02-01-2020, 04:34 PM
Update 90
शाम के वक्त सौरभ पूजा के कॉलेज के बाहर खड़ा उसका वेट कर रहा था. कॉलेज में कोई फंक्षन चल रहा था इसलिए पूजा देर तक कॉलेज में थी. वो बाहर आई तो सौरभ झूम उठा उसे देखते ही.
“बहुत प्यारी लग रही हो पूजा…क्यों इतने सितम ढा रही हो मुझ पर.”
“अच्छा…झुटे कही के. सुबह भी तुम यही सब कह रहे थे.”
“अब क्या करूँ तुम्हे देखते ही मुँह से तुम्हारे लिए प्रसंसा खुद-ब-खुद निकल जाती है.” सौरभ ने कहा.
“सौरभ मन कर रहा था कि कही बैठ कर बाते करते पर लेट हो गयी हूँ.” पूजा ने कहा.
“आओ बैठ जाओ, प्यार के कुछ मीठे पल तो हम निकाल ही लेंगे.” सौरभ ने कहा.
पूजा हंसते हुए बैठ गयी सौरभ की बायक पर और वो उसके बैठते ही बायक को उड़ा ले चला.
“पूजा एक किस हो जाए आज. देखो कितनी हसीन शाम है. ऐसा मोका रोज नही आता.”
“मैं बाते करना चाहती थी और तुम्हे किस की पड़ी है. ये बताओ हमारा क्या होगा. कब बात करोगे बापू से.”
“तुम कहती हो तो आज ही कर लेता हूँ. मैं सोच रहा था कि तुम पहले कॉलेज फीनिस कर लो फिर आराम से शादी करेंगे.”
“तो किस की इतनी जल्दी क्यों पड़ गयी आपको. शादी तक इंतेज़ार नही कर सकते क्या.”
सौरभ ने तुरंत बिके सड़क किनारे रोक दी. सड़क एक दम सुनसान थी. बिके से उतार गया वो. पूजा भी उतार गयी.
“क्या हुआ सौरभ…इस सुनसान सड़क पर बायक क्यों रोक दी.” पूजा ने पूछा.
सौरभ ने बिना कुछ कहे पूजा के चेहरे को जाकड़ लिया और अपने होठ टिका दिए उसके होंटो पर. पूरे 2 मिनिट बाद छोड़ा उसने पूजा के होंटो को.
“शादी तक इंतेज़ार नही कर सकता. किस तो एक प्रेमी का फंडमेंटल राइट है. ये तुम मुझसे नही छीन सकती.”
“फंडमेंटल राइट के साथ फंडमेंटल ड्यूटी भी याद रखना.मुझे कभी अकेला मत छोड़ देना..जी नही पाउन्गि. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हे.”
“जानता हूँ…बेफिकर रहो तुम. तुम्हे तो मैं पॅल्को पर बैठा कर रखूँगा.”
“हहेहहे…तुम्हारी पॅल्को पर कैसे बैठूँगी…वहाँ इतनी जगह नही है.”
“ठीक है कही और बैठ जाना, वहां जगह बहुत है…मगर बदले में कुछ काम भी करना होगा तुम्हे.”
“कैसा काम, और ये कौन सी जगह की बात हो रही है ..” पूजा ने कहा
“बस मेरे उपर बैठ कर उछालती रहना तुम, ऐसी जगह है ..” सौरभ ने कहा.
“जनाब चलिएगा कि नही या फिर सुहाने खवाब ही देखते रहेंगे इस सुनसान सड़क पर.” पूजा ने कहा.
“ओह हां सॉरी…चलते हैं. मैं तो बस अपनी पूजा की पप्पी लेने के लिए रुका था.”
“खबरदार जो दुबारा पप्पी की यू सड़क पर रोक कर. मुझे डर लगता है.”
“ठीक है आगे से बायक पर चलते चलते करूँगा… …”
“वो कैसे मुमकिन होगा …”
“सब कुछ मुमकिन है तुम बस पप्पी देने वाली बनो.”
“नही मिलेगी अब…दुबारा मत माँगना”
“ओफ अब तो दुबारा फिर लेनी पड़ेगी. तुम्हारी पप्पी लेने में बहुत मज़ा आता है.”
शाम के वक्त सौरभ पूजा के कॉलेज के बाहर खड़ा उसका वेट कर रहा था. कॉलेज में कोई फंक्षन चल रहा था इसलिए पूजा देर तक कॉलेज में थी. वो बाहर आई तो सौरभ झूम उठा उसे देखते ही.
“बहुत प्यारी लग रही हो पूजा…क्यों इतने सितम ढा रही हो मुझ पर.”
“अच्छा…झुटे कही के. सुबह भी तुम यही सब कह रहे थे.”
“अब क्या करूँ तुम्हे देखते ही मुँह से तुम्हारे लिए प्रसंसा खुद-ब-खुद निकल जाती है.” सौरभ ने कहा.
“सौरभ मन कर रहा था कि कही बैठ कर बाते करते पर लेट हो गयी हूँ.” पूजा ने कहा.
“आओ बैठ जाओ, प्यार के कुछ मीठे पल तो हम निकाल ही लेंगे.” सौरभ ने कहा.
पूजा हंसते हुए बैठ गयी सौरभ की बायक पर और वो उसके बैठते ही बायक को उड़ा ले चला.
“पूजा एक किस हो जाए आज. देखो कितनी हसीन शाम है. ऐसा मोका रोज नही आता.”
“मैं बाते करना चाहती थी और तुम्हे किस की पड़ी है. ये बताओ हमारा क्या होगा. कब बात करोगे बापू से.”
“तुम कहती हो तो आज ही कर लेता हूँ. मैं सोच रहा था कि तुम पहले कॉलेज फीनिस कर लो फिर आराम से शादी करेंगे.”
“तो किस की इतनी जल्दी क्यों पड़ गयी आपको. शादी तक इंतेज़ार नही कर सकते क्या.”
सौरभ ने तुरंत बिके सड़क किनारे रोक दी. सड़क एक दम सुनसान थी. बिके से उतार गया वो. पूजा भी उतार गयी.
“क्या हुआ सौरभ…इस सुनसान सड़क पर बायक क्यों रोक दी.” पूजा ने पूछा.
सौरभ ने बिना कुछ कहे पूजा के चेहरे को जाकड़ लिया और अपने होठ टिका दिए उसके होंटो पर. पूरे 2 मिनिट बाद छोड़ा उसने पूजा के होंटो को.
“शादी तक इंतेज़ार नही कर सकता. किस तो एक प्रेमी का फंडमेंटल राइट है. ये तुम मुझसे नही छीन सकती.”
“फंडमेंटल राइट के साथ फंडमेंटल ड्यूटी भी याद रखना.मुझे कभी अकेला मत छोड़ देना..जी नही पाउन्गि. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हे.”
“जानता हूँ…बेफिकर रहो तुम. तुम्हे तो मैं पॅल्को पर बैठा कर रखूँगा.”
“हहेहहे…तुम्हारी पॅल्को पर कैसे बैठूँगी…वहाँ इतनी जगह नही है.”
“ठीक है कही और बैठ जाना, वहां जगह बहुत है…मगर बदले में कुछ काम भी करना होगा तुम्हे.”
“कैसा काम, और ये कौन सी जगह की बात हो रही है ..” पूजा ने कहा
“बस मेरे उपर बैठ कर उछालती रहना तुम, ऐसी जगह है ..” सौरभ ने कहा.
“जनाब चलिएगा कि नही या फिर सुहाने खवाब ही देखते रहेंगे इस सुनसान सड़क पर.” पूजा ने कहा.
“ओह हां सॉरी…चलते हैं. मैं तो बस अपनी पूजा की पप्पी लेने के लिए रुका था.”
“खबरदार जो दुबारा पप्पी की यू सड़क पर रोक कर. मुझे डर लगता है.”
“ठीक है आगे से बायक पर चलते चलते करूँगा… …”
“वो कैसे मुमकिन होगा …”
“सब कुछ मुमकिन है तुम बस पप्पी देने वाली बनो.”
“नही मिलेगी अब…दुबारा मत माँगना”
“ओफ अब तो दुबारा फिर लेनी पड़ेगी. तुम्हारी पप्पी लेने में बहुत मज़ा आता है.”