02-01-2020, 06:38 PM
आशुतोष तो देखता ही रह गया अपर्णा को. गजब की मासूमियत थी अपर्णा के चेहरे पर. ऐसा लग रहा था जैसे की किसी बच्चे का खिलोना टूट गया हो और वो रोने वाला हो.
“अपर्णा जी छोड़िए ना…चलिए प्यार भरी बाते करते हैं. अब आपसे प्यार का रिस्ता जुड़ गया है…खाना पीना तो होता ही रहेगा.” आशुतोष ने कहा.
“हां अब यही कर सकते हैं.”
अपर्णा किचॅन के बाहर दीवार के सहारे खड़ी थी. आशुतोष उसके सामने खड़ा था. आशुतोष चुपके-चुपके अपर्णा के गुलाबी होंटो को देखे जा रहा था.
“क्या देख रहे हो तुम घूर-घूर कर बार बार.”
“क…क…कुछ नही. क्या आपको देख नही सकता मैं. बहुत प्यारी लग रही हैं आप.”
अपर्णा ना चाहते हुए भी शर्मा गयी.
“अरे आप तो शरमाती भी बहुत अच्छा हैं.” आशुतोष ने अपर्णा की आँखो में देखते हुए कहा.
अपर्णा ने अपनी नज़रे झुका ली. कोई जवाब नही दिया आशुतोष को.
“यही मोका है आशुतोष…बढ़ आगे और जाकड़ ले इन गुलाबी पंखुड़ियों को अपने होंटो में. अपर्णा जी अच्छे मूड में लग रही हैं. इस से अच्छा मोका नही मिलेगा पप्पी करने का.” आशुतोष दृढ़ता से अपर्णा की तरफ बढ़ा और बिल्कुल करीब आ गया अपर्णा के.
इस से पहले की अपर्णा कुछ समझ पाती आशुतोष ने अपने होठ टिका दिए अपर्णा के होंटो पर और दोनो हाथो से अपर्णा के सर को कुछ इस कदर पकड़ लिया की अपर्णा अपने होठ उसके होंटो से जुदा ना कर पाए. अपर्णा ने पूरी कोशिश की आशुतोष को हटाने की पर अपना आशुतोष कहाँ रुकने वाला था. अपना प्यार मजबूत करना था उसे इसलिए अपर्णा के गुलाबी होंटो को पूरी शिदत से चूस्ता रहा अपने होंटो में दबा कर. अपर्णा बस कू..कू करती रही…मुँह से बोलती भी तो कैसे बोलती कुछ. पूरे 2 मिनिट बाद हटा आशुतोष और बोला, “गुलाब की पंखुड़ियों से भी मुलायम होठ हैं आपके. कैसी लगी हमारी पहली किस.”
अपर्णा ने कुछ कहने की बजाए थप्पड़ जड़ दिया आशुतोष को, “ऐसी लगी ये बेहूदा किस. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ज़बरदस्ती किस करने की. क्या यही प्यार है तुम्हारा. ये किसी रेप से कम नही था. मेरे पास मत आना आज के बाद तुम.”
“मेरा प्यार क्या रेप लगता है आपको. किस प्यार की ज़रूरत होती है. नही तो प्यार मजबूत कैसे होगा. हम इज़हार कैसे करेंगे प्यार का अगर किस नही करेंगे तो. क्या आप मुझे किस नही करना चाहती थी.”
“दूर हो जाओ तुम मेरी नज़रो से. एक तो ग़लत काम करते हो उपर से उसे जस्टिफाइ भी करते हो. हर चीज़ का एक तरीका होता है. ये नही कि ज़बरदस्ती पकड़ कर जो मन में आए कर लो.”
“ओह सो सॉरी अपर्णा जी. मुझे इस बात का अहसास ही नही हुआ. मैं किसी के बहकावे में आ गया था और ये सब कर बैठा.”
“किसने बहकाया तुम्हे.”
“गुरु ने कहा था कि किस करने से प्यार मजबूत होगा इसलिए जल्द से जल्द एक किस कर लो.”
“वो कहेगा कुवें में कूद जाओ तो क्या कूद जाओगे.”
“सॉरी आगे से किसी की बातों में नही आउन्गा. मगर एक बात कहना चाहूँगा.”
“क्या?”
“मैं आपके होठ देख कर बहक गया था. कोई मुझे ना भी भड़काता तो भी मैं ये गुस्ताख़ी कर ही देता. थप्पड़ पड़ा आपका. अहसास भी हुआ कि ग़लत किया कुछ. मगर जो अहसास मैने पाया है आपके गुलाबी होंटो को चूमने का वो इतना अनमोल है कि आप मेरी गर्दन भी काट दें अब तो गम नही होगा क्योंकि कुछ बहुत ही ज़्यादा अनमोल पा चुका हूँ मैं अब. चलता हूँ मैं बाहर. हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा. गॉड ब्लेस्स यू.” आशुतोष मूड कर चल दिया.
“रूको…”
“जी कहिए.”
“क्या बस किस ही करनी थी मुझे. क्या बात नही करेंगे हम अब.”
“ओ.ऍम.जी.…क्या आपने मुझे माफ़ कर दिया. विश्वास नही होता. ऐसा मत कीजिए. मैं बहुत बदमाश हूँ…फिर से जाकड़ कर पप्पी ले सकता हूँ आपकी.”
“आशुतोष तुम्हे प्यार करती हूँ मैं. तुम इतने उतावले क्यों हो रहे हो किस के लिए. हमे पहले एक दूसरे को समझना चाहिए. एक बुनियाद बनानी चाहिए रिस्ते की. ये बातें बहुत बाद में आनी चाहिए.”
“कितनी प्यारी बात कही आपने. जिन होंटो से ये बात कही उन्हे चूमने का मन कर रहा है. अब आप ही बतायें क्या करूँ.”
“एक थप्पड़ और खाओगे मुझसे”
“मंजूर है हर जुल्मो-शितम आपका, बस होंतों को होंटो से टकराने दीजिए.” आशुतोष ने कहा और अपर्णा की तरफ बढ़ा.
अपर्णा ने वाकाई एक थप्पड़ और जड़ दिया आशुतोष के मुँह पर. मगर आशुतोष नही रुका और अपर्णा को पकड़ कर फिर से उसके होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच में. इस बार और भी ज़्यादा गहराई से चुंबन लिया आशुतोष ने अपर्णा का. पूरे 5 मिनिट चूस्ता रहा वो अपर्णा के होंटो को.
5 मिनिट बाद अपर्णा के होंटो को आज़ाद करके आशुतोष बोला, “मुझे नही पता कि आपको कैसा लगा. मगर मैने जन्नत पा ली इन पलों में. और हां आपके होठ पूरा सहयोग दे रहे थे वरना चुंबन मुमकिन नही था. धन्यवाद आपका.”
“रूको मैने कोई सहयोग नही किया तुम्हे.”
“जानता हूँ…मैने आपके होंटो को कहा…आपको नही. आपके होठ मेरे हैं अब. आप चाह कर भी उन्हे मुझसे दूर नही रख सकती. गुड नाइट.”
“तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी मैं इस सब के लिए. आइ हेट यू.”
आशुतोष मुस्कुराता हुआ बाहर आ गया, “नफ़रत झूठी है आपकी. आपके होठ तो इतना प्यार दे रहे थे कि पूछो मत. इट वाज़ मोस्ट ब्यूटिफुल किस ऑफ माय लाइफ. आइ कैन डाइ फॉर इट.”
अपर्णा ठगी सी आशुतोष को बाहर जाते हुए देख रही थी. आशुतोष के जाने के बाद अपर्णा ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया.
“बदतमीज़ कही का. मुझे नही पता था कि ये ऐसा करेगा मेरे साथ. क्यों प्यार कर बैठी हूँ मैं इस से. इसे तो भले बुरे की समझ ही नही है. प्यार में ज़बरदस्ती किस करता है क्या कोई. ग़लती कर ली थी मैने इसे घर में बुला कर. आगे से इसे कभी अंदर नही घुसने दूँगी.” अपर्णा दरवाजे के सहारे खड़े हो कर सब सोच रही थी.
अचानक अपर्णा को कुछ ख़याल आया और वो वहाँ से चल दी अपने कमरे की तरफ. अपने कमरे में लगे दर्पण के आगे खड़ी हो कर उसने खुद को बड़े गौर से देखा. अंजाने में ही उसका दायां हाथ खुद-ब-खुद उसके होंटो तक पहुँच गया. उसने अपने होंटो पर उंगलियाँ फिराई और धीरे से बोली, “तुम क्यों उसके साथ मिल गये थे.”
अपर्णा को अपने अंदर से जो जवाब आया उस पर वो विश्वास नही कर पाई. “किस ऐसी भी हो सकती है, कभी सोचा नही था.”
“छी ये सब मैं क्या सोच रही हूँ. ये आशुतोष अपने जैसा ही बनाने पर तुला है मुझे. पर मैं क्या करूँ प्यार कर बैठी हूँ इस पागल से दूर भी नही रह सकती उस से. वो सुबह बिना बताए चला गया था तो कितनी बेचैन रही थी मैं. ऐसा क्यों होता है प्यार में?” पर अपर्णा के पास अपने स्वाल का कोई जवाब नही था.
“मुझे हाथ नही उठाना चाहिए था आशुतोष पर. बुरा लगा होगा उसे. पर मैं क्या करती…अचानक जाकड़ लिया उसने मुझे. मुझे सोचने समझने का मोका तक नही दिया.पहली बार मैने किसी को थप्पड़ मारा है. जिसे मारना चाहिए था उसे तो आज तक नही मार पाई और जो मुझे इतना प्यार करता है उस पर हाथ उठा दिया. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”
अपर्णा खिड़की के पास आई और पर्दे को हल्का सा हटा कर देखा. आशुतोष अपनी जीप में आँखे बंद किए बैठा था. “कही नाराज़ तो नही हो गया आशुतोष मुझसे.” अपर्णा ने मन ही मन सोचा.
आशुतोष के शरीर में हलचल हुई तो अपर्णा ने फ़ौरन परदा गिरा दिया और दिल पर हाथ रख कर बोली, “कही देख तो नही लिया उसने मुझे. नही…नही..वो नींद में है शायद. अब मुझे भी सो जाना चाहिए.”
लेकिन खिड़के से हटने से पहले अपर्णा ने एक बार फिर परदा हटा कर देखा. आशुतोष वैसे ही आँखे बंद किए पड़ा था. “शुकर है नही देखा इसने मुझे…नही तो मज़ाक उड़ाता सुबह मेरा.” अपर्णा मुस्कुराते हुए सोच रही थी.
अपर्णा अपने बिस्तर पर आकर गिर गयी और आँखे बंद करके धीरे से बोली,“ सॉरी आशुतोष…मुझे तुम्हे थप्पड़ नही मारना चाहिए था. प्लीज़ मुझसे नाराज़ मत होना. तुम्हारे शिवा कोई नही है मेरा अब.”
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“अपर्णा जी छोड़िए ना…चलिए प्यार भरी बाते करते हैं. अब आपसे प्यार का रिस्ता जुड़ गया है…खाना पीना तो होता ही रहेगा.” आशुतोष ने कहा.
“हां अब यही कर सकते हैं.”
अपर्णा किचॅन के बाहर दीवार के सहारे खड़ी थी. आशुतोष उसके सामने खड़ा था. आशुतोष चुपके-चुपके अपर्णा के गुलाबी होंटो को देखे जा रहा था.
“क्या देख रहे हो तुम घूर-घूर कर बार बार.”
“क…क…कुछ नही. क्या आपको देख नही सकता मैं. बहुत प्यारी लग रही हैं आप.”
अपर्णा ना चाहते हुए भी शर्मा गयी.
“अरे आप तो शरमाती भी बहुत अच्छा हैं.” आशुतोष ने अपर्णा की आँखो में देखते हुए कहा.
अपर्णा ने अपनी नज़रे झुका ली. कोई जवाब नही दिया आशुतोष को.
“यही मोका है आशुतोष…बढ़ आगे और जाकड़ ले इन गुलाबी पंखुड़ियों को अपने होंटो में. अपर्णा जी अच्छे मूड में लग रही हैं. इस से अच्छा मोका नही मिलेगा पप्पी करने का.” आशुतोष दृढ़ता से अपर्णा की तरफ बढ़ा और बिल्कुल करीब आ गया अपर्णा के.
इस से पहले की अपर्णा कुछ समझ पाती आशुतोष ने अपने होठ टिका दिए अपर्णा के होंटो पर और दोनो हाथो से अपर्णा के सर को कुछ इस कदर पकड़ लिया की अपर्णा अपने होठ उसके होंटो से जुदा ना कर पाए. अपर्णा ने पूरी कोशिश की आशुतोष को हटाने की पर अपना आशुतोष कहाँ रुकने वाला था. अपना प्यार मजबूत करना था उसे इसलिए अपर्णा के गुलाबी होंटो को पूरी शिदत से चूस्ता रहा अपने होंटो में दबा कर. अपर्णा बस कू..कू करती रही…मुँह से बोलती भी तो कैसे बोलती कुछ. पूरे 2 मिनिट बाद हटा आशुतोष और बोला, “गुलाब की पंखुड़ियों से भी मुलायम होठ हैं आपके. कैसी लगी हमारी पहली किस.”
अपर्णा ने कुछ कहने की बजाए थप्पड़ जड़ दिया आशुतोष को, “ऐसी लगी ये बेहूदा किस. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ज़बरदस्ती किस करने की. क्या यही प्यार है तुम्हारा. ये किसी रेप से कम नही था. मेरे पास मत आना आज के बाद तुम.”
“मेरा प्यार क्या रेप लगता है आपको. किस प्यार की ज़रूरत होती है. नही तो प्यार मजबूत कैसे होगा. हम इज़हार कैसे करेंगे प्यार का अगर किस नही करेंगे तो. क्या आप मुझे किस नही करना चाहती थी.”
“दूर हो जाओ तुम मेरी नज़रो से. एक तो ग़लत काम करते हो उपर से उसे जस्टिफाइ भी करते हो. हर चीज़ का एक तरीका होता है. ये नही कि ज़बरदस्ती पकड़ कर जो मन में आए कर लो.”
“ओह सो सॉरी अपर्णा जी. मुझे इस बात का अहसास ही नही हुआ. मैं किसी के बहकावे में आ गया था और ये सब कर बैठा.”
“किसने बहकाया तुम्हे.”
“गुरु ने कहा था कि किस करने से प्यार मजबूत होगा इसलिए जल्द से जल्द एक किस कर लो.”
“वो कहेगा कुवें में कूद जाओ तो क्या कूद जाओगे.”
“सॉरी आगे से किसी की बातों में नही आउन्गा. मगर एक बात कहना चाहूँगा.”
“क्या?”
“मैं आपके होठ देख कर बहक गया था. कोई मुझे ना भी भड़काता तो भी मैं ये गुस्ताख़ी कर ही देता. थप्पड़ पड़ा आपका. अहसास भी हुआ कि ग़लत किया कुछ. मगर जो अहसास मैने पाया है आपके गुलाबी होंटो को चूमने का वो इतना अनमोल है कि आप मेरी गर्दन भी काट दें अब तो गम नही होगा क्योंकि कुछ बहुत ही ज़्यादा अनमोल पा चुका हूँ मैं अब. चलता हूँ मैं बाहर. हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा. गॉड ब्लेस्स यू.” आशुतोष मूड कर चल दिया.
“रूको…”
“जी कहिए.”
“क्या बस किस ही करनी थी मुझे. क्या बात नही करेंगे हम अब.”
“ओ.ऍम.जी.…क्या आपने मुझे माफ़ कर दिया. विश्वास नही होता. ऐसा मत कीजिए. मैं बहुत बदमाश हूँ…फिर से जाकड़ कर पप्पी ले सकता हूँ आपकी.”
“आशुतोष तुम्हे प्यार करती हूँ मैं. तुम इतने उतावले क्यों हो रहे हो किस के लिए. हमे पहले एक दूसरे को समझना चाहिए. एक बुनियाद बनानी चाहिए रिस्ते की. ये बातें बहुत बाद में आनी चाहिए.”
“कितनी प्यारी बात कही आपने. जिन होंटो से ये बात कही उन्हे चूमने का मन कर रहा है. अब आप ही बतायें क्या करूँ.”
“एक थप्पड़ और खाओगे मुझसे”
“मंजूर है हर जुल्मो-शितम आपका, बस होंतों को होंटो से टकराने दीजिए.” आशुतोष ने कहा और अपर्णा की तरफ बढ़ा.
अपर्णा ने वाकाई एक थप्पड़ और जड़ दिया आशुतोष के मुँह पर. मगर आशुतोष नही रुका और अपर्णा को पकड़ कर फिर से उसके होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच में. इस बार और भी ज़्यादा गहराई से चुंबन लिया आशुतोष ने अपर्णा का. पूरे 5 मिनिट चूस्ता रहा वो अपर्णा के होंटो को.
5 मिनिट बाद अपर्णा के होंटो को आज़ाद करके आशुतोष बोला, “मुझे नही पता कि आपको कैसा लगा. मगर मैने जन्नत पा ली इन पलों में. और हां आपके होठ पूरा सहयोग दे रहे थे वरना चुंबन मुमकिन नही था. धन्यवाद आपका.”
“रूको मैने कोई सहयोग नही किया तुम्हे.”
“जानता हूँ…मैने आपके होंटो को कहा…आपको नही. आपके होठ मेरे हैं अब. आप चाह कर भी उन्हे मुझसे दूर नही रख सकती. गुड नाइट.”
“तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी मैं इस सब के लिए. आइ हेट यू.”
आशुतोष मुस्कुराता हुआ बाहर आ गया, “नफ़रत झूठी है आपकी. आपके होठ तो इतना प्यार दे रहे थे कि पूछो मत. इट वाज़ मोस्ट ब्यूटिफुल किस ऑफ माय लाइफ. आइ कैन डाइ फॉर इट.”
अपर्णा ठगी सी आशुतोष को बाहर जाते हुए देख रही थी. आशुतोष के जाने के बाद अपर्णा ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया.
“बदतमीज़ कही का. मुझे नही पता था कि ये ऐसा करेगा मेरे साथ. क्यों प्यार कर बैठी हूँ मैं इस से. इसे तो भले बुरे की समझ ही नही है. प्यार में ज़बरदस्ती किस करता है क्या कोई. ग़लती कर ली थी मैने इसे घर में बुला कर. आगे से इसे कभी अंदर नही घुसने दूँगी.” अपर्णा दरवाजे के सहारे खड़े हो कर सब सोच रही थी.
अचानक अपर्णा को कुछ ख़याल आया और वो वहाँ से चल दी अपने कमरे की तरफ. अपने कमरे में लगे दर्पण के आगे खड़ी हो कर उसने खुद को बड़े गौर से देखा. अंजाने में ही उसका दायां हाथ खुद-ब-खुद उसके होंटो तक पहुँच गया. उसने अपने होंटो पर उंगलियाँ फिराई और धीरे से बोली, “तुम क्यों उसके साथ मिल गये थे.”
अपर्णा को अपने अंदर से जो जवाब आया उस पर वो विश्वास नही कर पाई. “किस ऐसी भी हो सकती है, कभी सोचा नही था.”
“छी ये सब मैं क्या सोच रही हूँ. ये आशुतोष अपने जैसा ही बनाने पर तुला है मुझे. पर मैं क्या करूँ प्यार कर बैठी हूँ इस पागल से दूर भी नही रह सकती उस से. वो सुबह बिना बताए चला गया था तो कितनी बेचैन रही थी मैं. ऐसा क्यों होता है प्यार में?” पर अपर्णा के पास अपने स्वाल का कोई जवाब नही था.
“मुझे हाथ नही उठाना चाहिए था आशुतोष पर. बुरा लगा होगा उसे. पर मैं क्या करती…अचानक जाकड़ लिया उसने मुझे. मुझे सोचने समझने का मोका तक नही दिया.पहली बार मैने किसी को थप्पड़ मारा है. जिसे मारना चाहिए था उसे तो आज तक नही मार पाई और जो मुझे इतना प्यार करता है उस पर हाथ उठा दिया. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”
अपर्णा खिड़की के पास आई और पर्दे को हल्का सा हटा कर देखा. आशुतोष अपनी जीप में आँखे बंद किए बैठा था. “कही नाराज़ तो नही हो गया आशुतोष मुझसे.” अपर्णा ने मन ही मन सोचा.
आशुतोष के शरीर में हलचल हुई तो अपर्णा ने फ़ौरन परदा गिरा दिया और दिल पर हाथ रख कर बोली, “कही देख तो नही लिया उसने मुझे. नही…नही..वो नींद में है शायद. अब मुझे भी सो जाना चाहिए.”
लेकिन खिड़के से हटने से पहले अपर्णा ने एक बार फिर परदा हटा कर देखा. आशुतोष वैसे ही आँखे बंद किए पड़ा था. “शुकर है नही देखा इसने मुझे…नही तो मज़ाक उड़ाता सुबह मेरा.” अपर्णा मुस्कुराते हुए सोच रही थी.
अपर्णा अपने बिस्तर पर आकर गिर गयी और आँखे बंद करके धीरे से बोली,“ सॉरी आशुतोष…मुझे तुम्हे थप्पड़ नही मारना चाहिए था. प्लीज़ मुझसे नाराज़ मत होना. तुम्हारे शिवा कोई नही है मेरा अब.”
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