31-01-2019, 11:57 AM
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समीर ने ठंडी साँस ले कर अपने को ही बेहद अकेला महसूस किया इस सालगिरह पर. ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, उसकी पत्नी् समीरा प्रसव के लिए गई थी l
नई बंबई के उपनगरीय इलाके में छोटे से फ्लैट उसकी अनुपस्थिति में प्रेतवाधित घर की तरह लग रहा था ,उसने खुद को कोसा कि बच्चे के लिये जल्दी करने की क्या जरूरत थी ? मध्य दिसम्बर और सर्दियों का अद्भुत दिन था l
. वह खिड़की के बाहर हल्के कोहरे को अच्छी तरह से देख सकता हैl
याद आया कैसे उसके मन मे विषाद की हल्की रेखा ने जन्म लिया यह जानते हुए भी कि आज रात आफ़िस मे देर होगी ही, शायद बकाया काम उसके इस सद्य उठे विषाद से निजात दिलान मे मददगार साबित हो l
निराशा मे सिर हिलाते हुये ,उसने सोचा कि उसके पास अपनी छोटी बहन अस्मा से मिलने का वक्त ही नहीं बचा , जो लगभग एक घन्टे की ड्राइव की दूरी पर रह्ती हैl
पिछले साल शादी के तुरन्त बाद सर्दियों का सामना करने के लिए संघर्ष करना पड़ा l
अद्भुत थी यादें कि समीरा हमेशा आलिगंन्बद्ध रह्ती थी l
उसके मन मे विषाद की हल्की रेखा ने जन्म लिया यह जानते हुए भी कि आज रात आफ़िस मे देर होगी ही, शायद बकाया काम उसके इस सद्य उठे विषाद से निजात दिलान मे मददगार साबित हो l
निराशा मे सिर हिलाते हुये ,उसने सोचा कि उसके पास अपनी छोटी बहन आसिमा से मिलने का वक्त ही नहीं बचा , जो लगभग एक घन्टे की ड्राइव की दूरी पर रह्ती हैl
समीरा सालगिरह की बधाई के लिए कॉल करने वालों में पहली थी बार अब उसने गले मे एक निर्वात महसूस किया l पत्नी से बात की जो उसके पास से लगभग एक हजार किलोमीटर दूर है lबातचीत के बीच में समीरा आवाज टूट रही थी उसे दिलासा दिलाना आसान नहीं था l
संक्षिप्त बातचीत के बाद, समीर और अधिक अकेला महसूस कर रहा था और पहले की तुलना में उदास भी l बस , वह बाथरूम में प्रवेश करने जा रहा था कि टेलीफोन एक बार फिर बजा. दूसरे छोर से परिचित आवाज सुन कर अपने को सहज महसूस कियाl
दूसरे छोर पर आवाज. यह आसिमा थी l
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
