02-01-2020, 06:25 PM
रात का सन्नाटा चारो तरफ फैला हुआ था. सभी लोग अपने-अपने घरो में थे. साइको का ख़ौफ़ ज्यों का त्यों बरकरार था.
“ये सन्नाटा पता नही कब गायब होगा इन सड़को से. पहले कितनी चहल पहल हुआ करती थी इन सड़को पर. मगर अब ये मनहूस सन्नाटा शाम ढलते ही घेर लेता है इन गलियों को. काश ये ख़ौफ़ जल्द से जल्द ख़तम हो जाए.”
मगर सन्नाटा एक तरह से अच्छा भी था.
सौरभ पूजा के घर पहुँचा और चुपचाप दरवाजा खड़काया.
पूजा दरवाजे पर दस्तक सुन कर सिहर उठी.
“हे भगवान कौन हो सकता है.” पूजा ने मन ही मन कहा.
सौरभ ने बाहर से आवाज़ दी, “मैं हूँ सौरभ. दरवाजा खोलो.”
पूजा दरवाजे के पास आई और बोली, “तुम यहा क्यों आए हो?”
“अरे दरवाजा तो खोलो यार?”
पूजा ने दरवाजा खोला. सौरभ झट से अंदर आ गया और दरवाजे की कुण्डी लगा दी.
“सौरभ क्यों आए तुम यहाँ.”
“अब यार फोन बंद करके तुमने मेरे दिल की धड़कन बंद कर दी. यहाँ नही आता तो क्या करता मैं. क्यों किया तुमने ऐसा.”
“तुम खुद अपने दिल से पूछो. क्या ऐसा बोलता है कोई किसी लड़की को.” पूजा ने कहा.
“जान तुम मेरी प्रेमिका हो जो की जल्द ही पत्नी बन-ने जा रही है. तुम भी तो मज़ाक कर रही थी. मैने भी मज़ाक कर दिया.”
“क्या वो सब मज़ाक था.”
“जान मानता हूँ कि कुछ ज़्यादा बोल गया. प्यार करता हूँ तुमसे. कुछ बातों को अनदेखा कर दिया करो. केयी बार कुछ अजीब बोल जाता हूँ मैं. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. मुझसे नाराज़ मत होना.”
“ठीक है…ठीक है…बैठो चाय बनाती हूँ तुम्हारे लिए.”
“नही पूजा. मैं चलता हूँ. मैं बस तुम्हे सॉरी बोलने आया था. तुमने फोन ऑफ कर दिया था. इसलिए मुझे आना पड़ा.”
“सौरभ मैं डर गयी थी तुम्हारी इन बातों से. क्यों करते हो ऐसा तुम.”
“छोड़ो भी अब. ग़लती हो गयी मुझसे. माफ़ करदो मुझे नही कहूँगा आज के बाद ऐसा कुछ.”
“हाहहहाहा…देखा कैसी बॅंड बजाई तुम्हारी.” पूजा ने हंसते हुए कहा.
“क्या ये सब मज़ाक था…”
“और नही तो क्या. तुम शादी के बाद सेक्स की बात कर रहे थे. मैं भला बुरा क्यों मानूँगी. बस यू ही तुम्हे सताने का मन था. आज बहुत सताया तुमने मुझे. आँखे तरस गयी थी तुम्हारे इंतेज़ार में.”
“पूजा लेकिन मैं सच कह रहा हूँ. तुम्हारा रोज बॅंड बजेगा अब शादी के बाद. हर रात आआहह उउउहह आहह करोगी.” सौरभ ने कहा.
“देखेंगे जनाब…फिलहाल आप जाओ यहा से. मुझे नींद आ रही है.”
“अब जब यहा आ गया हूँ तो खाली हाथ नही जाउन्गा मैं.”
“क्या मतलब?”
“एक पप्पी तो लेकर ही जाउन्गा.”
“बदमाश हो तुम. कुछ नही मिलेगा तुम्हे आज”
“मेरी आँखो में देख कर बोलो तो.” सौरभ ने कहा और बाहों में भर लिया पूजा को.
“तुम्हारी आँखो में देख कर कैसे मना कर पाउन्गि तुम्हे.” पूजा ने सौरभ की छाती पर सर रख लिया.
“उफ्फ…मैं चलता हूँ यार. भावनाए भड़क रही हैं. कही शादी से पहले ही हनिमून ना हो जाए.”
“हां चले जाओ. मुझे भी यही डर है. तुम बहक गये तो तुम्हे रोक नही पाउन्गि मैं. प्यार जो करती हूँ तुम्हे. मगर हम सेक्स में शादी के बाद ही उतरे तो ज़्यादा अच्छा होगा.”
सौरभ ने पूजा के चेहरे को हाथ से उपर किया और अपने होठ टिका दिए उसके होंटो पर. पूजा ने भी झट से जाकड़ लिया सौरभ के लबों को अपने होंटो में. और फिर प्यार हुआ दोनो के बीच.
5 मिनिट तक चूमते रहे दोनो बेतहासा एक दूसरे को.
5 मिनिट बाद पूजा ने सौरभ को धक्का दे कर उसको खुद से अलग किया, “बस कही बहक ना जायें हम दोनो.”
“ये सन्नाटा पता नही कब गायब होगा इन सड़को से. पहले कितनी चहल पहल हुआ करती थी इन सड़को पर. मगर अब ये मनहूस सन्नाटा शाम ढलते ही घेर लेता है इन गलियों को. काश ये ख़ौफ़ जल्द से जल्द ख़तम हो जाए.”
मगर सन्नाटा एक तरह से अच्छा भी था.
सौरभ पूजा के घर पहुँचा और चुपचाप दरवाजा खड़काया.
पूजा दरवाजे पर दस्तक सुन कर सिहर उठी.
“हे भगवान कौन हो सकता है.” पूजा ने मन ही मन कहा.
सौरभ ने बाहर से आवाज़ दी, “मैं हूँ सौरभ. दरवाजा खोलो.”
पूजा दरवाजे के पास आई और बोली, “तुम यहा क्यों आए हो?”
“अरे दरवाजा तो खोलो यार?”
पूजा ने दरवाजा खोला. सौरभ झट से अंदर आ गया और दरवाजे की कुण्डी लगा दी.
“सौरभ क्यों आए तुम यहाँ.”
“अब यार फोन बंद करके तुमने मेरे दिल की धड़कन बंद कर दी. यहाँ नही आता तो क्या करता मैं. क्यों किया तुमने ऐसा.”
“तुम खुद अपने दिल से पूछो. क्या ऐसा बोलता है कोई किसी लड़की को.” पूजा ने कहा.
“जान तुम मेरी प्रेमिका हो जो की जल्द ही पत्नी बन-ने जा रही है. तुम भी तो मज़ाक कर रही थी. मैने भी मज़ाक कर दिया.”
“क्या वो सब मज़ाक था.”
“जान मानता हूँ कि कुछ ज़्यादा बोल गया. प्यार करता हूँ तुमसे. कुछ बातों को अनदेखा कर दिया करो. केयी बार कुछ अजीब बोल जाता हूँ मैं. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. मुझसे नाराज़ मत होना.”
“ठीक है…ठीक है…बैठो चाय बनाती हूँ तुम्हारे लिए.”
“नही पूजा. मैं चलता हूँ. मैं बस तुम्हे सॉरी बोलने आया था. तुमने फोन ऑफ कर दिया था. इसलिए मुझे आना पड़ा.”
“सौरभ मैं डर गयी थी तुम्हारी इन बातों से. क्यों करते हो ऐसा तुम.”
“छोड़ो भी अब. ग़लती हो गयी मुझसे. माफ़ करदो मुझे नही कहूँगा आज के बाद ऐसा कुछ.”
“हाहहहाहा…देखा कैसी बॅंड बजाई तुम्हारी.” पूजा ने हंसते हुए कहा.
“क्या ये सब मज़ाक था…”
“और नही तो क्या. तुम शादी के बाद सेक्स की बात कर रहे थे. मैं भला बुरा क्यों मानूँगी. बस यू ही तुम्हे सताने का मन था. आज बहुत सताया तुमने मुझे. आँखे तरस गयी थी तुम्हारे इंतेज़ार में.”
“पूजा लेकिन मैं सच कह रहा हूँ. तुम्हारा रोज बॅंड बजेगा अब शादी के बाद. हर रात आआहह उउउहह आहह करोगी.” सौरभ ने कहा.
“देखेंगे जनाब…फिलहाल आप जाओ यहा से. मुझे नींद आ रही है.”
“अब जब यहा आ गया हूँ तो खाली हाथ नही जाउन्गा मैं.”
“क्या मतलब?”
“एक पप्पी तो लेकर ही जाउन्गा.”
“बदमाश हो तुम. कुछ नही मिलेगा तुम्हे आज”
“मेरी आँखो में देख कर बोलो तो.” सौरभ ने कहा और बाहों में भर लिया पूजा को.
“तुम्हारी आँखो में देख कर कैसे मना कर पाउन्गि तुम्हे.” पूजा ने सौरभ की छाती पर सर रख लिया.
“उफ्फ…मैं चलता हूँ यार. भावनाए भड़क रही हैं. कही शादी से पहले ही हनिमून ना हो जाए.”
“हां चले जाओ. मुझे भी यही डर है. तुम बहक गये तो तुम्हे रोक नही पाउन्गि मैं. प्यार जो करती हूँ तुम्हे. मगर हम सेक्स में शादी के बाद ही उतरे तो ज़्यादा अच्छा होगा.”
सौरभ ने पूजा के चेहरे को हाथ से उपर किया और अपने होठ टिका दिए उसके होंटो पर. पूजा ने भी झट से जाकड़ लिया सौरभ के लबों को अपने होंटो में. और फिर प्यार हुआ दोनो के बीच.
5 मिनिट तक चूमते रहे दोनो बेतहासा एक दूसरे को.
5 मिनिट बाद पूजा ने सौरभ को धक्का दे कर उसको खुद से अलग किया, “बस कही बहक ना जायें हम दोनो.”