02-01-2020, 07:01 PM
Update 100
“तुम्हे क्या लगता है…क्या वो अंदर आ सकता है”
“उसे जो करना है करने दो. पिस्टल है मेरे पास भी.” आशुतोष अपर्णा का हाथ पकड़ कर किचन के पास ले आया और बोला, “ये जगह ठीक है. किचन के बाहर रह कर हम हर तरफ नज़र रख सकते हैं. ”
“तुम्हे तो मेरे घर का चप्पा-चप्पा पता है. अंधेरे में भी किचन ढूंड लिया.”
“इस जगह आपने मुझे एक अनमोल किस दी थी. वो किस कभी नही भूल पाउन्गा. ना ही ये जगह भूल पाउन्गा.”
“तुमने ली थी ज़बरदस्ती… मैने दी नही थी… भूल गये इतनी जल्दी” अपर्णा ने आशुतोष के हाथ से हाथ छुड़ाते हुए कहा.
तभी कुछ आहट हुई और अपर्णा ने तुरंत आशुतोष का हाथ पकड़ लिया, “ये कैसी आवाज़ थी.”
“शायद साइको घर में घुसने की कोशिश कर रहा है” आशुतोष ने कहा.
“हे भगवान अब क्या होगा?”
“जो होगा देखा जाएगा…पहले आप ये बतायें कि क्या नाटक है ये. जब मर्ज़ी हुई हाथ पकड़ लिया और जब मर्ज़ी हुई छोड़ दिया.”
अपर्णा ने तुरंत हाथ छोड़ दिया और बोली, “अब नही पाकडूँगी…खुश.”
“ष्ह…ये कैसी आवाज़ है.” आशुतोष ने कहा
“ये तो घर के उपर से आ रही है.”
“इसका मतलब वो उपर किसी कमरे से घुसने की कोशिश कर रहा है.”
“ऐसा मत कहो…मुझे बहुत डर लग रहा है.”
“डरने की बजाए हमें कुछ करना होगा अपर्णा जी.”
“बताओ क्या करना है…मैं तुम्हारे साथ हूँ.”
“क्यों ना हम सीढ़ियों पर कोई चिकना पदार्थ गिरा दे जिस से कि वो फिसल जाए और सीढ़ियों से लूड़क जाए. सीढ़ियों से गिरेगा तो अकल ठिकाने आ जाएगी उसकी. उसके गिरते ही हम उसे दबोच लेंगे.” आशुतोष ने कहा.
“ये काम हमें तुरंत करना होगा” अपर्णा ने कहा.
“हां चलो….तुम किचन में ढूंड लोगि ना आयिल अंधेरे में?”
“हां तुम यही रूको मैं आयिल का डिब्बा लाती हूँ.”
अपर्णा ने आयिल का डिब्बा आशुतोष को दे दिया लाकर और बोला, “आप यही रूको…मैं ये आयिल सीढ़ियों पर गिरा कर आता हूँ.”
“नही मैं तुम्हारे साथ चलूंगी…अकेला नही छोड़ सकती तुम्हे.”
“जब इतना प्यार है आपको मुझसे तो सुबह से क्यों सब बंद करके बैठी थी. दरवाजा भी बंद रखा और फोन भी बंद रखा.”
“बातें बाद में भी हो जाएँगी पहले ये काम कर लेते हैं.” अपर्णा ने कहा.
“क्या करूँ ध्यान आप पर ही रहता है हर वक्त. निकम्मा कर दिया आपके प्यार ने मुझे.” आशुतोष ने कहा.
दोनो बहुत धीरे धीरे बात कर रहे थे. सीढ़ियाँ चढ़ कर आशुतोष ने सबसे उपर के स्टेप से आयिल गिराना शुरू किया और आधी सीढ़ियों तक आयिल गिरा दिया.
“इतने से काम बन जाएगा. सीधा नीचे गिरेगा आकर वो. जैसे ही नीचे गिरेगा वो मैं उसे गोली मार दूँगा.”
दोनो आकर वापिस किचन के बाहर बैठ गये.
“लेकिन आशुतोष कोई आवाज़ नही आ रही अब कही से.” अपर्णा ने कहा.
“वो ज़रूर घर में घुस चुका है…क्या आपके पास कोई टॉर्च है?”
“टॉर्च तो है पर वो मेरे बेडरूम में पड़ी है.” अपर्णा ने कहा.
“आपके बेडरूम में तो अब हम जा ही नही सकते”
“लेकिन बहुत अजीब बात है कोई भी हलचल नही हो रही. बिल्कुल सन्नाटा है. कही वो चला तो नही गया.”
“बहुत शातिर दिमाग़ है वो. हर हरकत सोच समझ कर करता है. वो यही कही है…” आशुतोष ने कहा.
“आशुतोष तुम्हे क्या लगता है…क्या हम जींदगी में साथ रह पाएँगे?”
“बिल्कुल रहेंगे साथ और बहुत प्यार से रहेंगे…ऐसा क्यों पूछ रही हैं.”
“अपने सपने से डर लगता है. तुम्हे पता है भगवान ने मुझे ये अजीब सा गिफ्ट दिया है. बचपन से लेकर आज तक मेरे केयी सपने सच हुए हैं. होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है मुझे. जब से सपने में तुम्हे गोली लगते देखा तब से बेचैन हूँ मैं.”
“मतलब आप बहुत पहले से प्यार करती हैं मुझे. मगर अब तक दिल में छुपा रखा था ये प्यार. हसिनाओ की यही दिक्कत होती है, प्रेमी को तडपा तडपा कर मार डालो पहले फिर आइ लव यू बोल दो.”
“ऐसा नही है आशुतोष…तुमसे प्यार तो हो गया था मगर समझ नही पा रही थी कि कैसे कहूँ. दिल की बात ज़ुबान पर आकर अटक जाती थी.”
“मगर आपकी म्रिग्नय्नि आँखो में मैने हमेशा अपने लिए कुछ देखा. पर समझ नही पाता था कि क्या है. बस अंदाज़ा ही लगाता था कि हो ना हो आपकी आँखो में प्यार है मेरे लिए.”
“हां शायद जो बात ज़ुबान नही कह पा रही थी वो मेरी आँखे कह रही थी.सब अपने आप हो रहा था. मेरे बस में कुछ भी नही था. बस में होता तो शायद तुमसे प्यार ना करती.”
“ऐसा क्यों कह रही हैं आप?”
“मुझे तुम्हारी कुछ बातें बिल्कुल अच्छी नही लगती…फिर भी ना जाने क्यों प्यार हो गया तुमसे.”
“क्या आप अब पछता रही हैं?”
“नही पछता नही रही हूँ बस परेशान हूँ तुम्हारी हरकतों से. क्या तुम शालीनता से पेश नही आ सकते मेरे साथ?”
आशुतोष, अपर्णा की तरफ सरका और उसे पकड़ कर ज़बरदस्ती फर्श पर लेटा कर उस पर चढ़ गया.
“अगर आप जैसी हसीना से शालीनता से पेश आउन्गा तो आपकी सुंदरता का अपमान होगा वो. मैं ये गुनाह नही कर सकता.”
“क्या कर रहे हो हटो..क्या ये वक्त है ये सब करने का..साइको घूम रहा है यहा हमारी जान के पीछे.” अपर्णा ने आशुतोष को हटाने की कोशिश की मगर आशुतोष नही हटा.
“तभी तो ये प्यार करना ज़रूरी है…क्या पता कल हो ना हो…जींदगी का कोई भरोसा नही है.”
अपर्णा अब तक छटपटा रही थी आशुतोष के नीचे मगर आशुतोष की ये बात सुनते ही शांत हो गयी और उसके मुँह पर हाथ रख दिया, “ऐसा नही कहते…तुम्हे कुछ नही होगा. मैं बस ये कह रही हूँ कि मैं तुम्हारी हूँ…थोड़ा संयम रखो.”
“यही बातें तो प्यारी लगती हैं आपकी. पर ये मुझे और ज़्यादा भड़का देती हैं. आपसे दूर नही रह सकता अब.”
“हद है ये तो…छोड़ो मुझे. तुम सच में पागल हो.”
“हां आपके प्यार में पागल हिहिहीही.”
“तुम्हे क्या लगता है…क्या वो अंदर आ सकता है”
“उसे जो करना है करने दो. पिस्टल है मेरे पास भी.” आशुतोष अपर्णा का हाथ पकड़ कर किचन के पास ले आया और बोला, “ये जगह ठीक है. किचन के बाहर रह कर हम हर तरफ नज़र रख सकते हैं. ”
“तुम्हे तो मेरे घर का चप्पा-चप्पा पता है. अंधेरे में भी किचन ढूंड लिया.”
“इस जगह आपने मुझे एक अनमोल किस दी थी. वो किस कभी नही भूल पाउन्गा. ना ही ये जगह भूल पाउन्गा.”
“तुमने ली थी ज़बरदस्ती… मैने दी नही थी… भूल गये इतनी जल्दी” अपर्णा ने आशुतोष के हाथ से हाथ छुड़ाते हुए कहा.
तभी कुछ आहट हुई और अपर्णा ने तुरंत आशुतोष का हाथ पकड़ लिया, “ये कैसी आवाज़ थी.”
“शायद साइको घर में घुसने की कोशिश कर रहा है” आशुतोष ने कहा.
“हे भगवान अब क्या होगा?”
“जो होगा देखा जाएगा…पहले आप ये बतायें कि क्या नाटक है ये. जब मर्ज़ी हुई हाथ पकड़ लिया और जब मर्ज़ी हुई छोड़ दिया.”
अपर्णा ने तुरंत हाथ छोड़ दिया और बोली, “अब नही पाकडूँगी…खुश.”
“ष्ह…ये कैसी आवाज़ है.” आशुतोष ने कहा
“ये तो घर के उपर से आ रही है.”
“इसका मतलब वो उपर किसी कमरे से घुसने की कोशिश कर रहा है.”
“ऐसा मत कहो…मुझे बहुत डर लग रहा है.”
“डरने की बजाए हमें कुछ करना होगा अपर्णा जी.”
“बताओ क्या करना है…मैं तुम्हारे साथ हूँ.”
“क्यों ना हम सीढ़ियों पर कोई चिकना पदार्थ गिरा दे जिस से कि वो फिसल जाए और सीढ़ियों से लूड़क जाए. सीढ़ियों से गिरेगा तो अकल ठिकाने आ जाएगी उसकी. उसके गिरते ही हम उसे दबोच लेंगे.” आशुतोष ने कहा.
“ये काम हमें तुरंत करना होगा” अपर्णा ने कहा.
“हां चलो….तुम किचन में ढूंड लोगि ना आयिल अंधेरे में?”
“हां तुम यही रूको मैं आयिल का डिब्बा लाती हूँ.”
अपर्णा ने आयिल का डिब्बा आशुतोष को दे दिया लाकर और बोला, “आप यही रूको…मैं ये आयिल सीढ़ियों पर गिरा कर आता हूँ.”
“नही मैं तुम्हारे साथ चलूंगी…अकेला नही छोड़ सकती तुम्हे.”
“जब इतना प्यार है आपको मुझसे तो सुबह से क्यों सब बंद करके बैठी थी. दरवाजा भी बंद रखा और फोन भी बंद रखा.”
“बातें बाद में भी हो जाएँगी पहले ये काम कर लेते हैं.” अपर्णा ने कहा.
“क्या करूँ ध्यान आप पर ही रहता है हर वक्त. निकम्मा कर दिया आपके प्यार ने मुझे.” आशुतोष ने कहा.
दोनो बहुत धीरे धीरे बात कर रहे थे. सीढ़ियाँ चढ़ कर आशुतोष ने सबसे उपर के स्टेप से आयिल गिराना शुरू किया और आधी सीढ़ियों तक आयिल गिरा दिया.
“इतने से काम बन जाएगा. सीधा नीचे गिरेगा आकर वो. जैसे ही नीचे गिरेगा वो मैं उसे गोली मार दूँगा.”
दोनो आकर वापिस किचन के बाहर बैठ गये.
“लेकिन आशुतोष कोई आवाज़ नही आ रही अब कही से.” अपर्णा ने कहा.
“वो ज़रूर घर में घुस चुका है…क्या आपके पास कोई टॉर्च है?”
“टॉर्च तो है पर वो मेरे बेडरूम में पड़ी है.” अपर्णा ने कहा.
“आपके बेडरूम में तो अब हम जा ही नही सकते”
“लेकिन बहुत अजीब बात है कोई भी हलचल नही हो रही. बिल्कुल सन्नाटा है. कही वो चला तो नही गया.”
“बहुत शातिर दिमाग़ है वो. हर हरकत सोच समझ कर करता है. वो यही कही है…” आशुतोष ने कहा.
“आशुतोष तुम्हे क्या लगता है…क्या हम जींदगी में साथ रह पाएँगे?”
“बिल्कुल रहेंगे साथ और बहुत प्यार से रहेंगे…ऐसा क्यों पूछ रही हैं.”
“अपने सपने से डर लगता है. तुम्हे पता है भगवान ने मुझे ये अजीब सा गिफ्ट दिया है. बचपन से लेकर आज तक मेरे केयी सपने सच हुए हैं. होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है मुझे. जब से सपने में तुम्हे गोली लगते देखा तब से बेचैन हूँ मैं.”
“मतलब आप बहुत पहले से प्यार करती हैं मुझे. मगर अब तक दिल में छुपा रखा था ये प्यार. हसिनाओ की यही दिक्कत होती है, प्रेमी को तडपा तडपा कर मार डालो पहले फिर आइ लव यू बोल दो.”
“ऐसा नही है आशुतोष…तुमसे प्यार तो हो गया था मगर समझ नही पा रही थी कि कैसे कहूँ. दिल की बात ज़ुबान पर आकर अटक जाती थी.”
“मगर आपकी म्रिग्नय्नि आँखो में मैने हमेशा अपने लिए कुछ देखा. पर समझ नही पाता था कि क्या है. बस अंदाज़ा ही लगाता था कि हो ना हो आपकी आँखो में प्यार है मेरे लिए.”
“हां शायद जो बात ज़ुबान नही कह पा रही थी वो मेरी आँखे कह रही थी.सब अपने आप हो रहा था. मेरे बस में कुछ भी नही था. बस में होता तो शायद तुमसे प्यार ना करती.”
“ऐसा क्यों कह रही हैं आप?”
“मुझे तुम्हारी कुछ बातें बिल्कुल अच्छी नही लगती…फिर भी ना जाने क्यों प्यार हो गया तुमसे.”
“क्या आप अब पछता रही हैं?”
“नही पछता नही रही हूँ बस परेशान हूँ तुम्हारी हरकतों से. क्या तुम शालीनता से पेश नही आ सकते मेरे साथ?”
आशुतोष, अपर्णा की तरफ सरका और उसे पकड़ कर ज़बरदस्ती फर्श पर लेटा कर उस पर चढ़ गया.
“अगर आप जैसी हसीना से शालीनता से पेश आउन्गा तो आपकी सुंदरता का अपमान होगा वो. मैं ये गुनाह नही कर सकता.”
“क्या कर रहे हो हटो..क्या ये वक्त है ये सब करने का..साइको घूम रहा है यहा हमारी जान के पीछे.” अपर्णा ने आशुतोष को हटाने की कोशिश की मगर आशुतोष नही हटा.
“तभी तो ये प्यार करना ज़रूरी है…क्या पता कल हो ना हो…जींदगी का कोई भरोसा नही है.”
अपर्णा अब तक छटपटा रही थी आशुतोष के नीचे मगर आशुतोष की ये बात सुनते ही शांत हो गयी और उसके मुँह पर हाथ रख दिया, “ऐसा नही कहते…तुम्हे कुछ नही होगा. मैं बस ये कह रही हूँ कि मैं तुम्हारी हूँ…थोड़ा संयम रखो.”
“यही बातें तो प्यारी लगती हैं आपकी. पर ये मुझे और ज़्यादा भड़का देती हैं. आपसे दूर नही रह सकता अब.”
“हद है ये तो…छोड़ो मुझे. तुम सच में पागल हो.”
“हां आपके प्यार में पागल हिहिहीही.”