03-01-2020, 10:29 AM
गौरव हॉस्पिटल पहुँच तो गया मगर अंकिता के कमरे की तरफ जाने से डर रहा था. “पता नही बात करेंगी या नही. एक बार मिल कर अपना पक्ष तो रख दूं फिर जो उनकी इच्छा होगी देख लेंगी.”
गौरव दबे पाँव कमरे में दाखिल हुआ. अंकिता आँखे बंद किए पड़ी थी. गौरव ने उन्हे जगाना सही नही समझा और वापिस मूड कर जाने लगा.
“गौरव!” अंकिता ने आवाज़ दी.
गौरव तुरंत मुड़ा और बोला, “क्या आप जाग रही हैं.”
“तुम मुझे सोने दोगे तब ना सो पाउन्गि. कहा थे सुबह से. फोन भी नही मिल रहा था तुम्हारा.” अंकिता ने कहा.
“मेडम आपने मुझे सुबह यहाँ से जाने को कहा था. दिल में दर्द और आँखो में आँसू लेकर गया था यहाँ से.”
“जो बात तुम्हे मुझे बतानी चाहिए थी वो चौहान ने बताई. बहुत बुरा लगा था मुझे.”
“मेडम रीमा से प्यार नही किया कभी मैने. हां अच्छे दोस्त ज़रूर बन गये थे हम. वो मुझसे शादी करना चाहती है.”
“क्या?” ये बात चौहान ने नही बताई मुझे.
“जी हां मेडम. वो मुझे प्यार करती है. मेरे दिल में प्यार नही जाग पाया उसके लिए मगर फिर भी मैं शादी के लिए तैयार था. मगर चौहान को ये सब मंजूर नही. इसलिए वो ज़बरदस्ती रीमा की शादी कही और कर रहा है वो भी इतनी जल्दी.”
“अगर चौहान राज़ी हो गया तुम्हारी और रीमा की शादी के लिए तो क्या करोगे शादी उस से?”
“मेडम झूठ नही बोलूँगा. अब नही कर सकता शादी रीमा से.”
“क्यों नही कर सकते?”
“आप जानती हैं सब कुछ पूछ क्यों रही हैं.”
“शायद मुझे पता है और शायद नही भी. खैर छोड़ो. दुख हुआ तुम्हारे सस्पेंशन का सुन कर. मैं ड्यूटी जॉइन करते ही कोशिश करूँगी उसे कैंसिल करवाने की.”
“सस्पेंशन की आदत हो चुकी है अब.”
“ह्म्म बी ऑप्टिमिस्टिक गौरव. सब ठीक हो जाएगा.”
“मेडम मैं कुछ मित्रो के साथ मिल कर साइको की तलाश जारी रख रहा हूँ. अभी हमारे पास सबसे बड़ा क्लू कर्नल का घर है. वही से सारे आशु खुलने की उम्मीद है. हम उसी पर कॉन्सेंट्रेट करेंगे. संजय तो सस्पेक्ट है ही. मगर उसका अभी कुछ आता पता नही है.”
“वेरी गुड. मेरी कहीं भी ज़रूरत पड़े तो झीजकना मत.मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूँ.”
“थॅंक यू मेडम…मैं चलता हूँ अब. शुकून मिला दिल को आपसे बात करके. सुबह तो भारी मन लेकर गया था यहा से. ऐसा लग रहा था जैसे कि दुनिया ही उजड़ गयी मेरी. गुड नाइट.” गौरव कह कर चल दिया.
“रूको!”
“जी कहिए.”
“कुछ कहना चाहती थी पर चलो छोड़ो. फिर कभी…”
“ऐसा ही होता है अक्सर. हम दिल में छुपाए फिरते हैं वो बात मगर कह नही पाते. और एक दिन ऐसा आता है जब किस्मत कहने का मोका ही नही देती जबकि हम कहने के लिए तैयार रहते हैं. बोल दीजिए मुझे जो बोलना है. हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा आपकी ये बात जो आप कहना चाहती हैं.”
“मैं क्या कहना चाहती हूँ तुम्हे पता भी है?”
“जी हां पता है”
“फिर बोलने की क्या ज़रूरत है. यू कैन गो नाओ…हहेहहे.” अंकिता ने हंसते हुए कहा.
“एक बार बोल देती तो अच्छा होता. मेरे कान तरस रहे हैं वो सब सुन ने के लिए. प्लीज़.”
“तुम जाते हो कि नही…मेरे पास कुछ नही है कहने को. इज़ देट क्लियर.”
“जी हां सब कुछ क्लियर है स्प्राइट की तरह.”
“हाहहहाहा…..आआहह” अंकिता खिलखिला कर हंस पड़ी जिस से पेट के झखम में दर्द होने लगा.
“क्या हुआ मेडम?”
“कुछ नही हँसने से पेट का झखम दर्द करने लगा.”
“मेरे उपर हँसने के चक्कर में दर्द मोल ले लिया आपने. शांति रखिए. वैसे बहुत अच्छा लगा आपको हंसते देख कर. भगवान मेरी सारी ख़ुशीया आपको दे दे ताकि आप हमेशा यू ही मुस्कुराती रहें.”
“तुम कुछ भी करलो मैं वो बोलने वाली नही हूँ.”
“यही तो मेरी बदक़िस्मती है. खैर जाने दीजिए. गुड नाइट. सो जाओ आप चुपचाप अब. मुझे अभी से इंक्वाइरी शुरू करनी हैं. अब बिल्कुल फ्रेश माइंड से स्टार्ट करूँगा.”
“ऑल दा बेस्ट.” अंकिता ने कहा
गौरव कमरे से बाहर निकला तो अंकिता का डॉक्टर मिल गया उसे.
“डॉक्टर कब तक छुट्टी मिलेगी मेडम को.”
“हम कल दोपहर तक छुट्टी कर देंगे. बाद में बस ड्रेसिंग के लिए आना पड़ेगा. 20 दिन बाद स्टिचस काट देंगे.”
“एसपी साहिब का भी आपने इलाज किया क्या. उनकी तो बड़ी जल्दी छुट्टी हो गयी”
“नही उनका केस तो ड्र अनिल के पास था. बहुत बढ़िया डॉक्टर हैं वो. एसपी साहिब के ख़ास दोस्त भी हैं. मेडम का केस डिफरेंट था. उस लकड़ी ने बहुत गहरा घाव बना दिया था मेडम के पेट में.”
“मगर जो भी हो आपके हॉस्पिटल में अच्छी केर होती है. सभी अच्छे डॉक्टर हैं.”
“जी हां. वी आर प्राउड ऑफ इट.”
गौरव दबे पाँव कमरे में दाखिल हुआ. अंकिता आँखे बंद किए पड़ी थी. गौरव ने उन्हे जगाना सही नही समझा और वापिस मूड कर जाने लगा.
“गौरव!” अंकिता ने आवाज़ दी.
गौरव तुरंत मुड़ा और बोला, “क्या आप जाग रही हैं.”
“तुम मुझे सोने दोगे तब ना सो पाउन्गि. कहा थे सुबह से. फोन भी नही मिल रहा था तुम्हारा.” अंकिता ने कहा.
“मेडम आपने मुझे सुबह यहाँ से जाने को कहा था. दिल में दर्द और आँखो में आँसू लेकर गया था यहाँ से.”
“जो बात तुम्हे मुझे बतानी चाहिए थी वो चौहान ने बताई. बहुत बुरा लगा था मुझे.”
“मेडम रीमा से प्यार नही किया कभी मैने. हां अच्छे दोस्त ज़रूर बन गये थे हम. वो मुझसे शादी करना चाहती है.”
“क्या?” ये बात चौहान ने नही बताई मुझे.
“जी हां मेडम. वो मुझे प्यार करती है. मेरे दिल में प्यार नही जाग पाया उसके लिए मगर फिर भी मैं शादी के लिए तैयार था. मगर चौहान को ये सब मंजूर नही. इसलिए वो ज़बरदस्ती रीमा की शादी कही और कर रहा है वो भी इतनी जल्दी.”
“अगर चौहान राज़ी हो गया तुम्हारी और रीमा की शादी के लिए तो क्या करोगे शादी उस से?”
“मेडम झूठ नही बोलूँगा. अब नही कर सकता शादी रीमा से.”
“क्यों नही कर सकते?”
“आप जानती हैं सब कुछ पूछ क्यों रही हैं.”
“शायद मुझे पता है और शायद नही भी. खैर छोड़ो. दुख हुआ तुम्हारे सस्पेंशन का सुन कर. मैं ड्यूटी जॉइन करते ही कोशिश करूँगी उसे कैंसिल करवाने की.”
“सस्पेंशन की आदत हो चुकी है अब.”
“ह्म्म बी ऑप्टिमिस्टिक गौरव. सब ठीक हो जाएगा.”
“मेडम मैं कुछ मित्रो के साथ मिल कर साइको की तलाश जारी रख रहा हूँ. अभी हमारे पास सबसे बड़ा क्लू कर्नल का घर है. वही से सारे आशु खुलने की उम्मीद है. हम उसी पर कॉन्सेंट्रेट करेंगे. संजय तो सस्पेक्ट है ही. मगर उसका अभी कुछ आता पता नही है.”
“वेरी गुड. मेरी कहीं भी ज़रूरत पड़े तो झीजकना मत.मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूँ.”
“थॅंक यू मेडम…मैं चलता हूँ अब. शुकून मिला दिल को आपसे बात करके. सुबह तो भारी मन लेकर गया था यहा से. ऐसा लग रहा था जैसे कि दुनिया ही उजड़ गयी मेरी. गुड नाइट.” गौरव कह कर चल दिया.
“रूको!”
“जी कहिए.”
“कुछ कहना चाहती थी पर चलो छोड़ो. फिर कभी…”
“ऐसा ही होता है अक्सर. हम दिल में छुपाए फिरते हैं वो बात मगर कह नही पाते. और एक दिन ऐसा आता है जब किस्मत कहने का मोका ही नही देती जबकि हम कहने के लिए तैयार रहते हैं. बोल दीजिए मुझे जो बोलना है. हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा आपकी ये बात जो आप कहना चाहती हैं.”
“मैं क्या कहना चाहती हूँ तुम्हे पता भी है?”
“जी हां पता है”
“फिर बोलने की क्या ज़रूरत है. यू कैन गो नाओ…हहेहहे.” अंकिता ने हंसते हुए कहा.
“एक बार बोल देती तो अच्छा होता. मेरे कान तरस रहे हैं वो सब सुन ने के लिए. प्लीज़.”
“तुम जाते हो कि नही…मेरे पास कुछ नही है कहने को. इज़ देट क्लियर.”
“जी हां सब कुछ क्लियर है स्प्राइट की तरह.”
“हाहहहाहा…..आआहह” अंकिता खिलखिला कर हंस पड़ी जिस से पेट के झखम में दर्द होने लगा.
“क्या हुआ मेडम?”
“कुछ नही हँसने से पेट का झखम दर्द करने लगा.”
“मेरे उपर हँसने के चक्कर में दर्द मोल ले लिया आपने. शांति रखिए. वैसे बहुत अच्छा लगा आपको हंसते देख कर. भगवान मेरी सारी ख़ुशीया आपको दे दे ताकि आप हमेशा यू ही मुस्कुराती रहें.”
“तुम कुछ भी करलो मैं वो बोलने वाली नही हूँ.”
“यही तो मेरी बदक़िस्मती है. खैर जाने दीजिए. गुड नाइट. सो जाओ आप चुपचाप अब. मुझे अभी से इंक्वाइरी शुरू करनी हैं. अब बिल्कुल फ्रेश माइंड से स्टार्ट करूँगा.”
“ऑल दा बेस्ट.” अंकिता ने कहा
गौरव कमरे से बाहर निकला तो अंकिता का डॉक्टर मिल गया उसे.
“डॉक्टर कब तक छुट्टी मिलेगी मेडम को.”
“हम कल दोपहर तक छुट्टी कर देंगे. बाद में बस ड्रेसिंग के लिए आना पड़ेगा. 20 दिन बाद स्टिचस काट देंगे.”
“एसपी साहिब का भी आपने इलाज किया क्या. उनकी तो बड़ी जल्दी छुट्टी हो गयी”
“नही उनका केस तो ड्र अनिल के पास था. बहुत बढ़िया डॉक्टर हैं वो. एसपी साहिब के ख़ास दोस्त भी हैं. मेडम का केस डिफरेंट था. उस लकड़ी ने बहुत गहरा घाव बना दिया था मेडम के पेट में.”
“मगर जो भी हो आपके हॉस्पिटल में अच्छी केर होती है. सभी अच्छे डॉक्टर हैं.”
“जी हां. वी आर प्राउड ऑफ इट.”