02-01-2020, 01:47 PM
….
सुबह 9 बजे ही तैयार हो गया सौरभ आज. पूजा के साथ घूमने जो जा रहा था वो.
“कहाँ मिलना है, इस बारे में तो बात ही नही हुई पूजा से. सीधा घर चला जाउ क्या उसे लेने.” सौरभ ने सोचा.
“नही..नही..कही श्रद्धा कोई पंगा ना कर दे. शायद पूजा वही बस स्टॉप पर ही मिलेगी.”
जैसा की सौरभ ने सोचा था, पूजा उसे बस स्टॉप पर ही मिली.
सौरभ को बायक पर आते देख उसके होंटो पर मुस्कान बिखर गयी. पर अगले ही पल वो उदास भी हो गयी.
सौरभ ने उसके सामने बायक रोकी और बोला, “क्या हुआ पहले मुस्कुराइ और फिर चेहरा लटका लिया.कोई प्रॉब्लम है क्या पूजा.”
“हां वो पिता जी की तबीयत खराब है कल शाम से. दीदी अकेली परेशान हो रही है. ऐसे में घूमने कैसे जाउ तुम्हारे साथ.”
“ओह…इसमे परेशान होने की कौन सी बात है पूजा. घूमने फिर कभी चलेंगे. तुम घर जाओ और पिता जी की सेवा करो.”
“कॉलेज में एक इम्पोर्टेन्ट लेक्चर है वो अटेंड करके आ जाउंगी.”
“गुड, आओ बैठ जाओ, छोड़ देता हूँ तुम्हे कॉलेज मैं.” सौरभ ने कहा.
“नही मैं चली जाउंगी…तुम ड्यूटी के लिए लेट हो जाओगे.”
“हो जाने दो लेट. तुम्हे कॉलेज छ्चोड़े बिना कही नही जाउन्गा. बैठ जाओ प्लीज़ और आज फिर अपना सर रख लेना मेरे कंधे पर. बहुत अतचा लगा था कल जब तुमने सर रखा था मेरे कंधे पर. बहुत रोमॅंटिक फील हो रहा था मुझे.”
“अच्छा…वो तो यू ही रख दिया था मैने, सर में दर्द हो रहा था कल.”
“अच्छा बैठो तो”
पूजा बैठ गयी और जैसे ही सौरभ बायक ले कर आगे बढ़ा पूजा ने सर टिका दिया उसके कंधे पर.
“सर में दर्द हो रहा है ?” सौरभ ने पूछा.
“हां, तुम्हे कैसे पता.”
“क्योंकि जैसा कल फील हो रहा था मुझे वैसा ही आज भी फील हो रहा है. हटाना मत सर अपना कॉलेज तक”
“सौरभ, तुम्हे बुरा तो नही लगा ना कि मैं आज भी नही चल रही तुम्हारे साथ.”
“पागल हो क्या बुरा क्यों लगेगा. वैसे मेरा मन भी कल से खराब है. कल शमसान गया था अपर्णा के पेरेंट्स के अंतिम संस्कार पर. कल से मन बहुत खराब हो रहा है. बहुत बुरी तरह से कतल किया साइको ने उनका.”
“आख़िर ये साइको पकड़ा क्यों नही जा रहा सौरभ.”
“बहुत चालाक है ये साइको पूजा. मगर पकड़ा जाएगा एक ना एक दिन वो. कब तक बचेगा. ”
“हां वो तो है.
बातो बातो में कॉलेज आ गया. सौरभ ने बायक रोक दी गेट के बाहर और पूजा उतर गयी बायक से.
“पूजा हमेशा ख्याल रखना अपना. सुनसान जगह पर कभी मत जाना. हमेशा ग्रूप में रहना. मेरे लिए अपना ख्याल रखना.”
“तुम्हारे लिए क्यों.”
“क्योंकि मेरी जिंदगी हो तुम.”
“हटो जाओ तुम.” पूजा शर्मा गयी.
“अरे सच कह रहा हूँ. तुम सच में मेरी जिंदगी हो. तुम्हारे बिना नही जी सकता मैं.”
“अच्छा…जाओ लेट हो जाओगे. मेरे भी लेक्चर का टाइम होने वाला है.”
“ओह हां तुम निकलो. बाय. टेक केर.”
पूजा कॉलेज के अंदर चली गयी और सौरभ अपने ऑफीस की तरफ चल दिया.
सुबह 9 बजे ही तैयार हो गया सौरभ आज. पूजा के साथ घूमने जो जा रहा था वो.
“कहाँ मिलना है, इस बारे में तो बात ही नही हुई पूजा से. सीधा घर चला जाउ क्या उसे लेने.” सौरभ ने सोचा.
“नही..नही..कही श्रद्धा कोई पंगा ना कर दे. शायद पूजा वही बस स्टॉप पर ही मिलेगी.”
जैसा की सौरभ ने सोचा था, पूजा उसे बस स्टॉप पर ही मिली.
सौरभ को बायक पर आते देख उसके होंटो पर मुस्कान बिखर गयी. पर अगले ही पल वो उदास भी हो गयी.
सौरभ ने उसके सामने बायक रोकी और बोला, “क्या हुआ पहले मुस्कुराइ और फिर चेहरा लटका लिया.कोई प्रॉब्लम है क्या पूजा.”
“हां वो पिता जी की तबीयत खराब है कल शाम से. दीदी अकेली परेशान हो रही है. ऐसे में घूमने कैसे जाउ तुम्हारे साथ.”
“ओह…इसमे परेशान होने की कौन सी बात है पूजा. घूमने फिर कभी चलेंगे. तुम घर जाओ और पिता जी की सेवा करो.”
“कॉलेज में एक इम्पोर्टेन्ट लेक्चर है वो अटेंड करके आ जाउंगी.”
“गुड, आओ बैठ जाओ, छोड़ देता हूँ तुम्हे कॉलेज मैं.” सौरभ ने कहा.
“नही मैं चली जाउंगी…तुम ड्यूटी के लिए लेट हो जाओगे.”
“हो जाने दो लेट. तुम्हे कॉलेज छ्चोड़े बिना कही नही जाउन्गा. बैठ जाओ प्लीज़ और आज फिर अपना सर रख लेना मेरे कंधे पर. बहुत अतचा लगा था कल जब तुमने सर रखा था मेरे कंधे पर. बहुत रोमॅंटिक फील हो रहा था मुझे.”
“अच्छा…वो तो यू ही रख दिया था मैने, सर में दर्द हो रहा था कल.”
“अच्छा बैठो तो”
पूजा बैठ गयी और जैसे ही सौरभ बायक ले कर आगे बढ़ा पूजा ने सर टिका दिया उसके कंधे पर.
“सर में दर्द हो रहा है ?” सौरभ ने पूछा.
“हां, तुम्हे कैसे पता.”
“क्योंकि जैसा कल फील हो रहा था मुझे वैसा ही आज भी फील हो रहा है. हटाना मत सर अपना कॉलेज तक”
“सौरभ, तुम्हे बुरा तो नही लगा ना कि मैं आज भी नही चल रही तुम्हारे साथ.”
“पागल हो क्या बुरा क्यों लगेगा. वैसे मेरा मन भी कल से खराब है. कल शमसान गया था अपर्णा के पेरेंट्स के अंतिम संस्कार पर. कल से मन बहुत खराब हो रहा है. बहुत बुरी तरह से कतल किया साइको ने उनका.”
“आख़िर ये साइको पकड़ा क्यों नही जा रहा सौरभ.”
“बहुत चालाक है ये साइको पूजा. मगर पकड़ा जाएगा एक ना एक दिन वो. कब तक बचेगा. ”
“हां वो तो है.
बातो बातो में कॉलेज आ गया. सौरभ ने बायक रोक दी गेट के बाहर और पूजा उतर गयी बायक से.
“पूजा हमेशा ख्याल रखना अपना. सुनसान जगह पर कभी मत जाना. हमेशा ग्रूप में रहना. मेरे लिए अपना ख्याल रखना.”
“तुम्हारे लिए क्यों.”
“क्योंकि मेरी जिंदगी हो तुम.”
“हटो जाओ तुम.” पूजा शर्मा गयी.
“अरे सच कह रहा हूँ. तुम सच में मेरी जिंदगी हो. तुम्हारे बिना नही जी सकता मैं.”
“अच्छा…जाओ लेट हो जाओगे. मेरे भी लेक्चर का टाइम होने वाला है.”
“ओह हां तुम निकलो. बाय. टेक केर.”
पूजा कॉलेज के अंदर चली गयी और सौरभ अपने ऑफीस की तरफ चल दिया.