02-01-2020, 05:54 PM
हॉस्पिटल में रात के 12 बजे एसपी साहिब गौरव और अंकिता को देखने आए. अंकिता आइक्यू में थी इसलिए वो गौरव के कमरे में चले गये.
“हाउ आर नाओ गौरव. देखा, इसलिए कहता था कि कुछ करो इस साइको का. देखो पोलीस ऑफिसर्स को ही विक्टिम बना दिया कमिने ने.” एसपी ने कहा.
“सर जॉब ही हो सकता था कर रहे हैं हम. मगर ये साइको बहुत शातिर है.” गौरव ने कहा.
“हर मुजरिम कोई ना कोई शुराग छोड़ जाता है पीछे. उस शुराग को ढुंढ़ो. मुझे अच्छा लगा कि तुम दोनो बच गये.”
“मेडम को होश आना बाकी है सर. सुबह तक होश आने की उम्मीद है. और सर साइको ने गौरव मेहरा को मार दिया.”
“हां पता लगा मुझे. इस साइको ने तो हद कर दी है. मेरी नौकरी ख़तरे में है अब. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ. या फिर हो सकता है कि ट्रान्स्फर हो जाए मेरा. तुम इस साइको को छोड़ना मत. हर हाल में उसे गिरफ्तार करना.”
“थॅंक यू सर. आपका सपोर्ट है तो हम कुछ भी कर जाएँगे.” गौरव ने कहा.
गौरव एसपी के जाने के बाद गहरे विचारों में खो गया.
“गौरव मेहरा पर शक था, पर अब वो भी मारा गया. अब सिर्फ़ दो ही सस्पेक्ट बचे हैं,कर्नल देवेंदर सिंग और संजय. दोनो का ही कही आता पता नही. हॉस्पिटल से निकलूं पहले फिर देखूँगा कि क्या करना है.डॉक्टर ने तो एक हफ्ते का रेस्ट लिख दिया है. मगर मैं एक-दो दिन से ज़्यादा अफोर्ड नही कर सकता.”
गौरव को कुछ सूझा और उसने आशुतोष को फोन मिलाया, “हेलो आशुतोष एक काम और करना होगा तुम्हे.”
“हां बोलिए सिर..क्या करना है.” आशुतोष ने कहा.
“तुम सुबह हॉस्पिटल आ जाना हमें उस जगह जाना है जहा पर साइको ने हमारे साथ ये सब किया…हो सकता है कि कुछ शुराग मिल जाए वहाँ.फिर बाद में जहा पर गौरव मेहरा का मर्डर हुआ है वहाँ भी जाना है. अपने दोस्त सौरभ को भी साथ ले आना क्योंकि वो चसम्दीद गवाह था गौरव की मौत का. मुझे उम्मीद है कि कुछ ना कुछ शुराग ज़रूर मिलेगा हमें.”
“ओके सर मैं पहुँच जाउन्गा सुबह…किस टाइम आउ सर.”
“7 बजे आ जाना.”
“राइट सर.”
“हाउ आर नाओ गौरव. देखा, इसलिए कहता था कि कुछ करो इस साइको का. देखो पोलीस ऑफिसर्स को ही विक्टिम बना दिया कमिने ने.” एसपी ने कहा.
“सर जॉब ही हो सकता था कर रहे हैं हम. मगर ये साइको बहुत शातिर है.” गौरव ने कहा.
“हर मुजरिम कोई ना कोई शुराग छोड़ जाता है पीछे. उस शुराग को ढुंढ़ो. मुझे अच्छा लगा कि तुम दोनो बच गये.”
“मेडम को होश आना बाकी है सर. सुबह तक होश आने की उम्मीद है. और सर साइको ने गौरव मेहरा को मार दिया.”
“हां पता लगा मुझे. इस साइको ने तो हद कर दी है. मेरी नौकरी ख़तरे में है अब. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ. या फिर हो सकता है कि ट्रान्स्फर हो जाए मेरा. तुम इस साइको को छोड़ना मत. हर हाल में उसे गिरफ्तार करना.”
“थॅंक यू सर. आपका सपोर्ट है तो हम कुछ भी कर जाएँगे.” गौरव ने कहा.
गौरव एसपी के जाने के बाद गहरे विचारों में खो गया.
“गौरव मेहरा पर शक था, पर अब वो भी मारा गया. अब सिर्फ़ दो ही सस्पेक्ट बचे हैं,कर्नल देवेंदर सिंग और संजय. दोनो का ही कही आता पता नही. हॉस्पिटल से निकलूं पहले फिर देखूँगा कि क्या करना है.डॉक्टर ने तो एक हफ्ते का रेस्ट लिख दिया है. मगर मैं एक-दो दिन से ज़्यादा अफोर्ड नही कर सकता.”
गौरव को कुछ सूझा और उसने आशुतोष को फोन मिलाया, “हेलो आशुतोष एक काम और करना होगा तुम्हे.”
“हां बोलिए सिर..क्या करना है.” आशुतोष ने कहा.
“तुम सुबह हॉस्पिटल आ जाना हमें उस जगह जाना है जहा पर साइको ने हमारे साथ ये सब किया…हो सकता है कि कुछ शुराग मिल जाए वहाँ.फिर बाद में जहा पर गौरव मेहरा का मर्डर हुआ है वहाँ भी जाना है. अपने दोस्त सौरभ को भी साथ ले आना क्योंकि वो चसम्दीद गवाह था गौरव की मौत का. मुझे उम्मीद है कि कुछ ना कुछ शुराग ज़रूर मिलेगा हमें.”
“ओके सर मैं पहुँच जाउन्गा सुबह…किस टाइम आउ सर.”
“7 बजे आ जाना.”
“राइट सर.”