03-01-2020, 10:52 AM
Update 108
गौरव वापिस सौरभ के पास आ गया.
“कुछ दीखा ऐसा वैसा कुछ.” गौरव ने कहा
“इतने सारे लोग हैं यहाँ. सब पर कैसे फोकस करें.” सौरभ ने कहा.
“मेरे लिए रीमा की शादी में ख़ास क्या हो सकता है?” गौरव सोच में पड़ गया.
“कही वो रीमा की आर्ट तो नही बना रहा.”
“ओ तेरी का तो मैने सोचा ही नही. चल देखते हैं कि रीमा कहाँ है.” गौरव ने कहा.
दोनो भाग कर पूछते हुए उस जगह पहुँचे जहा रीमा को शादी के लिए तैयार किया जा रहा था.
“एक्सक्यूस मी रीमा कहा है.” गौरव ने एक लेडी से पूछा.
“वो ज़रा फ्रेश होने गयी है. जयमाला के लिए अभी टाइम है. आप चिंता ना करें वो टाइम से पहुँच जाएगी.”
“कौन से कमरे में है वो” गौरव ने पूछा.
“जिसके सामने मैं खड़ी हूँ.”
गौरव ने तुरंत दरवाजा पीटना शुरू कर दिया. तब तक चौहान भी वहाँ पहुँच गया था.
“हे कॉन हो तुम और ये दरवाजा क्यों पीट रहे हो.”
“सर मैं गौरव हूँ. रीमा की जान को ख़तरा है.”
“क्या बकवास कर रहे हो. दफ़ा हो जाओ यहाँ से.”
मगर गौरव ने चौहान की एक ना सुनी. उसने वो दरवाजे पर इतनी ज़ोर से धक्का मारा कि वो गिर गया. जब गौरव अंदर घुसा तो उसके रोंगटे खड़े हो गये. वो देख नही पाया अंदर का दृश्य.
कमरे में खून से लथपथ रीमा की नंगी लाश पड़ी थी. सर से लेकर पाँव तक वो खून के रंग में रंगी थी. कमरे के शीसे पर साइको कुछ लिख गया था. जिसे पढ़ कर किसी की भी रूह काँप जाएगी
“मेरे हाथो से कोई बच जाता है तो मुझे बर्दास्त नही होता. लेकिन कोई एक बार बच सकता है दूसरी बार नही. दूसरी बार मेरा प्लान और भी ज़्यादा भयानक होता है. मिस्टर गौरव पांडे…रीमा को लाल साडी की बजाए लाल खून से रंग दिया है मैने. रीमा की शादी मुबारक हो तुम्हे.”
गौरव खुद को थाम नही सका और रो पड़ा. चौहान तो बेहोश हो कर गिर गया वही.
“सॉरी रीमा…कुछ नही कर पाया तुम्हारे लिए. मैने आने में देर कर दी.”
सौरभ ने ध्यान दिया की कमरे कि खिड़की खुली पड़ी है.
“गौरव वो मर्डर करके खिड़की से भागा है.” सौरभ ने कहा.
“छोड़ेंगे नही साले को….आओ देखते हैं” गौरव चिल्लाया.
दोनो खिड़की से कूद कर बाहर आते हैं. उन्हे एक साया भागता हुआ नज़र आता है.
गौरव और सौरभ दोनो उसके पीछे भागते हैं.
“हे रुक जाओ वरना गोली मार दूँगा.” गौरव चिल्लाता है.
पर वो साया नही रुकता.
वो साया भागता हुआ किसी चीज़ से टकरा कर गिर जाता है और गौरव और सौरभ उसे दबोच लेते हैं.
“अरे छोड़ो मुझे कॉन हो तुम लोग. इनस्पेक्टर सिकन्दर पर हाथ डालने का अंज़ाम बहुत बुरा होगा जान लो.”
गौरव ने सिकन्दर के सर पिस्टल रख दी और बोला, “क्या कर रहे थे तुम यहाँ और जब हम रुकने को बोल रहे थे तो रुके क्यों नही. जल्दी बोलो वरना भेजा उड़ा दूँगा. मेरा दिमाग़ घुमा हुआ है अभी.”
“सिकन्दर का कोई बाल भी बांका नही कर सकता पांडे जी. पीछे हटिए बंदूक मेरे पास भी है.”
“पहले तुम ये बताओ यहाँ कर क्या रहे थे.”
“मैने किसी को खिड़की से कूद कर भागते देखा. उसी का पीछा कर रहा था मैं.”
“झूठ बोल रहे हो तुम. हमने किसी को नही देखा तुम्हारे आगे. तुम अकेले ही भागे जा रहे थे.”
“सिकन्दर वॉक्स अलोन इन दा डार्क बट आज मैं अंधेरे में किसी का पीछा कर रहा था. मेरा यकीन करो.”
“गौरव ज़रूर कुछ गड़बड़ है. हमने किसी को भी नही देखा. बस ये अकेला भगा जा रहा था.” सौरभ ने गौरव के कान में कहा.
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गौरव वापिस सौरभ के पास आ गया.
“कुछ दीखा ऐसा वैसा कुछ.” गौरव ने कहा
“इतने सारे लोग हैं यहाँ. सब पर कैसे फोकस करें.” सौरभ ने कहा.
“मेरे लिए रीमा की शादी में ख़ास क्या हो सकता है?” गौरव सोच में पड़ गया.
“कही वो रीमा की आर्ट तो नही बना रहा.”
“ओ तेरी का तो मैने सोचा ही नही. चल देखते हैं कि रीमा कहाँ है.” गौरव ने कहा.
दोनो भाग कर पूछते हुए उस जगह पहुँचे जहा रीमा को शादी के लिए तैयार किया जा रहा था.
“एक्सक्यूस मी रीमा कहा है.” गौरव ने एक लेडी से पूछा.
“वो ज़रा फ्रेश होने गयी है. जयमाला के लिए अभी टाइम है. आप चिंता ना करें वो टाइम से पहुँच जाएगी.”
“कौन से कमरे में है वो” गौरव ने पूछा.
“जिसके सामने मैं खड़ी हूँ.”
गौरव ने तुरंत दरवाजा पीटना शुरू कर दिया. तब तक चौहान भी वहाँ पहुँच गया था.
“हे कॉन हो तुम और ये दरवाजा क्यों पीट रहे हो.”
“सर मैं गौरव हूँ. रीमा की जान को ख़तरा है.”
“क्या बकवास कर रहे हो. दफ़ा हो जाओ यहाँ से.”
मगर गौरव ने चौहान की एक ना सुनी. उसने वो दरवाजे पर इतनी ज़ोर से धक्का मारा कि वो गिर गया. जब गौरव अंदर घुसा तो उसके रोंगटे खड़े हो गये. वो देख नही पाया अंदर का दृश्य.
कमरे में खून से लथपथ रीमा की नंगी लाश पड़ी थी. सर से लेकर पाँव तक वो खून के रंग में रंगी थी. कमरे के शीसे पर साइको कुछ लिख गया था. जिसे पढ़ कर किसी की भी रूह काँप जाएगी
“मेरे हाथो से कोई बच जाता है तो मुझे बर्दास्त नही होता. लेकिन कोई एक बार बच सकता है दूसरी बार नही. दूसरी बार मेरा प्लान और भी ज़्यादा भयानक होता है. मिस्टर गौरव पांडे…रीमा को लाल साडी की बजाए लाल खून से रंग दिया है मैने. रीमा की शादी मुबारक हो तुम्हे.”
गौरव खुद को थाम नही सका और रो पड़ा. चौहान तो बेहोश हो कर गिर गया वही.
“सॉरी रीमा…कुछ नही कर पाया तुम्हारे लिए. मैने आने में देर कर दी.”
सौरभ ने ध्यान दिया की कमरे कि खिड़की खुली पड़ी है.
“गौरव वो मर्डर करके खिड़की से भागा है.” सौरभ ने कहा.
“छोड़ेंगे नही साले को….आओ देखते हैं” गौरव चिल्लाया.
दोनो खिड़की से कूद कर बाहर आते हैं. उन्हे एक साया भागता हुआ नज़र आता है.
गौरव और सौरभ दोनो उसके पीछे भागते हैं.
“हे रुक जाओ वरना गोली मार दूँगा.” गौरव चिल्लाता है.
पर वो साया नही रुकता.
वो साया भागता हुआ किसी चीज़ से टकरा कर गिर जाता है और गौरव और सौरभ उसे दबोच लेते हैं.
“अरे छोड़ो मुझे कॉन हो तुम लोग. इनस्पेक्टर सिकन्दर पर हाथ डालने का अंज़ाम बहुत बुरा होगा जान लो.”
गौरव ने सिकन्दर के सर पिस्टल रख दी और बोला, “क्या कर रहे थे तुम यहाँ और जब हम रुकने को बोल रहे थे तो रुके क्यों नही. जल्दी बोलो वरना भेजा उड़ा दूँगा. मेरा दिमाग़ घुमा हुआ है अभी.”
“सिकन्दर का कोई बाल भी बांका नही कर सकता पांडे जी. पीछे हटिए बंदूक मेरे पास भी है.”
“पहले तुम ये बताओ यहाँ कर क्या रहे थे.”
“मैने किसी को खिड़की से कूद कर भागते देखा. उसी का पीछा कर रहा था मैं.”
“झूठ बोल रहे हो तुम. हमने किसी को नही देखा तुम्हारे आगे. तुम अकेले ही भागे जा रहे थे.”
“सिकन्दर वॉक्स अलोन इन दा डार्क बट आज मैं अंधेरे में किसी का पीछा कर रहा था. मेरा यकीन करो.”
“गौरव ज़रूर कुछ गड़बड़ है. हमने किसी को भी नही देखा. बस ये अकेला भगा जा रहा था.” सौरभ ने गौरव के कान में कहा.
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