03-01-2020, 10:48 AM
गौरव ने आशुतोष को फोन मिलाया. रिंगटोन जाती रही पर आशुतोष ने फोन नही उठाया. फिर उसने अपर्णा का फोन ट्राइ किया. अपर्णा ने भी फोन नही उठाया.
“बिज़ी होंगे दोनो शायद किसी काम में.” गौरव ने कहा.
“हां नया नया प्यार हुआ है दोनो को. बिज़ी तो रहेंगे ही.”
गौरव के पास अपर्णा के घर पर तैनात एक कॉन्स्टेबल का नंबर था उसने वो ट्राइ किया.
“आशु से बात कर्वाओ मेरी.”
“सर वो तो यहाँ नही हैं. कोई 2 घंटे पहले मेडम को लेकर निकले थे अभी तक लौटे नही.”
“ये लड़का भी ना” गौरव ने इरिटेशन में कहा.
“क्या हुआ?”
“अपर्णा को लेकर गया हुआ है आशुतोष कही. शायद कही घूम रहे होंगे दोनो. इतना बड़ा ख़तरा मोल लेने की क्या ज़रूरत है. क्या थोड़ा वेट नही कर सकते दोनो.”
“कल दोनो की बहुत लड़ाई हुई थी…किसी बात पर. अपर्णा नाराज़ हो गयी थी आशुतोष से. शायद उसे मना-ने के लिए कही घुमाने ले गया होगा.”
“वो तो ठीक है घूमते-घूमते साइको मिल गया तो. हर वक्त नज़र रखता है वो हम लोगो पर. पूरी प्लॅनिंग से काम करता है. मैने समझाया भी था उसे पर मेरी कोई सुने तब ना.” गौरव ने कहा.
“गौरव एक बात सुनो.” सौरभ ने कहा.
“हां बोलो.”
“हम भेष बदल कर जायें वहाँ तो ज़्यादा अच्छा है. क्या कहते हो.”
“हां आइडिया बुरा नही है…लेकिन टाइम कम है हमारे पास.”
“मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जो मिंटो में हमारा हुलिया बदल देगा.”
“चल फिर देर किस बात की है….”
गौरव और सौरभ नकली दाढ़ी मूछ लगा कर पहुँचे शादी में.
“तुम्हे क्या लगता है साइको क्या करने की सोच रहा है यहाँ.” गौरव ने कहा.
“भाई बुरा मत मान-ना पर मेरा पूरा ध्यान पूजा पर लगा हुआ है. बहुत कोशिश कर रहा हूँ पर….”
“देख सौरभ हम पूजा के लिए ही आए हैं यहाँ. अगर यू खोए रहोगे तो कुछ भी नही कर पाओगे अपनी पूजा के लिए. अपना पूरा ध्यान यहाँ रखो.”
“वो तो ठीक है यार…मेरी जान किस हाल में होगी सोच कर ही रूह काँप रही है मेरी. वो बहुत डरती है गौरव. बहुत डरती है वो. नही सह पाएगी इतना कुछ…नही सह पाएगी.” सौरभ बहुत एमोशनल हो रहा था. ये सावभाविक भी था.
“सब समझ रहा हूँ भाई…तू ऐसे करेगा तो मेरी भी हिम्मत जवाब दे जाएगी. संभाल खुद को. वो इंतेज़ार कर रही होगी तेरा कि तू कुछ करेगा.”
“मुझे पता है तभी तो एमोशनल हो रहा हूँ. अगर कुछ कर नही पाया तो मेरा प्यार उस साइको के आगे हार जाएगा.”
“ऐसा कुछ नही होगा. उम्मीद का दामन आख़िर तक नही छोड़ना चाहिए. वक्त चाहे कितना भी बुरा आ जाए हमें उम्मीद रखनी चाहिए. वक्त कब करवट लेगा हम कह नही सकते.”
“सॉरी यार. बहुत ज़्यादा एमोशनल हूँ पूजा के लिए मैं. इसलिए ऐसी बाते कर रहा हूँ. अब ठीक हूँ. चल देखते हैं क्या करने वाला है ये साइको. इस से पहले की वो अपनी गेम में कामयाब हो हमें उसे पकड़ना होगा.”
“ये हुई ना बात.”
“अभी तो यहाँ शांति लग रही है. हमें हर व्यक्ति पर कड़ी नज़र रखनी होगी.”
“मुझे एक बात समझ में नही आई. यहाँ मेरे लिए क्या ख़ास करेगा वो.”
“तेरी मेडम आ रही है ना यहाँ…”
“बस यार सुभ सुभ बोल. बड़ी मुश्किल से बची थी पिछली बार वो साइको के जाल से.”
“देखा नही होता ना बर्दास्त. अब पता चला कि क्या बीत रही है मेरे दिल पर.”
“वो पहले से समझा हुआ हूँ….एक मिनिट.”
“क्या हुआ?”
“मेडम से मिल कर आता हूँ.”
“अरे वो तुम्हे नही पहचानेगी?”
“देखा जाएगा तू यही रुक.”
गौरव अंकिता की तरफ बढ़ा. वो पिंक सारी में थी और एक दूसरी लेडी से बात कर रही थी.
अंकिता के पास आकर गौरव ने कहा, “एक्सक्यूस मी मेडम, आपसे ज़रूरी बात करनी है.”
“डू आइ नो यू?”
“शायद.” गौरव ने कहा.
“गेट लॉस्ट फ्रॉम हियर. तुम्हे पता नही मैं कौन हूँ और क्या कर सकती हूँ.” अंकिता को लगा कि उसे छेड़ा जा रहा है.
“ए एस पी साहिबा हैं आप और मुझे जैल में डाल सकती हैं. लेकिन फिर भी जोखिम लेने को तैयार हूँ. प्लीज़ थोडा सा इधर आकर मेरी बात सुन लीजिए.” गौरव थोड़ी आवाज़ बदल कर बोल रहा था इसलिए अंकिता उसे पहचान नही पाई. लेकिन वो उसके साथ एक कोने में आ गयी.
“हां बोलो क्या बात है.”
“बिज़ी होंगे दोनो शायद किसी काम में.” गौरव ने कहा.
“हां नया नया प्यार हुआ है दोनो को. बिज़ी तो रहेंगे ही.”
गौरव के पास अपर्णा के घर पर तैनात एक कॉन्स्टेबल का नंबर था उसने वो ट्राइ किया.
“आशु से बात कर्वाओ मेरी.”
“सर वो तो यहाँ नही हैं. कोई 2 घंटे पहले मेडम को लेकर निकले थे अभी तक लौटे नही.”
“ये लड़का भी ना” गौरव ने इरिटेशन में कहा.
“क्या हुआ?”
“अपर्णा को लेकर गया हुआ है आशुतोष कही. शायद कही घूम रहे होंगे दोनो. इतना बड़ा ख़तरा मोल लेने की क्या ज़रूरत है. क्या थोड़ा वेट नही कर सकते दोनो.”
“कल दोनो की बहुत लड़ाई हुई थी…किसी बात पर. अपर्णा नाराज़ हो गयी थी आशुतोष से. शायद उसे मना-ने के लिए कही घुमाने ले गया होगा.”
“वो तो ठीक है घूमते-घूमते साइको मिल गया तो. हर वक्त नज़र रखता है वो हम लोगो पर. पूरी प्लॅनिंग से काम करता है. मैने समझाया भी था उसे पर मेरी कोई सुने तब ना.” गौरव ने कहा.
“गौरव एक बात सुनो.” सौरभ ने कहा.
“हां बोलो.”
“हम भेष बदल कर जायें वहाँ तो ज़्यादा अच्छा है. क्या कहते हो.”
“हां आइडिया बुरा नही है…लेकिन टाइम कम है हमारे पास.”
“मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जो मिंटो में हमारा हुलिया बदल देगा.”
“चल फिर देर किस बात की है….”
गौरव और सौरभ नकली दाढ़ी मूछ लगा कर पहुँचे शादी में.
“तुम्हे क्या लगता है साइको क्या करने की सोच रहा है यहाँ.” गौरव ने कहा.
“भाई बुरा मत मान-ना पर मेरा पूरा ध्यान पूजा पर लगा हुआ है. बहुत कोशिश कर रहा हूँ पर….”
“देख सौरभ हम पूजा के लिए ही आए हैं यहाँ. अगर यू खोए रहोगे तो कुछ भी नही कर पाओगे अपनी पूजा के लिए. अपना पूरा ध्यान यहाँ रखो.”
“वो तो ठीक है यार…मेरी जान किस हाल में होगी सोच कर ही रूह काँप रही है मेरी. वो बहुत डरती है गौरव. बहुत डरती है वो. नही सह पाएगी इतना कुछ…नही सह पाएगी.” सौरभ बहुत एमोशनल हो रहा था. ये सावभाविक भी था.
“सब समझ रहा हूँ भाई…तू ऐसे करेगा तो मेरी भी हिम्मत जवाब दे जाएगी. संभाल खुद को. वो इंतेज़ार कर रही होगी तेरा कि तू कुछ करेगा.”
“मुझे पता है तभी तो एमोशनल हो रहा हूँ. अगर कुछ कर नही पाया तो मेरा प्यार उस साइको के आगे हार जाएगा.”
“ऐसा कुछ नही होगा. उम्मीद का दामन आख़िर तक नही छोड़ना चाहिए. वक्त चाहे कितना भी बुरा आ जाए हमें उम्मीद रखनी चाहिए. वक्त कब करवट लेगा हम कह नही सकते.”
“सॉरी यार. बहुत ज़्यादा एमोशनल हूँ पूजा के लिए मैं. इसलिए ऐसी बाते कर रहा हूँ. अब ठीक हूँ. चल देखते हैं क्या करने वाला है ये साइको. इस से पहले की वो अपनी गेम में कामयाब हो हमें उसे पकड़ना होगा.”
“ये हुई ना बात.”
“अभी तो यहाँ शांति लग रही है. हमें हर व्यक्ति पर कड़ी नज़र रखनी होगी.”
“मुझे एक बात समझ में नही आई. यहाँ मेरे लिए क्या ख़ास करेगा वो.”
“तेरी मेडम आ रही है ना यहाँ…”
“बस यार सुभ सुभ बोल. बड़ी मुश्किल से बची थी पिछली बार वो साइको के जाल से.”
“देखा नही होता ना बर्दास्त. अब पता चला कि क्या बीत रही है मेरे दिल पर.”
“वो पहले से समझा हुआ हूँ….एक मिनिट.”
“क्या हुआ?”
“मेडम से मिल कर आता हूँ.”
“अरे वो तुम्हे नही पहचानेगी?”
“देखा जाएगा तू यही रुक.”
गौरव अंकिता की तरफ बढ़ा. वो पिंक सारी में थी और एक दूसरी लेडी से बात कर रही थी.
अंकिता के पास आकर गौरव ने कहा, “एक्सक्यूस मी मेडम, आपसे ज़रूरी बात करनी है.”
“डू आइ नो यू?”
“शायद.” गौरव ने कहा.
“गेट लॉस्ट फ्रॉम हियर. तुम्हे पता नही मैं कौन हूँ और क्या कर सकती हूँ.” अंकिता को लगा कि उसे छेड़ा जा रहा है.
“ए एस पी साहिबा हैं आप और मुझे जैल में डाल सकती हैं. लेकिन फिर भी जोखिम लेने को तैयार हूँ. प्लीज़ थोडा सा इधर आकर मेरी बात सुन लीजिए.” गौरव थोड़ी आवाज़ बदल कर बोल रहा था इसलिए अंकिता उसे पहचान नही पाई. लेकिन वो उसके साथ एक कोने में आ गयी.
“हां बोलो क्या बात है.”