02-01-2020, 03:26 PM
“आओ मिस्टर गौरव पांडे, बड़ी जल्दी आ गये तुम. मान-ना पड़ेगा हिम्मत बहुत है तुम में.” साइको ने कहा. वो एक पेड़ के सहारे खड़ा था और उसके चेहरे पर काला नकाब था.
“तुम्हारी तरह नपुंसक नही हूँ.”
“हाहहाहा रस्सी जल गयी पर बल नही गये. अपनी बंदूक निकाल कर अपनी जीप में रख दो और चुपचाप मेरे साथ चलो.”
“एक बात पूछूँ, तुम ये सब क्यों करते हो.”
“आर्टिस्ट को अपना हुनर देखने के लिए किसी कारण की ज़रूरत नही होती. आओ आपको अंधेरे जंगल में ले चलते हैं.”
“यहा नया ठिकाना बना लिया क्या तुमने.”
“जल्दी चलो वरना ए एस पी साहिबा गहरी खाई में गिर जाएगी.”
“अब कौन सी गेम खेल रहे हो तुम.”
“चलो चुपचाप, सब पता चल जाएगा.”
गौरव चुपचाप साइको के आगे चल दिया.
“अपना चेहरा तो देखा देते एक बार. इतना डरते क्यों हो तुम.”
“मिस्टर पांडे मैं किसी से नही डरता हूँ, आर्टिस्ट हूँ मैं. खुद को गुमनाम रखना चाहता हूँ.”
“अपने डर को छुपाने की कोशिश कर रहे हो तुम. गुमनाम रहना तो एक बहाना है.”
“चुप कर बहुत हो गयी तेरी बड़बड़, अब एक शब्द भी बोला तो भेजा उड़ा दूँगा तेरा.”
“हाहहाहा, तू मुझे ऐसे नही मारेगा मुझे पता है. अपने प्लान के मुताबिक मारेगा. देखता हूँ मेरे लिए तेरे जैसे हिजड़े ने क्या प्लान बना रखा है.”
“दिमाग़ कराब मत कर. प्लान के बिना भी मार सकता हूँ तुझे मैं.”
“वो पता है मुझे. तभी तो तुझे साइको कहते हैं लोग.”
“साइको मत बोलो मुझे, मैं एक आर्टिस्ट हूँ, कितनी बार बताना पड़ेगा.”
“तुम ले जा कहाँ रहे हो मुझे.”
“चलते रहो चुपचाप बस कुछ ही देर में पहुँचने वाले हैं.”
कुछ देर बाद साइको बोला, “लो पहुँच गये”
“हर तरफ अंधेरा है. ए एस पी साहिबा कहा हैं.” गौरव ने पूछा.
साइको ने अपनी जेब से एक टॉर्च निकाली और रोशनी को एक पेड़ की ओर किया.
गौरव की आँखे फटी की फटी रह गयी पेड़ की तरफ देख कर.
अंकिता के दोनो हाथ रस्सी से बँधे हुए थे और वो पेड़ के एक लंबे तने के सहारे लटकी हुई थी. उसके मुँह में कुछ ठूंस रखा था साइको ने जिसके कारण वो कुछ भी नही बोल पा रही थी. शूकर था कि उसके शरीर पर कपड़े थे. वो जीन्स और टॉप पहने हुए थी.
“अब तुम जाओ और उसे बचा लो. हाथ खोल कर उसे ज़मीन पर गिरा देना. सिंपल सी गेम है. ज़्यादा पेचिदगी नही है. जाओ चढ़ जाओ पेड़ पर.” साइको ने कहा.
“गेम सिंपल नही हो सकती ये. कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ है …” गौरव ने सोचा.
“क्या सोच रहे हो. जाओ और उसकी मदद करो. एक मिनिट की भी देरी की तो उसे भी गोलियो से भुन दूँगा और तुम्हे भी.” साइको चिल्लाया.
गौरव मन में दुविधा लिए पेड़ की तरफ बढ़ने लगा. गौरव ने पीछे मूड कर देखा तो पाया की साइको पैंटिंग करने की तैयारी में है. लाइट का इंतज़ाम कर रखा था साइको ने अपनी पैंटिंग के लिए. मगर अंकिता के सिर्फ़ चेहरे पर ही टॉर्च की रोशनी पड़ रही थी. बाकी आस-पास का कुछ भी नही देखाई दे रहा था.
गौरव मन में दुविधा लिए धीरे-धीरे पेड़ की तरफ बढ़ा.
“कोई ख़तरनाक गेम है जो की समझ नही आ रही मुझे.” गौरव के मन में ढेर सारे सवाल थे.
साइको चुपचाप कॅन्वस पर पैंटिंग करने में लग गया. उस पर पेड़ से टगी अंकिता तो ऑलरेडी पेंटेड थे, अब वो उस टहनी पर जिस पर की अंकिता लटकी थी एक आकृति बना रहा था. जो कि शायद गौरव की थी.
“दिस विल बी मास्टरपीस क्रियेशन. ए एस पी साहिबा और गौरव पांडे पेड़ के मायाजाल में उलझे हुए बड़े सुंदर लगेंगे हिहिहीही.” साइको धीरे से मुस्कुरआया.
गौरव बहुत ज़्यादा कन्फ्यूषन में था. उसे साइको की गेम समझ नही आ रही थी."आख़िर क्या चाहता है ये कमीना साइको. इसके जैसा शातिर और कमीना इतनी आसान गेम नही खेल सकता. कुछ तो है ख़तरनाक इस गेम में जो कि मुझे समझ नही आ रहा." गौरव पेड़ पर चढ़ते हुए सोच रहा था.
"आप बिल्कुल चिंता मत करो मेडम, मेरे होते हुए आपको कुछ नही होगा. हां मर गया तो कुछ कह नही सकता, पता नही कैसी गेम है ये इस कामीने की."
अंकिता गौरव की बात सुनते ही उसकी तरफ देखते हुए छटपटाने लगी. उसके मुँह में कुछ ठूंस रखा था साइको ने. मगर वो चटपटाते हुए मुँह से बिना शब्दो के घुटन भरी आवाज़ कर रही थी. मानो इशारो में कुछ कह रही हो. गौरव समझ तो कुछ नही पाया मगर उसे इतना अहसास ज़रूर हो गया कि ए एस पी साहिबा कुछ कह रही हैं.
"मिस्टर गौरव पांडे बहुत ढीले पोलीस वाले हो तुम. जल्दी करो, देखो कैसे छटपटा रही हैं ए एस पी साहिबा. बहुत देर से टगी हैं ये इस पेड़ से. जल्दी से रस्सी खोल दो और इन्हे ज़मीन पर गिरा दो. धूल चटा दो इन्हे ज़मीन की. और हां तुम्हारे पास इनको उपर खींचने की ऑप्शन नही है. इन्हे उपर खींचा तो तुरंत गोलियों से भुन दूँगा तुम दोनो को. गेम जैसे मैं कहता हूँ वैसे ही खेलो तुम दोनो का कुछ नही बिगड़ेगा." साइको ने तेज आवाज़ में कहा.
ये सुनते ही गौरव का माथा ठनका, "कही ये कमीना मेरे हाथो मेडम को मरवाना तो नही चाहता. कही ज़मीन पर कुछ ऐसा तो नही है जिस पर गिरते ही मेडम की मौत हो जाए और साइको की घिनोनी आर्ट पूरी हो जाए." गौरव ने बड़े गौर से नीचे देखा. अंधेरा इतना ज़्यादा था कि उसे कुछ दिखाई नही दिया.
"क्या सोच रहे हो मिस्टर पांडे, कितना वक्त लगा रहे हो तुम. एक मिनिट की भी देरी की अब तो भून दूँगा तुम दोनो को." साइको चिल्लाया.
"हे भगवान कैसे गिरा दू अंधेरे में मेडम को. नीचे कुछ नज़र नही आ रहा कि क्या है. ये कैसी परीक्षा में डाल दिया मुझे. मेरे कारण मेडम को कुछ हुआ तो खुद को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा."
साइको बंदूक लेकर आगे बढ़ा, "5 तक गिनूंगा मैं, 5 तक इसे नीचे नही गिराया तो भेजा उड़ा दूँगा इसका. और इसे मारने के बाद तुम्हे भी टपका दूँगा."
साइको ने गिनती शुरू कर दी. गौरव ने रस्सी खोलनी शुरू कर दी. उसके हाथ काँप रहे थे रस्सी खोलते हुए. जैसे तैसे उसने रस्सी खोल दी मगर रस्सी को हाथ में थामे रहा.
"मुझे पता था तुम इसे नीचे नही गिराओगे. यही मेरी गेम थी हाहहाहा." साइको क्रूरता से हँसने लगा.
गौरव ये सुन कर हैरान रह गया. "साले तू चाहता क्या है. साफ-साफ बता ना." अंकिता के कारण गौरव कोई गंदी गाली नही दे पाया साइको को.
"हाहहहाहा अभी पता चल जाएगा थोड़ी देर रुक तो सही." साइको ने कहा.
साइको ने एक एलेक्ट्रिक लकड़ी काटने की मशीन उठाई और उस तने पर रख दी जिस पर गौरव चढ़ा था.
"धन्यवाद तुम दोनो का मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने के लिए. गो टू हेल नाओ हाहहहाहा."
गौरव के तो कुछ समझ नही आया कि हो क्या रहा है.
"बाय दा वे, ये पेड़ खाई के बिल्कुल किनारे पर है. इन पहाड़ियों की सबसे गहरी खाई है ये. जाओ इस खाई का आनंद लो हाहहहाहा."
कुछ भी करने और कहने का मोका नही मिला गौरव को. पेड़ का तना झट से काट दिया साइको ने और तने के कट-ते ही खौफनाक खाई ने खींच लिया गौरव और अंकिता को. गिरते हुए गौरव चिल्लाया, "हम मर रहे हैं पर तुझे तेरे पापो की सज़ा ज़रूर मिलेगी कामीने."
"मेरा बदला पूरा हुआ. तुम दोनो को भयानक मगर सुंदर मौत दी और मेरी आर्ट का हिस्सा भी बन गये तुम दोनो हिहिहिहीही अब अपर्णा की बारी है. उसका तो मास्टर पीस बनाओन्गा मैं. वैसे तुम दोनो की ये मौत भी मास्टर पीस से कम नही है हहेहहे."
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“तुम्हारी तरह नपुंसक नही हूँ.”
“हाहहाहा रस्सी जल गयी पर बल नही गये. अपनी बंदूक निकाल कर अपनी जीप में रख दो और चुपचाप मेरे साथ चलो.”
“एक बात पूछूँ, तुम ये सब क्यों करते हो.”
“आर्टिस्ट को अपना हुनर देखने के लिए किसी कारण की ज़रूरत नही होती. आओ आपको अंधेरे जंगल में ले चलते हैं.”
“यहा नया ठिकाना बना लिया क्या तुमने.”
“जल्दी चलो वरना ए एस पी साहिबा गहरी खाई में गिर जाएगी.”
“अब कौन सी गेम खेल रहे हो तुम.”
“चलो चुपचाप, सब पता चल जाएगा.”
गौरव चुपचाप साइको के आगे चल दिया.
“अपना चेहरा तो देखा देते एक बार. इतना डरते क्यों हो तुम.”
“मिस्टर पांडे मैं किसी से नही डरता हूँ, आर्टिस्ट हूँ मैं. खुद को गुमनाम रखना चाहता हूँ.”
“अपने डर को छुपाने की कोशिश कर रहे हो तुम. गुमनाम रहना तो एक बहाना है.”
“चुप कर बहुत हो गयी तेरी बड़बड़, अब एक शब्द भी बोला तो भेजा उड़ा दूँगा तेरा.”
“हाहहाहा, तू मुझे ऐसे नही मारेगा मुझे पता है. अपने प्लान के मुताबिक मारेगा. देखता हूँ मेरे लिए तेरे जैसे हिजड़े ने क्या प्लान बना रखा है.”
“दिमाग़ कराब मत कर. प्लान के बिना भी मार सकता हूँ तुझे मैं.”
“वो पता है मुझे. तभी तो तुझे साइको कहते हैं लोग.”
“साइको मत बोलो मुझे, मैं एक आर्टिस्ट हूँ, कितनी बार बताना पड़ेगा.”
“तुम ले जा कहाँ रहे हो मुझे.”
“चलते रहो चुपचाप बस कुछ ही देर में पहुँचने वाले हैं.”
कुछ देर बाद साइको बोला, “लो पहुँच गये”
“हर तरफ अंधेरा है. ए एस पी साहिबा कहा हैं.” गौरव ने पूछा.
साइको ने अपनी जेब से एक टॉर्च निकाली और रोशनी को एक पेड़ की ओर किया.
गौरव की आँखे फटी की फटी रह गयी पेड़ की तरफ देख कर.
अंकिता के दोनो हाथ रस्सी से बँधे हुए थे और वो पेड़ के एक लंबे तने के सहारे लटकी हुई थी. उसके मुँह में कुछ ठूंस रखा था साइको ने जिसके कारण वो कुछ भी नही बोल पा रही थी. शूकर था कि उसके शरीर पर कपड़े थे. वो जीन्स और टॉप पहने हुए थी.
“अब तुम जाओ और उसे बचा लो. हाथ खोल कर उसे ज़मीन पर गिरा देना. सिंपल सी गेम है. ज़्यादा पेचिदगी नही है. जाओ चढ़ जाओ पेड़ पर.” साइको ने कहा.
“गेम सिंपल नही हो सकती ये. कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ है …” गौरव ने सोचा.
“क्या सोच रहे हो. जाओ और उसकी मदद करो. एक मिनिट की भी देरी की तो उसे भी गोलियो से भुन दूँगा और तुम्हे भी.” साइको चिल्लाया.
गौरव मन में दुविधा लिए पेड़ की तरफ बढ़ने लगा. गौरव ने पीछे मूड कर देखा तो पाया की साइको पैंटिंग करने की तैयारी में है. लाइट का इंतज़ाम कर रखा था साइको ने अपनी पैंटिंग के लिए. मगर अंकिता के सिर्फ़ चेहरे पर ही टॉर्च की रोशनी पड़ रही थी. बाकी आस-पास का कुछ भी नही देखाई दे रहा था.
गौरव मन में दुविधा लिए धीरे-धीरे पेड़ की तरफ बढ़ा.
“कोई ख़तरनाक गेम है जो की समझ नही आ रही मुझे.” गौरव के मन में ढेर सारे सवाल थे.
साइको चुपचाप कॅन्वस पर पैंटिंग करने में लग गया. उस पर पेड़ से टगी अंकिता तो ऑलरेडी पेंटेड थे, अब वो उस टहनी पर जिस पर की अंकिता लटकी थी एक आकृति बना रहा था. जो कि शायद गौरव की थी.
“दिस विल बी मास्टरपीस क्रियेशन. ए एस पी साहिबा और गौरव पांडे पेड़ के मायाजाल में उलझे हुए बड़े सुंदर लगेंगे हिहिहीही.” साइको धीरे से मुस्कुरआया.
गौरव बहुत ज़्यादा कन्फ्यूषन में था. उसे साइको की गेम समझ नही आ रही थी."आख़िर क्या चाहता है ये कमीना साइको. इसके जैसा शातिर और कमीना इतनी आसान गेम नही खेल सकता. कुछ तो है ख़तरनाक इस गेम में जो कि मुझे समझ नही आ रहा." गौरव पेड़ पर चढ़ते हुए सोच रहा था.
"आप बिल्कुल चिंता मत करो मेडम, मेरे होते हुए आपको कुछ नही होगा. हां मर गया तो कुछ कह नही सकता, पता नही कैसी गेम है ये इस कामीने की."
अंकिता गौरव की बात सुनते ही उसकी तरफ देखते हुए छटपटाने लगी. उसके मुँह में कुछ ठूंस रखा था साइको ने. मगर वो चटपटाते हुए मुँह से बिना शब्दो के घुटन भरी आवाज़ कर रही थी. मानो इशारो में कुछ कह रही हो. गौरव समझ तो कुछ नही पाया मगर उसे इतना अहसास ज़रूर हो गया कि ए एस पी साहिबा कुछ कह रही हैं.
"मिस्टर गौरव पांडे बहुत ढीले पोलीस वाले हो तुम. जल्दी करो, देखो कैसे छटपटा रही हैं ए एस पी साहिबा. बहुत देर से टगी हैं ये इस पेड़ से. जल्दी से रस्सी खोल दो और इन्हे ज़मीन पर गिरा दो. धूल चटा दो इन्हे ज़मीन की. और हां तुम्हारे पास इनको उपर खींचने की ऑप्शन नही है. इन्हे उपर खींचा तो तुरंत गोलियों से भुन दूँगा तुम दोनो को. गेम जैसे मैं कहता हूँ वैसे ही खेलो तुम दोनो का कुछ नही बिगड़ेगा." साइको ने तेज आवाज़ में कहा.
ये सुनते ही गौरव का माथा ठनका, "कही ये कमीना मेरे हाथो मेडम को मरवाना तो नही चाहता. कही ज़मीन पर कुछ ऐसा तो नही है जिस पर गिरते ही मेडम की मौत हो जाए और साइको की घिनोनी आर्ट पूरी हो जाए." गौरव ने बड़े गौर से नीचे देखा. अंधेरा इतना ज़्यादा था कि उसे कुछ दिखाई नही दिया.
"क्या सोच रहे हो मिस्टर पांडे, कितना वक्त लगा रहे हो तुम. एक मिनिट की भी देरी की अब तो भून दूँगा तुम दोनो को." साइको चिल्लाया.
"हे भगवान कैसे गिरा दू अंधेरे में मेडम को. नीचे कुछ नज़र नही आ रहा कि क्या है. ये कैसी परीक्षा में डाल दिया मुझे. मेरे कारण मेडम को कुछ हुआ तो खुद को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा."
साइको बंदूक लेकर आगे बढ़ा, "5 तक गिनूंगा मैं, 5 तक इसे नीचे नही गिराया तो भेजा उड़ा दूँगा इसका. और इसे मारने के बाद तुम्हे भी टपका दूँगा."
साइको ने गिनती शुरू कर दी. गौरव ने रस्सी खोलनी शुरू कर दी. उसके हाथ काँप रहे थे रस्सी खोलते हुए. जैसे तैसे उसने रस्सी खोल दी मगर रस्सी को हाथ में थामे रहा.
"मुझे पता था तुम इसे नीचे नही गिराओगे. यही मेरी गेम थी हाहहाहा." साइको क्रूरता से हँसने लगा.
गौरव ये सुन कर हैरान रह गया. "साले तू चाहता क्या है. साफ-साफ बता ना." अंकिता के कारण गौरव कोई गंदी गाली नही दे पाया साइको को.
"हाहहहाहा अभी पता चल जाएगा थोड़ी देर रुक तो सही." साइको ने कहा.
साइको ने एक एलेक्ट्रिक लकड़ी काटने की मशीन उठाई और उस तने पर रख दी जिस पर गौरव चढ़ा था.
"धन्यवाद तुम दोनो का मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने के लिए. गो टू हेल नाओ हाहहहाहा."
गौरव के तो कुछ समझ नही आया कि हो क्या रहा है.
"बाय दा वे, ये पेड़ खाई के बिल्कुल किनारे पर है. इन पहाड़ियों की सबसे गहरी खाई है ये. जाओ इस खाई का आनंद लो हाहहहाहा."
कुछ भी करने और कहने का मोका नही मिला गौरव को. पेड़ का तना झट से काट दिया साइको ने और तने के कट-ते ही खौफनाक खाई ने खींच लिया गौरव और अंकिता को. गिरते हुए गौरव चिल्लाया, "हम मर रहे हैं पर तुझे तेरे पापो की सज़ा ज़रूर मिलेगी कामीने."
"मेरा बदला पूरा हुआ. तुम दोनो को भयानक मगर सुंदर मौत दी और मेरी आर्ट का हिस्सा भी बन गये तुम दोनो हिहिहिहीही अब अपर्णा की बारी है. उसका तो मास्टर पीस बनाओन्गा मैं. वैसे तुम दोनो की ये मौत भी मास्टर पीस से कम नही है हहेहहे."
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