02-01-2020, 06:03 PM
Update 93
“क्यों भाई आशुतोष कैसा चल रहा है तेरा लव अफेर.” सौरभ ने पूछा.
“अच्छा चल रहा है गुरु. कल रात अपर्णा जी ने इज़हार भी कर दिया अपने प्यार का.”
“क्या… ऐसा कैसे हो गया. अपर्णा ने इज़हार कर दिया…इंपॉसिबल.”
“गुरु दिल में प्यार सच्चा हो तो कुछ भी हो सकता है.”
“तुमने तो मूत दिया था उसके सामने, वो तुमसे प्यार कैसे कर सकती है.”
“गुरु मैं तुम्हे यही गिरा दूँगा. वो मेरी मेडिकल प्रॉब्लम है तुम जानते हो…फिर भी…”
“हां जानता हूँ आशु …मज़ाक कर रहा था. अपर्णा जी कि पप्पी ली कि नही”
“गुरु कैसी बात करते हो. मुस्कलिल से तो इज़हार किया है उन्होने. इतनी जल्दी पप्पी कहाँ से हो जाएगी. अभी तो ठीक से बात भी नही होती है.”
“भाई…प्यार में पप्पी नही ली तो क्या किया. मैने तो बड़ी जल्दी ले ली थी. प्यार बढ़ता है इन बातों से.”
“ऐसा है क्या …”
“और नही तो क्या. एक किस कई गुना गहराई देती है प्यार को.”
“पर अपर्णा जी लगता नही कि पप्पी देंगी अभी. तुम कही ग़लत सलाह तो नही दे रहे गुरु.”
“नही बिल्कुल सही सलाह दे रहा हूँ. मैं क्या तुम्हारा दुश्मन हूँ. आज ही पकड़ कर एक पप्पी ले लेना अपर्णा जी कि फिर देखना तुम दोनो का प्यार और भी महक उठेगा.”
“ह्म्म सोचूँगा इस बारे में.” आशुतोष ने कहा. उसके चेहरे पर मध्यम सी मुस्कान थी. शायद होने वाले चुंबन को सोच कर मुस्कुरा रहा था.
आशुतोष, अपर्णा को चुंबन करने के ख्याल से मुस्कुरा तो रहा था मगर उसका दिल बेचैन भी था इस ख्याल से कि क्या ये मुमकिन है अभी.
"गुरु तुम्हे नही लगता कि ये जल्दबाज़ी हो जाएगी...मतलब इतनी जल्दी किस...कुछ अजीब लग रहा है मुझे." आशुतोष ने कहा.
"आशुतोष तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे कि किसी लड़की के नज़दीक गये ही नही कभी.इतना एक्सपीरियेन्स होने के बावजूद कितना घबरा रहे हो एक किस करने से" सौरभ ने कहा.
"गुरु जिनके साथ मेरे संबंध रहे उनसे किसी से प्यार नही था. बस एक कामुक खेल,खेल कर अलग हो जाता था मैं. किस तो नाम मात्र को ही की एक-दो बार. इसलिए किस के बारे में ज़्यादा नही पता मुझे."
"एग्ज़ॅक्ट्ली उनके साथ किस नही हुई क्योंकि प्यार नही था. मगर प्यार में अपने दिल की गहराई को देखने का किस ही सबसे अच्छा अवसर प्रदान करती है. प्यार को मजबूती देती है किस. मेरी बात मान जल्दी से एक गरमा गरम पप्पी करके इस प्यार को मजबूत करले."
"तुम मरवा मत देना मुझे कही, बड़ी मुश्किल से इज़हार किया है अपर्णा जी ने."
"अरे कुछ नही होगा. तुम तो जानते ही हो कि पूजा भी अपर्णा से कम नही है. बहुत झिजक्ति थी प्यार भरी बाते करने से. जब से एक चुंबन लिया है उसका तब से सब ठीक चल रहा है.”
“बहुत बढ़िया गुरु तुम तो छा गये.मगर पता नही क्यों मुझे डर लगता है अपर्णा जी से”
“तुझे ये डर भगाना होगा आशुतोष. नही तो बस एक मूतने वाले लड़के की छवि बनी रहेगी अपर्णा की नज़रो में तुम्हारी. किस प्यार की ज़रूरत है. प्यार को नया आयाम देती है और मजबूती परदान करती है.”
“अच्छा.”
“हां. और हां जब किस कर लेगा तो मुझे फोन करके बताना कि कैसा रहा सब” सौरभ ने कहा.
"तुम्हे क्यों बताउन्गा मैं अपनी प्राइवेट बात. अपर्णा जी के बारे में कुछ डिस्कस नही करूँगा मैं, सुन लो कान खोल कर. शी इस वेरी प्रेशियस फॉर मी." आशुतोष ने कहा.
"अरे मत करना डिस्कस बाबा. बस अपनी पहली किस के बाद का अनुभव बता देना हिहीही."
"तुम हंस रहे हो...इसका मतलब मुझे फसाना चाहते हो."
"तेरा भला चाहता हूँ मैं और कुछ नही. बाकी तेरी मर्ज़ी अब और कुछ नही कहूँगा." सौरभ ने कहा.
"गुरु बुरा मत मानो, मैं बस अपर्णा जी के लिए बहुत सेन्सिटिव हूँ." आशुतोष ने कहा.
"नही आशुतोष बुरा क्यों मानूँगा. मुझे पता है कि तुम उसके लिए सेन्सिटिव हो." सौरभ ने कहा.
"शायद गुरु ठीक कह रहा है. पर अपर्णा जी से डर लगता है.वो पप्पी तो दूर की बात है, अभी हाथ भी नही पकड़ने देंगी." आशुतोष ने मन ही मन सोचा.
देहरादून आकर वो सब गौरव मेहरा के मर्डर की जगह पर भी गये. मगर वहाँ भी उन्हे कोई शुराग नही मिला.
वहां से गौरव हॉस्पिटल के लिए निकल गया. और आशुतोष सौरभ को उसके घर ड्रॉप करके अपर्णा के घर की तरफ चल दिया.
..............................
“क्यों भाई आशुतोष कैसा चल रहा है तेरा लव अफेर.” सौरभ ने पूछा.
“अच्छा चल रहा है गुरु. कल रात अपर्णा जी ने इज़हार भी कर दिया अपने प्यार का.”
“क्या… ऐसा कैसे हो गया. अपर्णा ने इज़हार कर दिया…इंपॉसिबल.”
“गुरु दिल में प्यार सच्चा हो तो कुछ भी हो सकता है.”
“तुमने तो मूत दिया था उसके सामने, वो तुमसे प्यार कैसे कर सकती है.”
“गुरु मैं तुम्हे यही गिरा दूँगा. वो मेरी मेडिकल प्रॉब्लम है तुम जानते हो…फिर भी…”
“हां जानता हूँ आशु …मज़ाक कर रहा था. अपर्णा जी कि पप्पी ली कि नही”
“गुरु कैसी बात करते हो. मुस्कलिल से तो इज़हार किया है उन्होने. इतनी जल्दी पप्पी कहाँ से हो जाएगी. अभी तो ठीक से बात भी नही होती है.”
“भाई…प्यार में पप्पी नही ली तो क्या किया. मैने तो बड़ी जल्दी ले ली थी. प्यार बढ़ता है इन बातों से.”
“ऐसा है क्या …”
“और नही तो क्या. एक किस कई गुना गहराई देती है प्यार को.”
“पर अपर्णा जी लगता नही कि पप्पी देंगी अभी. तुम कही ग़लत सलाह तो नही दे रहे गुरु.”
“नही बिल्कुल सही सलाह दे रहा हूँ. मैं क्या तुम्हारा दुश्मन हूँ. आज ही पकड़ कर एक पप्पी ले लेना अपर्णा जी कि फिर देखना तुम दोनो का प्यार और भी महक उठेगा.”
“ह्म्म सोचूँगा इस बारे में.” आशुतोष ने कहा. उसके चेहरे पर मध्यम सी मुस्कान थी. शायद होने वाले चुंबन को सोच कर मुस्कुरा रहा था.
आशुतोष, अपर्णा को चुंबन करने के ख्याल से मुस्कुरा तो रहा था मगर उसका दिल बेचैन भी था इस ख्याल से कि क्या ये मुमकिन है अभी.
"गुरु तुम्हे नही लगता कि ये जल्दबाज़ी हो जाएगी...मतलब इतनी जल्दी किस...कुछ अजीब लग रहा है मुझे." आशुतोष ने कहा.
"आशुतोष तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे कि किसी लड़की के नज़दीक गये ही नही कभी.इतना एक्सपीरियेन्स होने के बावजूद कितना घबरा रहे हो एक किस करने से" सौरभ ने कहा.
"गुरु जिनके साथ मेरे संबंध रहे उनसे किसी से प्यार नही था. बस एक कामुक खेल,खेल कर अलग हो जाता था मैं. किस तो नाम मात्र को ही की एक-दो बार. इसलिए किस के बारे में ज़्यादा नही पता मुझे."
"एग्ज़ॅक्ट्ली उनके साथ किस नही हुई क्योंकि प्यार नही था. मगर प्यार में अपने दिल की गहराई को देखने का किस ही सबसे अच्छा अवसर प्रदान करती है. प्यार को मजबूती देती है किस. मेरी बात मान जल्दी से एक गरमा गरम पप्पी करके इस प्यार को मजबूत करले."
"तुम मरवा मत देना मुझे कही, बड़ी मुश्किल से इज़हार किया है अपर्णा जी ने."
"अरे कुछ नही होगा. तुम तो जानते ही हो कि पूजा भी अपर्णा से कम नही है. बहुत झिजक्ति थी प्यार भरी बाते करने से. जब से एक चुंबन लिया है उसका तब से सब ठीक चल रहा है.”
“बहुत बढ़िया गुरु तुम तो छा गये.मगर पता नही क्यों मुझे डर लगता है अपर्णा जी से”
“तुझे ये डर भगाना होगा आशुतोष. नही तो बस एक मूतने वाले लड़के की छवि बनी रहेगी अपर्णा की नज़रो में तुम्हारी. किस प्यार की ज़रूरत है. प्यार को नया आयाम देती है और मजबूती परदान करती है.”
“अच्छा.”
“हां. और हां जब किस कर लेगा तो मुझे फोन करके बताना कि कैसा रहा सब” सौरभ ने कहा.
"तुम्हे क्यों बताउन्गा मैं अपनी प्राइवेट बात. अपर्णा जी के बारे में कुछ डिस्कस नही करूँगा मैं, सुन लो कान खोल कर. शी इस वेरी प्रेशियस फॉर मी." आशुतोष ने कहा.
"अरे मत करना डिस्कस बाबा. बस अपनी पहली किस के बाद का अनुभव बता देना हिहीही."
"तुम हंस रहे हो...इसका मतलब मुझे फसाना चाहते हो."
"तेरा भला चाहता हूँ मैं और कुछ नही. बाकी तेरी मर्ज़ी अब और कुछ नही कहूँगा." सौरभ ने कहा.
"गुरु बुरा मत मानो, मैं बस अपर्णा जी के लिए बहुत सेन्सिटिव हूँ." आशुतोष ने कहा.
"नही आशुतोष बुरा क्यों मानूँगा. मुझे पता है कि तुम उसके लिए सेन्सिटिव हो." सौरभ ने कहा.
"शायद गुरु ठीक कह रहा है. पर अपर्णा जी से डर लगता है.वो पप्पी तो दूर की बात है, अभी हाथ भी नही पकड़ने देंगी." आशुतोष ने मन ही मन सोचा.
देहरादून आकर वो सब गौरव मेहरा के मर्डर की जगह पर भी गये. मगर वहाँ भी उन्हे कोई शुराग नही मिला.
वहां से गौरव हॉस्पिटल के लिए निकल गया. और आशुतोष सौरभ को उसके घर ड्रॉप करके अपर्णा के घर की तरफ चल दिया.
..............................