02-01-2020, 05:34 PM
सौरभ ब्लॅक स्कॉर्पियो से कुछ दूरी बनाए हुआ था. मगर उसने गाड़ी का नंबर देख लिया, “कार तो ये गौरव मेहरा की है. चलो देखता हूँ आज कहाँ जा रहा है ये.”
कार एक घर के आगे आकर रुकी. कार में से गौरव मेहरा उतरा और घर में घुस गया. सौरभ ने कुछ दूरी पर बायक रोक दी और अपना कॅमरा लेकर दबे पाँव घर की तरफ बढ़ा. अंधेरा घिर आया था इसलिए सौरभ का काम थोड़ा आसान हो गया था.
सौरभ घर की खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया. खिड़की में पर्दे टँगे थे. सौरभ ने पर्दे को हल्का सा हाथ से हटाया और अंदर झाँक कर देखा. अंदर गौरव एक लड़की के सामने खड़ा था. लड़की देखने में सुंदर लग रही थी.
“स्वेता कितने फोन किए तुम्हे…तुम्हे मेरे साथ काम करना है या नही.”
“काम करना है सर…मेरी तबीयत खराब थी कुछ दिन से.”
“तो साली इनफॉर्म क्या तेरा बाप करेगा. इतनी सॅलरी देता हूँ तुझे. ये घर भी खरीद कर दिया तुझे..फिर भी मेरी कदर नही है तुम्हे.”
“सर आपने जो कुछ मेरे साथ किया अपनी बीवी के सामने वो ठीक नही था. मुझे रंडी और पता नही क्या-क्या कहा आपने.”
“मेरा मूड ठीक नही था उस दिन. वो साला दो कौड़ी का पोलीस वाला मुझे घर से घसीट कर ले गया था. दिमाग़ खराब हो गया था मेरा.”
“सर आपको मैने अपना सब कुछ दिया…और आप ऐसा बर्ताव करते हैं मेरे साथ.”
“चल ठीक है…आगे से ध्यान रखूँगा. आज बहुत मन कर रहा है तेरी लेने का…चल मस्ती करते हैं.”
“वो तो ठीक है पर आप प्लीज़ मुझे दुबारा रंडी मत कहना.”
“अरे ठीक है…बोला ना गुस्से में था उस दिन. चल लंड निकाल बाहर और चूसना शुरू कर. जिस तरह से तू चूस्ति है लंड मेरा आज तक किसी ने नही चूसा. तभी अपनी बीवी को दिखा रहा था हहहे.”
“पर क्या बीती होगी उन पर. आपको ऐसा नही करना चाहिए था.” स्वेता ने कहा.
“चल छोड़ ना ये सब जल्दी से लंड निकाल कर डाल ले इन खूबसूरत होंटो के बीच.”
स्वेता ने गौरव की ज़िप खोल कर उसके लिंग को बाहर निकाला और प्यार से चूसने लगी.
“गुड वेरी गुड..इसी काम की सॅलरी देता हूँ मैं तुम्हे…हाहहाहा.”
स्वेता चुपचाप सकिंग करती रही. सौरभ ने चुपचाप चतुराई से उनकी फोटो ले ली. “ये फोटो दीपिका के काम आएगी.”
स्वेता का मुँह दुखने लगा सकिंग करते करते पर गौरव फिर भी चूस्वाता रहा.
“सर कुछ और नही करेंगे क्या…मुँह दुखने लगा है.”
“ऐसा करता हूँ आज तेरी गांद लेता हूँ. तेरी अब तक गांद नही ली ना मैने.”
“सर नही…वो रहने दीजिए.”
“क्यों रहने दूं..चल कपड़े उतार और झुक जा…इस बार बोनस दूँगा तुझे, तू गांद में लेकर तो देख. हाहाहा”
“सर प्लीज़..”
कार एक घर के आगे आकर रुकी. कार में से गौरव मेहरा उतरा और घर में घुस गया. सौरभ ने कुछ दूरी पर बायक रोक दी और अपना कॅमरा लेकर दबे पाँव घर की तरफ बढ़ा. अंधेरा घिर आया था इसलिए सौरभ का काम थोड़ा आसान हो गया था.
सौरभ घर की खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया. खिड़की में पर्दे टँगे थे. सौरभ ने पर्दे को हल्का सा हाथ से हटाया और अंदर झाँक कर देखा. अंदर गौरव एक लड़की के सामने खड़ा था. लड़की देखने में सुंदर लग रही थी.
“स्वेता कितने फोन किए तुम्हे…तुम्हे मेरे साथ काम करना है या नही.”
“काम करना है सर…मेरी तबीयत खराब थी कुछ दिन से.”
“तो साली इनफॉर्म क्या तेरा बाप करेगा. इतनी सॅलरी देता हूँ तुझे. ये घर भी खरीद कर दिया तुझे..फिर भी मेरी कदर नही है तुम्हे.”
“सर आपने जो कुछ मेरे साथ किया अपनी बीवी के सामने वो ठीक नही था. मुझे रंडी और पता नही क्या-क्या कहा आपने.”
“मेरा मूड ठीक नही था उस दिन. वो साला दो कौड़ी का पोलीस वाला मुझे घर से घसीट कर ले गया था. दिमाग़ खराब हो गया था मेरा.”
“सर आपको मैने अपना सब कुछ दिया…और आप ऐसा बर्ताव करते हैं मेरे साथ.”
“चल ठीक है…आगे से ध्यान रखूँगा. आज बहुत मन कर रहा है तेरी लेने का…चल मस्ती करते हैं.”
“वो तो ठीक है पर आप प्लीज़ मुझे दुबारा रंडी मत कहना.”
“अरे ठीक है…बोला ना गुस्से में था उस दिन. चल लंड निकाल बाहर और चूसना शुरू कर. जिस तरह से तू चूस्ति है लंड मेरा आज तक किसी ने नही चूसा. तभी अपनी बीवी को दिखा रहा था हहहे.”
“पर क्या बीती होगी उन पर. आपको ऐसा नही करना चाहिए था.” स्वेता ने कहा.
“चल छोड़ ना ये सब जल्दी से लंड निकाल कर डाल ले इन खूबसूरत होंटो के बीच.”
स्वेता ने गौरव की ज़िप खोल कर उसके लिंग को बाहर निकाला और प्यार से चूसने लगी.
“गुड वेरी गुड..इसी काम की सॅलरी देता हूँ मैं तुम्हे…हाहहाहा.”
स्वेता चुपचाप सकिंग करती रही. सौरभ ने चुपचाप चतुराई से उनकी फोटो ले ली. “ये फोटो दीपिका के काम आएगी.”
स्वेता का मुँह दुखने लगा सकिंग करते करते पर गौरव फिर भी चूस्वाता रहा.
“सर कुछ और नही करेंगे क्या…मुँह दुखने लगा है.”
“ऐसा करता हूँ आज तेरी गांद लेता हूँ. तेरी अब तक गांद नही ली ना मैने.”
“सर नही…वो रहने दीजिए.”
“क्यों रहने दूं..चल कपड़े उतार और झुक जा…इस बार बोनस दूँगा तुझे, तू गांद में लेकर तो देख. हाहाहा”
“सर प्लीज़..”