02-01-2020, 07:09 PM
बाहर अच्छे से सभी को सतर्कता का आदेश दे कर आशुतोष वापिस अपर्णा के पास आया और बोला, “अगर आपकी इज़ाज़त हो तो मैं आपके साथ ही रहना चाहूँगा”
“नही तुम मेरे साथ नही रह सकते. तुम्हारा कोई भरोसा नही है.”
“पर मैं आपको अब अकेला नही छोड़ सकता. पता नही क्या गेम खेल रहा है साइको. मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है.”
“कैसी गड़बड़?”
“देखिए ना उसने सभी को मार दिया था यहा. सिर्फ़ मैं और आप बचे थे. सब कुछ उसके कंट्रोल में था…फिर भी वो बस एक पैंटिंग रख कर चला गया. कुछ अजीब सा लगता है. कोई बहुत ही ख़तरनाक गेम लगती है उसकी जो कि हम समझ नही पा रहे.”
“डराओ मत मुझे.”
“देखिए आप कुछ भी कहें पर मैं आपको अकेले छोड़ने वाला नही हूँ अब. हर वक्त आपके साथ ही रहूँगा…यही अंदर.”
“तुम ये सब जान बुझ कर बोल रहे हो ताकि तुम्हे मेरे साथ छेड़कानी के मोके मिलते रहें हैं ना?”
“आपकी कसम खा कर कहता हूँ ऐसा कुछ नही है. मुझे सच में गड़बड़ लग रही है.”
“ठीक है फिर…मैं मम्मी-डेडी के कमरे में सो जाती हूँ तुम उस कमरे में सो जाओ.”
“नही ये नही चलेगा.”
“तो क्या मुझसे चिपक कर रहोगे तुम”
आशुतोष ने अपर्णा को बाहों में भर लिया और बोला, “बुराई क्या है आपके साथ रहने में. हम प्यार करते हैं एक दूसरे से.”
“हां पर हमारी शादी नही हुई अभी और तुम पागलपन सवार है. मुझे तुमसे डर लगता है.”
“किस बात का डर?”
“छोड़ो तुम नही समझोगे…”
“ठीक है ऐसा करते हैं आप अपने पेरेंट्स के बेडरूम में सो जाओ मैं चदडार बिछा कर उसके बाहर लेट जाता हूँ. ये तो ठीक रहेगा ना. या फिर इसमे भी कोई दिक्कत है.”
“पर तुम ज़मीन पर कैसे सो पाओगे.”
“आपके लिए कही भी सो जाउन्गा. और वैसे भी मुझे जागना है. दिमाग़ की दही कर दी है इस साइको ने. सब को मार कर घर में घुसा और बिना किसी हंगामे के चुपचाप चला गया. इस पहेली को सुलझाना होगा. मुझे नींद नही आएगी…आप निसचिंत हो कर सो जाओ.”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. नींद तो मुझे भी नही आएगी शायद. फिर भी सोने की कोशिश करती हूँ. सर बहुत भारी हो रहा है.”
“हां आप सो जाओ…लेकिन एक गुड नाइट किस तो देती जाओ.” आशुतोष ने अपर्णा के होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच.
अपर्णा ने कोई ज़्यादा विरोध नही किया.
“बस अब जाउ…हर वक्त एक ही काम में मन रहता है तुम्हारा.”
“क्या करें ये प्यार मजबूर कर देता है इस सब के लिए.” आशुतोष ने कहा.
“रहने दो प्यार मैं भी करती हूँ पर तुम तो पागल हो गये हो.”
अपर्णा ने आशुतोष को एक चदडार और तकिया दे दिया और अपने बेडरूम में जाते वक्त बोली, “यहा नींद ना आए तो उस बेडरूम में सो जाना जाकर.”
“जी बिल्कुल. आपको नींद ना आए तो मेरी बाहों में चली आना मैं लोरी सुना कर सुना दूँगा आपको.”
“पता है मुझे तुम क्या सूनाओगे…गुड नाइट.” अपर्णा बेडरूम में घुस गयी.
आशुतोष चदडार बिछा कर लेट गया. वो गहरे ख़यालों में खो गया.
“क्या चाहता है ये साइको…हर बार कुछ अलग सा करता है. इस बार क्या गेम है इसकी. पता लगा कर रहूँगा मैं भी चाहे कुछ हो जाए.”
आशुतोष के मन में उथल पुथल चल रही थी. नींद कोसो दूर थी उसकी आँखो से. उसकी आँखो के सामने सब कुछ हुआ था. इसलिए उसके दिमाग़ का इन सवालों में उलझना लाज़मी था.
“वो सिर्फ़ पैंटिंग रखने के लिए तो यहा नही आया था. इतने पोलीस वालो को मारा उसने. इतना ख़तरा मोल लिया. और जब सिचुयेशन उसके कंट्रोल में थी तो चला गया. इट्स वेरी…वेरी स्ट्रेंज.” आशुतोष ने सोचा.
नींद अपर्णा की आँखो से भी कोसो दूर थी. साइको का ख़ौफ़ उसके दिलो दिमाग़ को घेरे हुए था.अचानक उसे ख्याल आया, “मुझे कंफर्टबल बिस्तर पर नींद नही आ रही तो आशुतोष को ज़मीन पर कैसे नींद आ रही होगी.”
कुछ सोच कर वो उठी और बेडरूम का दरवाजा खोल कर बाहर आई, “तुम जाग रहे हो.”
“आपके बिना नींद कैसे आएगी.”
“रहने दो…मैं ये कहने आई थी कि दूसरे बेडरूम से गद्दा ले आओ यहा फर्श पर नींद नही आएगी.”
आशुतोष उठा और अपर्णा के पास आ कर उसके चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “गद्दे को मारिए गोली और आप आ जाओ यहाँ. सच तो ये है कि हमें एक दूसरे के बिना नींद नही आएगी.” आशुतोष ने कहा
“ऐसा कुछ नही है…मुझे तो इस साइको ने जगा रखा है. पता नही क्या चाहता है?”
“तो क्या मुझसे दूरी बर्दास्त कर लेती हैं आप.”
“हां बल्कि तुमसे दूरियाँ तो दिल को सुकून देती हैं” अपर्णा ने हंसते हुए कहा.
“अच्छा अगर हमेशा के लिए दूर हो गये आपसे तो सुकून से भर जाएगी जींदगी आपकी.”
अपर्णा ने आशुतोष के मुँह पर हाथ रखा, “चुप रहो…मज़ाक कर रही थी मैं.”
आशुतोष ने अपर्णा का हाथ पकड़ा और बोला, “आओ ना साथ लेट कर प्यारी-प्यारी बाते करेंगे. वैसे भी नींद तो आएगी नही हमें क्यों ना साथ रह कर ये पल हसीन बना दें.”
“नही आशुतोष मुझे नींद आ रही है…जाने दो”
“नही तुम मेरे साथ नही रह सकते. तुम्हारा कोई भरोसा नही है.”
“पर मैं आपको अब अकेला नही छोड़ सकता. पता नही क्या गेम खेल रहा है साइको. मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है.”
“कैसी गड़बड़?”
“देखिए ना उसने सभी को मार दिया था यहा. सिर्फ़ मैं और आप बचे थे. सब कुछ उसके कंट्रोल में था…फिर भी वो बस एक पैंटिंग रख कर चला गया. कुछ अजीब सा लगता है. कोई बहुत ही ख़तरनाक गेम लगती है उसकी जो कि हम समझ नही पा रहे.”
“डराओ मत मुझे.”
“देखिए आप कुछ भी कहें पर मैं आपको अकेले छोड़ने वाला नही हूँ अब. हर वक्त आपके साथ ही रहूँगा…यही अंदर.”
“तुम ये सब जान बुझ कर बोल रहे हो ताकि तुम्हे मेरे साथ छेड़कानी के मोके मिलते रहें हैं ना?”
“आपकी कसम खा कर कहता हूँ ऐसा कुछ नही है. मुझे सच में गड़बड़ लग रही है.”
“ठीक है फिर…मैं मम्मी-डेडी के कमरे में सो जाती हूँ तुम उस कमरे में सो जाओ.”
“नही ये नही चलेगा.”
“तो क्या मुझसे चिपक कर रहोगे तुम”
आशुतोष ने अपर्णा को बाहों में भर लिया और बोला, “बुराई क्या है आपके साथ रहने में. हम प्यार करते हैं एक दूसरे से.”
“हां पर हमारी शादी नही हुई अभी और तुम पागलपन सवार है. मुझे तुमसे डर लगता है.”
“किस बात का डर?”
“छोड़ो तुम नही समझोगे…”
“ठीक है ऐसा करते हैं आप अपने पेरेंट्स के बेडरूम में सो जाओ मैं चदडार बिछा कर उसके बाहर लेट जाता हूँ. ये तो ठीक रहेगा ना. या फिर इसमे भी कोई दिक्कत है.”
“पर तुम ज़मीन पर कैसे सो पाओगे.”
“आपके लिए कही भी सो जाउन्गा. और वैसे भी मुझे जागना है. दिमाग़ की दही कर दी है इस साइको ने. सब को मार कर घर में घुसा और बिना किसी हंगामे के चुपचाप चला गया. इस पहेली को सुलझाना होगा. मुझे नींद नही आएगी…आप निसचिंत हो कर सो जाओ.”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. नींद तो मुझे भी नही आएगी शायद. फिर भी सोने की कोशिश करती हूँ. सर बहुत भारी हो रहा है.”
“हां आप सो जाओ…लेकिन एक गुड नाइट किस तो देती जाओ.” आशुतोष ने अपर्णा के होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच.
अपर्णा ने कोई ज़्यादा विरोध नही किया.
“बस अब जाउ…हर वक्त एक ही काम में मन रहता है तुम्हारा.”
“क्या करें ये प्यार मजबूर कर देता है इस सब के लिए.” आशुतोष ने कहा.
“रहने दो प्यार मैं भी करती हूँ पर तुम तो पागल हो गये हो.”
अपर्णा ने आशुतोष को एक चदडार और तकिया दे दिया और अपने बेडरूम में जाते वक्त बोली, “यहा नींद ना आए तो उस बेडरूम में सो जाना जाकर.”
“जी बिल्कुल. आपको नींद ना आए तो मेरी बाहों में चली आना मैं लोरी सुना कर सुना दूँगा आपको.”
“पता है मुझे तुम क्या सूनाओगे…गुड नाइट.” अपर्णा बेडरूम में घुस गयी.
आशुतोष चदडार बिछा कर लेट गया. वो गहरे ख़यालों में खो गया.
“क्या चाहता है ये साइको…हर बार कुछ अलग सा करता है. इस बार क्या गेम है इसकी. पता लगा कर रहूँगा मैं भी चाहे कुछ हो जाए.”
आशुतोष के मन में उथल पुथल चल रही थी. नींद कोसो दूर थी उसकी आँखो से. उसकी आँखो के सामने सब कुछ हुआ था. इसलिए उसके दिमाग़ का इन सवालों में उलझना लाज़मी था.
“वो सिर्फ़ पैंटिंग रखने के लिए तो यहा नही आया था. इतने पोलीस वालो को मारा उसने. इतना ख़तरा मोल लिया. और जब सिचुयेशन उसके कंट्रोल में थी तो चला गया. इट्स वेरी…वेरी स्ट्रेंज.” आशुतोष ने सोचा.
नींद अपर्णा की आँखो से भी कोसो दूर थी. साइको का ख़ौफ़ उसके दिलो दिमाग़ को घेरे हुए था.अचानक उसे ख्याल आया, “मुझे कंफर्टबल बिस्तर पर नींद नही आ रही तो आशुतोष को ज़मीन पर कैसे नींद आ रही होगी.”
कुछ सोच कर वो उठी और बेडरूम का दरवाजा खोल कर बाहर आई, “तुम जाग रहे हो.”
“आपके बिना नींद कैसे आएगी.”
“रहने दो…मैं ये कहने आई थी कि दूसरे बेडरूम से गद्दा ले आओ यहा फर्श पर नींद नही आएगी.”
आशुतोष उठा और अपर्णा के पास आ कर उसके चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “गद्दे को मारिए गोली और आप आ जाओ यहाँ. सच तो ये है कि हमें एक दूसरे के बिना नींद नही आएगी.” आशुतोष ने कहा
“ऐसा कुछ नही है…मुझे तो इस साइको ने जगा रखा है. पता नही क्या चाहता है?”
“तो क्या मुझसे दूरी बर्दास्त कर लेती हैं आप.”
“हां बल्कि तुमसे दूरियाँ तो दिल को सुकून देती हैं” अपर्णा ने हंसते हुए कहा.
“अच्छा अगर हमेशा के लिए दूर हो गये आपसे तो सुकून से भर जाएगी जींदगी आपकी.”
अपर्णा ने आशुतोष के मुँह पर हाथ रखा, “चुप रहो…मज़ाक कर रही थी मैं.”
आशुतोष ने अपर्णा का हाथ पकड़ा और बोला, “आओ ना साथ लेट कर प्यारी-प्यारी बाते करेंगे. वैसे भी नींद तो आएगी नही हमें क्यों ना साथ रह कर ये पल हसीन बना दें.”
“नही आशुतोष मुझे नींद आ रही है…जाने दो”