02-01-2020, 03:24 PM
Update 86
मगर गौरव ने अपनी मूव्मेंट जारी रखी. उसका ऑर्गॅज़म अभी बाकी था. वो लगा हुआ था तेज तेज धक्के मारने में. वो बस पहुँचने ही वाला था अपने चरम पर की अचानक उसका मोबायल बज उठा.
“उफ्फ कौन है इस वक्त.”
“तुम लगे रहो, बाद में देखना, अपना काम भी तो पूरा करो, आइ वॉंट योर हॉट वॉटर इनसाइड मी.”
“पानी की नदी बहा दूँगा, पहले देख लूँ कि किसका मेसेज आया है.”
गौरव ने बिस्तर पर पड़ी अपनी पंत को हाथ बढ़ा कर अपनी तरफ खींच लिया. और पेण्ट की जेब से अपने मोबायल को निकाल कर मेसेज रेड करने लगा. मेसेज पढ़ते ही उसके होश उड़ गये.
मेसेज कुछ इस प्रकार था.
“मिस्टर गौरव पांडे. मेरे ठिकाने से ही बच कर निकल गये तुम. वेरी नाइस. तुम्हारी ए एस पी साहिबा भी पूरी पोलीस फोर्स ले कर पहुँच गयी थी जंगल में. वो ना आती तो तुम्हारा वो हाल करता कि दुबारा जनम नही लेते धरती पर. तुम्हारी ए एस पी साहिबा मेरे कब्ज़े में है. बहुत ही बुरी मौत दूँगा ए एस पी साहिबा को मैं. कुछ कर सकते हो तो कर लो. तडपा तडपा कर मारूँगा उसे मैं.”
गौरव तुरंत सिमरन के उपर से हट गया.
“क्या हुआ…डॉन’ट यू वॉंट योर ऑर्गॅज़म.”
“ऑर्गॅज़म से भी ज़्यादा कीमती चीज़ दाँव पर लगी है सिमरन. मुझे तुरंत जाना होगा.”
गौरव ने फ़ौरन अपने कपड़े पहन लिए और बोला, “मुझे संजय का अड्रेस दो जल्दी.”
“आख़िर बात क्या है बताओ तो.”
“प्लीज़ गिव मी दा डॅम अड्रेस. बाते करने का वक्त नही है.”
सिमरन ने गौरव को संजय का अड्रेस दे दिया. गौरव तुरंत वो अड्रेस ले कर सिमरन के घर से निकल गया. उसके चेहरे पर बहुत ज़्यादा गुस्सा था.
सिमरन के घर से निकलते ही गौरव ने ए एस पी साहिबा को फोन मिलाया. वो कन्फर्म करना चाहता था कि साइको सच बोल रहा है या झूठ. मगर फोन साइको ने उठाया.
“हेलो मिस्टर पांडे, अब जब ए एस पी साहिबा मेरे कब्ज़े में हैं तो फोन भी तो मेरे पास ही होगा. कैसे बेवकूफ़ पोलीस वाले हो तुम. चलो कोई बात नही. मैं खुद तुम्हे फोन करने वाला था. सोच रहा हूँ क्यों ए एस पी साहिबा की खूबसूरती को बेकार किया जाए. वो भी अपर्णा से कम सुंदर नही है. उफ्फ क्या गुस्सा है इसकी आँखो में. बेचारी छटपटा रही है. बहुत ही सुंदर लग रही है. अभी डर नही है इसकी आँखो में. डर भी आएगा. डर में ये और ज़्यादा सुंदर लगेगी. ए एस पी साहिबा को भी एक आर्टिस्टिक मौत मिलनी चाहिए. शी डिज़र्व्स आ ब्यूटिफुल डेत.”
“ब्यूटिफुल डेत तो तुम्हे मैं दूँगा, नपुंसक साइको.” गौरव चिल्लाया.
“हाहहाहा, देखते हैं आज की कौन नपुंसक है. चलो तुम्हे मोका देता हूँ ए एस पी साहिबा को बचाने का. हालाँकि वो मेरे हाथो हर हाल में मरेगी. अभी इसी वक्त मसूरी की तरफमोड़ लो अपनी गाड़ी. पाहाड़ों में चित्रकारी करने का मन है इस बार. तुम्हे मेरी ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी मिलेगी सड़क किनारे. बस तुम चलते जाना. जहा ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी मिले वही रुक जाना. आगे मैं संभाल लूँगा.कोई होशियारी मार करना वरना तुम जानते ही हो कि मैं क्या कर सकता हूँ. वेटिंग फॉर यू मिस्टर पांडे. किसी को भी फोन करने की कोशिश मत करना. जीप में कॅमरा है तुम्हारी. देख रहा हूँ तुम्हे मैं. अब चुपचाप मसूरी की हसीन वादियों की तरफ आ जाओ. वैसे तुम्हारे पास चाय्स है ना आने की, वो तुम्हारी लगती भी क्या है. नही आओगे तो अगले 15 मिनिट में ए एस पी साहिबा मेरी आर्ट का हिस्सा बन जाएगी. अगर आओगे तो ए एस पी साहिबा के साथ तुम भी सामिल हो जाओगे मेरी आर्ट में. चाय्स तुम्हारी है, बताओ मैं वेट करूँ तुम्हारा या फिर बना दूं अंकिता की आर्ट इसी वक्त.”
“मैं आ रहा हूँ साले, नामार्द साइको. तेरी बुजदिली जाहिर होती है इन हर्कतो से. सच बता तू अपने बाप की औलाद नही है ना. शायद किसी पड़ोसी की मेहरबानी का नतीज़ा हो तुम. “
“तुम्हे मारने में बहुत मज़ा आएगा मिस्टर गौरव पांडे. जल्दी आ जाओ अब देर मत करो. मेरा चाकू प्यासा है. और इस फोन की कोई ज़रूरत नही है तुम्हे अब. फेंक दो इसे एक तरफ. बंदूक का भी क्या करोगे तुम, उसे भी एक तरफ फेंक दो.” साइको ने फोन काट दिया ये बोल कर
“मेरी जीप में कॅमरा कब लगा गया ये कमीना …बहुत शातिर है ये.” गौरव ने फोन और बंदूक फेंक दिए एक तरफ और जीप में बैठ कर मसूरी की तरफ चल दिया.
रात के 12 बाज रहे थे. सदके सुनशान थी. हर तरफ खौफनाक सन्नाटा था. गौरव पूरी तेज़ी से मसूरी की तरफ बढ़े जा रहा था. कोई 40 मिनिट चलने के बाद उसे एक ब्लॅक स्कॉर्पियो देखाई दी सड़क पर खड़ी हुई. उसने अपनी जीप उसके पीछे रोक दी.
“बहुत बढ़िया कार पे नंबर प्लेट ही नही है. वाह भाई वाह. मान गये साइको जी आपको” गौरव ने मन ही मन कहा.
गौरव चुपचाप जीप से निकल कर बाहर आया.
मगर गौरव ने अपनी मूव्मेंट जारी रखी. उसका ऑर्गॅज़म अभी बाकी था. वो लगा हुआ था तेज तेज धक्के मारने में. वो बस पहुँचने ही वाला था अपने चरम पर की अचानक उसका मोबायल बज उठा.
“उफ्फ कौन है इस वक्त.”
“तुम लगे रहो, बाद में देखना, अपना काम भी तो पूरा करो, आइ वॉंट योर हॉट वॉटर इनसाइड मी.”
“पानी की नदी बहा दूँगा, पहले देख लूँ कि किसका मेसेज आया है.”
गौरव ने बिस्तर पर पड़ी अपनी पंत को हाथ बढ़ा कर अपनी तरफ खींच लिया. और पेण्ट की जेब से अपने मोबायल को निकाल कर मेसेज रेड करने लगा. मेसेज पढ़ते ही उसके होश उड़ गये.
मेसेज कुछ इस प्रकार था.
“मिस्टर गौरव पांडे. मेरे ठिकाने से ही बच कर निकल गये तुम. वेरी नाइस. तुम्हारी ए एस पी साहिबा भी पूरी पोलीस फोर्स ले कर पहुँच गयी थी जंगल में. वो ना आती तो तुम्हारा वो हाल करता कि दुबारा जनम नही लेते धरती पर. तुम्हारी ए एस पी साहिबा मेरे कब्ज़े में है. बहुत ही बुरी मौत दूँगा ए एस पी साहिबा को मैं. कुछ कर सकते हो तो कर लो. तडपा तडपा कर मारूँगा उसे मैं.”
गौरव तुरंत सिमरन के उपर से हट गया.
“क्या हुआ…डॉन’ट यू वॉंट योर ऑर्गॅज़म.”
“ऑर्गॅज़म से भी ज़्यादा कीमती चीज़ दाँव पर लगी है सिमरन. मुझे तुरंत जाना होगा.”
गौरव ने फ़ौरन अपने कपड़े पहन लिए और बोला, “मुझे संजय का अड्रेस दो जल्दी.”
“आख़िर बात क्या है बताओ तो.”
“प्लीज़ गिव मी दा डॅम अड्रेस. बाते करने का वक्त नही है.”
सिमरन ने गौरव को संजय का अड्रेस दे दिया. गौरव तुरंत वो अड्रेस ले कर सिमरन के घर से निकल गया. उसके चेहरे पर बहुत ज़्यादा गुस्सा था.
सिमरन के घर से निकलते ही गौरव ने ए एस पी साहिबा को फोन मिलाया. वो कन्फर्म करना चाहता था कि साइको सच बोल रहा है या झूठ. मगर फोन साइको ने उठाया.
“हेलो मिस्टर पांडे, अब जब ए एस पी साहिबा मेरे कब्ज़े में हैं तो फोन भी तो मेरे पास ही होगा. कैसे बेवकूफ़ पोलीस वाले हो तुम. चलो कोई बात नही. मैं खुद तुम्हे फोन करने वाला था. सोच रहा हूँ क्यों ए एस पी साहिबा की खूबसूरती को बेकार किया जाए. वो भी अपर्णा से कम सुंदर नही है. उफ्फ क्या गुस्सा है इसकी आँखो में. बेचारी छटपटा रही है. बहुत ही सुंदर लग रही है. अभी डर नही है इसकी आँखो में. डर भी आएगा. डर में ये और ज़्यादा सुंदर लगेगी. ए एस पी साहिबा को भी एक आर्टिस्टिक मौत मिलनी चाहिए. शी डिज़र्व्स आ ब्यूटिफुल डेत.”
“ब्यूटिफुल डेत तो तुम्हे मैं दूँगा, नपुंसक साइको.” गौरव चिल्लाया.
“हाहहाहा, देखते हैं आज की कौन नपुंसक है. चलो तुम्हे मोका देता हूँ ए एस पी साहिबा को बचाने का. हालाँकि वो मेरे हाथो हर हाल में मरेगी. अभी इसी वक्त मसूरी की तरफमोड़ लो अपनी गाड़ी. पाहाड़ों में चित्रकारी करने का मन है इस बार. तुम्हे मेरी ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी मिलेगी सड़क किनारे. बस तुम चलते जाना. जहा ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी मिले वही रुक जाना. आगे मैं संभाल लूँगा.कोई होशियारी मार करना वरना तुम जानते ही हो कि मैं क्या कर सकता हूँ. वेटिंग फॉर यू मिस्टर पांडे. किसी को भी फोन करने की कोशिश मत करना. जीप में कॅमरा है तुम्हारी. देख रहा हूँ तुम्हे मैं. अब चुपचाप मसूरी की हसीन वादियों की तरफ आ जाओ. वैसे तुम्हारे पास चाय्स है ना आने की, वो तुम्हारी लगती भी क्या है. नही आओगे तो अगले 15 मिनिट में ए एस पी साहिबा मेरी आर्ट का हिस्सा बन जाएगी. अगर आओगे तो ए एस पी साहिबा के साथ तुम भी सामिल हो जाओगे मेरी आर्ट में. चाय्स तुम्हारी है, बताओ मैं वेट करूँ तुम्हारा या फिर बना दूं अंकिता की आर्ट इसी वक्त.”
“मैं आ रहा हूँ साले, नामार्द साइको. तेरी बुजदिली जाहिर होती है इन हर्कतो से. सच बता तू अपने बाप की औलाद नही है ना. शायद किसी पड़ोसी की मेहरबानी का नतीज़ा हो तुम. “
“तुम्हे मारने में बहुत मज़ा आएगा मिस्टर गौरव पांडे. जल्दी आ जाओ अब देर मत करो. मेरा चाकू प्यासा है. और इस फोन की कोई ज़रूरत नही है तुम्हे अब. फेंक दो इसे एक तरफ. बंदूक का भी क्या करोगे तुम, उसे भी एक तरफ फेंक दो.” साइको ने फोन काट दिया ये बोल कर
“मेरी जीप में कॅमरा कब लगा गया ये कमीना …बहुत शातिर है ये.” गौरव ने फोन और बंदूक फेंक दिए एक तरफ और जीप में बैठ कर मसूरी की तरफ चल दिया.
रात के 12 बाज रहे थे. सदके सुनशान थी. हर तरफ खौफनाक सन्नाटा था. गौरव पूरी तेज़ी से मसूरी की तरफ बढ़े जा रहा था. कोई 40 मिनिट चलने के बाद उसे एक ब्लॅक स्कॉर्पियो देखाई दी सड़क पर खड़ी हुई. उसने अपनी जीप उसके पीछे रोक दी.
“बहुत बढ़िया कार पे नंबर प्लेट ही नही है. वाह भाई वाह. मान गये साइको जी आपको” गौरव ने मन ही मन कहा.
गौरव चुपचाप जीप से निकल कर बाहर आया.