31-01-2019, 12:06 PM
(This post was last modified: 11-12-2024, 05:14 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शादी की सालगिरह मुबारक असिमा दूसरे छोर पर लगभग चिल्लाकर बोली
"धन्यवाद" समीर एक मुस्कानके साथ कह कर बधाई स्वीकार की
संयोग से मैं सिर्फ मिनट पहले तुम्हारे के बारे में सोच रहा था!
"मुझसे झूठ मत बोलो? " उसकी आवाज उसी उत्साह में लथपथ थी
"अरे ऎसा दिन है जब आपको अपनी बहन को याद नहीं करना चाहिए."
"अजीब बात है", समीर कुछ हद तकहल्के तौर पर वह हँसा l
"असल में मैं,"तुम्हें बुलाना चाह रहा था lमुझे आशंका है कि शायद हम लोग डिनर मे न मिल सके" l
मुझे आपसे इसी तरह है कि उम्मीद है असिमा ने हँसी से कहा l "मैं जानती हूँ कि अपनी नौकरी आपकी दूसरी पत्नी हैl
लेकिन, क्या आपको नहीं लगता है कि कम से कम महीने में एक बार तो मिल ही सकते हैं?
हम पास होकर भी दूर हैं. "
"सच है" समीर ने अपराध भावना के साथ स्वीकार किया. "मैं तुमसे नही मिल सका l
"
"इसी कारण मैं यहाँ हूँ" असिमा दूसरे छोर पर हँसी "मुड़ कर बाहर देखो l
समीर खिड़की की तरफ़ रवाना हुआ फिर गेट से असिमा को सेलुलर फोन पकड़े, आते हुए देखा . उनकी आँखों एक बार मिली और
गर्म मुस्कान का आदान - प्रदान कियाl समीर ने अपने
हैंडसेट बंद किया और दरवाजे की ओर भागा कि उसकी बहन अंदर आ जाओ उसने दाहिने हाथ आगे बढ़ाकर पहले दरवाजा खोला.
" सुखद आश्चर्य है!" समीर ने अपनी भावनाओ को प्रकट किए बिना ही मुस्कराया
वह अपनी बहन के विनम्र भाव से अति प्रसन्न हुआ l घर जो अब तक बिखरे सन्नाटे सी बियावान लगा रहा था अब
अचानक असिमा की उपस्थिति के साथ जीवंत हो गया और
जल्द ही भाई बहन कुछ अजीब विचार विमर्श में तल्लीन हो गय
ज़ोर जोर से हँसी कह्कहे गूँजने लगे ,माहौल मे रौनक सी छागई l
"आपका अपने नाश्ते के बारे मे क्या विचार है?असिमा ने हँसी में पूछा l
वह जानती थी कि उसके भाई में रसोईघर में खड़े होने का धैर्य कभी नहीं था l
.
"धन्यवाद" समीर एक मुस्कानके साथ कह कर बधाई स्वीकार की
संयोग से मैं सिर्फ मिनट पहले तुम्हारे के बारे में सोच रहा था!
"मुझसे झूठ मत बोलो? " उसकी आवाज उसी उत्साह में लथपथ थी
"अरे ऎसा दिन है जब आपको अपनी बहन को याद नहीं करना चाहिए."
"अजीब बात है", समीर कुछ हद तकहल्के तौर पर वह हँसा l
"असल में मैं,"तुम्हें बुलाना चाह रहा था lमुझे आशंका है कि शायद हम लोग डिनर मे न मिल सके" l
मुझे आपसे इसी तरह है कि उम्मीद है असिमा ने हँसी से कहा l "मैं जानती हूँ कि अपनी नौकरी आपकी दूसरी पत्नी हैl
लेकिन, क्या आपको नहीं लगता है कि कम से कम महीने में एक बार तो मिल ही सकते हैं?
हम पास होकर भी दूर हैं. "
"सच है" समीर ने अपराध भावना के साथ स्वीकार किया. "मैं तुमसे नही मिल सका l
"
"इसी कारण मैं यहाँ हूँ" असिमा दूसरे छोर पर हँसी "मुड़ कर बाहर देखो l
समीर खिड़की की तरफ़ रवाना हुआ फिर गेट से असिमा को सेलुलर फोन पकड़े, आते हुए देखा . उनकी आँखों एक बार मिली और
गर्म मुस्कान का आदान - प्रदान कियाl समीर ने अपने
हैंडसेट बंद किया और दरवाजे की ओर भागा कि उसकी बहन अंदर आ जाओ उसने दाहिने हाथ आगे बढ़ाकर पहले दरवाजा खोला.
" सुखद आश्चर्य है!" समीर ने अपनी भावनाओ को प्रकट किए बिना ही मुस्कराया
वह अपनी बहन के विनम्र भाव से अति प्रसन्न हुआ l घर जो अब तक बिखरे सन्नाटे सी बियावान लगा रहा था अब
अचानक असिमा की उपस्थिति के साथ जीवंत हो गया और
जल्द ही भाई बहन कुछ अजीब विचार विमर्श में तल्लीन हो गय
ज़ोर जोर से हँसी कह्कहे गूँजने लगे ,माहौल मे रौनक सी छागई l
"आपका अपने नाश्ते के बारे मे क्या विचार है?असिमा ने हँसी में पूछा l
वह जानती थी कि उसके भाई में रसोईघर में खड़े होने का धैर्य कभी नहीं था l
.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.