02-01-2020, 06:05 PM
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गौरव सीधा हॉस्पिटल पहुँचा. जब उसे पता चला कि अंकिता को होश आ गया है तो वो तुरंत उस से मिलने पहुँचा. चौहान आइक्यू के बाहर ही खड़ा था. अंकिता के पेरेंट्स अंदर थे.
"कैसी हैं मेडम?" गौरव ने पूछा.
"मेडम ठीक हैं. पूछ रही थी तुम्हे.खैर नही तुम्हारी अब.अभी वो मेडिसिन और इंजेक्षन ले कर सोई हैं. उन्हे डिस्टर्ब मत करना. वैसे कहाँ गये थे सुबह-सुबह." चौहान ने पूछा.
"एक ज़रूरी काम था."
"ह्म्म...तुम्हारी तो टांगे टूट जानी चाहिए थी खाई में गिरकर...बच कैसे गये तुम." चौहान ने कहा.
"सर एक बार फिर रिक्वेस्ट करना चाहता हूँ आपसे. मुझे पता है आप मुझे पसंद नही करते पर मैं यकीन दिलाता हूँ आपको कि मैं रीमा को खुश रखूँगा. जब मैं उस से मिला था मुझे नही पता था कि वो आपकी बहन है वरना बात आगे बढ़ाता ही नही. आपसे रिक्वेस्ट है हाथ जोड़ कर की प्लीज़ रीमा का हाथ मेरे हाथ में दे दीजिए."
"देखो गौरव...जो बात नही हो सकती उसके लिए रिकवेस्ट मत करो. खुद को और कितना गिराओगे तुम. मुझे पता है मेरी बहन कहाँ खुश रहेगी. तुम उसका पीछा छोड़ दो. उसकी जींदगी में जहर मत घोलो तुम. सब कुछ शांति से निपट जाने दो. और दुबारा फोन से कॉंटॅक्ट मत करना रीमा को. तुम्हारी ग़लती की सज़ा उसे दे कर आया हूँ मैं. बहुत मारा मैने उसे कल रात. "
"ठीक है आपको जो करना है कीजिए. पर उसे मारिए मत. प्यार करती है वो, कोई गुनाह नही कर दिया उसने." गौरव ने कहा.
"शट अप...मैं तुमसे कोई बात नही करना चाहता."
चौहान गुस्से में वहाँ से चला गया.गौरव ए एस पी साहिबा के रूम के बाहर बैठ गया.
"बहुत बुरा लगा होगा मेडम को. पर मैं काम से ही गया था. अब डाँट पड़ेगी शायद. मैने ना जाने क्या-क्या बोल दिया था मेडम को. पता नही मुझे क्या हो गया था. पर मैने जो भी किया उनके लिए किया. उम्मीद है कि मेडम मुझे ग़लत नही समझेंगी." गौरव ने खुद से कहा.
गौरव ये सब सोच ही रहा था कि उसका फोन बज उठा. फोन साइको का था.
“मिस्टर पांडे…मेरी आर्ट का कोई हिस्सा जिंदा बच जाए तो मुझसे बिल्कुल बर्दास्त नही होता. तुम दोनो को अब तडपा-तडपा कर मारूँगा. इस बार एक खौफनाक पैंटिंग बनाओन्गा तुम दोनो की. अभी मैं किसी और की पैंटिंग बनाने के मूड में हूँ. जल्द मिलेंगे.”
“कर्नल साहिब अब आप अपनी चिंता कीजिए. क्योंकि पैंटिंग अब मैं बनाओन्गा आपकी.” गौरव ने कहा.
फोन तुरंत कट गया.साइको ने आगे कुछ नही कहा.
“अंधेरे में तीर छोड़ा था. लगता है निशाने पर लगा है. देवेंदर सिंग अब तुम्हारी खैर नही.” गौरव ने कहा.
गौरव ने तुरंत थाने में फोन लगाया. फोन भोलू ने उठाया.
“भोलू जल्दी से 10-12 लोगो की पार्टी तैयार करो हमें तुरंत एक ऑपरेशन पर निकलना है. मैं वही आ रहा हूँ. ” गौरव ने कहा
गौरव ने एक बार फिर से चेक किया अंकिता के बारे में. वो अभी भी सोई हुई थी.
“मेडम से बाद में मिलूँगा. आज ये साइको नही बचेगा.”
गौरव सीधा हॉस्पिटल पहुँचा. जब उसे पता चला कि अंकिता को होश आ गया है तो वो तुरंत उस से मिलने पहुँचा. चौहान आइक्यू के बाहर ही खड़ा था. अंकिता के पेरेंट्स अंदर थे.
"कैसी हैं मेडम?" गौरव ने पूछा.
"मेडम ठीक हैं. पूछ रही थी तुम्हे.खैर नही तुम्हारी अब.अभी वो मेडिसिन और इंजेक्षन ले कर सोई हैं. उन्हे डिस्टर्ब मत करना. वैसे कहाँ गये थे सुबह-सुबह." चौहान ने पूछा.
"एक ज़रूरी काम था."
"ह्म्म...तुम्हारी तो टांगे टूट जानी चाहिए थी खाई में गिरकर...बच कैसे गये तुम." चौहान ने कहा.
"सर एक बार फिर रिक्वेस्ट करना चाहता हूँ आपसे. मुझे पता है आप मुझे पसंद नही करते पर मैं यकीन दिलाता हूँ आपको कि मैं रीमा को खुश रखूँगा. जब मैं उस से मिला था मुझे नही पता था कि वो आपकी बहन है वरना बात आगे बढ़ाता ही नही. आपसे रिक्वेस्ट है हाथ जोड़ कर की प्लीज़ रीमा का हाथ मेरे हाथ में दे दीजिए."
"देखो गौरव...जो बात नही हो सकती उसके लिए रिकवेस्ट मत करो. खुद को और कितना गिराओगे तुम. मुझे पता है मेरी बहन कहाँ खुश रहेगी. तुम उसका पीछा छोड़ दो. उसकी जींदगी में जहर मत घोलो तुम. सब कुछ शांति से निपट जाने दो. और दुबारा फोन से कॉंटॅक्ट मत करना रीमा को. तुम्हारी ग़लती की सज़ा उसे दे कर आया हूँ मैं. बहुत मारा मैने उसे कल रात. "
"ठीक है आपको जो करना है कीजिए. पर उसे मारिए मत. प्यार करती है वो, कोई गुनाह नही कर दिया उसने." गौरव ने कहा.
"शट अप...मैं तुमसे कोई बात नही करना चाहता."
चौहान गुस्से में वहाँ से चला गया.गौरव ए एस पी साहिबा के रूम के बाहर बैठ गया.
"बहुत बुरा लगा होगा मेडम को. पर मैं काम से ही गया था. अब डाँट पड़ेगी शायद. मैने ना जाने क्या-क्या बोल दिया था मेडम को. पता नही मुझे क्या हो गया था. पर मैने जो भी किया उनके लिए किया. उम्मीद है कि मेडम मुझे ग़लत नही समझेंगी." गौरव ने खुद से कहा.
गौरव ये सब सोच ही रहा था कि उसका फोन बज उठा. फोन साइको का था.
“मिस्टर पांडे…मेरी आर्ट का कोई हिस्सा जिंदा बच जाए तो मुझसे बिल्कुल बर्दास्त नही होता. तुम दोनो को अब तडपा-तडपा कर मारूँगा. इस बार एक खौफनाक पैंटिंग बनाओन्गा तुम दोनो की. अभी मैं किसी और की पैंटिंग बनाने के मूड में हूँ. जल्द मिलेंगे.”
“कर्नल साहिब अब आप अपनी चिंता कीजिए. क्योंकि पैंटिंग अब मैं बनाओन्गा आपकी.” गौरव ने कहा.
फोन तुरंत कट गया.साइको ने आगे कुछ नही कहा.
“अंधेरे में तीर छोड़ा था. लगता है निशाने पर लगा है. देवेंदर सिंग अब तुम्हारी खैर नही.” गौरव ने कहा.
गौरव ने तुरंत थाने में फोन लगाया. फोन भोलू ने उठाया.
“भोलू जल्दी से 10-12 लोगो की पार्टी तैयार करो हमें तुरंत एक ऑपरेशन पर निकलना है. मैं वही आ रहा हूँ. ” गौरव ने कहा
गौरव ने एक बार फिर से चेक किया अंकिता के बारे में. वो अभी भी सोई हुई थी.
“मेडम से बाद में मिलूँगा. आज ये साइको नही बचेगा.”