02-01-2020, 06:01 PM
गौरव, आशुतोष और सौरभ के साथ उस जगह पहुँच गया जहाँ पर साइको ने अंकिता को पेड़ से लटका रखा था. साथ में 6 कॉन्स्टेबल्स भी थे.
“हर तरफ देखो….कुछ ना कुछ ज़रूर मिलेगा यहा.” गौरव ने कहा.
उस पेड़ के आस-पास बहुत बारीकी से देखा गया मगर ऐसा कुछ नही मिला जिस से की साइको का कुछ शुराग मिले.
“बहुत ही शातिर है ये साइको सर. यहा कुछ भी ऐसा नही छोड़ा उसने जिस से कि उस तक पहुँचा जा सके.”
“पैटिंग कर रहा था वो यहा खड़े हो कर. पैंटिंग का शौक रखता है वो.” गौरव ने कहा.
“हां सर मैने भी ये नोट किया. गौरव मेहरा को मारते वक्त वो किसी आर्ट की बात कर रहा था. बहुत ही ज़्यादा सनकी किलर है ये.”
“अगर सनकी ना होता तो ये सब काम क्यों करता. अजीब बात तो ये है कि यहाँ पर उसके जुतो के निशान तक नही हैं. सिर्फ़ मेरे जुतो के निशान नज़र आ रहे हैं यहा. हर निशान मिटा गया वो अपना यहाँ.” गौरव ने कहा.
“सर मगर फिर भी अपनी हर्कतो से एक सबूत तो वो छोड़ ही गया है.” आशुतोष ने कहा.
“कौन सा सबूत जल्दी बताओ.” गौरव ने कहा.
“पैंटिंग का शौक रखता है वो. अगर हम साइको को पकड़ना चाहते हैं तो हमें तलाश करनी चाहिए एक ऐसे पेंटर की जो कि बहुत ही अजीबो ग़रीब मौत की पैंटिंग बनाता हो.” आशुतोष ने कहा.
“एक आदमी पर शक है मुझे. वो है कर्नल देवेंदर सिंग.तीन बातें उसे शक के दायरे में लाती हैं.
फर्स्ट्ली, उसके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है.
सेकंड्ली, उसे पैंटिंग का शौक है.
थर्ड्ली, उसके घर में बहुत अजीब पैंटिंग है.
जैसी पैंटिंग मैने उसके घर में देखी वैसी पैंटिंग कोई सनकी साइको ही बना सकता है. एक जंगल के बीच एक घोड़ा खड़ा था और उसकी पीठ पर आदमी का कटा हुआ सर रखा था.”
“अगर ऐसा है तो अभी जाकर एनकाउंटर कर देते हैं साले का सर. ऐसे लोगो को जीने का कोई हक़ नही है.” आशुतोष ने कहा.
“मारना तो उसे है ही आशुतोष. उसे हवालात में नही ले जाएँगे हम.उसे हवालात ले गये तो वो क़ानूनी दाँव पेच का सहारा लेकर बच सकता है. लेकिन पहले पूरा यकीन कर लें हम कि साइको कौन है…फिर इतमीनान से गोली मारेंगे साले को.”
“नही सर इतनी आसान मौत नही देनी चाहिए उसे. उसके साथ भी गेम खेली जानी चाहिए और उसकी मौत की भी पैंटिंग बन-नी चाहिए.” सौरभ ने कहा.
“हां गुरु सही कह रहे हो.”
“देखेंगे वो भी पहले ये पक्का कर लें कि ये साइको है कौन.”
“सर इस कर्नल पर कड़ी नज़र रखनी होगी हमें.” आशुतोष ने कहा.
“मैने लगा रखे हैं कुछ लोग इस काम पर.”
“सर अगर आप बुरा ना मानें तो मुझे भी इन्वॉल्व कर लीजिए. मैं भी नज़र रखना चाहता हूँ इस कर्नल पर. सारी शक की शुई उसकी तरफ ही इशारा करती हैं.”
“बिल्कुल करो जो करना है. खुली छूट है तुम्हे. मगर एक सस्पेक्ट और है, उसका नाम संजय है.”
“कोई बात नही मैं उस पर भी नज़र रख लूँगा. उस पर शक का क्या कारण है.” सौरभ ने कहा.
“वो भी ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. और 2-3 दिन से गायब है.” गौरव ने कहा.
“ह्म्म…ठीक है दोनो का अड्रेस दे दो मुझे. मैं आज से ही इस काम पर लग जाउन्गा.”
“आशुतोष तुम फिलहाल अपर्णा के घर ही रहो. मेडम को होश आ गया होगा तो उनसे तुम्हारी ड्यूटी चेंज करने के बारे में कहूँगा.” गौरव ने कहा.
“नही सर अब चेंज नही चाहिए. मैं वही रहना चाहता हूँ.”
“आर यू शुवर.” गौरव ने पूछा.
“हां सर शुवर.”
गौरव अपनी जीप में बैठ गया और आशुतोष और सौरभ एक साथ एक जीप में बैठ गये और चल दिए वापिस देहरादून की तरफ.
“हर तरफ देखो….कुछ ना कुछ ज़रूर मिलेगा यहा.” गौरव ने कहा.
उस पेड़ के आस-पास बहुत बारीकी से देखा गया मगर ऐसा कुछ नही मिला जिस से की साइको का कुछ शुराग मिले.
“बहुत ही शातिर है ये साइको सर. यहा कुछ भी ऐसा नही छोड़ा उसने जिस से कि उस तक पहुँचा जा सके.”
“पैटिंग कर रहा था वो यहा खड़े हो कर. पैंटिंग का शौक रखता है वो.” गौरव ने कहा.
“हां सर मैने भी ये नोट किया. गौरव मेहरा को मारते वक्त वो किसी आर्ट की बात कर रहा था. बहुत ही ज़्यादा सनकी किलर है ये.”
“अगर सनकी ना होता तो ये सब काम क्यों करता. अजीब बात तो ये है कि यहाँ पर उसके जुतो के निशान तक नही हैं. सिर्फ़ मेरे जुतो के निशान नज़र आ रहे हैं यहा. हर निशान मिटा गया वो अपना यहाँ.” गौरव ने कहा.
“सर मगर फिर भी अपनी हर्कतो से एक सबूत तो वो छोड़ ही गया है.” आशुतोष ने कहा.
“कौन सा सबूत जल्दी बताओ.” गौरव ने कहा.
“पैंटिंग का शौक रखता है वो. अगर हम साइको को पकड़ना चाहते हैं तो हमें तलाश करनी चाहिए एक ऐसे पेंटर की जो कि बहुत ही अजीबो ग़रीब मौत की पैंटिंग बनाता हो.” आशुतोष ने कहा.
“एक आदमी पर शक है मुझे. वो है कर्नल देवेंदर सिंग.तीन बातें उसे शक के दायरे में लाती हैं.
फर्स्ट्ली, उसके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है.
सेकंड्ली, उसे पैंटिंग का शौक है.
थर्ड्ली, उसके घर में बहुत अजीब पैंटिंग है.
जैसी पैंटिंग मैने उसके घर में देखी वैसी पैंटिंग कोई सनकी साइको ही बना सकता है. एक जंगल के बीच एक घोड़ा खड़ा था और उसकी पीठ पर आदमी का कटा हुआ सर रखा था.”
“अगर ऐसा है तो अभी जाकर एनकाउंटर कर देते हैं साले का सर. ऐसे लोगो को जीने का कोई हक़ नही है.” आशुतोष ने कहा.
“मारना तो उसे है ही आशुतोष. उसे हवालात में नही ले जाएँगे हम.उसे हवालात ले गये तो वो क़ानूनी दाँव पेच का सहारा लेकर बच सकता है. लेकिन पहले पूरा यकीन कर लें हम कि साइको कौन है…फिर इतमीनान से गोली मारेंगे साले को.”
“नही सर इतनी आसान मौत नही देनी चाहिए उसे. उसके साथ भी गेम खेली जानी चाहिए और उसकी मौत की भी पैंटिंग बन-नी चाहिए.” सौरभ ने कहा.
“हां गुरु सही कह रहे हो.”
“देखेंगे वो भी पहले ये पक्का कर लें कि ये साइको है कौन.”
“सर इस कर्नल पर कड़ी नज़र रखनी होगी हमें.” आशुतोष ने कहा.
“मैने लगा रखे हैं कुछ लोग इस काम पर.”
“सर अगर आप बुरा ना मानें तो मुझे भी इन्वॉल्व कर लीजिए. मैं भी नज़र रखना चाहता हूँ इस कर्नल पर. सारी शक की शुई उसकी तरफ ही इशारा करती हैं.”
“बिल्कुल करो जो करना है. खुली छूट है तुम्हे. मगर एक सस्पेक्ट और है, उसका नाम संजय है.”
“कोई बात नही मैं उस पर भी नज़र रख लूँगा. उस पर शक का क्या कारण है.” सौरभ ने कहा.
“वो भी ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. और 2-3 दिन से गायब है.” गौरव ने कहा.
“ह्म्म…ठीक है दोनो का अड्रेस दे दो मुझे. मैं आज से ही इस काम पर लग जाउन्गा.”
“आशुतोष तुम फिलहाल अपर्णा के घर ही रहो. मेडम को होश आ गया होगा तो उनसे तुम्हारी ड्यूटी चेंज करने के बारे में कहूँगा.” गौरव ने कहा.
“नही सर अब चेंज नही चाहिए. मैं वही रहना चाहता हूँ.”
“आर यू शुवर.” गौरव ने पूछा.
“हां सर शुवर.”
गौरव अपनी जीप में बैठ गया और आशुतोष और सौरभ एक साथ एक जीप में बैठ गये और चल दिए वापिस देहरादून की तरफ.