02-01-2020, 06:29 PM
Update 96
“अरे यार किस से याद आया. मैने आशुतोष को अपर्णा की पप्पी लेने के लिए उकसा दिया है. बहुत जबरदस्त चुटकुला बन-ने वाला है आशुतोष का.”
“क्या? ऐसा क्यों किया तुमने. क्यों मरवा रहे हो बेचारे को.”
“अरे लेकिन इस से ये तो पता चलेगा कि कैसा प्यार है अपर्णा का. कही बेकार में हमारा आशुतोष उलझा रहे उसके सोन्दर्य के जाल में.”
दोनो बाते कर रहे थे कि अचानक घर के बाहर कुछ अजीब सी हलचल हुई.
“ये कैसी आवाज़ थी सौरभ. शूकर है कि तुम यहाँ हो…वरना मैं तो मर जाती अकेले में.” पूजा ने कहा.
“लगता है…बाहर कोई है?” सौरभ ने कहा.
“कौन हो सकता है?”
“हटो मुझे देखने दो.”
“नही बाहर जाने की कोई ज़रूरत नही है. जो कोई भी होगा चला जाएगा.”
पूजा के घर के बाहर होती हलचल ने एक दह्सत का माहौल क्रियेट कर दिया था. पूजा सौरभ से लिपटी हुई थी.
“ऐसे लिपटी रहोगी तो कुछ हो जाएगा हमारे बीच. फिर मत कहना मुझे.” सौरभ ने कहा.
“ऐसे में भी तुम्हे ये सब सूझ रहा है. मुझे डर लग रहा है. कही हमारे घर के बाहर साइको तो नही घूम रहा.” पूजा ने कहा.
“तभी कह रहा हूँ मुझे देखने दो. देखो ऐसा हो सकता है कि वो मेरे पीछे यहा आया हो. बहुत शातिर है वो…इस से पहले कि वो वार करे मुझे कुछ करने दो.”
“तुम्हारे पीछे क्यों आएगा वो.”
“दो बार मेरा उस से सामना हुआ है और एक बार कॉपीकॅट साइको विजय से सामना हुआ है. मुझे वो ज़रूर जानता होगा. कोई बड़ी बात नही है कि मेरे पीछे वो यहाँ तक आ गया हो.”
“ऐसा है तो अब क्या करेंगे हम?”
“चिंता मत करो. फोन है मेरे पास.पोलीस को बुला लेंगे. पहले पता तो चले कि बाहर कौन है?”
तभी बाहर सड़क पर पोलीस साइरन की आवाज़ सुनाई दी.
“पोलीस भी आ गयी…अब तो पक्का है कि ज़रूर कुछ गड़बड़ है.”
“जो कुछ भी होगा पोलीस देख लेगी…तुम बेकार में टेन्षन मत लो.”
“टेन्षन लेनी पड़ेगी पूजा अगर कुछ बन-ना है जींदगी में तो. बिना टेन्षन लिए कुछ नही होता. सोचो अगर साइको का आशु मैं खोल पाया तो कितना नाम होगा मेरा. मैं अपनी खुद की इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी खोल सकता हूँ फिर. नाम होने के बाद काम ही काम होगा. फिर तुम जितना मर्ज़ी लूटना मुझे हिहीही.”
“सौरभ कोई ज़रूरत नही है इस तरह से नाम करने की तुम्हे.”
तभी अचानक घर का दरवाजा खड़का. पूजा ने सौरभ को काश के जाकड़ लिया अपनी बाहों में, “दरवाजा मत खोलना.”
“अरे पागल हो क्या…हटो…पोलीस भी तो है बाहर.”
“नही प्लीज़…मुझे डर लग रहा है.” पूजा ने कहा.
“मेरे होते हुए क्यों डर रही हो तुम. देखने तो दो कौन है.” सौरभ ने कहा.
दरवाजा लगातार खाड़के जा रहा था. सौरभ ने पूजा को खुद से अलग किया और दरवाजे की तरफ बढ़ा और दरवाजा खोला.
“इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में” चौहान ने कहा.
“तुम्हारे लिए दरवाजे पर नही बैठे थे हम”
“ओह…मिस पूजा…व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. तुम तो बाद में मिली ही नही. एस्कॉर्ट बिज्निस कैसा चल रहा है तुम्हारा.”
“मुझसे बात कर जो करनी है. जब घर में आदमी खड़ा हो तो औरत से बात नही करते.”
“तुम यहाँ कर क्या रहे हो पहले ये बताओ?”
“ये हमारा प्राइवेट मामला है, तुमसे मतलब.”
“मतलब है…मैं एक साए का पीछा कर रहा था. मुझे यकीन है कि वो साइको था. वो इसी तरफ आया था. यहाँ तुम मौजूद हो…और बहुत देर में दरवाजा खोला तुमने. तभी पूछ रहा था कि दरवाजा खोलने में देर क्यों की.”
“तो तुम्हे लगता है कि मैं साइको हूँ.”
“कुछ भी हो सकता है… पूरे घर की तलाशी लो.” चौहान ने कॉन्स्टेबल्स को ऑर्डर दिया.
जब घर में कुछ नही मिला तो चौहान बोला, “मिस पूजा कब आया था ये यहाँ.”
“ये बहुत देर से हैं यहा.”
“ह्म्म…मिस पूजा तुम्हे पता है. जिस आदमी के पास तुम होटेल में एस्कॉर्ट बन कर गयी थी, उस पर साइको होने का शक है. तुम्हारी गांद लेने के बाद तुम्हे मार सकता था वो. शूकर है मैं वक्त पर पहुँच गया. हमनें ली तुम्हारी पर तुम्हारी जान बच गयी हिहीही…चलता हूँ दरवाजा बंद कर लो हाहहाहा.” चौहान बेशर्मी से हंसता हुआ वहाँ से चला गया. सौरभ दाँत भींच कर रह गया.
सौरभ ने दरवाजा बंद किया और पूजा की तरफ मुड़ा. पूजा की आँखो से आँसू टपक रहे थे.
“अरे पूजा…” सौरभ ने बाहों में भर लिया पूजा को.
“कितना बेकार लग रहा है मुझे. सब कुछ याद आ गया फिर से. ” पूजा सुबक्ते हुए बोली.
“तभी कह रहा था कि इन लोगो को मारना ज़रूरी है. अगर इसे मार देता तो ये सब नही सुन-ना पड़ता मुझे.”
“मैं सुन लूँगी सब कुछ पर तुम खून ख़राबा बिल्कुल नही करोगे. कसम है तुम्हे मेरी.” पूजा ने कहा.
“कहाँ कर रहा हूँ खून ख़राबा. तुम्हे किया वादा नही तौड़ूँगा.”
“सौरभ तुम मुझे ग़लत तो नही समझोगे ना. कभी-कभी लगता है कि तुम्हारे प्यार के लायक नही हूँ मैं.”
“पागल हो क्या. ग़लत क्यों समझूंगा तुम्हे मैं. तुम्हारा शरीर ज़रूर मैला हुआ था इन बातों से मगर तुम्हारा मन हमेशा से पवित्र है. तुमसे ज़्यादा लायक प्यार के कोई हो ही नही सकता मेरे लिए. और मैं कोई दूध का धुला नही हूँ. तुम्हारी दीदी तक को नही छोड़ा मैने.”
“अब तो मेरे सिवा कोई और नही है ना तुम्हारी जींदगी में.”
“नही…जब से तुम आई हो जींदगी में, किसी और को देखने का मन तक नही करता…जींदगी में आने का तो सवाल ही नही है.” सौरभ ने गोदी में उठा लिया पूजा को.
“क्या कर रहे हो?”
“अब रुकना मुश्किल हो रहा है…प्लीज़ मुझे रोकना मत.” सौरभ पूजा को बिस्तर पर ले आया और उसे लेटा कर उसके उभारो को अपने दोनो हाथो में जाकड़ लिया.
“ये क्या कर रहे हो…हटो.”
“आग भड़का रहा हूँ तुम्हारे अंदर…हिहीही.” सौरभ हाथों से उभारों को दबा रहा था.
“रोक नही पाउन्गि तुम्हे मैं….प्लीज़…. अगर शादी के बाद सब कुछ हो तो अच्छा लगेगा मुझे. सुहाग रात नाम की भी कोई चीज़ होती है.” पूजा ने कहा.
सौरभ पूजा के उपर से हट गया और उसके बाजू में लेट गया, “हे भगवान…इस कदर कभी नही बहका मैं किसी के साथ. सब कुछ कंट्रोल में रखता था हमेशा. यू आर टू हॉट टू हैंडल.”
“बस…बस चुप हो जाओ…मुझे कुछ-कुछ होता है.”
“यार हो जाने दो ना कुछ-कुछ…बुराई क्या है इसमें.”
“बुराई नही है सौरभ. बस हनिमून पर कुछ ख़ास रहना चाहिए.”
“आग कुछ इस कदर भड़क रही है की हनिमून एक दिन का नही बल्कि पूरा महीने का होगा…फिर भी शायद प्यार बाकी रहेगी. तुम्हारे सोन्दर्य का रश्पान जितना भी किया जाए कम ही होगा. हम तो हमेशा प्यासे ही रहेंगे.”
“बस…बस ज़्यादा माखन मत लगाओ…मैं कुछ नही करने दूँगी.”
“वैसे माखन लगाने से बहुत प्यार से फिसल जाएगा.”
“क्या फिसल जाएगा… …” पूजा सोच में पड़ गयी.
“क्या फिसल सकता है…सोचो..सोचो…. ….” सौरभ ने कहा.
पूजा उठी और अपने तकिये को दे मारा सौरभ के सर पर, “बदमाश कही के. कितनी अश्लील बाते करते हो मेरे साथ. शरम नही आती तुम्हे.”
“शरम क्यों आएगी इसमें ये हँसी मज़ाक तो स्त्री पुरूस के रिस्ते को सुंदर बनाता है.”
“हां शायद तुम ठीक कह रहे हो. पर ज़्यादा मत बाते किया करो ऐसी, मुझे कुछ-कुछ होता है.”
“हाहहाहा….छोड़ो सब कुछ…चलो सोते हैं. अब मैं अर्ली मॉर्निंग ही जाउन्गा यहाँ से.” सौरभ ने कहा.
“तुम जाना चाहोगे अभी तो भी नही जाने दूँगी. लेकिन कोई बदमासी नही चलेगी. सो जाओ चुपचाप.”
“बिल्कुल सो जाउन्गा, एक गुड नाइट पप्पी तो दे दो मुझे. नींद नही आएगी उसके बिना.” सौरभ ने कहा.
“हहहे…तुम पागल हो…ये लो.” पूजा ने उठ कर सौरभ के होंटो पर होठ टीका दिया. एक मिनिट के लिए दोनो ने डीप्ली किस किया एक दूसरे को.
“थॅंक यू.” सौरभ ने कहा.
“माइ प्लेषर. अब सो जाओ. गुड नाइट.”
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“अरे यार किस से याद आया. मैने आशुतोष को अपर्णा की पप्पी लेने के लिए उकसा दिया है. बहुत जबरदस्त चुटकुला बन-ने वाला है आशुतोष का.”
“क्या? ऐसा क्यों किया तुमने. क्यों मरवा रहे हो बेचारे को.”
“अरे लेकिन इस से ये तो पता चलेगा कि कैसा प्यार है अपर्णा का. कही बेकार में हमारा आशुतोष उलझा रहे उसके सोन्दर्य के जाल में.”
दोनो बाते कर रहे थे कि अचानक घर के बाहर कुछ अजीब सी हलचल हुई.
“ये कैसी आवाज़ थी सौरभ. शूकर है कि तुम यहाँ हो…वरना मैं तो मर जाती अकेले में.” पूजा ने कहा.
“लगता है…बाहर कोई है?” सौरभ ने कहा.
“कौन हो सकता है?”
“हटो मुझे देखने दो.”
“नही बाहर जाने की कोई ज़रूरत नही है. जो कोई भी होगा चला जाएगा.”
पूजा के घर के बाहर होती हलचल ने एक दह्सत का माहौल क्रियेट कर दिया था. पूजा सौरभ से लिपटी हुई थी.
“ऐसे लिपटी रहोगी तो कुछ हो जाएगा हमारे बीच. फिर मत कहना मुझे.” सौरभ ने कहा.
“ऐसे में भी तुम्हे ये सब सूझ रहा है. मुझे डर लग रहा है. कही हमारे घर के बाहर साइको तो नही घूम रहा.” पूजा ने कहा.
“तभी कह रहा हूँ मुझे देखने दो. देखो ऐसा हो सकता है कि वो मेरे पीछे यहा आया हो. बहुत शातिर है वो…इस से पहले कि वो वार करे मुझे कुछ करने दो.”
“तुम्हारे पीछे क्यों आएगा वो.”
“दो बार मेरा उस से सामना हुआ है और एक बार कॉपीकॅट साइको विजय से सामना हुआ है. मुझे वो ज़रूर जानता होगा. कोई बड़ी बात नही है कि मेरे पीछे वो यहाँ तक आ गया हो.”
“ऐसा है तो अब क्या करेंगे हम?”
“चिंता मत करो. फोन है मेरे पास.पोलीस को बुला लेंगे. पहले पता तो चले कि बाहर कौन है?”
तभी बाहर सड़क पर पोलीस साइरन की आवाज़ सुनाई दी.
“पोलीस भी आ गयी…अब तो पक्का है कि ज़रूर कुछ गड़बड़ है.”
“जो कुछ भी होगा पोलीस देख लेगी…तुम बेकार में टेन्षन मत लो.”
“टेन्षन लेनी पड़ेगी पूजा अगर कुछ बन-ना है जींदगी में तो. बिना टेन्षन लिए कुछ नही होता. सोचो अगर साइको का आशु मैं खोल पाया तो कितना नाम होगा मेरा. मैं अपनी खुद की इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी खोल सकता हूँ फिर. नाम होने के बाद काम ही काम होगा. फिर तुम जितना मर्ज़ी लूटना मुझे हिहीही.”
“सौरभ कोई ज़रूरत नही है इस तरह से नाम करने की तुम्हे.”
तभी अचानक घर का दरवाजा खड़का. पूजा ने सौरभ को काश के जाकड़ लिया अपनी बाहों में, “दरवाजा मत खोलना.”
“अरे पागल हो क्या…हटो…पोलीस भी तो है बाहर.”
“नही प्लीज़…मुझे डर लग रहा है.” पूजा ने कहा.
“मेरे होते हुए क्यों डर रही हो तुम. देखने तो दो कौन है.” सौरभ ने कहा.
दरवाजा लगातार खाड़के जा रहा था. सौरभ ने पूजा को खुद से अलग किया और दरवाजे की तरफ बढ़ा और दरवाजा खोला.
“इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में” चौहान ने कहा.
“तुम्हारे लिए दरवाजे पर नही बैठे थे हम”
“ओह…मिस पूजा…व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. तुम तो बाद में मिली ही नही. एस्कॉर्ट बिज्निस कैसा चल रहा है तुम्हारा.”
“मुझसे बात कर जो करनी है. जब घर में आदमी खड़ा हो तो औरत से बात नही करते.”
“तुम यहाँ कर क्या रहे हो पहले ये बताओ?”
“ये हमारा प्राइवेट मामला है, तुमसे मतलब.”
“मतलब है…मैं एक साए का पीछा कर रहा था. मुझे यकीन है कि वो साइको था. वो इसी तरफ आया था. यहाँ तुम मौजूद हो…और बहुत देर में दरवाजा खोला तुमने. तभी पूछ रहा था कि दरवाजा खोलने में देर क्यों की.”
“तो तुम्हे लगता है कि मैं साइको हूँ.”
“कुछ भी हो सकता है… पूरे घर की तलाशी लो.” चौहान ने कॉन्स्टेबल्स को ऑर्डर दिया.
जब घर में कुछ नही मिला तो चौहान बोला, “मिस पूजा कब आया था ये यहाँ.”
“ये बहुत देर से हैं यहा.”
“ह्म्म…मिस पूजा तुम्हे पता है. जिस आदमी के पास तुम होटेल में एस्कॉर्ट बन कर गयी थी, उस पर साइको होने का शक है. तुम्हारी गांद लेने के बाद तुम्हे मार सकता था वो. शूकर है मैं वक्त पर पहुँच गया. हमनें ली तुम्हारी पर तुम्हारी जान बच गयी हिहीही…चलता हूँ दरवाजा बंद कर लो हाहहाहा.” चौहान बेशर्मी से हंसता हुआ वहाँ से चला गया. सौरभ दाँत भींच कर रह गया.
सौरभ ने दरवाजा बंद किया और पूजा की तरफ मुड़ा. पूजा की आँखो से आँसू टपक रहे थे.
“अरे पूजा…” सौरभ ने बाहों में भर लिया पूजा को.
“कितना बेकार लग रहा है मुझे. सब कुछ याद आ गया फिर से. ” पूजा सुबक्ते हुए बोली.
“तभी कह रहा था कि इन लोगो को मारना ज़रूरी है. अगर इसे मार देता तो ये सब नही सुन-ना पड़ता मुझे.”
“मैं सुन लूँगी सब कुछ पर तुम खून ख़राबा बिल्कुल नही करोगे. कसम है तुम्हे मेरी.” पूजा ने कहा.
“कहाँ कर रहा हूँ खून ख़राबा. तुम्हे किया वादा नही तौड़ूँगा.”
“सौरभ तुम मुझे ग़लत तो नही समझोगे ना. कभी-कभी लगता है कि तुम्हारे प्यार के लायक नही हूँ मैं.”
“पागल हो क्या. ग़लत क्यों समझूंगा तुम्हे मैं. तुम्हारा शरीर ज़रूर मैला हुआ था इन बातों से मगर तुम्हारा मन हमेशा से पवित्र है. तुमसे ज़्यादा लायक प्यार के कोई हो ही नही सकता मेरे लिए. और मैं कोई दूध का धुला नही हूँ. तुम्हारी दीदी तक को नही छोड़ा मैने.”
“अब तो मेरे सिवा कोई और नही है ना तुम्हारी जींदगी में.”
“नही…जब से तुम आई हो जींदगी में, किसी और को देखने का मन तक नही करता…जींदगी में आने का तो सवाल ही नही है.” सौरभ ने गोदी में उठा लिया पूजा को.
“क्या कर रहे हो?”
“अब रुकना मुश्किल हो रहा है…प्लीज़ मुझे रोकना मत.” सौरभ पूजा को बिस्तर पर ले आया और उसे लेटा कर उसके उभारो को अपने दोनो हाथो में जाकड़ लिया.
“ये क्या कर रहे हो…हटो.”
“आग भड़का रहा हूँ तुम्हारे अंदर…हिहीही.” सौरभ हाथों से उभारों को दबा रहा था.
“रोक नही पाउन्गि तुम्हे मैं….प्लीज़…. अगर शादी के बाद सब कुछ हो तो अच्छा लगेगा मुझे. सुहाग रात नाम की भी कोई चीज़ होती है.” पूजा ने कहा.
सौरभ पूजा के उपर से हट गया और उसके बाजू में लेट गया, “हे भगवान…इस कदर कभी नही बहका मैं किसी के साथ. सब कुछ कंट्रोल में रखता था हमेशा. यू आर टू हॉट टू हैंडल.”
“बस…बस चुप हो जाओ…मुझे कुछ-कुछ होता है.”
“यार हो जाने दो ना कुछ-कुछ…बुराई क्या है इसमें.”
“बुराई नही है सौरभ. बस हनिमून पर कुछ ख़ास रहना चाहिए.”
“आग कुछ इस कदर भड़क रही है की हनिमून एक दिन का नही बल्कि पूरा महीने का होगा…फिर भी शायद प्यार बाकी रहेगी. तुम्हारे सोन्दर्य का रश्पान जितना भी किया जाए कम ही होगा. हम तो हमेशा प्यासे ही रहेंगे.”
“बस…बस ज़्यादा माखन मत लगाओ…मैं कुछ नही करने दूँगी.”
“वैसे माखन लगाने से बहुत प्यार से फिसल जाएगा.”
“क्या फिसल जाएगा… …” पूजा सोच में पड़ गयी.
“क्या फिसल सकता है…सोचो..सोचो…. ….” सौरभ ने कहा.
पूजा उठी और अपने तकिये को दे मारा सौरभ के सर पर, “बदमाश कही के. कितनी अश्लील बाते करते हो मेरे साथ. शरम नही आती तुम्हे.”
“शरम क्यों आएगी इसमें ये हँसी मज़ाक तो स्त्री पुरूस के रिस्ते को सुंदर बनाता है.”
“हां शायद तुम ठीक कह रहे हो. पर ज़्यादा मत बाते किया करो ऐसी, मुझे कुछ-कुछ होता है.”
“हाहहाहा….छोड़ो सब कुछ…चलो सोते हैं. अब मैं अर्ली मॉर्निंग ही जाउन्गा यहाँ से.” सौरभ ने कहा.
“तुम जाना चाहोगे अभी तो भी नही जाने दूँगी. लेकिन कोई बदमासी नही चलेगी. सो जाओ चुपचाप.”
“बिल्कुल सो जाउन्गा, एक गुड नाइट पप्पी तो दे दो मुझे. नींद नही आएगी उसके बिना.” सौरभ ने कहा.
“हहहे…तुम पागल हो…ये लो.” पूजा ने उठ कर सौरभ के होंटो पर होठ टीका दिया. एक मिनिट के लिए दोनो ने डीप्ली किस किया एक दूसरे को.
“थॅंक यू.” सौरभ ने कहा.
“माइ प्लेषर. अब सो जाओ. गुड नाइट.”
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