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Adultery मेहमान बेईमान
#40
बेड पर लेटे हुए मेरे दिमाग़ मे कयि सारे सवाल चले रहे थे. एक तरफ तो मुझे बोहोत आनंद की प्राप्ति का एहसास हो रहा था ऑर दूसरा मुझे अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था कि मैं ये सब क्या ऑर क्यू कर रही हू. क्या मैं भी उस देहाती अमित के जैसी गंदी हो गयी . ? क्यू मैने ये सब किया.

थोड़ी देर बाद जब मैने आँख खोल कर देखा तो खुद को इस हालत मे देख कर मुझे खुद पर बोहोत गुस्सा आया ऑर साथ ही उस अमित पर भी. मैं मन ही मन उसको कोसने लग गयी. उसकी हिम्मत कैसे हुई कि मेरे घर मे ये सब उल्टी सीधी हरकत करने की. यही सब सोचते हुए मैने जल्दी जल्दी से अपने कपड़े पहने जो मैने नशे की सी हालत मे इस तरह से उतार के फेंक दिए थे जैसे कि ये मेरे शरीर पर बोहोत बड़ा बोझ हो.

मेरा गला पूरा सुख गया था ऑर मुझे पानी की प्यास लगी थी मैं अपने कमरे से निकल कर किचन मे पानी पीने के लिए चल दी. किचन मे आ कर मैने पानी पिया. पानी पीने के बाद मेरे दिमाग़ मे पता नही कहाँ से ये ख़याल आ गया कि अमित के कमरे मे एक बार ऑर देखना चाहिए कि वो क्या कर रहा है. फिर मेरे मन ने अपने आप ही जवाब दिया कि नही मुझे उस तरफ नही जाना चाहिए. क्यू नही जाना चाहिए मैं व्यस्क हू शादी शुदा हू. अगर मैने ये सब देख भी लिया तो कोई पाप तो नही कर दिया. मेरे दिमाग़ अपने ही आप सवाल जवाब पैदा होने लग गये.

मेरा मन नही मान रहा था ये जाने बिना कि क्या वो अब भी अपने कमरे मे वो कर रहा है या उसने बंद कर दिया. यही सोच कर मैं दबे कदमो के साथ किचन से निकल कर अमित के कमरे की तरफ वापस चल दी. उसके कमरे के नज़दीक आते हुए मेरे जहाँ मे बार बार उसका मोटा लंबा लिंग दिखाई देने लगा. क्या लिंग इतना लंबा भी हो सकता है.? ऑर रूपा ने उसके पूरे लिंग को अपनी योनि के अंदर ले लिया. यही सब मेरे दिमाग़ मे बार बार चल रहा था. छी मैं ये सब क्या बेकार की बात सोच रही हू. ओर चाहे कुछ भी हो जाए मैं अब इस अमित को एक पल के लिए भी . नही रहने दूँगी.

थोड़ी ही देर मे मैं वापस उस खिड़की के नज़दीक आ गयी थी. मैं खिड़की से अंदर की तरफ झाँकने ही वाली थी कि मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई दी. मेरा पूरा बदन एक अंजाने डर से थरथरा गया. मैं जल्दी से वहाँ से हटी ऑर वापस किचन की तरफ चल दी.

मैं जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए किचन के अंदर आ गयी. तभी पीछे से वो भी किचन के अंदर आ गया. मैं उस से नज़रे नही मिला पा रही थी. मुझे डर लगने लग गया था कि कही ये कुछ कह ना दे.

भाभी जी बोहोत प्यास लगी है एक ग्लास पानी मिलेगा ? उसने मुझे पीछे से आवाज़ देते हुए कहा.

मैं किचन की स्लॅब से जैसे ही ग्लास उठाने के लिए आगे की तरफ झुकी मुझे फिर से ऐसा लगा कि उसने मेरे नितंब को हाथ लगा कर दबा दिया है. मेरा मन उसे उसकी इस हरकत पर गाली देने को कर रहा था, क्यूकी मेरे नितंब पर उसके हाथ लगाने से मेरे हाथ से ग्लास छूट कर नीचे गिर गया. मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी थी ऑर जब उसकी तरफ घूरते हुए देखा तो उसने अपने मुँह पर ठीक उसी तरह से हाथ रख रखा था जिस तरह से खिड़की से मैने उसका लिंग देखने के बाद अपने मुँह पर हाथ रख रखा था.

उसकी इस हरकत से तो मेरा खून ऑर भी बुरी तरह से खूल गया. उसने अपने मुँह से हाथ हटाया ओर वही गंदी सी हँसी अपने चेहरे पर ले कर मुस्कुराते हुए मुझे देखने लग गया. मैने उसे वापस ग्लास मे पानी दिया ऑर किचन से बाहर निकलने लगी. वो दरवाजे को आधे से ज़्यादा घेरे हुए खड़ा हुआ था जिस कारण मैने उसकी तरफ देखा ऑर इशारे से उसे रास्ते से हटने को कहा. उसने दरवाजे से हटने की जगह मुझे खाली ग्लास पकड़ा दिया. मैने ग्लास ले कर रख दिया ऑर बाहर निकलने लगी.

तभी उसने मुझे पीछे से टोक दिया.

भाभी जी आप को मज़ा आया कि नही ? उसने अपने चेहरे पर उसी गंदी हँसी के साथ मेरी तरफ देखते हुए कहा.

मैं बिना कुछ बोले उसकी तरफ घूर कर देखा.

वैसे भाभी जी आप से एक बात कहु आप हो बोहोत खूबसूरत. मनीष भैया ने सच मे बोहोत पुन्य करे होगे जो उन्हे आप जैसी लड़की मिली.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 02-01-2020, 06:44 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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