Thread Rating:
  • 4 Vote(s) - 1.75 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed}
तभी धड़ाम की आवाज़ हुई और आशुतोष फ़ौरन अपर्णा के उपर से हट गया और अपनी पिस्टल उठा ली. अपर्णा भी फ़ौरन उठ गयी.

 
ये कैसी आवाज़ थी. क्या वो सीढ़ियों से गिर गया.” अपर्णा ने कहा
 
नही ये गिरने की आवाज़ तो नही लगतीक्योंकि ये आवाज़ सीढ़ियों से तो नही आई.”
 
तभी उन्हे कदमो की आहट सुनाई दी.
 
वो उपर है आशुतोष. वो घर में घुस चुका है.”
 
आने दो उसेसीढ़ियों से गिरेगा तो अकल ठीकने जाएगी.” आशुतोष ने कहा.
 
उपर से रह रह कर कदमो की आवाज़ रही थी. आशुतोष और अपर्णा सहमे बैठे थे चुपचाप नीचे एक दूसरे के पास. अपर्णा तो काँप उठती थी हर आहट पर. साइको का ख़ौफ़ दोनो पर ही असर देखा रहा था पर.
 
"आशुतोष क्या कल की सुबह देख पाएँगे हम?"
 
"ज़रूर देखेंगे कल की सुबह. सुबह आपकी बिना कोल्गेट वाली पप्पी भी लेनी है. "
 
" ये वक्त है क्या मज़ाक करने का."
 
"मैने मज़ाक नही किया."
 
"हे भगवान यू आर टू मच."
 
"अपर्णा जी आप परेसान क्यों हो रही हैं."
 
"जी क्यों लगाते हो बार बार मना किया था ना मैने." अपर्णा ने कहा
 
"ओह सॉरी अपर्णा...आगे से ऐसा नही होगा."
 
"अपर्णा मैं ये कहना चाहता था कि आप चिंता मत करो ये साइको हमारा कुछ नही बिगाड़ पाएगा."
 
"मुझे ये बात समझ में नही आती कि इस साइको को लोगो का खून करने से मिलता क्या है."
 
"क्या पता क्या मिलता है.आज इसी से पूछ लेते हैं. " आशुतोष ने कहा.
 
"ष्ह...सुनो ये पोलीस साइरन की आवाज़ है ना?"
 
"हां आवाज़ तो वही है...शायद उसने मरने से पहले वाइर्ले से मेसेज भेज दिया था." आशुतोष ने कहा
 
"अगर ऐसा है तो ये साइको बचना नही चाहिए आज...बहुत हो गया उसका तमासा." अपर्णा ने कहा.
 
"लेकिन अजीब बात है...ये साइको उपर ही घूम रहा है बहुत देर से. कर क्या रहा है ये उपर?"
 
"कही वो सीढ़ियों की बजाए कही और से तो नही रहा?"
 
"और कौन सा रास्ता है...यहा आने का.?"
 
"कई खिड़कियाँ हैं नीचे."
 
"सभी कमरो के दरवाजे चेक करते हैं" आशुतोष ने कहा.
 
"हां चलो...वैसे नीचे कोई हलचल तो सुनाई नही दी."
 
"फिर भी हमे हर कमरे के दरवाजे को लॉक कर देना चाहिए." आशुतोष कह कर हटा ही था कि घर का मुख्य दरवाजा खड़कने लगा ज़ोर-ज़ोर से.
 
"पोलीस वाले पहुँच गये शायद." अपर्णा ने कहा.
 
"आप यही रुकिये मैं देखता हूँ."
 
"नही मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी." अपर्णा ने कहा.
 
आशुतोष दरवाजे के पास आया अपर्णा को लेकर और चिल्ला कर बोला, "हू ईज़ दिस?"
 
"आशुतोष मैं हूँ गौरव...ओपन दा डोर." बाहर से आवाज़ आई
 
आशुतोष ने दरवाजा खोला, "सर आपको मेसेज मिल गया था?"
 
"हां अपर्णा कहाँ है...ठीक तो है ना वो?" गौरव ने पूछा.
 
"हां मैं ठीक हूँ गौरव."
 
"हमने पूरे घर को घेर लिया है. लाइट भी जाएगी थोड़ी देर में." गौरव ने कहा.
 
"सर लगता है साइको उपर है...बहुत हलचल हो रही थी उपर."
 
"2 लोग यही रूको...बाकी मेरे साथ आओ." गौरव ने सीढ़ियों की तरफ बढ़ते हुए कहा.
 
"सर सीढ़ियों से नही जा सकते आप."
 
"क्यों?"
 
"सीढ़ियों पर हमने आयिल गिरा रखा था साइको को गिराने के लिए. पर वो उपर से नीचे आया ही नही. पता नही क्या कर रहा है उपर?"
 
"ह्म्म...कोई और रास्ता देखना होगा." गौरव ने कहा.
 
रेडीमेड सीधी मंगाई गयी पाडोश से और उसे बाहर अपर्णा के रूम की खिड़की के बाहर लगा दिया गया. घर की लाइट भी ठीक कर दी गयी.
Like Reply


Messages In This Thread
RE: बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed} - by usaiha2 - 02-01-2020, 07:03 PM



Users browsing this thread: 18 Guest(s)