03-01-2020, 10:41 AM
Update 106
सुबह नींद में अपर्णा मीठी-मीठी आहें भर रही थी. उसे होश ही नही था कि जिसे वो सपना समझ रही है वो हक़ीक़त है. अपर्णा पीठ के बल पड़ी थी और आशुतोष उसकी तरफ करवट लिए उस से चिपक कर पड़ा था. उसका हाथ अपर्णा के उभार पर था और उसे हल्का हल्का मसल रहा था. इसी कारण अपर्णा आहें भर रही थी. आशुतोष अपर्णा की आहें सुन कर मध्यम-मध्यम मुस्कुरा रहा था. उभार को मसल्ते हुए उसने अपर्णा के कान में कहा, “उठ जाओ अपर्णा जंग शुरू हो चुकी है और लगता है तुम हार रही हो.”
अपर्णा की तुरंत आँख खुल गयी. उसने आशुतोष के हाथ को अपने उभार से हटाया और उठ कर बैठ गयी. अपर्णा दिल पर हाथ रख कर बोली, “तो ये सपना नही था?”
“क्या सपना नही था अपर्णा हहेहहे…”
“और क्या कुछ किया तुमने मेरे साथ नींद में” अपर्णा ने पूछा.
“कुछ और नही कर पाया बस अभी-अभी आँख खुली थी…आपके सुंदर उभारो से जंग लड़ रहा था.”
अपर्णा का चेहरा लाल हो गया शरम से. अचानक उसका ध्यान दीवार घड़ी पर गया.
“अरे 9 बज गये…हम इतनी देर तक सोते रहे.” अपर्णा ने कहा.
“बहुत लेट सोए थे हम…ये तो होना ही था. चलिए आप फ्रेश हो जाओ मैं आपके लिए नाश्ता बनाता हूँ.”
“तुम नाश्ता बनाओगे…मज़ाक मत करो?”
“जी हां मैं बनाओन्गा और आपसे अच्छा बनाओन्गा”
“नही आशु मेरे होते हुए ये सब करने की कोई ज़रूरत नही है तुम्हे.मैं खुद बनाओन्गि…अभी फ्रेश हो कर आती हूँ.”
अपर्णा उठ कर वॉशरूम की तरफ चल दी.
“हे रूको…” आशुतोष ने पीछे से आवाज़ दी.
“हां बोलो.”
“सॉरी फॉर एवेरितिंग.”
अपर्णा आशुतोष की तरफ मुस्कुरा दी और वॉशरूम में घुस गयी.
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सुबह नींद में अपर्णा मीठी-मीठी आहें भर रही थी. उसे होश ही नही था कि जिसे वो सपना समझ रही है वो हक़ीक़त है. अपर्णा पीठ के बल पड़ी थी और आशुतोष उसकी तरफ करवट लिए उस से चिपक कर पड़ा था. उसका हाथ अपर्णा के उभार पर था और उसे हल्का हल्का मसल रहा था. इसी कारण अपर्णा आहें भर रही थी. आशुतोष अपर्णा की आहें सुन कर मध्यम-मध्यम मुस्कुरा रहा था. उभार को मसल्ते हुए उसने अपर्णा के कान में कहा, “उठ जाओ अपर्णा जंग शुरू हो चुकी है और लगता है तुम हार रही हो.”
अपर्णा की तुरंत आँख खुल गयी. उसने आशुतोष के हाथ को अपने उभार से हटाया और उठ कर बैठ गयी. अपर्णा दिल पर हाथ रख कर बोली, “तो ये सपना नही था?”
“क्या सपना नही था अपर्णा हहेहहे…”
“और क्या कुछ किया तुमने मेरे साथ नींद में” अपर्णा ने पूछा.
“कुछ और नही कर पाया बस अभी-अभी आँख खुली थी…आपके सुंदर उभारो से जंग लड़ रहा था.”
अपर्णा का चेहरा लाल हो गया शरम से. अचानक उसका ध्यान दीवार घड़ी पर गया.
“अरे 9 बज गये…हम इतनी देर तक सोते रहे.” अपर्णा ने कहा.
“बहुत लेट सोए थे हम…ये तो होना ही था. चलिए आप फ्रेश हो जाओ मैं आपके लिए नाश्ता बनाता हूँ.”
“तुम नाश्ता बनाओगे…मज़ाक मत करो?”
“जी हां मैं बनाओन्गा और आपसे अच्छा बनाओन्गा”
“नही आशु मेरे होते हुए ये सब करने की कोई ज़रूरत नही है तुम्हे.मैं खुद बनाओन्गि…अभी फ्रेश हो कर आती हूँ.”
अपर्णा उठ कर वॉशरूम की तरफ चल दी.
“हे रूको…” आशुतोष ने पीछे से आवाज़ दी.
“हां बोलो.”
“सॉरी फॉर एवेरितिंग.”
अपर्णा आशुतोष की तरफ मुस्कुरा दी और वॉशरूम में घुस गयी.
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