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Adultery बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed}
Heart 
Update 98

 
 
बिस्तर पर पड़ते ही अपर्णा गहरी नींद में समा गयी थी. सुबह उसकी आँख डोर बेल से खुली. अपर्णा ने टाइम देखा, सुबह के 8 बज रहे थे.
 
कौन है इस वक्त?” अपर्णा ने सोचा और खिड़की के पास कर बाहर झाँक कर देखा. आशुतोष जीप में नही था.
 
आशुतोष ही है शायद.”
 
अपर्णा दर्पण के सामने आई और हाथ से अपने बॉल संवार कर, आँखे पोंछ कर कमरे से निकल गयी.
 
अपर्णा ने दरवाजा खोला.
 
लीजिए सिलिंडर.” आशुतोष कह कर चल दिया.
 
नाराज़ हो मुझसे?”
 
आप खुद सोचिए. अपनी प्रेमिका का चुंबन लिया था मैनेकोई गुनाह नही कर दिया था जो कि थप्पड़ पे थप्पड़ जड़ दिए आपने. बहुत बुरा लगा मुझे. आप प्यार नही मज़ाक करती हैं मुझसे.”
 
ऐसा नही हैबहुत प्यार करती हूँ तुमसे मैं. मुझे अपनी ग़लती का अहसास है.” अपर्णा ने मासूमियत से कहा.
 
आशुतोष तो देखता ही रह गया अपर्णा को. अपर्णा की आँखो में उभर आए प्यार में खो गया था वो.
 
कुछ इस तरह से कहा है आपने ये सब की थप्पड़ का नामो निशान भूल गया हूँ. अब तक कहाँ छुपा रखा था ये प्यार आपने. शीतम ढा रही हैं आप मुझ पर अब.”
 
अपर्णा शरमाये बिना ना रह सकी. वो हल्की सी नज़रे झुका कर बोली, “तो तुमने मुझे माफ़ कर दिया.”
 
आपसे नाराज़ हो कर कहा जाउन्गा मैं. आप यकीन करें या ना करें मगर आप मेरी जींदगी बन गयी हैं.”
 
आशुतोष सच-सच बताना तुम्हारा मकसद क्या है इस प्यार में.?”
 
मकसद एक ही हैआपसे शादी करना चाहता हूँ. जींदगी भर आपके साथ रहना चाहता हूँ.”
 
क्या तुम्हे पता है कि मैं तुमसे उमर में बड़ी हूँ. कोई 1 या 2 साल बड़ी हूँ तुमसे मैं.”
 
उस से कुछ फर्क नही पड़ता अपर्णा जी.”
 
ये जी क्यों लगाते हो मेरे नाम के पीछे हर बार तुम. क्या मुझे सिर्फ़ अपर्णा नही कह सकते.”
 
ठीक है अपर्णा जीओह सॉरी अपर्णाआज से ही जी को दूर फेंक दिया जाएगा. चलिए मैं ये सिलिंडर अंदर रख देता हूँ.” आशुतोष ने कहा.
 
अपर्णा सोच में पड़ गयी.
 
इतनी सुबह-सुबह कहाँ से लाए सिलिंडर तुम.”
 
अपने घर से लाया हूँ. वहाँ बेकार ही पड़ा था.”
 
रहने दो मैं ले जाउंगी.”
 
कैसी बात करती हैं आप. आप क्यों ले जाएँगी इसे उठा कर मेरे होते हुए. हटिए एक तरफ.”
 
आशुतोष सिलिंडर ले कर अंदर गया और उसे किचन में ले जाकर चूल्हे से कनेक्ट कर दिया.
 
अपर्णा किचन के दरवाजे पर खड़ी सब देखती रही. जब आशुतोष सब काम करके मुड़ा तो अपर्णा ने पूछा, “क्या खाओगे तुम.”
 
अगर थप्पड़ नही पड़ेंगे तो एक चीज़ खाना चाहूँगा.”
 
नहियीईईई….क्या तुम्हारा मन नही भरा.” अपर्णा दो कदम पीछे हट गयी.
 
कैसी बात करती हैं आप. आशुतोष से प्यार किया है आपने. मेरा मन आप जैसी हसीना के लिए कभी नही भरेगा.”
 
मैने अभी कोल्गेट भी नही किया है?” अपर्णा ने टालने की कोशिश की.
 
कोई बात नहीमैने एक बार कही पढ़ा था कि किस मुँह में मौजूद बॅक्टीरिया का ख़ात्मा करती है.”
 
झूठ बोल रहे हो?”
 
नही सच बोल रहा हूँ मैं.”
 
अपर्णा आशुतोष से बचने के लिए अपने कमरे की तरफ भागी.
 
अरे रुकिये कहाँ भाग रही हैं आप. मुझसे आपको कोई नही बचा सकता.”
 
आशुतोष भी अपर्णा के पीछे भागा. आधी सीढ़ियाँ चढ़ चुकी थी अपर्णा. मगर आशुतोष ने हाथ पकड़ लिया भाग कर. अपर्णा ने मूड कर आशुतोष से हाथ छुड़ाने के लिए झटका दिया. आशुतोष का पाँव फिसल गया और वो लूड़क गया सीढ़ियों से.
 
आशुतोष!” अपर्णा भाग कर आई आशुतोष के पास. माथे से हल्का सा खून बह रहा था आशुतोष के.
 
सो सॉरी आशुतोषज़्यादा तो नही लगी.”
 
आशुतोष ने जवाब देने की बजाए अपर्णा को पकड़ लिया
 
आशुतोष प्लीज़.... छोड़ो मेरा हाथतुम तो पागल हो गये हो.” अपर्णा गिड़गिडाई
 
आशुतोष अपर्णा का हाथ पकड़े हुए खड़ा हुआ और उसे दीवार से सटा दिया.
 
अब भागो कहा भागोगी. बहुत सताया है आपने मुझे. बहुत नाटक झेलें हैं आपके. अब आपसे गिन-गिन कर बदले लूँगा.”
 
तो तुम मुझसे बदला ले रहे हो.”
 
हां ऐसा बदला जिसमे प्यार ही प्यार है.”
 
उफ्फ तुम पागल हो गये हो. कहाँ फँस गयी मैं इस पागल के साथ.”
 
आशुतोष ने अपर्णा को बाहों में जाकड़ लिया और अपने होठ अपर्णा के दहक्ते अंगारों पर टिका दिए. अपर्णा चाहती तो अपने होठ हटा सकती थी. मगर वो बुत बनी खड़ी रही. शुरू के कुछ पलों में तो बस आशुतोष चूम रहा था प्दमीनी को. मगर कुछ ही देर बाद अपर्णा भी आशुतोष के होंटो को तरह तरह से अपने होंटो में जाकड़ रही थी.
 
5 मिनिट तक पागलों की तरह चूमते रहे वो एक दूसरे को. वो दोनो चुंबन के शुरूर में खो कर प्यार रूपी समुंदर में गोते लगा रहे थे.
 
अचानक अपर्णा को अजीब सी चुभन महसूस हुई अपनी योनि के करीब. अपर्णा ने आशुतोष को खुद से दूर धकैल दिया.
 
क्या हुआ?”
 
अपर्णा ने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली, “जैसे तुम्हे कुछ नही पता.”
 
आशुतोष ने नज़रे झुका कर अपनी पेण्ट पर बने उभार को देखा और बोला, “ओह सॉरीये मेरे बस में नही है. ये तंबू इसने खुद खड़ा किया है.”
 
तुम जाओ अब. मुझे फ्रेश होना है.” अपर्णा गुस्से में कहा
 
ओह हां ऑफ कोर्स. शूकर है थप्पड़ नही पड़ा आज... हिहिहीही.” आशुतोष हंसते हुए चल दिया वहाँ से.
 
हे भगवान किस पागल के प्यार में फँस गयी मैं.” अपर्णा ने सोचा.
 
आशुतोष के जाने के बाद अपर्णा ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया और खुद से बोली, “अब इसे दुबारा अंदर नही आने दूँगी. ये तो पागल है पूरा. क्या ऐसा करता है कोईजैसा ये करता है.”
 
अपर्णा ने अपने दिल पर हाथ रखा. वो अभी भी ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. “पर मुझे क्या हो जाता हैक्यों उसका साथ देती हूँ मैं. क्या उसके हाथो का खिलोना बन गयी हूँ मैं. नहीऐसा नही होने दूँगी मैं……”
 
अपर्णा जितना आशुतोष से प्यार करती थी. उतना ही अपने चरित्र के लिए प्रोटेक्टिव भी थी. अजीब सी सिचुयेशन थी अपर्णा के सामने.
 
आशुतोष बाहर आकर जीप में बैठ गया था और चुंबन के शुरूर में खो गया था. “सच में प्यार बहुत सुंदर होता है. ऐसी किस किसी से नही मिली. अपर्णा के होठ मेरे होंटो पर हरकत तो कर रहे थे परंतु एक झीजक सी बरकरार थी. मगर उसके होंटो की हर हरकत चिल्ला-चिल्ला कर यही कह रही थी किमैं तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ आशुतोष’. वैसे वो मानेगी नही ये बात पर मैं जान गया हूँ. शी ईज़ रियली अमेज़िंग. धन्य हो गया हूँ आपसे प्यार करके अपर्णा जी…” आशुतोष सोचते हुए मुस्कुरा रहा था.
 
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RE: बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed} - by usaiha2 - 02-01-2020, 06:50 PM



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