02-01-2020, 02:05 PM
बात एक रात की--81
वो दोनो बाते कर ही रहे थे कि एक कार रुकी घर के बाहर. उसमे से एक व्यक्ति निकला और घर की तरफ बढ़ा.
मगर गन्मन ने उसे पीछे ही रोक लिया. गौरव और आशुतोष उसके पास आ गये. गौरव ने पूछा, "किस से मिलना है आपको."
"मुझे अपर्णा से मिलना है."
"क्यों मिलना है?"
"शी ईज़ माय वाइफ. आपको बताने की ज़रूरत नही है कि क्यों मिलना है."
“क्या …” आशुतोष और गौरव एक साथ बोले.
आशुतोष और गौरव दोनो ही शॉक्ड हो गये अपर्णा के हज़्बेंड को देख कर.
वो देखते रहे और वो घर की तरफ बढ़ गया.
“एक मिनिट…तुम्हारे पास क्या सबूत है की तुम अपर्णा के पति हो.” गौरव ने पूछा.
“अपर्णा बता देगी अभी. उस से मिल तो लेने दो.”
“ह्म्म ठीक है…आओ.” गौरव ने कहा.
ऋषि गौरव और आशुतोष के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ा.
गौरव ने बेल बजाई.
“अब क्या है. मुझे परेशान क्यों…..” अपर्णा बोलते बोलते रुक गयी.
“कैसी हो अपर्णा.” ऋषि ने कहा.
अपर्णा ने कोई जवाब नही दिया.
“अपर्णा क्या ये तुम्हारा पति है.” गौरव ने अपर्णा से पूछा.
“पति नही है…पति था. चले जाओ यहाँ से. मुझे तुमसे कोई बात नही करनी है.” अपर्णा ने दरवाजा वापिस बंद कर दिया.
“अपर्णा रूको.” ऋषि चिल्लाया और दरवाजा पीटने लगा.
“बहुत खूब. अपर्णा के पेरेंट्स के बाद अब सारी जायदाद अपर्णा की है. सब कुछ तुम्हे मिल सकता है, है ना. वाह. हेमंत सही कहता था. तुम सच में राइडर हो. तुम्हारी हर बात में एक राइडर छुपा होता है.”
“बकवास मत करो…मैं अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ. हमारे बीच मतभेद हैं, पर हम वो मिल जुल कर सुलझा लेंगे.”
“सुलझा लेना मगर अभी यहाँ से दफ़ा हो जाओ. अपर्णा की सुरक्षा के लिए पोलीस लगी हुई है यहाँ. यहाँ कोई तमासा नही चाहता मैं. वो अभी तुमसे बात नही करना चाहती. बाद में ट्राइ करना मिस्टर राइडर.”
“मेरा नाम ऋषि है. मैं कोई राइडर नही हूँ .”
“ पता है मुझे. पर क़ानूनी भासा में आपने जो हरकत की यहाँ आकर उस से आपको राइडर ही कहा जाएगा. अपर्णा के प्रति अचानक ये प्यार एक राइडर लिए हुए है. अपर्णा की दौलत मिल रही है आपको…इस प्यार के नाटक के बदले…हर्ज़ ही क्या हैं क्यों ..”
“मैं तुम्हारी बकवास सुन-ने नही आया हूँ यहाँ. मिल लूँगा मैं बाद में अपर्णा से. ये मेरे और उसके बीच की बात है तुम अपनी टाँग बीच में मत अड़ाओ.”
“सर ठीक कह रहे हैं मिस्टर राइडर, चले जाओ यहाँ से वरना तुम्हे साइको समझ कर एनकाउंटर कर देंगे तुम्हारा.” आशुतोष ने कहा.
“देख लूँगा तुम दोनो को मैं.” ऋषि पाँव पटक कर चला गया.
वो दोनो बाते कर ही रहे थे कि एक कार रुकी घर के बाहर. उसमे से एक व्यक्ति निकला और घर की तरफ बढ़ा.
मगर गन्मन ने उसे पीछे ही रोक लिया. गौरव और आशुतोष उसके पास आ गये. गौरव ने पूछा, "किस से मिलना है आपको."
"मुझे अपर्णा से मिलना है."
"क्यों मिलना है?"
"शी ईज़ माय वाइफ. आपको बताने की ज़रूरत नही है कि क्यों मिलना है."
“क्या …” आशुतोष और गौरव एक साथ बोले.
आशुतोष और गौरव दोनो ही शॉक्ड हो गये अपर्णा के हज़्बेंड को देख कर.
वो देखते रहे और वो घर की तरफ बढ़ गया.
“एक मिनिट…तुम्हारे पास क्या सबूत है की तुम अपर्णा के पति हो.” गौरव ने पूछा.
“अपर्णा बता देगी अभी. उस से मिल तो लेने दो.”
“ह्म्म ठीक है…आओ.” गौरव ने कहा.
ऋषि गौरव और आशुतोष के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ा.
गौरव ने बेल बजाई.
“अब क्या है. मुझे परेशान क्यों…..” अपर्णा बोलते बोलते रुक गयी.
“कैसी हो अपर्णा.” ऋषि ने कहा.
अपर्णा ने कोई जवाब नही दिया.
“अपर्णा क्या ये तुम्हारा पति है.” गौरव ने अपर्णा से पूछा.
“पति नही है…पति था. चले जाओ यहाँ से. मुझे तुमसे कोई बात नही करनी है.” अपर्णा ने दरवाजा वापिस बंद कर दिया.
“अपर्णा रूको.” ऋषि चिल्लाया और दरवाजा पीटने लगा.
“बहुत खूब. अपर्णा के पेरेंट्स के बाद अब सारी जायदाद अपर्णा की है. सब कुछ तुम्हे मिल सकता है, है ना. वाह. हेमंत सही कहता था. तुम सच में राइडर हो. तुम्हारी हर बात में एक राइडर छुपा होता है.”
“बकवास मत करो…मैं अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ. हमारे बीच मतभेद हैं, पर हम वो मिल जुल कर सुलझा लेंगे.”
“सुलझा लेना मगर अभी यहाँ से दफ़ा हो जाओ. अपर्णा की सुरक्षा के लिए पोलीस लगी हुई है यहाँ. यहाँ कोई तमासा नही चाहता मैं. वो अभी तुमसे बात नही करना चाहती. बाद में ट्राइ करना मिस्टर राइडर.”
“मेरा नाम ऋषि है. मैं कोई राइडर नही हूँ .”
“ पता है मुझे. पर क़ानूनी भासा में आपने जो हरकत की यहाँ आकर उस से आपको राइडर ही कहा जाएगा. अपर्णा के प्रति अचानक ये प्यार एक राइडर लिए हुए है. अपर्णा की दौलत मिल रही है आपको…इस प्यार के नाटक के बदले…हर्ज़ ही क्या हैं क्यों ..”
“मैं तुम्हारी बकवास सुन-ने नही आया हूँ यहाँ. मिल लूँगा मैं बाद में अपर्णा से. ये मेरे और उसके बीच की बात है तुम अपनी टाँग बीच में मत अड़ाओ.”
“सर ठीक कह रहे हैं मिस्टर राइडर, चले जाओ यहाँ से वरना तुम्हे साइको समझ कर एनकाउंटर कर देंगे तुम्हारा.” आशुतोष ने कहा.
“देख लूँगा तुम दोनो को मैं.” ऋषि पाँव पटक कर चला गया.