02-01-2020, 01:45 PM
अपर्णा के चाचा चाची सुबह सेवेरे ही निकल दिए देल्ही के लिए. अपर्णा के चाचा का देल्ही में किड्नी का ऑपरेशन होना था जिसके लिए उन्हे वहाँ पहुँचना ज़रूरी था. गब्बर को भी उनके साथ ही जाना था. क्रिटिकल सिचुयेशन थी, ऑपरेशन में डेले नही कर सकते थे. वो बोल रहे थे अपर्णा को भी साथ चलने के लिए और उनके साथ ही रहने के लिए. मगर उसने मना कर दिया, “मैं इस घर को छोड़ कर नही जाउंगी. मम्मी पापा की यादें हैं यहाँ. और वैसे भी भागने से फायदा क्या है. मौत अगर लिखी है तो कही भी आ सकती है.”
सुबह 8 बजे निकले थे वो लोग और अपर्णा उन्हे सी ऑफ करने बाहर तक आई थी. उन्हे सी ऑफ करने के बाद जैसे ही अपर्णा वापिस मूडी घर में जाने के लिए आशुतोष ने अपर्णा को आवाज़ दी, “अपर्णा जी!”
अपर्णा रुक गयी और पीछे मूड कर देखा. आशुतोष उसकी तरफ बढ़ रहा था. आशुतोष उसके पास पहुँच कर बोला, “कैसी हैं आप अब?”
“जिंदा हूँ”
“समझ नही आता कि क्या करूँ आपके लिए.”
“तुम्हे कुछ करने की ज़रूरत नही है.” अपर्णा ने कहा और अपने घर में घुस कर कुण्डी लगा ली और दरवाजे पर खड़ी हो कर सुबकने लगी, “तुमने कौन सा कसर छ्चोड़ी है मुझे परेशान करने की.”
आशुतोष खड़ा रहा चुपचाप. कर भी क्या सकता था. “मैं भी पागल हूँ. जब पता है कि वो मेरी बात से परेशान ही होती हैं फिर क्यों…और परेशान करता हूँ उन्हे.” आशुतोष वापिस जीप में आकर बैठ गया चुपचाप.
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सुबह 8 बजे निकले थे वो लोग और अपर्णा उन्हे सी ऑफ करने बाहर तक आई थी. उन्हे सी ऑफ करने के बाद जैसे ही अपर्णा वापिस मूडी घर में जाने के लिए आशुतोष ने अपर्णा को आवाज़ दी, “अपर्णा जी!”
अपर्णा रुक गयी और पीछे मूड कर देखा. आशुतोष उसकी तरफ बढ़ रहा था. आशुतोष उसके पास पहुँच कर बोला, “कैसी हैं आप अब?”
“जिंदा हूँ”
“समझ नही आता कि क्या करूँ आपके लिए.”
“तुम्हे कुछ करने की ज़रूरत नही है.” अपर्णा ने कहा और अपने घर में घुस कर कुण्डी लगा ली और दरवाजे पर खड़ी हो कर सुबकने लगी, “तुमने कौन सा कसर छ्चोड़ी है मुझे परेशान करने की.”
आशुतोष खड़ा रहा चुपचाप. कर भी क्या सकता था. “मैं भी पागल हूँ. जब पता है कि वो मेरी बात से परेशान ही होती हैं फिर क्यों…और परेशान करता हूँ उन्हे.” आशुतोष वापिस जीप में आकर बैठ गया चुपचाप.
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