02-01-2020, 02:03 PM
गौरव वो स्नॅप्स ले कर सीधा अपर्णा के घर पहुँच गया. उसने वो स्नॅप्स आशुतोष को थमा दी और बोला,"ये स्नॅप्स अपर्णा को दिखाओ और पूछो कि क्या इनमे से कोई साइको है."
"सर वो अभी बहुत परेशान है. किसी से कोई भी बात नही करना चाहती वो."
"मैं समझ रहा हूँ पर हम हाथ पर हाथ रख कर नही बैठ सकते. अपर्णा से रिक्वेस्ट करो वो मान जाएगी. उसे बस ये स्नॅप्स देख कर हां या ना में ही तो जवाब देना है. जाओ ट्राइ करो जा कर."
आशुतोष स्नॅप्स ले कर घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उस वक्त रात के 10 बज रहे थे. आशुतोष को डर लग रहा था दरवाजा खड़काते हुए. मगर उसने खड़का ही दिया.
"क्या है अब?" अपर्णा ने पूछा
"गौरव सर कुछ स्नॅप्स लाए हैं. देख लीजिए हो सकता है इनमे से कोई साइको हो." आशुतोष ने स्नॅप्स अपर्णा की तरफ बढ़ाते हुए कहा.
अपर्णा ने स्नॅप्स पकड़ ली और गौर से देखने लगी. कुछ कन्फ्यूज़्ड सी हो गयी वो गौरव मेहरा की स्नॅप्स देखते हुए. गौरव दूर से अपर्णा के रिक्षन को अब्ज़र्व कर रहा था. अपर्णा को कन्फ्यूज़्ड अवस्था में देख कर वो तुरंत अपर्णा के पास आया और बोला, क्या हुआ अपर्णा, क्या यही साइको है"
"मैं ठीक से कुछ नही कह सकती. मुझे लगता है अब मैं उसका चेहरा भूल चुकी हूँ."
"क्या ... ...ऐसा कैसे हो सकता है."
"मुझे जो लग रहा है मैने बोल दिया. वैसे भी डरी हुई थी मैं उस वक्त. उसका चेहरा मुझे हल्का हल्का याद रहा. मगर अब सब धुंधला धुंधला हो गया है."
"ओह नो अपर्णा ...अगर ऐसा है तो हमारा काम और भी मुश्किल हो जाएगा." गौरव ने कहा.
"मेरा दिमाग़ मेरे बस में नही है. सब खो गया है...बिखर गया है. अब इंतेज़ार है तो बस इस बात का कि वो साइको मुझे भी मार दे आकर ताकि मुझे इस जिंदगी से छुटकारा मिले." ये कह कर दरवाजा पटक दिया उसने.
गौरव और आशुतोष एक दूसरे को देखते रह गये.
"अब क्या होगा सर"
"अपर्णा ट्रौमा में है. ऐसे में मेमोरी लॉस हो जाना स्वाभाविक है. वैसे भी एक झलक ही तो देखी थी उसने साइको की. कोई बात नही. अब कुछ और सोचना होगा."
"सर वो अभी बहुत परेशान है. किसी से कोई भी बात नही करना चाहती वो."
"मैं समझ रहा हूँ पर हम हाथ पर हाथ रख कर नही बैठ सकते. अपर्णा से रिक्वेस्ट करो वो मान जाएगी. उसे बस ये स्नॅप्स देख कर हां या ना में ही तो जवाब देना है. जाओ ट्राइ करो जा कर."
आशुतोष स्नॅप्स ले कर घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उस वक्त रात के 10 बज रहे थे. आशुतोष को डर लग रहा था दरवाजा खड़काते हुए. मगर उसने खड़का ही दिया.
"क्या है अब?" अपर्णा ने पूछा
"गौरव सर कुछ स्नॅप्स लाए हैं. देख लीजिए हो सकता है इनमे से कोई साइको हो." आशुतोष ने स्नॅप्स अपर्णा की तरफ बढ़ाते हुए कहा.
अपर्णा ने स्नॅप्स पकड़ ली और गौर से देखने लगी. कुछ कन्फ्यूज़्ड सी हो गयी वो गौरव मेहरा की स्नॅप्स देखते हुए. गौरव दूर से अपर्णा के रिक्षन को अब्ज़र्व कर रहा था. अपर्णा को कन्फ्यूज़्ड अवस्था में देख कर वो तुरंत अपर्णा के पास आया और बोला, क्या हुआ अपर्णा, क्या यही साइको है"
"मैं ठीक से कुछ नही कह सकती. मुझे लगता है अब मैं उसका चेहरा भूल चुकी हूँ."
"क्या ... ...ऐसा कैसे हो सकता है."
"मुझे जो लग रहा है मैने बोल दिया. वैसे भी डरी हुई थी मैं उस वक्त. उसका चेहरा मुझे हल्का हल्का याद रहा. मगर अब सब धुंधला धुंधला हो गया है."
"ओह नो अपर्णा ...अगर ऐसा है तो हमारा काम और भी मुश्किल हो जाएगा." गौरव ने कहा.
"मेरा दिमाग़ मेरे बस में नही है. सब खो गया है...बिखर गया है. अब इंतेज़ार है तो बस इस बात का कि वो साइको मुझे भी मार दे आकर ताकि मुझे इस जिंदगी से छुटकारा मिले." ये कह कर दरवाजा पटक दिया उसने.
गौरव और आशुतोष एक दूसरे को देखते रह गये.
"अब क्या होगा सर"
"अपर्णा ट्रौमा में है. ऐसे में मेमोरी लॉस हो जाना स्वाभाविक है. वैसे भी एक झलक ही तो देखी थी उसने साइको की. कोई बात नही. अब कुछ और सोचना होगा."