03-01-2020, 10:50 AM
“अपने दिल की बात बोल क्यों नही देती आप उसे.”
“एक्सक्यूस मी….क्या बकवास है ये.”
“गौरव को बोल देना चाहिए आपको सब कुछ.”
“आइ हटे हिम. कैसे कहु उसे ये कड़वा सच.”
“क्या कहा आपको नफ़रत है गौरव से.” गौरव अब अपनी आवाज़ में बोल पड़ा.
“जी हां बहुत ज़्यादा नफ़रत है. आपको क्यों तकलीफ़ हो रही है इस बात से.”
“ही हेट्स यू टू.” गौरव कह कर चल दिया.
“गौरव रूको”
“तो आपने मुझे पहचान लिया.”
“तुम्हारी आँखो से तुम्हे भीड़ में भी पहचान सकती हूँ.”
“मेडम साइको यहाँ कोई गेम खेलने वाला है. उसने मुझे यहाँ बुलाया है. मेरे दोस्त सौरभ की गर्ल फ्रेंड को अगवा कर लिया है उसने. वो वापिस आ गया है और अब लगता है बहुत कुछ करने के मूड में है. आप यहाँ से चली जाओ.”
“वैसे मैं कुछ ही देर में जाने वाली थी पर अब तो बिल्कुल नही जाऊगी मैं कही.”
“मेडम आप यहाँ रहेंगी तो मेरा ध्यान आप पर रहेगा.”
“तुम्हे छोड़ कर नही जाऊगी गौरव. मुझे लाइयबिलिटी मत समझो तुम. ए एस पी हूँ मैं ऐसे रिस्क लेना मेरी ड्यूटी है.”
“हां आप ए एस पी हैं और मैं इनस्पेक्टर जो सस्पेंड हो चुका है. मेरी बात क्यों मानेगी आप.”
“कैसी बात करते हो गौरव. वो सब अपनी जगह है और तुम्हारा मेरा रिश्ता अपनी जगह है.”
“मेरा और आपका रिश्ता? बस थोड़ा सा और आगे बढ़िए और बोल दीजिए आज अपने दिल की बात.”
“चलो-चलो अपना रास्ता देखो.”
“मेडम प्लीज़ यहाँ से चली जाओ…मुझे कुछ अजीब होने की आशंका हो रही है. उसने मुझे यहाँ बुलाया है. हो सकता है वो मुझे परेशान करने के लिए आपको टारगेट करे. मुझे डर लग रहा है.”
“क्यों डरते हो मेरे लिए.”
“पता है आपको.”
“तुम मुझे तो कहते रहते हो कि बोल दो…बोल दो. खुद तो तुमने अब तक नही कहा कुछ.”
“मेरी औकात ही क्या है आपके सामने. कही ठुकरा ना दिया जाऊ… डरता हूँ इस बात से”
“इसमे औकात की बात कहाँ से आ गयी. जाओ तुम मुझे तुमसे कोई बात नही करनी.”
“सॉरी मेडम.”
“सॉरी की कोई ज़रूरत नही है. तुम जाओ यहाँ से.”
“ठीक है मैं जाता हूँ. आप अपना ख्याल रखना. मुझे साइको को ढूँढना है. इस से पहले की वो कुछ करे मुझे उसे पकड़ना है.”
गौरव कह कर चल दिया.
“रूको…” अंकिता चल कर उसके पास आई और बोली, “तुम भी अपना ख्याल रखना.”
“ओके…” गौरव मुस्कुरा कर आगे बढ़ गया.
“एक्सक्यूस मी….क्या बकवास है ये.”
“गौरव को बोल देना चाहिए आपको सब कुछ.”
“आइ हटे हिम. कैसे कहु उसे ये कड़वा सच.”
“क्या कहा आपको नफ़रत है गौरव से.” गौरव अब अपनी आवाज़ में बोल पड़ा.
“जी हां बहुत ज़्यादा नफ़रत है. आपको क्यों तकलीफ़ हो रही है इस बात से.”
“ही हेट्स यू टू.” गौरव कह कर चल दिया.
“गौरव रूको”
“तो आपने मुझे पहचान लिया.”
“तुम्हारी आँखो से तुम्हे भीड़ में भी पहचान सकती हूँ.”
“मेडम साइको यहाँ कोई गेम खेलने वाला है. उसने मुझे यहाँ बुलाया है. मेरे दोस्त सौरभ की गर्ल फ्रेंड को अगवा कर लिया है उसने. वो वापिस आ गया है और अब लगता है बहुत कुछ करने के मूड में है. आप यहाँ से चली जाओ.”
“वैसे मैं कुछ ही देर में जाने वाली थी पर अब तो बिल्कुल नही जाऊगी मैं कही.”
“मेडम आप यहाँ रहेंगी तो मेरा ध्यान आप पर रहेगा.”
“तुम्हे छोड़ कर नही जाऊगी गौरव. मुझे लाइयबिलिटी मत समझो तुम. ए एस पी हूँ मैं ऐसे रिस्क लेना मेरी ड्यूटी है.”
“हां आप ए एस पी हैं और मैं इनस्पेक्टर जो सस्पेंड हो चुका है. मेरी बात क्यों मानेगी आप.”
“कैसी बात करते हो गौरव. वो सब अपनी जगह है और तुम्हारा मेरा रिश्ता अपनी जगह है.”
“मेरा और आपका रिश्ता? बस थोड़ा सा और आगे बढ़िए और बोल दीजिए आज अपने दिल की बात.”
“चलो-चलो अपना रास्ता देखो.”
“मेडम प्लीज़ यहाँ से चली जाओ…मुझे कुछ अजीब होने की आशंका हो रही है. उसने मुझे यहाँ बुलाया है. हो सकता है वो मुझे परेशान करने के लिए आपको टारगेट करे. मुझे डर लग रहा है.”
“क्यों डरते हो मेरे लिए.”
“पता है आपको.”
“तुम मुझे तो कहते रहते हो कि बोल दो…बोल दो. खुद तो तुमने अब तक नही कहा कुछ.”
“मेरी औकात ही क्या है आपके सामने. कही ठुकरा ना दिया जाऊ… डरता हूँ इस बात से”
“इसमे औकात की बात कहाँ से आ गयी. जाओ तुम मुझे तुमसे कोई बात नही करनी.”
“सॉरी मेडम.”
“सॉरी की कोई ज़रूरत नही है. तुम जाओ यहाँ से.”
“ठीक है मैं जाता हूँ. आप अपना ख्याल रखना. मुझे साइको को ढूँढना है. इस से पहले की वो कुछ करे मुझे उसे पकड़ना है.”
गौरव कह कर चल दिया.
“रूको…” अंकिता चल कर उसके पास आई और बोली, “तुम भी अपना ख्याल रखना.”
“ओके…” गौरव मुस्कुरा कर आगे बढ़ गया.