02-01-2020, 05:31 PM
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आशुतोष जब वापिस अपर्णा के घर पहुँचा तो अपर्णा अपने रूम की खिड़की में ही खड़ी थी और बाहर झाँक रही थी. आशुतोष को देखते ही उसने परदा गिरा दिया.
“ये लो हो गया इनका नाटक शुरू. समझ गया हूँ मैं आपको. दिमाग़ खराब था मेरा जो आपसे प्यार कर बैठा. मुझे देखते ही परदा गिरा दिया…क्या इतनी बुरी शक्ल है मेरी. बस अब बहुत हो गया आपसे कोई बात नही करूँगा मैं.” आशुतोष चुपचाप आँखे बंद करके जीप में बैठ गया.
आशुतोष ने ध्यान ही नही दिया की अपर्णा घर का दरवाजा खोल कर खड़ी है.उसे देखते ही वो नीचे आ गयी थी. “कहा तो था कि शाम को बात करेंगे. चुपचाप आँखे बंद करके बैठ गया है. ये समझता क्या है खुद को. मुझे कोई बात नही करनी इस से.” दरवाजा पटक दिया ज़ोर से अपर्णा ने और कुण्डी लगा ली.
दरवाजे की आवाज़ से आशुतोष ने तुरंत आँख खोल कर देखा, “ये कैसी आवाज़ थी” आशुतोष ने गन्मन से पूछा.
“दरवाजा बंद होने की आवाज़ थी सर. शायद घर के अंदर से आई थी.”
“ह्म्म…ठीक है तुम सतर्क रहो.” आशुतोष ने कहा.
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आशुतोष जब वापिस अपर्णा के घर पहुँचा तो अपर्णा अपने रूम की खिड़की में ही खड़ी थी और बाहर झाँक रही थी. आशुतोष को देखते ही उसने परदा गिरा दिया.
“ये लो हो गया इनका नाटक शुरू. समझ गया हूँ मैं आपको. दिमाग़ खराब था मेरा जो आपसे प्यार कर बैठा. मुझे देखते ही परदा गिरा दिया…क्या इतनी बुरी शक्ल है मेरी. बस अब बहुत हो गया आपसे कोई बात नही करूँगा मैं.” आशुतोष चुपचाप आँखे बंद करके जीप में बैठ गया.
आशुतोष ने ध्यान ही नही दिया की अपर्णा घर का दरवाजा खोल कर खड़ी है.उसे देखते ही वो नीचे आ गयी थी. “कहा तो था कि शाम को बात करेंगे. चुपचाप आँखे बंद करके बैठ गया है. ये समझता क्या है खुद को. मुझे कोई बात नही करनी इस से.” दरवाजा पटक दिया ज़ोर से अपर्णा ने और कुण्डी लगा ली.
दरवाजे की आवाज़ से आशुतोष ने तुरंत आँख खोल कर देखा, “ये कैसी आवाज़ थी” आशुतोष ने गन्मन से पूछा.
“दरवाजा बंद होने की आवाज़ थी सर. शायद घर के अंदर से आई थी.”
“ह्म्म…ठीक है तुम सतर्क रहो.” आशुतोष ने कहा.
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