02-01-2020, 04:30 PM
Update 89
अपर्णा के जाने के बाद आशुतोष अंदर आया. “आशुतोष अगर तुम्हे अपर्णा के घर से हटा कर दूसरा काम दूं तो क्या कर पाओगे.”
“आप हुकुम कीजिए सर.”
“मेरे तकिये के पास से मेरा पर्स उठाओ. उसमे एक काग़ज़ का टुकड़ा है. उस पर किसी संजय नाम के व्यक्ति का अड्रेस है. संजय के सिमरन के साथ संबंध हैं जो की इसीसी बॅंक में काम करती है. सिमरन के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है. साइको भी ब्लॅक स्कॉर्पियो में घूमता है. सिमरन की ब्लॅक स्कॉर्पियो संजय के पास थी कल. तुम उसके घर जा कर उसकी इंक्वाइरी करो. कल रात वो कहाँ था ज़रूर पूछना उस से. अपर्णा के घर मैं किसी और की ड्यूटी लगा देता हूँ. तुम अपना ये काम करके मुझे रिपोर्ट दे कर वापिस अपर्णा के घर चले जाना.”
“राइट सर एइज यू विस. पर सर क्या मैं पहले अपर्णा जी को घर छोड़ आउ सुरक्षित.”
“हां ऐसा करलो. मैं दूसरे को घर ही भेज दूँगा.” गौरव ने कहा.
“ओह ,मैं भूल गया, सर ये लीजिए आपका फोन. एक आदमी अपर्णा जी के घर पकड़ा गया था मुझे.”
“अच्छा हुआ जो कि फोन ले आए. कोई भी बात हो तो तुरंत मुझे फोन करना. साथ में 4-5 कॉन्स्टेबल्स ले जाओ. अच्छे से पूछ ताछ करना.”
“ओके सर.” आशुतोष ने पर्स से वो काग़ज़ निकाला और अड्रेस देख कर बोला, “अरे ये तो मोनिका जी का घर है. इसका मतलब मोनिका संजय की बीवी है.”
“कौन मोनिका?” गौरव ने पूछा.
“मोनिका का सुरिंदर के साथ संबंध था सर. वो उस रात सुरिंदर के ही साथ थी जिस रात उसने पोलीस स्टेशन आकर झूठी गवाही दी थी अपर्णा जी को फसाने के लिए.”
“ह्म्म…मोनिका सुरिंदर को जानती थी. संजय मोनिका का पति है. संजय ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. क्या सुरिंदर ने झुटि गवाही मोनिका के कहने पे दी थी?. ये सब इत्तेफ़ाक है या फिर बेवजह की हमारा टाइम कराब करने की साजिश.” गौरव ने कहा.
“सर मोनिका से मिला हूँ मैं. वो कोई साजिस करने वाली वुमन नही है. शी ईज़ नाइस वुमन. फिर भी एक बार ओपन माइंड से फिर से एक बार फिर से उनसे भी पूछ ताछ कर लूँगा.”
“हां ज़रूर करो. किसी के बारे में अपनी जग्डमेंट मत बनाओ. लोग यहा पल पल में रंग बदलते हैं. वैसे तो मुझे इस वक्त सबसे ज़्यादा कर्नल देवेंदर सिंग पर शक है, मगर संजय की इंक्वाइरी ज़रूरी है. अभी कुछ भी क्लियर नही है हमें. फूँक-फूँक कर कदम रखने होंगे हमें.”
“बिल्कुल सर, अगर संजय ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है शहर में तो उसकी इंक्वाइरी बहुत ज़रूरी है.”
“मुझे यकीन था तुम इंटेरेस्ट लोगे इस इंक्वाइरी में. इसलिए तुम्हे भेज रहा हूँ. ऑल दा बेस्ट.”
“ओके सर मैं चलता हूँ. अपर्णा जी को घर छोड़ कर. मैं इस काम के लिए निकल जाउन्गा.”
बाहर आकर आशुतोष ने अपर्णा से कहा, “मेरी ड्यूटी चेंज हो गयी है. मुझे दूसरे काम पर लगा दिया है गौरव सर ने. आपको घर छोड़ कर मैं चला जाउन्गा.”
“दूसरा काम, कौन सा दूसरा काम?” अपर्णा ने हैरानी में पूछा.
“एक ज़रूरी इंक्वाइरी है. मुझे ही करनी होगी.”
“क्या कोई और नही कर सकता ये…मैं गौरव को बोल देती हूँ.”
“रहने दीजिए….मुझे ही करनी होगी ये इंक्वाइरी. मैं खुद करना चाहता हूँ.”
“तो ये कहो ना तुम थक गये हो मेरे घर के बाहर खड़े रहकर. तुम्हारे 10-10 लड़कियों से संबंध भी तो सफ़र हो रहे हैं. जाओ जहा मर्ज़ी मुझे क्या लेना देना.”
“प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही. और आज लग रहा है कि आप भी प्यार करती है मुझे. शाम तक लौट आउन्गा मैं वापिस. तब तक कोई और ड्यूटी करेगा मेरी जगह.”
“मुझे तुमसे कोई प्यार नही है. बस चिंता कर रही थी कि कहाँ भटकोगे बेवजह.”
“ठीक है फिर मैं शाम को भी नही आउन्गा. गौरव सर से बोल कर ड्यूटी पर्मनेंट्ली चेंज करवा लेता हूँ.”
“तो करवा लो चेंज…मेरे उपर क्या अहसान करोगे मेरे घर रह कर. तुम चाहते हो मुझे मैं नही.”
अपर्णा गुस्से में जीप में चल दी जीप की तरफ. आशुतोष ने तुरंत हाथ पकड़ लिया.
“हाथ छोड़ो लोग देख रहे हैं.”
“पहले आप ये बतायें कि आपको मुझसे प्यार है कि नही. अब मैं चुप नही बैठूँगा. बहुत हो लिया आपका नाटक.”
“छोड़ो पागल हो क्या. लोग देख रहे हैं. घर चल कर बात करेंगे.”
“मैं जा रहा हूँ काम से बताया ना. अभी बताना होगा आपको कि क्या है आपके दिल में मेरे लिए.”
“तुम शाम को तो आओगे ना. फिर बात करेंगे, मेरा हाथ छोड़ो प्लीज़.” अपर्णा गिड़गिडाई.
“शायद शाम तक जिंदा ना रहू मैं, जींदगी का क्या भरोसा है. चलिए छोड़ रहा हूँ हाथ आपका. शाम को भी नही आउन्गा मैं. अपनी ड्यूटी अभी हटवा लूँगा मैं.”
अपर्णा ने कुछ नही कहा और जीप में आकर बैठ गयी. वापसीं का सफ़र बिल्कुल शांत रहा.
अपर्णा ने तीर्चि नज़रो से कई बार आशुतोष की तरफ देखा. पर वो कुछ बोल नही पाई क्योंकि बहुत गुस्सा था आशुतोष के चेहरे पर.
अपर्णा को घर छोड़ कर जीप से उतरे बिना आशुतोष जीप घुमा कर वापिस चला गया. अपर्णा बस उसे देखती रह गयी.
“क्या मैं ये प्यार भी खो दूँगी…आशुतोष प्लीज़ शाम को आ जाना वापिस.” अपर्णा ने मन ही मन कहा और अपने घर में घुस गयी. उसकी आँखे नम थी.
अपर्णा ने घर में घुस कर आशुतोष का फोन मिलाया मगर रिंग जाने से पहले ही काट दिया, “उसने जाते वक्त मूड कर भी नही देखा मुझे. समझता क्या है वो खुद को.जीप घुमा कर निकल गया चुपचाप. अगर शाम को नही आया वो तो कभी बात नही करूँगी उस से.”
आशुतोष को कई दिनो बाद गुस्सा आया था ऐसा.
अपर्णा के जाने के बाद आशुतोष अंदर आया. “आशुतोष अगर तुम्हे अपर्णा के घर से हटा कर दूसरा काम दूं तो क्या कर पाओगे.”
“आप हुकुम कीजिए सर.”
“मेरे तकिये के पास से मेरा पर्स उठाओ. उसमे एक काग़ज़ का टुकड़ा है. उस पर किसी संजय नाम के व्यक्ति का अड्रेस है. संजय के सिमरन के साथ संबंध हैं जो की इसीसी बॅंक में काम करती है. सिमरन के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है. साइको भी ब्लॅक स्कॉर्पियो में घूमता है. सिमरन की ब्लॅक स्कॉर्पियो संजय के पास थी कल. तुम उसके घर जा कर उसकी इंक्वाइरी करो. कल रात वो कहाँ था ज़रूर पूछना उस से. अपर्णा के घर मैं किसी और की ड्यूटी लगा देता हूँ. तुम अपना ये काम करके मुझे रिपोर्ट दे कर वापिस अपर्णा के घर चले जाना.”
“राइट सर एइज यू विस. पर सर क्या मैं पहले अपर्णा जी को घर छोड़ आउ सुरक्षित.”
“हां ऐसा करलो. मैं दूसरे को घर ही भेज दूँगा.” गौरव ने कहा.
“ओह ,मैं भूल गया, सर ये लीजिए आपका फोन. एक आदमी अपर्णा जी के घर पकड़ा गया था मुझे.”
“अच्छा हुआ जो कि फोन ले आए. कोई भी बात हो तो तुरंत मुझे फोन करना. साथ में 4-5 कॉन्स्टेबल्स ले जाओ. अच्छे से पूछ ताछ करना.”
“ओके सर.” आशुतोष ने पर्स से वो काग़ज़ निकाला और अड्रेस देख कर बोला, “अरे ये तो मोनिका जी का घर है. इसका मतलब मोनिका संजय की बीवी है.”
“कौन मोनिका?” गौरव ने पूछा.
“मोनिका का सुरिंदर के साथ संबंध था सर. वो उस रात सुरिंदर के ही साथ थी जिस रात उसने पोलीस स्टेशन आकर झूठी गवाही दी थी अपर्णा जी को फसाने के लिए.”
“ह्म्म…मोनिका सुरिंदर को जानती थी. संजय मोनिका का पति है. संजय ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. क्या सुरिंदर ने झुटि गवाही मोनिका के कहने पे दी थी?. ये सब इत्तेफ़ाक है या फिर बेवजह की हमारा टाइम कराब करने की साजिश.” गौरव ने कहा.
“सर मोनिका से मिला हूँ मैं. वो कोई साजिस करने वाली वुमन नही है. शी ईज़ नाइस वुमन. फिर भी एक बार ओपन माइंड से फिर से एक बार फिर से उनसे भी पूछ ताछ कर लूँगा.”
“हां ज़रूर करो. किसी के बारे में अपनी जग्डमेंट मत बनाओ. लोग यहा पल पल में रंग बदलते हैं. वैसे तो मुझे इस वक्त सबसे ज़्यादा कर्नल देवेंदर सिंग पर शक है, मगर संजय की इंक्वाइरी ज़रूरी है. अभी कुछ भी क्लियर नही है हमें. फूँक-फूँक कर कदम रखने होंगे हमें.”
“बिल्कुल सर, अगर संजय ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है शहर में तो उसकी इंक्वाइरी बहुत ज़रूरी है.”
“मुझे यकीन था तुम इंटेरेस्ट लोगे इस इंक्वाइरी में. इसलिए तुम्हे भेज रहा हूँ. ऑल दा बेस्ट.”
“ओके सर मैं चलता हूँ. अपर्णा जी को घर छोड़ कर. मैं इस काम के लिए निकल जाउन्गा.”
बाहर आकर आशुतोष ने अपर्णा से कहा, “मेरी ड्यूटी चेंज हो गयी है. मुझे दूसरे काम पर लगा दिया है गौरव सर ने. आपको घर छोड़ कर मैं चला जाउन्गा.”
“दूसरा काम, कौन सा दूसरा काम?” अपर्णा ने हैरानी में पूछा.
“एक ज़रूरी इंक्वाइरी है. मुझे ही करनी होगी.”
“क्या कोई और नही कर सकता ये…मैं गौरव को बोल देती हूँ.”
“रहने दीजिए….मुझे ही करनी होगी ये इंक्वाइरी. मैं खुद करना चाहता हूँ.”
“तो ये कहो ना तुम थक गये हो मेरे घर के बाहर खड़े रहकर. तुम्हारे 10-10 लड़कियों से संबंध भी तो सफ़र हो रहे हैं. जाओ जहा मर्ज़ी मुझे क्या लेना देना.”
“प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही. और आज लग रहा है कि आप भी प्यार करती है मुझे. शाम तक लौट आउन्गा मैं वापिस. तब तक कोई और ड्यूटी करेगा मेरी जगह.”
“मुझे तुमसे कोई प्यार नही है. बस चिंता कर रही थी कि कहाँ भटकोगे बेवजह.”
“ठीक है फिर मैं शाम को भी नही आउन्गा. गौरव सर से बोल कर ड्यूटी पर्मनेंट्ली चेंज करवा लेता हूँ.”
“तो करवा लो चेंज…मेरे उपर क्या अहसान करोगे मेरे घर रह कर. तुम चाहते हो मुझे मैं नही.”
अपर्णा गुस्से में जीप में चल दी जीप की तरफ. आशुतोष ने तुरंत हाथ पकड़ लिया.
“हाथ छोड़ो लोग देख रहे हैं.”
“पहले आप ये बतायें कि आपको मुझसे प्यार है कि नही. अब मैं चुप नही बैठूँगा. बहुत हो लिया आपका नाटक.”
“छोड़ो पागल हो क्या. लोग देख रहे हैं. घर चल कर बात करेंगे.”
“मैं जा रहा हूँ काम से बताया ना. अभी बताना होगा आपको कि क्या है आपके दिल में मेरे लिए.”
“तुम शाम को तो आओगे ना. फिर बात करेंगे, मेरा हाथ छोड़ो प्लीज़.” अपर्णा गिड़गिडाई.
“शायद शाम तक जिंदा ना रहू मैं, जींदगी का क्या भरोसा है. चलिए छोड़ रहा हूँ हाथ आपका. शाम को भी नही आउन्गा मैं. अपनी ड्यूटी अभी हटवा लूँगा मैं.”
अपर्णा ने कुछ नही कहा और जीप में आकर बैठ गयी. वापसीं का सफ़र बिल्कुल शांत रहा.
अपर्णा ने तीर्चि नज़रो से कई बार आशुतोष की तरफ देखा. पर वो कुछ बोल नही पाई क्योंकि बहुत गुस्सा था आशुतोष के चेहरे पर.
अपर्णा को घर छोड़ कर जीप से उतरे बिना आशुतोष जीप घुमा कर वापिस चला गया. अपर्णा बस उसे देखती रह गयी.
“क्या मैं ये प्यार भी खो दूँगी…आशुतोष प्लीज़ शाम को आ जाना वापिस.” अपर्णा ने मन ही मन कहा और अपने घर में घुस गयी. उसकी आँखे नम थी.
अपर्णा ने घर में घुस कर आशुतोष का फोन मिलाया मगर रिंग जाने से पहले ही काट दिया, “उसने जाते वक्त मूड कर भी नही देखा मुझे. समझता क्या है वो खुद को.जीप घुमा कर निकल गया चुपचाप. अगर शाम को नही आया वो तो कभी बात नही करूँगी उस से.”
आशुतोष को कई दिनो बाद गुस्सा आया था ऐसा.