03-01-2020, 10:15 AM
गौरव चाहता था कि उन्हे घर तक छोड़ कर आए मगर आशुतोष ने मना कर दिया, “सर मैं संभाल लूँगा. आप चिंता मत करो.”
“साइको ने सबके दिमाग़ हिला कर रखे हुए हैं.” आशुतोष ने कहा.
“हां…उसे समझना बहुत मुश्किल काम है.”
अचानक आशुतोष ने एक जगह जीप रोक दी.
“क्या हुआ?”
“यहा से मेरा घर काफ़ी नज़दीक है…क्या चलोगि वहाँ?” आशुतोष ने कहा
“कही भी चलूंगी मैं तुम्हारे साथ पर मेरे साथ शालीनता से पेश आना.”
“ये पाप ही नही कर सकता मैं बाकी कुछ भी कर सकता हूँ आपके लिए.” आशुतोष ने हंसते हुए कहा.
“अब क्या करूँ…चलना तो पड़ेगा ही तुम्हारे साथ. चलो जो होगा देखा जाएगा.”
“ये हुई ना बात. प्यार में अड्वेंचर का भी अपना ही मज़ा है.” आशुतोष ने जीप अपने घर की तरफ मोड़ दी.
कोई 10 मिनिट में ही आशुतोष अपने घर पहुँच गया.
“घर के नाम पर ये छोटा सा कमरा है मेरे पास. छोटा सा किचन है अंदर ही और एक टॉयलेट है. आपकी तरह महलो में नही रहा कभी.” आशुतोष ने टाला खोलते हुए कहा.
“बस-बस ताना मत मारो. अकेले व्यक्ति के लिए एक कमरा बहुत होता है.”
“हां पर आपसे शादी करने के बाद नया घर लेना होगा मुझे.” आशुतोष ने कुण्डी खोलते हुए कहा.
“आईए अंदर और इस घर को अपनी उपस्थिति से महका दीजिए.” आशुतोष ने कहा.
अपर्णा अंदर आई तो हैरान रह गयी, “ओ.ऍम.जी. ये घर है या कबाड़खाना. सब कुछ बिखरा पड़ा है.”
“कई दिनो से तो ड्यूटी आपके साथ लगी हुई है. यहा कौन ठीक करेगा आकर सब कुछ. मैं अभी सब ठीक करता हूँ. सारी रात यही बितानी है हमें”
“क्यों क्या अब हम घर नही जाएँगे.”
“क्या ये आपका घर नही.”
“नही वो बात नही है पर.”
“ओह हां ये आपकी हसियत के अनुसार नही है…हैं ना”
“ऐसा नही है आशुतोष…मेरा वो मतलब नही है. हम एक साथ इस कमरे में कैसे रहेंगे.”
“क्यों कल रात हम एक साथ नही सोए थे क्या छोटे से बिस्तर पर. यहा एक साथ रहने में क्या दिक्कत है. मैं जल्दी से सफाई कर देता हूँ आप बैठिए.” आशुतोष ने कहा.
अपर्णा ने कुछ नही कहा मगर मन ही मन सोचा, “तुमसे इतना प्यार करती हूँ कि तुम्हारी कोई भी बात टाली नही जाती. उसी चीज़ का तुम फायदा उठा रहे हो.”
कुछ देर अपर्णा आशुतोष को काम करते हुए देखती रही फिर खुद भी उसके साथ लग गयी. कोई 20 मिनिट में दोनो ने कमरे को एक दम चमका दिया.
“पसीने-पसीने हो गयी मैं तो…नहाना पड़ेगा अब.”
“हां नहा लीजिए…यहा पानी की कोई दिक्कत नही है. सारा दिन पानी रहता है.”
“ठीक है फिर मुझे कोई तोलिया दो मैं नहा कर आती हूँ.”
आशुतोष ने एक तोलिया थमा दिया अपर्णा को और बोला, “वैसे नहाना मुझे भी था. अगर आप इजाज़त दें तो मैं भी आ जाता हूँ आपके साथ. टाइम की बचत हो जाएगी.”
“क्या करोगे टाइम की बचत करके. सारी रात अब हम यही हैं ना. वेट करो यही चुपचाप…बदमाश कही के.” अपर्णा तोलिया ले कर बाथरूम में घुस गयी.
कोई 20 मिनिट बाद वो नहा कर निकली बाहर तो आशुतोष के होश उड़ गये.
“ऐसे क्या देख रहे हो.”
“पानी की बूँदो में भीगे हुए ये काले-काले बाल एक कामुक रस पैदा कर रहे हैं मेरे सीने में.”
“चुपचाप नहा लो जाकर…मुझे बाल सुखाने दो.”
आशुतोष दूसरा तोलिया लेकर घुस गया बातरूम में. वो कोई 10 मिनिट में ही नहा कर निकल आया.
जब वो बाहर निकला तो अपर्णा की पीठ थी उसकी तरफ और वो अपने बाल सूखा रही थी. आशुतोष उसके सुंदर शरीर को उपर से नीचे तक देखने से खुद को रोक नही पाया. पतली कमर का कटाव देखते ही बनता था. आशुतोष तो बस देखता ही रह गया. उसकी साँसे तेज चलने लगी. जब उसकी नज़र थोड़ा और नीचे गयी तो उसकी सांसो की रफ़्तार और तेज हो गयी. पतली कमर के नीचे थोड़ा बाहर को उभरे हुए नितंब अपर्णा के योवन की सोभा बढ़ा रहे थे.
“उफ्फ मैं पागल ना हो जाउ तो क्या करूँ.” आशुतोष ने मन ही मन सोचा.
आशुतोष धीरे से आगे बढ़ा और दोनो हाथो से अपर्णा के नितंबो को थाम लिया.
“आअहह” अपर्णा उछल कर आगे बढ़ गयी. “क्या कर रहे हो…तुमने तो डरा दिया मुझे.” अपर्णा गुस्से में बोली.
“रोक नही पाया खुद को. सॉरी.”
“कुछ भी कर लो पहले और फिर सॉरी बोल दो. ये बहुत अच्छा तरीका है तुम्हारा.” अपर्णा ने कहा.
“हां तरीका तो अच्छा है हिहिहीही….”
“बदमाश हो तुम एक नंबर के.”
“वो तो हूँ” आशुतोष ने हंसते हुए कहा.
अपर्णा दीवार पर टाँगे छोटे से शीसे के सामने आकर अपने बाल संवारने लगी, “तुम सच में पागल हो.”
आशुतोष ने पीछे से आकर अपर्णा को दबोच लिया अपनी बाहों में और अपर्णा के गले पर किस करके बोला, “अपर्णा आइ लव यू.”
“आइ लव यू टू आशुतोष पर.”
“पर क्या?”
“हम दोनो बिल्कुल अलग हैं आशुतोष. तुम जो चाहते हो मुझसे उसमें मैं तुम्हारा साथ नही दे सकती.”
“क्या चाहता हूँ मैं ज़रा खुल कर बताओ.”
“तुम्हे सब पता है…नाटक मत करो.”
अपर्णा के इतने नज़दीक आकर आशुतोष का लिंग काले नाग की तरह फूँकारे मारने लगा था. वो अपने भारी भरकम रूप में आ गया था और अपर्णा को अपने नितंबो पर बहुत अच्छे से फील हो रहा था.
“आशुतोष प्लीज़ हटा लो इसे.”
“क्या हटा लूँ. कुछ समझ में नही आया.” आशुतोष ने अपर्णा को और ज़ोर से कश लिया अपनी बाहों में और उसकी गर्दन को चूमने लगा.
नितंबो पर लिंग की चुअन से पहले ही अपर्णा के शरीर में अजीब सी तरंगे दौड़ रही थी. गर्दन पर बरस रही किस्सस से उसकी हालत और पतली होती जा रही थी.
“बोलिए ना क्या हटा लूँ. आप नही बताएँगी तो कैसे मदद करूँगा आपकी.”
अपर्णा छटपटाने लगी आशुतोष की बाहों में मगर आशुतोष की पकड़ से निकलना आसान नही था.
“क्या मेरा लंड आपकी गांद को परेशान कर रहा है?”
“शट अप! हट जाओ वरना जींदगी भर बात नही करूँगी तुमसे.” अपर्णा चिल्लाई.
आशुतोष तुरंत हट गया और बिस्तर पर आकर लेट गया आँखे बंद करके.
“हां अब नाराज़ हो जाना ताकि मैं तुम्हे मनाने आउ और तुम्हे फिर से मेरे शरीर से खेलने का मोका मिले.आइ हेट यू. मेरे करीब मत आना अब. तुम बहुत गंदे हो. इतनी गंदी बात नही सुनी कभी मैने.” अपर्णा ने कहा.
“अब आपको कभी कुछ नही कहूँगा…ना ही आपके शरीर से खेलूँगा. सॉरी फॉर एवेरितिंग.” आशुतोष ने कहा.
“साइको ने सबके दिमाग़ हिला कर रखे हुए हैं.” आशुतोष ने कहा.
“हां…उसे समझना बहुत मुश्किल काम है.”
अचानक आशुतोष ने एक जगह जीप रोक दी.
“क्या हुआ?”
“यहा से मेरा घर काफ़ी नज़दीक है…क्या चलोगि वहाँ?” आशुतोष ने कहा
“कही भी चलूंगी मैं तुम्हारे साथ पर मेरे साथ शालीनता से पेश आना.”
“ये पाप ही नही कर सकता मैं बाकी कुछ भी कर सकता हूँ आपके लिए.” आशुतोष ने हंसते हुए कहा.
“अब क्या करूँ…चलना तो पड़ेगा ही तुम्हारे साथ. चलो जो होगा देखा जाएगा.”
“ये हुई ना बात. प्यार में अड्वेंचर का भी अपना ही मज़ा है.” आशुतोष ने जीप अपने घर की तरफ मोड़ दी.
कोई 10 मिनिट में ही आशुतोष अपने घर पहुँच गया.
“घर के नाम पर ये छोटा सा कमरा है मेरे पास. छोटा सा किचन है अंदर ही और एक टॉयलेट है. आपकी तरह महलो में नही रहा कभी.” आशुतोष ने टाला खोलते हुए कहा.
“बस-बस ताना मत मारो. अकेले व्यक्ति के लिए एक कमरा बहुत होता है.”
“हां पर आपसे शादी करने के बाद नया घर लेना होगा मुझे.” आशुतोष ने कुण्डी खोलते हुए कहा.
“आईए अंदर और इस घर को अपनी उपस्थिति से महका दीजिए.” आशुतोष ने कहा.
अपर्णा अंदर आई तो हैरान रह गयी, “ओ.ऍम.जी. ये घर है या कबाड़खाना. सब कुछ बिखरा पड़ा है.”
“कई दिनो से तो ड्यूटी आपके साथ लगी हुई है. यहा कौन ठीक करेगा आकर सब कुछ. मैं अभी सब ठीक करता हूँ. सारी रात यही बितानी है हमें”
“क्यों क्या अब हम घर नही जाएँगे.”
“क्या ये आपका घर नही.”
“नही वो बात नही है पर.”
“ओह हां ये आपकी हसियत के अनुसार नही है…हैं ना”
“ऐसा नही है आशुतोष…मेरा वो मतलब नही है. हम एक साथ इस कमरे में कैसे रहेंगे.”
“क्यों कल रात हम एक साथ नही सोए थे क्या छोटे से बिस्तर पर. यहा एक साथ रहने में क्या दिक्कत है. मैं जल्दी से सफाई कर देता हूँ आप बैठिए.” आशुतोष ने कहा.
अपर्णा ने कुछ नही कहा मगर मन ही मन सोचा, “तुमसे इतना प्यार करती हूँ कि तुम्हारी कोई भी बात टाली नही जाती. उसी चीज़ का तुम फायदा उठा रहे हो.”
कुछ देर अपर्णा आशुतोष को काम करते हुए देखती रही फिर खुद भी उसके साथ लग गयी. कोई 20 मिनिट में दोनो ने कमरे को एक दम चमका दिया.
“पसीने-पसीने हो गयी मैं तो…नहाना पड़ेगा अब.”
“हां नहा लीजिए…यहा पानी की कोई दिक्कत नही है. सारा दिन पानी रहता है.”
“ठीक है फिर मुझे कोई तोलिया दो मैं नहा कर आती हूँ.”
आशुतोष ने एक तोलिया थमा दिया अपर्णा को और बोला, “वैसे नहाना मुझे भी था. अगर आप इजाज़त दें तो मैं भी आ जाता हूँ आपके साथ. टाइम की बचत हो जाएगी.”
“क्या करोगे टाइम की बचत करके. सारी रात अब हम यही हैं ना. वेट करो यही चुपचाप…बदमाश कही के.” अपर्णा तोलिया ले कर बाथरूम में घुस गयी.
कोई 20 मिनिट बाद वो नहा कर निकली बाहर तो आशुतोष के होश उड़ गये.
“ऐसे क्या देख रहे हो.”
“पानी की बूँदो में भीगे हुए ये काले-काले बाल एक कामुक रस पैदा कर रहे हैं मेरे सीने में.”
“चुपचाप नहा लो जाकर…मुझे बाल सुखाने दो.”
आशुतोष दूसरा तोलिया लेकर घुस गया बातरूम में. वो कोई 10 मिनिट में ही नहा कर निकल आया.
जब वो बाहर निकला तो अपर्णा की पीठ थी उसकी तरफ और वो अपने बाल सूखा रही थी. आशुतोष उसके सुंदर शरीर को उपर से नीचे तक देखने से खुद को रोक नही पाया. पतली कमर का कटाव देखते ही बनता था. आशुतोष तो बस देखता ही रह गया. उसकी साँसे तेज चलने लगी. जब उसकी नज़र थोड़ा और नीचे गयी तो उसकी सांसो की रफ़्तार और तेज हो गयी. पतली कमर के नीचे थोड़ा बाहर को उभरे हुए नितंब अपर्णा के योवन की सोभा बढ़ा रहे थे.
“उफ्फ मैं पागल ना हो जाउ तो क्या करूँ.” आशुतोष ने मन ही मन सोचा.
आशुतोष धीरे से आगे बढ़ा और दोनो हाथो से अपर्णा के नितंबो को थाम लिया.
“आअहह” अपर्णा उछल कर आगे बढ़ गयी. “क्या कर रहे हो…तुमने तो डरा दिया मुझे.” अपर्णा गुस्से में बोली.
“रोक नही पाया खुद को. सॉरी.”
“कुछ भी कर लो पहले और फिर सॉरी बोल दो. ये बहुत अच्छा तरीका है तुम्हारा.” अपर्णा ने कहा.
“हां तरीका तो अच्छा है हिहिहीही….”
“बदमाश हो तुम एक नंबर के.”
“वो तो हूँ” आशुतोष ने हंसते हुए कहा.
अपर्णा दीवार पर टाँगे छोटे से शीसे के सामने आकर अपने बाल संवारने लगी, “तुम सच में पागल हो.”
आशुतोष ने पीछे से आकर अपर्णा को दबोच लिया अपनी बाहों में और अपर्णा के गले पर किस करके बोला, “अपर्णा आइ लव यू.”
“आइ लव यू टू आशुतोष पर.”
“पर क्या?”
“हम दोनो बिल्कुल अलग हैं आशुतोष. तुम जो चाहते हो मुझसे उसमें मैं तुम्हारा साथ नही दे सकती.”
“क्या चाहता हूँ मैं ज़रा खुल कर बताओ.”
“तुम्हे सब पता है…नाटक मत करो.”
अपर्णा के इतने नज़दीक आकर आशुतोष का लिंग काले नाग की तरह फूँकारे मारने लगा था. वो अपने भारी भरकम रूप में आ गया था और अपर्णा को अपने नितंबो पर बहुत अच्छे से फील हो रहा था.
“आशुतोष प्लीज़ हटा लो इसे.”
“क्या हटा लूँ. कुछ समझ में नही आया.” आशुतोष ने अपर्णा को और ज़ोर से कश लिया अपनी बाहों में और उसकी गर्दन को चूमने लगा.
नितंबो पर लिंग की चुअन से पहले ही अपर्णा के शरीर में अजीब सी तरंगे दौड़ रही थी. गर्दन पर बरस रही किस्सस से उसकी हालत और पतली होती जा रही थी.
“बोलिए ना क्या हटा लूँ. आप नही बताएँगी तो कैसे मदद करूँगा आपकी.”
अपर्णा छटपटाने लगी आशुतोष की बाहों में मगर आशुतोष की पकड़ से निकलना आसान नही था.
“क्या मेरा लंड आपकी गांद को परेशान कर रहा है?”
“शट अप! हट जाओ वरना जींदगी भर बात नही करूँगी तुमसे.” अपर्णा चिल्लाई.
आशुतोष तुरंत हट गया और बिस्तर पर आकर लेट गया आँखे बंद करके.
“हां अब नाराज़ हो जाना ताकि मैं तुम्हे मनाने आउ और तुम्हे फिर से मेरे शरीर से खेलने का मोका मिले.आइ हेट यू. मेरे करीब मत आना अब. तुम बहुत गंदे हो. इतनी गंदी बात नही सुनी कभी मैने.” अपर्णा ने कहा.
“अब आपको कभी कुछ नही कहूँगा…ना ही आपके शरीर से खेलूँगा. सॉरी फॉर एवेरितिंग.” आशुतोष ने कहा.