02-01-2020, 03:11 PM
गौरव शहर के राउंड पर निकल पड़ा. काफ़ी देर तक वो यहाँ वहाँ घूमता रहा. अचानक उसे रीमा का ख्याल आया. उसने अपना मोबायल निकाला जेब से और रीमा का नंबर डाइयल किया. मगर डाइयल करते ही तुरंत काट दिया, “उफ्फ फोन तो उस कामीने चौहान के पास. लगता है रीमा पर पाबंदियाँ लगा दी हैं चौहान ने. लगता है ये अफेर यही ख़तम हो गया है. अचानक ही हम मिले और अचानक ही बिछड़ गये. टेक केर रीमा. हम चाहे मिले ना मिले पर हमारी दोस्ती बनी रहेगी.”
अचानक गौरव को सिमरन का ख़याल आया. “अरे सिमरन को फोन करता हूँ. उसके साथ भी तो कुछ संभावनायें हैं ..”
गौरव ने सिमरन को फोन मिलाया.
“हाई सिमरन…सो गयी क्या?”
“हू ईज़ तीस?”
“अरे मैं गौरव बोल रहा हूँ.”
“ओह तुम. सॉरी तुम्हारा नंबर नही था ना मोबायल में इसलिए तुम्हे पहचान नही पाई.”
“कोई बात नही सिमरन जी. अब तो पहचान लिया ना. कहा हैं आप इस वक्त.”
“मैं अपने घर पर हूँ.”
“अकेली हैं क्या …”
“क्यों .. …”सिमरन ने पूछा.
“अगर आप अकेली हैं तो हम आपके पास आ जाते हैं आपका मन बहलाने के लिए.”
“अच्छा…”
“जी हां…बोलिए क्या कहती हैं आप. बड़े दिनो बाद मिलें हैं हम आज. क्यों ना आज के दिन को यादगार बना दे हम.”
“यादगार कैसे बनाएँगे वो भी बता दीजिए.”
“आप मिलिए तो सही…हमारी मुलाक़ात खुद-ब-खुद यादगार बन जाएगी.”
सिमरन मुस्कुरा कर बोली, “आप कहाँ हैं इस वक्त?”
“मैं शहर का राउंड ले रहा हूँ. आप कहेंगी तो तुरंत आपके पास आ जाउन्गा.”
“क्यों आ जाएँगे, साइको को नही पकड़ना क्या आपको.”
“पकड़ना है बिल्कुल पकड़ना है. दिन रात इसी चक्कर में रहता हूँ. आज रात आपको पकड़ लेता हूँ, साइको को बाद में देख लूँगा.”
“ह्म्म…मुझे पकड़ कर क्या कीजिएगा. जैल में तो नही डाल देंगे कही.”
“हाहाहा, जैल में नही आपको पकड़ कर अपने दिल में डालने का इरादा है. आ जाउ क्या आपको अपने दिल में डालने के लिए.”
“ह्म्म आ जाओ…”
“अपना अड्रेस दे दीजिए. मैं अभी तुरंत आ जाउन्गा आपके पास.”
सिमरन ने अपना अड्रेस दे दिया गौरव को. गौरव बिना वक्त गवाए कोई 20 मिनिट में पहुँच गया सिमरन के घर.
अचानक गौरव को सिमरन का ख़याल आया. “अरे सिमरन को फोन करता हूँ. उसके साथ भी तो कुछ संभावनायें हैं ..”
गौरव ने सिमरन को फोन मिलाया.
“हाई सिमरन…सो गयी क्या?”
“हू ईज़ तीस?”
“अरे मैं गौरव बोल रहा हूँ.”
“ओह तुम. सॉरी तुम्हारा नंबर नही था ना मोबायल में इसलिए तुम्हे पहचान नही पाई.”
“कोई बात नही सिमरन जी. अब तो पहचान लिया ना. कहा हैं आप इस वक्त.”
“मैं अपने घर पर हूँ.”
“अकेली हैं क्या …”
“क्यों .. …”सिमरन ने पूछा.
“अगर आप अकेली हैं तो हम आपके पास आ जाते हैं आपका मन बहलाने के लिए.”
“अच्छा…”
“जी हां…बोलिए क्या कहती हैं आप. बड़े दिनो बाद मिलें हैं हम आज. क्यों ना आज के दिन को यादगार बना दे हम.”
“यादगार कैसे बनाएँगे वो भी बता दीजिए.”
“आप मिलिए तो सही…हमारी मुलाक़ात खुद-ब-खुद यादगार बन जाएगी.”
सिमरन मुस्कुरा कर बोली, “आप कहाँ हैं इस वक्त?”
“मैं शहर का राउंड ले रहा हूँ. आप कहेंगी तो तुरंत आपके पास आ जाउन्गा.”
“क्यों आ जाएँगे, साइको को नही पकड़ना क्या आपको.”
“पकड़ना है बिल्कुल पकड़ना है. दिन रात इसी चक्कर में रहता हूँ. आज रात आपको पकड़ लेता हूँ, साइको को बाद में देख लूँगा.”
“ह्म्म…मुझे पकड़ कर क्या कीजिएगा. जैल में तो नही डाल देंगे कही.”
“हाहाहा, जैल में नही आपको पकड़ कर अपने दिल में डालने का इरादा है. आ जाउ क्या आपको अपने दिल में डालने के लिए.”
“ह्म्म आ जाओ…”
“अपना अड्रेस दे दीजिए. मैं अभी तुरंत आ जाउन्गा आपके पास.”
सिमरन ने अपना अड्रेस दे दिया गौरव को. गौरव बिना वक्त गवाए कोई 20 मिनिट में पहुँच गया सिमरन के घर.