02-01-2020, 03:13 PM
गौरव ने सिमरन के घर पहुँच कर गौर किया की उसके घर के बाहर ब्लॅक स्कॉर्पियो नही है. “हो सकता है कि उसने गॅरेज में खड़ी की हो स्कॉर्पियो.”
गौरव ने कन्फ्यूज़्ड माइंड से सिमरन के घर की बेल बजाई. सिमरन ने दरवाजा खोला.
“हाई सिमरन…एक बात बताओ, तुम्हारी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहाँ खड़ी करती हो तुम.”
“छोडो भी…यहाँ इन्वेस्टिगेशन करने आए हो या फिर…..”
“पोलीस वाला हूँ ना कोई ना कोई सवाल घूमता रहता है दिमाग़ में. बताओ ना, कहा खड़ी करती हो अपनी कार तुम.”
“हद करते हो. आते ही सवाल जवाब शुरू. पहले अंदर तो आओ.”
ना जाने क्यों गौरव का माथा कुछ ठनक रहा था. “बड़ी जल्दी मान गयी वैसे सिमरन. इतनी जल्दी मुझे घर इन्वाइट कर लेगी, सोचा नही था मैने. अपनी स्कॉर्पियो के बारे में भी कुछ नही बता रही. कही कुछ गड़बड़ तो नही.”
“आओ ना गौरव सोच क्या रहे हो?”
“नही कुछ नही…अच्छा लगा मुझे जो कि आपने मुझे इन्वाइट किया अपने घर.”
“फिर झीजक क्यों रहे हैं. आइए ना.” सिमरन ने कहा.
सिमरन गौरव को अंदर इन्वाइट कर रही थी मगर, गौरव के मान में काई सवाल घूम रहे थे. वो सोच रहा था कि आख़िर सिमरन साफ-साफ ये क्यों नही बता रही कि उसकी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहाँ हैं. क्योंकि हर सवाल का जवाब उसे सिमरन से ही मिलना था इसलिए वो मुस्कुराता हुआ सिमरन के घर में घुस गया.
“क्या लेंगे आप चाय या कॉफफी या कुछ ठंडा.”
“फिलहाल हो सके तो अंगूर खिला दीजिए. आपके टॉप से बाहर निकले जा रहे हैं ये. क्या कीजिएगा इन्हे संभाल कर, दे दीजिए हमें हम संभाल लेंगे इन्हे.”
“बहुत बेशरम हैं आप…ऐसा कहता है क्या कोई. …”
“अब आप पूछ रही थी कि क्या लूँगा तो अपनी चाय्स बता दी.”
“घर में घुसते ही क्या आपको बस अंगूर नज़र आए.” सिमरन ने पूछा.
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गौरव ने कन्फ्यूज़्ड माइंड से सिमरन के घर की बेल बजाई. सिमरन ने दरवाजा खोला.
“हाई सिमरन…एक बात बताओ, तुम्हारी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहाँ खड़ी करती हो तुम.”
“छोडो भी…यहाँ इन्वेस्टिगेशन करने आए हो या फिर…..”
“पोलीस वाला हूँ ना कोई ना कोई सवाल घूमता रहता है दिमाग़ में. बताओ ना, कहा खड़ी करती हो अपनी कार तुम.”
“हद करते हो. आते ही सवाल जवाब शुरू. पहले अंदर तो आओ.”
ना जाने क्यों गौरव का माथा कुछ ठनक रहा था. “बड़ी जल्दी मान गयी वैसे सिमरन. इतनी जल्दी मुझे घर इन्वाइट कर लेगी, सोचा नही था मैने. अपनी स्कॉर्पियो के बारे में भी कुछ नही बता रही. कही कुछ गड़बड़ तो नही.”
“आओ ना गौरव सोच क्या रहे हो?”
“नही कुछ नही…अच्छा लगा मुझे जो कि आपने मुझे इन्वाइट किया अपने घर.”
“फिर झीजक क्यों रहे हैं. आइए ना.” सिमरन ने कहा.
सिमरन गौरव को अंदर इन्वाइट कर रही थी मगर, गौरव के मान में काई सवाल घूम रहे थे. वो सोच रहा था कि आख़िर सिमरन साफ-साफ ये क्यों नही बता रही कि उसकी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहाँ हैं. क्योंकि हर सवाल का जवाब उसे सिमरन से ही मिलना था इसलिए वो मुस्कुराता हुआ सिमरन के घर में घुस गया.
“क्या लेंगे आप चाय या कॉफफी या कुछ ठंडा.”
“फिलहाल हो सके तो अंगूर खिला दीजिए. आपके टॉप से बाहर निकले जा रहे हैं ये. क्या कीजिएगा इन्हे संभाल कर, दे दीजिए हमें हम संभाल लेंगे इन्हे.”
“बहुत बेशरम हैं आप…ऐसा कहता है क्या कोई. …”
“अब आप पूछ रही थी कि क्या लूँगा तो अपनी चाय्स बता दी.”
“घर में घुसते ही क्या आपको बस अंगूर नज़र आए.” सिमरन ने पूछा.
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