“तुम्हारी जीत में ही मेरी जीत है आशुतोष. आइ लव यू सो मच. तुम्हे तड़प्ता छोड़ कर मैं जीत भी गयी तो क्या मिल जाएगा मुझे. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हे. कर लो जो करना है तुम्हे. बस मेरा विश्वास मत तोड़ना कभी. हमेशा साथ रहना मेरे.”
“ओह अपर्णा…आइ लव यू सो मच. नाओ फर्स्ट लेट देम किस. बहुत तरसे हैं दोनो एक दूसरे के लिए.”
“आआहह आशुतोष तुम चुप नही रह सकते क्या?” आशुतोष की बातें कुछ अजीब सा असर कर रही थी अपर्णा पर.
आशुतोष ने अपने लंड को अपर्णा के चूत के दरवाजे पर रख दिया. अपर्णा के शरीर में मानो जैसे बिजली की लहर दौड़ गयी. वो थर थर काँपने लगी.
“बहुत प्यारा चुंबन ले रहे हैं दोनो…क्या तुम्हे फील हो रहा है ये चुंबन अपर्णा. मुझे तो मेरी आत्मा तक महसूस हो रहा है. ये अहसास जिंदगी भर नही भूलूंगा मैं.”
“आहह आशुतोष तुम जीत गये और मैं हार गयी. लेकिन एक बात याद रखना…सिर्फ़ तुम्हारे लिए हारी हूँ मैं…खुद को थामना मुझे आता है.”
“जानता हूँ…तभी तो इतना प्यार आ रहा है तुम पर. आइ लव यू बेबी. क्या मैं अब परवेश करूँ.”
“मना करूँगी तो क्या रुक जाओगे.”
“तुम बोल कर तो देखो.”
“ठीक है फिर यही रुक जाओ…वैसे भी तुम पहले सिर्फ़ चुंबन के लिए बोल रहे थे.” अपर्णा ने हंसते हुए कहा.
लेकिन अगले ही पल अपर्णा की चीख गूँज उठी कमरे में. आशुतोष का भारी भरकम लंड 2 इंच अपर्णा की चूत में समा चुका था.
“आआआअहह आशु शर्मौउउउउउउउउ धोकेबाज…मक्कार” अपर्णा कराहते हुए बोली.
“ओह सॉरी पीछे हटने की बजाए आगे को पूस हो गया ग़लती से. आय ऍम रियली सॉरी फॉर दट.
अपर्णा अचानक लंड के परवेश के कारण छटपटा रही थी. टेबल पर बुक्स का ढेर था. एक के उपर एक रखी हुई थी. छटपटाहट में कुछ बुक्स ज़मीन पर गिर गयी. एक किताब में से कुछ तस्वीरे बाहर निकल आई. एक तस्वीर को देख कर अपर्णा सोच में पड़ गयी. मगर अगले ही पल वो फिर से चीखने पर मजबूर हो गयी. आशुतोष ने 2 इंच और सरका दिया था अपर्णा के अंदर.
“ऊऊओह……. आशुतोष मेरी जान ले लोगे आज तुम. तुम्हारा प्यार बहुत दर्दनाक साबित हो रहा है…..आआअहह”
“आइ लव यू स्वीट हार्ट. ये दर्द का दौर जल्द गुजर जाएगा…फिर धीरे धीरे मज़ा आएगा.”
“एक मिनिट रुकोगे तुम.”
“एनितिंग फॉर माय अपर्णा. बोलो क्या बात है.”
“थोड़ी देर रूको बताती हूँ.”
अपर्णा ने उस तस्वीर को बड़े गौर से देखा. देखते देखते कब उसके चेहरे पर पसीने आ गये और रोंगटे खड़े हो गये उसे पता ही नही चला.
“आशुतोष ये तस्वीर किसकी है?” अपर्णा ने ज़मीन पर पड़ी तस्वीर की तरफ इशारा किया.
“ये तो श्रद्धा है. तुम मिल तो चुकी हो उसे. भूल गयी क्या?”
“अरे श्रद्धा को कैसे भूल सकती हूँ मैं. उसकी तस्वीर के उपर जो तस्वीर है उसकी बात कर रही हूँ. कौन है ये.” अपर्णा की आवाज़ में डर और ख़ौफ़ साफ दीखाई दे रहा था.
“बात क्या है अपर्णा. तुम डरी हुई सी क्यों लग रही हो.”
“यही साइको है आशुतोष…यही साइको है.” अपर्णा ने एक साँस में कहा.
आशुतोष के तो पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी ये सुन कर.
“क्या बोल रही हो होश में तो हो तुम. तुम तो कह रही थी कि याद नही तुम्हे अब उसका चेहरा.”
“हां भूल गयी थी उसका चेहरा मैं. लेकिन ये तस्वीर देख कर फिर से याद आ गया. मेरा यकीन करो आशुतोष यही साइको है.”
आशुतोष ने एक ज़ोर का झटका मारा और अपने लंड को इस बार पूरा घुसा दिया अपर्णा की चूत में.फिर से दर्दनाक चीख गूँज उठी अपर्णा की कमरे में.
“आआययईीीईईई….. आआअहह…..क्या कर रहे हो आशुतोष…मैने इतनी इम्पोर्टेन्ट बात बताई तुम्हे और तुम बस इसमे खोए हो. आइ हेट यू.” अपर्णा ने गुस्से में कहा.
“सॉरी…पूरा डाल कर ही निकालना चाहता था बाहर.” आशुतोष ने अपने लंड को बाहर खींचते हुए कहा.
“आआहह…” अपर्णा कराह उठी.
“ये बात तुरंत गौरव सर को बतानी होगी.” आशुतोष ने कहा.
अपर्णा ने तुरंत अपनी पॅंटी और सलवार उपर खींच ली, “आहह ये प्यार दर्द देने वाला है बहुत.” अपर्णा कराहते हुए बोली.
“तुम्हारी जीत में ही मेरी जीत है आशुतोष. आइ लव यू सो मच. तुम्हे तड़प्ता छोड़ कर मैं जीत भी गयी तो क्या मिल जाएगा मुझे. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हे. कर लो जो करना है तुम्हे. बस मेरा विश्वास मत तोड़ना कभी. हमेशा साथ रहना मेरे.”
“ओह अपर्णा…आइ लव यू सो मच. नाओ फर्स्ट लेट देम किस. बहुत तरसे हैं दोनो एक दूसरे के लिए.”
“आआहह आशुतोष तुम चुप नही रह सकते क्या?” आशुतोष की बातें कुछ अजीब सा असर कर रही थी अपर्णा पर.
आशुतोष ने अपने लंड को अपर्णा के चूत के दरवाजे पर रख दिया. अपर्णा के शरीर में मानो जैसे बिजली की लहर दौड़ गयी. वो थर थर काँपने लगी.
“बहुत प्यारा चुंबन ले रहे हैं दोनो…क्या तुम्हे फील हो रहा है ये चुंबन अपर्णा. मुझे तो मेरी आत्मा तक महसूस हो रहा है. ये अहसास जिंदगी भर नही भूलूंगा मैं.”
“आहह आशुतोष तुम जीत गये और मैं हार गयी. लेकिन एक बात याद रखना…सिर्फ़ तुम्हारे लिए हारी हूँ मैं…खुद को थामना मुझे आता है.”
“जानता हूँ…तभी तो इतना प्यार आ रहा है तुम पर. आइ लव यू बेबी. क्या मैं अब परवेश करूँ.”
“मना करूँगी तो क्या रुक जाओगे.”
“तुम बोल कर तो देखो.”
“ठीक है फिर यही रुक जाओ…वैसे भी तुम पहले सिर्फ़ चुंबन के लिए बोल रहे थे.” अपर्णा ने हंसते हुए कहा.
लेकिन अगले ही पल अपर्णा की चीख गूँज उठी कमरे में. आशुतोष का भारी भरकम लंड 2 इंच अपर्णा की चूत में समा चुका था.
“आआआअहह आशु शर्मौउउउउउउउउ धोकेबाज…मक्कार” अपर्णा कराहते हुए बोली.
“ओह सॉरी पीछे हटने की बजाए आगे को पूस हो गया ग़लती से. आय ऍम रियली सॉरी फॉर दट.
अपर्णा अचानक लंड के परवेश के कारण छटपटा रही थी. टेबल पर बुक्स का ढेर था. एक के उपर एक रखी हुई थी. छटपटाहट में कुछ बुक्स ज़मीन पर गिर गयी. एक किताब में से कुछ तस्वीरे बाहर निकल आई. एक तस्वीर को देख कर अपर्णा सोच में पड़ गयी. मगर अगले ही पल वो फिर से चीखने पर मजबूर हो गयी. आशुतोष ने 2 इंच और सरका दिया था अपर्णा के अंदर.
“ऊऊओह……. आशुतोष मेरी जान ले लोगे आज तुम. तुम्हारा प्यार बहुत दर्दनाक साबित हो रहा है…..आआअहह”
“आइ लव यू स्वीट हार्ट. ये दर्द का दौर जल्द गुजर जाएगा…फिर धीरे धीरे मज़ा आएगा.”
“एक मिनिट रुकोगे तुम.”
“एनितिंग फॉर माय अपर्णा. बोलो क्या बात है.”
“थोड़ी देर रूको बताती हूँ.”
अपर्णा ने उस तस्वीर को बड़े गौर से देखा. देखते देखते कब उसके चेहरे पर पसीने आ गये और रोंगटे खड़े हो गये उसे पता ही नही चला.
“आशुतोष ये तस्वीर किसकी है?” अपर्णा ने ज़मीन पर पड़ी तस्वीर की तरफ इशारा किया.
“ये तो श्रद्धा है. तुम मिल तो चुकी हो उसे. भूल गयी क्या?”
“अरे श्रद्धा को कैसे भूल सकती हूँ मैं. उसकी तस्वीर के उपर जो तस्वीर है उसकी बात कर रही हूँ. कौन है ये.” अपर्णा की आवाज़ में डर और ख़ौफ़ साफ दीखाई दे रहा था.
“बात क्या है अपर्णा. तुम डरी हुई सी क्यों लग रही हो.”
“यही साइको है आशुतोष…यही साइको है.” अपर्णा ने एक साँस में कहा.
आशुतोष के तो पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी ये सुन कर.
“क्या बोल रही हो होश में तो हो तुम. तुम तो कह रही थी कि याद नही तुम्हे अब उसका चेहरा.”
“हां भूल गयी थी उसका चेहरा मैं. लेकिन ये तस्वीर देख कर फिर से याद आ गया. मेरा यकीन करो आशुतोष यही साइको है.”
आशुतोष ने एक ज़ोर का झटका मारा और अपने लंड को इस बार पूरा घुसा दिया अपर्णा की चूत में.फिर से दर्दनाक चीख गूँज उठी अपर्णा की कमरे में.
“आआययईीीईईई….. आआअहह…..क्या कर रहे हो आशुतोष…मैने इतनी इम्पोर्टेन्ट बात बताई तुम्हे और तुम बस इसमे खोए हो. आइ हेट यू.” अपर्णा ने गुस्से में कहा.
“सॉरी…पूरा डाल कर ही निकालना चाहता था बाहर.” आशुतोष ने अपने लंड को बाहर खींचते हुए कहा.
“आआहह…” अपर्णा कराह उठी.
“ये बात तुरंत गौरव सर को बतानी होगी.” आशुतोष ने कहा.
अपर्णा ने तुरंत अपनी पॅंटी और सलवार उपर खींच ली, “आहह ये प्यार दर्द देने वाला है बहुत.” अपर्णा कराहते हुए बोली.