02-01-2020, 06:31 PM
……
गौरव अंकिता के कहे अनुसार आराम करने के लिए उसी कमरे में आ गया जिसमे वो अड्मिट था. रह-रह कर उसे अंकिता की आँखे देखाई दे रही थी.
“डुबो दिया मेडम ने तो मुझे अपनी आँखो की गहराई में. क्या वो भी मेरे बारे में ऐसा ही सोच रही होंगी, जैसा कि मैं सोच रहा हूँ उनके बारे में. हो भी सकता है और नही भी हो सकता. उनका नेचर बाकी नर्माल लड़कियों से बहुत डिफरेंट है. समझना मुश्किल है उन्हे.”
अचानक्ब गौरव को कुछ हलचल सुनाई दी अपने कमरे के बाहर. गौरव अपनी पिस्टल ले कर दबे पाँव बाहर निकला. उसने कमरे से बाहर झाँक कर देखा. बाहर कुछ नज़र नही आया. गौरव ए एस पी साहिबा के रूम की तरफ बढ़ा, “जा कर देख लूँ कि सब ठीक तो है वहाँ.”
गौरव वहां पहुँचा तो देखा कि 4 कॉन्स्टेबल्स खड़े हैं वहाँ मगर चौहान गायब है.
“इनस्पेक्टर साहिब कहाँ गये?” गौरव ने पूछा.
“वो शहर के राउंड पर गये हैं.” एक कॉन्स्टेबल ने कहा.
“उनकी ड्यूटी तो यहा थी ना मेडम की प्रोटेक्शन की.” गौरव ने कहा.
“हमें नही पता सर. वो हमें यहा छोड़ कर गये हैं.”
अचानक गौरव की नज़र दूर से दीवार के कोने से झाँकते एक आदमी पर पड़ी. चेहरा नही देख पाया गौरव ठीक से…क्योंकि डिस्टेन्स ज़्यादा था.
“हे रूको…कौन हो तुम.” गौरव चिल्लाया.
“मगर अगले ही पल वो आदमी वहां से हट गया. गौरव पिस्टल ले कर लड़खड़ाते कदमो से भागा उस तरफ.
मगर वहाँ कुछ नज़र नही आया. गौरव भागते-भागते हॉस्पिटल के पीछे बने गार्डेन में आ गया. दबे पाँव चल रहा था वो हाथ में पिस्टल लिए. अंधेरा था वहां इसलिए कुछ ठीक से दीख नही रहा था.
अचानक एक पंच पड़ा गौरव के मुँह पर और अगले ही पल एक लात भी पड़ी पेट पर. गौरव फाइयर करने वाला था उस साए पर जिसने ये सब किया उसके साथ मगर फिर उस साए की आवाज़ सुन कर रुक गया.
“मिस्टर साइको आज तुम्हारी खैर नही. कॅमरा ऑन करो इसका इंटरव्यू लेंगे.”
“अरे झाँसी की रानी ये मैं हूँ इनस्पेक्टर गौरव. क्या कर रही हो तुम यहाँ ऋतू.”
“इनस्पेक्टर साहिब आप…सॉरी..सॉरी…हम तो एक साए का पीछा कर रहे थे. मुझे लगा था कि वो साइको है.”
“बच गयी तुम आज. इतने में तो गोली चला देता हूँ मैं. शरीर की पहले ही बॅंड बजी हुई है. तुमने और ज़्यादा ऐसी तैसी कर दी. क्या कराटे सीख रखें हैं तुमने.”
“हां मेरे पास ब्लॅक बेल्ट है.”
“जीसस एक तो रिपोर्टर उपर से ब्लॅक बेल्ट होल्डर. भगवान भली करे.”
“क्या कहा आपने.”
“कुछ नही.”
“अब आप मिल ही गये हैं तो एक बात बतायें. आपकी निकम्मी पोलीस अब हॉस्पिटल में पड़ी है. शहर वासियों का क्या होगा. लगता है धीरे धीरे सभी की आर्ट बन जाएगी इस शहर में और पोलीस बस तमाशा देखती रहेगी.” ऋतू ने मायक को गौरव के मुँह के आगे रख कर कहा.
“नो कॉमेंट्स…” गौरव कह कर चल दिया वहाँ से.
“कुछ कहने को होगा, तब ना कहेंगे. ये हाल है हमारी पोलीस का. बात साफ है. हमें अपनी रक्षा खुद करनी होगी. पोलीस के सहारे रहे तो हम सब मारे जाएँगे. ओवर टू यू…..”
“ये ऋतू तो पीछे पड़ गयी है मेरे. कितनी ज़ोर की लात मारी मेरे पेट में ओफ…
गौरव ने हर तरफ देखा हॉस्पिटल में मगर उसे कुछ नही मिला. “क्या पता कोई वैसे ही झाँक रहा हो. पोलीस को देख कर लोग तान्क झाँक करते ही हैं. साइको तो वैसे भी नकाब लगा कर घूमता है. साला इस केस ने इतना उलझा दिया है दिलो दीमग को कि हर कोई साइको ही नज़र आता है. मेडम से मिलता हूँ अब जाकर. क्या पता वो जाग रही हों.” गौरव ए एस पी साहिबा के कमरे की तरफ चल दिया.
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गौरव अंकिता के कहे अनुसार आराम करने के लिए उसी कमरे में आ गया जिसमे वो अड्मिट था. रह-रह कर उसे अंकिता की आँखे देखाई दे रही थी.
“डुबो दिया मेडम ने तो मुझे अपनी आँखो की गहराई में. क्या वो भी मेरे बारे में ऐसा ही सोच रही होंगी, जैसा कि मैं सोच रहा हूँ उनके बारे में. हो भी सकता है और नही भी हो सकता. उनका नेचर बाकी नर्माल लड़कियों से बहुत डिफरेंट है. समझना मुश्किल है उन्हे.”
अचानक्ब गौरव को कुछ हलचल सुनाई दी अपने कमरे के बाहर. गौरव अपनी पिस्टल ले कर दबे पाँव बाहर निकला. उसने कमरे से बाहर झाँक कर देखा. बाहर कुछ नज़र नही आया. गौरव ए एस पी साहिबा के रूम की तरफ बढ़ा, “जा कर देख लूँ कि सब ठीक तो है वहाँ.”
गौरव वहां पहुँचा तो देखा कि 4 कॉन्स्टेबल्स खड़े हैं वहाँ मगर चौहान गायब है.
“इनस्पेक्टर साहिब कहाँ गये?” गौरव ने पूछा.
“वो शहर के राउंड पर गये हैं.” एक कॉन्स्टेबल ने कहा.
“उनकी ड्यूटी तो यहा थी ना मेडम की प्रोटेक्शन की.” गौरव ने कहा.
“हमें नही पता सर. वो हमें यहा छोड़ कर गये हैं.”
अचानक गौरव की नज़र दूर से दीवार के कोने से झाँकते एक आदमी पर पड़ी. चेहरा नही देख पाया गौरव ठीक से…क्योंकि डिस्टेन्स ज़्यादा था.
“हे रूको…कौन हो तुम.” गौरव चिल्लाया.
“मगर अगले ही पल वो आदमी वहां से हट गया. गौरव पिस्टल ले कर लड़खड़ाते कदमो से भागा उस तरफ.
मगर वहाँ कुछ नज़र नही आया. गौरव भागते-भागते हॉस्पिटल के पीछे बने गार्डेन में आ गया. दबे पाँव चल रहा था वो हाथ में पिस्टल लिए. अंधेरा था वहां इसलिए कुछ ठीक से दीख नही रहा था.
अचानक एक पंच पड़ा गौरव के मुँह पर और अगले ही पल एक लात भी पड़ी पेट पर. गौरव फाइयर करने वाला था उस साए पर जिसने ये सब किया उसके साथ मगर फिर उस साए की आवाज़ सुन कर रुक गया.
“मिस्टर साइको आज तुम्हारी खैर नही. कॅमरा ऑन करो इसका इंटरव्यू लेंगे.”
“अरे झाँसी की रानी ये मैं हूँ इनस्पेक्टर गौरव. क्या कर रही हो तुम यहाँ ऋतू.”
“इनस्पेक्टर साहिब आप…सॉरी..सॉरी…हम तो एक साए का पीछा कर रहे थे. मुझे लगा था कि वो साइको है.”
“बच गयी तुम आज. इतने में तो गोली चला देता हूँ मैं. शरीर की पहले ही बॅंड बजी हुई है. तुमने और ज़्यादा ऐसी तैसी कर दी. क्या कराटे सीख रखें हैं तुमने.”
“हां मेरे पास ब्लॅक बेल्ट है.”
“जीसस एक तो रिपोर्टर उपर से ब्लॅक बेल्ट होल्डर. भगवान भली करे.”
“क्या कहा आपने.”
“कुछ नही.”
“अब आप मिल ही गये हैं तो एक बात बतायें. आपकी निकम्मी पोलीस अब हॉस्पिटल में पड़ी है. शहर वासियों का क्या होगा. लगता है धीरे धीरे सभी की आर्ट बन जाएगी इस शहर में और पोलीस बस तमाशा देखती रहेगी.” ऋतू ने मायक को गौरव के मुँह के आगे रख कर कहा.
“नो कॉमेंट्स…” गौरव कह कर चल दिया वहाँ से.
“कुछ कहने को होगा, तब ना कहेंगे. ये हाल है हमारी पोलीस का. बात साफ है. हमें अपनी रक्षा खुद करनी होगी. पोलीस के सहारे रहे तो हम सब मारे जाएँगे. ओवर टू यू…..”
“ये ऋतू तो पीछे पड़ गयी है मेरे. कितनी ज़ोर की लात मारी मेरे पेट में ओफ…
गौरव ने हर तरफ देखा हॉस्पिटल में मगर उसे कुछ नही मिला. “क्या पता कोई वैसे ही झाँक रहा हो. पोलीस को देख कर लोग तान्क झाँक करते ही हैं. साइको तो वैसे भी नकाब लगा कर घूमता है. साला इस केस ने इतना उलझा दिया है दिलो दीमग को कि हर कोई साइको ही नज़र आता है. मेडम से मिलता हूँ अब जाकर. क्या पता वो जाग रही हों.” गौरव ए एस पी साहिबा के कमरे की तरफ चल दिया.
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