02-01-2020, 03:06 PM
गौरव पहले देवेंदर सिंग (आर्मी कर्नल) के घर पहुँचता है. उसके घर के बाहर ही एक ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी थी. गौरव उसे बड़े गौर से देखता है.
“ह्म्म…कही इसी कार में तो नही घूमते हो तुम मिस्टर साइको” गौरव ने मन ही मन सोचा.
गौरव कार को अच्छी तरह से देखने के बाद घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उसने डोर बेल बजाई तो एक बुजुर्ग ने दरवाजा खोला.
“क्या मैं कर्नल देवेंदर सिंग से मिल सकता हूँ.” गौरव ने कहा.
“साहब तो मुंबई गये हुए हैं.”
“कब तक लौटेंगे वो.”
“कुछ कह नही सकता, उनका आने जाने का कोई टाइम फिक्स नही होता.”
“ह्म्म आप कौन हैं.”
“मैं इस घर का नौकर हूँ.”
“क्या एक गिलाश पानी मिलेगा काका.”
“हां हां बिल्कुल आओ अंदर आओ…मैं अभी लाता हूँ पानी.”
गौरव अंदर आया तो उसने देवार पर एक पैंटिंग लगी देखी. पैंटिंग बहुत ही अजीब थी. उसमें एक घोड़े की पीठ पर आदमी का कटा हुआ सर रखा था. आस पास घाना जंगल था.
“ये कैसी अजीब सी पैटिंग है. ऐसी पैटिंग किसने बनाई. और कर्नल ने इसे अपने ड्रॉयिंग रूम में लगा रखा है. कुछ बहुत ही अजीब सा महसूस हो रहा है इस पैंटिंग को देख कर.”
“ये लीजिए पानी”
गौरव ने पानी पिया और बोला, “ये कैसी अजीब सी पैंटिंग है काका.”
“पता नही कहा से ले आए साहिब इसे. हो सकता है कि उन्होने खुद बनाई हो. मुझे भी ये यहाँ तंगी अजीब सी लगती है.”
“क्या वो पैटिंग का शॉंक रखते हैं.”
“हां पैंटिंग बनाते भी हैं और खरीद खरीद कर इकट्ठा भी करते रहते हैं. पर इस पैंटिंग का मुझे नही पता कि उन्होने ये खरीदी है या खुद बनाई है.”
“क्या ऐसी अजीब सी पैटिंग और भी हैं या फिर ये एक ही है.”
“ऐसी अजीब पैंटिंग और तो कोई नही देखी मैने.”
“ह्म्म…वैसे कैसा स्वाभाव है आपके साहिब का”
“अच्छा स्वाभाव है. सभी से बहुतब शालीनता से पेश आते हैं.”
“अच्छा काका…मैं बाद में मिलूँगा उनसे. फिर किसी दिन आउन्गा.”
गौरव निकल आया वहाँ से बाहर.
“साइको खुद को आर्टिस्ट बोलता है. कर्नल पैटिंग का शॉंक रखते हैं. बहुत ही अजीबो ग़रीब पैटिंग टाँग रखी है उन्होने घर में. क्या कर्नल को सस्पेक्ट माना जा सकता है. काका के अनुसार उनका स्वाभाव अच्छा है. क्या साइको ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसकी समाज में इज़्ज़त हो. मेरे ख्याल से बिल्कुल हो सकता है. अगर ऐसा ना होता तो वो अब नकाब लगा कर नही घूमता. विजय चिल्ला चिल्ला कर खुद को साइको बता रहा था. मगर वो सिर्फ़ कॉपी कॅट था. गौरव मेहरा भी खुद को साइको साबित करने पे तुला हुआ है. साइको जैसा शातिर दिमाग़ ऐसा कभी नही करेगा. फिर भी अभी किसी नतीज़े पर नही पहुँच सकते. गौरव के साथ साथ अब कर्नल पर भी कड़ी नज़र रखनी होगी मुझे. फिलहाल सिमरन से भी मिल आता हूँ. उसके पास भी तो ब्लॅक स्कॉर्पियो है.” गौरव ने मन ही मन सोचा.
“ह्म्म…कही इसी कार में तो नही घूमते हो तुम मिस्टर साइको” गौरव ने मन ही मन सोचा.
गौरव कार को अच्छी तरह से देखने के बाद घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उसने डोर बेल बजाई तो एक बुजुर्ग ने दरवाजा खोला.
“क्या मैं कर्नल देवेंदर सिंग से मिल सकता हूँ.” गौरव ने कहा.
“साहब तो मुंबई गये हुए हैं.”
“कब तक लौटेंगे वो.”
“कुछ कह नही सकता, उनका आने जाने का कोई टाइम फिक्स नही होता.”
“ह्म्म आप कौन हैं.”
“मैं इस घर का नौकर हूँ.”
“क्या एक गिलाश पानी मिलेगा काका.”
“हां हां बिल्कुल आओ अंदर आओ…मैं अभी लाता हूँ पानी.”
गौरव अंदर आया तो उसने देवार पर एक पैंटिंग लगी देखी. पैंटिंग बहुत ही अजीब थी. उसमें एक घोड़े की पीठ पर आदमी का कटा हुआ सर रखा था. आस पास घाना जंगल था.
“ये कैसी अजीब सी पैटिंग है. ऐसी पैटिंग किसने बनाई. और कर्नल ने इसे अपने ड्रॉयिंग रूम में लगा रखा है. कुछ बहुत ही अजीब सा महसूस हो रहा है इस पैंटिंग को देख कर.”
“ये लीजिए पानी”
गौरव ने पानी पिया और बोला, “ये कैसी अजीब सी पैंटिंग है काका.”
“पता नही कहा से ले आए साहिब इसे. हो सकता है कि उन्होने खुद बनाई हो. मुझे भी ये यहाँ तंगी अजीब सी लगती है.”
“क्या वो पैटिंग का शॉंक रखते हैं.”
“हां पैंटिंग बनाते भी हैं और खरीद खरीद कर इकट्ठा भी करते रहते हैं. पर इस पैंटिंग का मुझे नही पता कि उन्होने ये खरीदी है या खुद बनाई है.”
“क्या ऐसी अजीब सी पैटिंग और भी हैं या फिर ये एक ही है.”
“ऐसी अजीब पैंटिंग और तो कोई नही देखी मैने.”
“ह्म्म…वैसे कैसा स्वाभाव है आपके साहिब का”
“अच्छा स्वाभाव है. सभी से बहुतब शालीनता से पेश आते हैं.”
“अच्छा काका…मैं बाद में मिलूँगा उनसे. फिर किसी दिन आउन्गा.”
गौरव निकल आया वहाँ से बाहर.
“साइको खुद को आर्टिस्ट बोलता है. कर्नल पैटिंग का शॉंक रखते हैं. बहुत ही अजीबो ग़रीब पैटिंग टाँग रखी है उन्होने घर में. क्या कर्नल को सस्पेक्ट माना जा सकता है. काका के अनुसार उनका स्वाभाव अच्छा है. क्या साइको ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसकी समाज में इज़्ज़त हो. मेरे ख्याल से बिल्कुल हो सकता है. अगर ऐसा ना होता तो वो अब नकाब लगा कर नही घूमता. विजय चिल्ला चिल्ला कर खुद को साइको बता रहा था. मगर वो सिर्फ़ कॉपी कॅट था. गौरव मेहरा भी खुद को साइको साबित करने पे तुला हुआ है. साइको जैसा शातिर दिमाग़ ऐसा कभी नही करेगा. फिर भी अभी किसी नतीज़े पर नही पहुँच सकते. गौरव के साथ साथ अब कर्नल पर भी कड़ी नज़र रखनी होगी मुझे. फिलहाल सिमरन से भी मिल आता हूँ. उसके पास भी तो ब्लॅक स्कॉर्पियो है.” गौरव ने मन ही मन सोचा.