02-01-2020, 01:43 PM
तभी उन्हे कदमो की आहट सुनाई दी.
“कौन है वहाँ अपने हाथ उपर करो”
“अरे ये तो एएसपी साहिबा की आवाज़ है” गौरव ने कहा.
“मेडम मैं हूँ गौरव….” गौरव चिल्लाया.
अंकिता के साथ पूरी पोलीस घुस आई थी वहाँ.
“तुम ठीक तो हो ना गौरव?” अंकिता ने पूछा.
“हां मैं ठीक हूँ पर वो साइको हाथ से निकल गया आज फिर … पोलीस को आस पास चारो तरफ फैला दीजिए…वो ज़रूर कही आस पास ही होगा.” गौरव ने कहा.
चौहान थोड़ा पीछे था इसलिए अपनी बहन को नही पहचान पाया. जब वो वहाँ पहुँचा तो हैरान रह गया. रीमा तुम.. …तुम यहाँ क्या कर रही हो .”
रीमा की तो साँस अटक गयी. कुछ भी नही बोल पाई.
“सर रीमा को साइको उठा लाया था…इसलिए ये यहाँ है.” गौरव ने बात को संभालने की कोशिश की.
“तुम कैसे जानते हो रीमा को .. … …”
“ट्रेन में मुलाक़ात हुई थी इनसे. आप घबराए मत हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त हैं.” गौरव ने मुस्कुराते हुए कहा.
“ये वक्त है क्या ये सब बाते करने का.” अंकिता ने दोनो को डाँट दिया.
“सॉरी मेडम” गौरव ने कहा.
चौहान बस दाँत भींच कर रह गया. उसने रीमा को गुस्से से घूर कर देखा. रीमा ने डर के मारे नज़रे झुका ली.
“चौहान तुम एक पार्टी लेकर तुरंत जंगल को कवर करो. ये साइको यही कही होना चाहिए.”
“जी मेडम” चौहान ने कहा और गौरव को घूरता हुआ वहाँ से चला गया. उसकी आँखो से आग बरस रही थी.
“मेडम मैने साइको को कमरे में बंद कर दिया था. मगर अब वो वहाँ नही है. चलिए उसी कमरे को ठीक से देखते हैं.”
“हां बिल्कुल” अंकिता ने 2 कॉन्स्टेबल रीमा और पिंकी के साथ छोड़ दिए और गौरव के साथ उस कमरे की तरफ चल दी जिसमे की गौरव ने साइको को बंद किया था. साथ में 4 गन्मन भी थे.
वो दरवाजे की कुण्डी खोल कर अंदर घुसे तो उन्हे कमरा खाली मिला.
“ऐसा कैसे हो सकता है, वो बंद कमरे से गायब कैसे हो गया. ज़रूर कोई ख़ुफ़िया रास्ता या शुरंग है यहाँ.” अंकिता ने कहा.
“सही कहा मेडम मुझे भी यही लगता है.” गौरव ने कहा.
“ये बेड एक तरफ सरकाओ” अंकिता ने कॉन्स्टेबल्स को कहा.
बेड एक तरफ सरकाया गया तो उन्हे एक ख़ुफ़िया रास्ता मिला. “हटाओ ये पत्थर” अंकिता ने कहा.
पत्थर हटाया गया तो उनका शक यकीन में बदल गया, “ये कोई शुरंग लगती है. तहखाना भी हो सकता है.”
“मेडम आप मुझे अपनी पिस्टल दीजिए. मैं जा कर देखता हूँ.”
अंकिता ने अपनी पिस्टल गौरव को दे दी और वो उतर गया उस छोटी सी खिड़की में एक टॉर्च ले कर. अंदर झाँक कर वो बोला, “मेडम ये तो बहुत बड़ी शुरंग लगती है.” गौरव ने कहा.
गौरव के पीछे पीछे काफ़ी पोलीस वाले अंदर घुस गये. अंकिता भी अंदर घुस गयी. वो आगे बढ़ते गये शुरंग में पर उन्हे साइको का कोई शुराग नही मिला. वो जंगल के बीचो-बीच घनी झाड़ियों में जाकर बाहर निकले.
“बहुत शातिर दिमाग़ है ये साइको. क्या ठिकाना बना रखा है. जंगल में ये घर कब और किसने बनाए होंगे वो भी अंडरग्राउंड.”
“क्या जहा से हम आए है क्या वो जगह अंडरग्राउंड है.” गौरव ने कहा.
“हां…बहुत मुश्किल से मिली वो हमें. घनी झाड़ियों में एक छोटी सी गुफा में एक छोटा सा दरवाजा था जहा से हम सब वहाँ पहुँचे.”
“मतलब कि हमारा शक सही था. हम सही सोच रहे थे कि जंगल में कुछ गड़बड़ है.”
“हां पर वो साइको तो निकल गया ना हाथ से फिर से.” अंकिता ने कहा.
“मुझसे ही ग़लती हो गयी. पर मैं क्या करता. मेरा पूरा ध्यान पिंकी और रीमा को सुरक्षित रखने पर था.”
अंकिता ने गहरी साँस ली और बोली, “लीव इट.”
वहाँ हर तरफ तलाश की गयी मगर साइको का कुछ पता नही चला. गौरव और अंकिता शुरंग के ज़रिए वापिस उसी कमरे में पहुँच गये. उस जगह को अच्छे से देखा गया. पर वहाँ ऐसा कोई शुराग नही मिला जिस से उन्हे साइको को ढूँढने में मदद मिले. उस जगह को शील बंद कर दिया गया. जंगल को पूरी तरह छाना गया पर वहाँ भी साइको का कुछ पता नही चला.
“वो भाग गया होगा पोलीस को देख कर.” गौरव ने कहा.
“हां यही लगता है.” अंकिता ने कहा.
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“कौन है वहाँ अपने हाथ उपर करो”
“अरे ये तो एएसपी साहिबा की आवाज़ है” गौरव ने कहा.
“मेडम मैं हूँ गौरव….” गौरव चिल्लाया.
अंकिता के साथ पूरी पोलीस घुस आई थी वहाँ.
“तुम ठीक तो हो ना गौरव?” अंकिता ने पूछा.
“हां मैं ठीक हूँ पर वो साइको हाथ से निकल गया आज फिर … पोलीस को आस पास चारो तरफ फैला दीजिए…वो ज़रूर कही आस पास ही होगा.” गौरव ने कहा.
चौहान थोड़ा पीछे था इसलिए अपनी बहन को नही पहचान पाया. जब वो वहाँ पहुँचा तो हैरान रह गया. रीमा तुम.. …तुम यहाँ क्या कर रही हो .”
रीमा की तो साँस अटक गयी. कुछ भी नही बोल पाई.
“सर रीमा को साइको उठा लाया था…इसलिए ये यहाँ है.” गौरव ने बात को संभालने की कोशिश की.
“तुम कैसे जानते हो रीमा को .. … …”
“ट्रेन में मुलाक़ात हुई थी इनसे. आप घबराए मत हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त हैं.” गौरव ने मुस्कुराते हुए कहा.
“ये वक्त है क्या ये सब बाते करने का.” अंकिता ने दोनो को डाँट दिया.
“सॉरी मेडम” गौरव ने कहा.
चौहान बस दाँत भींच कर रह गया. उसने रीमा को गुस्से से घूर कर देखा. रीमा ने डर के मारे नज़रे झुका ली.
“चौहान तुम एक पार्टी लेकर तुरंत जंगल को कवर करो. ये साइको यही कही होना चाहिए.”
“जी मेडम” चौहान ने कहा और गौरव को घूरता हुआ वहाँ से चला गया. उसकी आँखो से आग बरस रही थी.
“मेडम मैने साइको को कमरे में बंद कर दिया था. मगर अब वो वहाँ नही है. चलिए उसी कमरे को ठीक से देखते हैं.”
“हां बिल्कुल” अंकिता ने 2 कॉन्स्टेबल रीमा और पिंकी के साथ छोड़ दिए और गौरव के साथ उस कमरे की तरफ चल दी जिसमे की गौरव ने साइको को बंद किया था. साथ में 4 गन्मन भी थे.
वो दरवाजे की कुण्डी खोल कर अंदर घुसे तो उन्हे कमरा खाली मिला.
“ऐसा कैसे हो सकता है, वो बंद कमरे से गायब कैसे हो गया. ज़रूर कोई ख़ुफ़िया रास्ता या शुरंग है यहाँ.” अंकिता ने कहा.
“सही कहा मेडम मुझे भी यही लगता है.” गौरव ने कहा.
“ये बेड एक तरफ सरकाओ” अंकिता ने कॉन्स्टेबल्स को कहा.
बेड एक तरफ सरकाया गया तो उन्हे एक ख़ुफ़िया रास्ता मिला. “हटाओ ये पत्थर” अंकिता ने कहा.
पत्थर हटाया गया तो उनका शक यकीन में बदल गया, “ये कोई शुरंग लगती है. तहखाना भी हो सकता है.”
“मेडम आप मुझे अपनी पिस्टल दीजिए. मैं जा कर देखता हूँ.”
अंकिता ने अपनी पिस्टल गौरव को दे दी और वो उतर गया उस छोटी सी खिड़की में एक टॉर्च ले कर. अंदर झाँक कर वो बोला, “मेडम ये तो बहुत बड़ी शुरंग लगती है.” गौरव ने कहा.
गौरव के पीछे पीछे काफ़ी पोलीस वाले अंदर घुस गये. अंकिता भी अंदर घुस गयी. वो आगे बढ़ते गये शुरंग में पर उन्हे साइको का कोई शुराग नही मिला. वो जंगल के बीचो-बीच घनी झाड़ियों में जाकर बाहर निकले.
“बहुत शातिर दिमाग़ है ये साइको. क्या ठिकाना बना रखा है. जंगल में ये घर कब और किसने बनाए होंगे वो भी अंडरग्राउंड.”
“क्या जहा से हम आए है क्या वो जगह अंडरग्राउंड है.” गौरव ने कहा.
“हां…बहुत मुश्किल से मिली वो हमें. घनी झाड़ियों में एक छोटी सी गुफा में एक छोटा सा दरवाजा था जहा से हम सब वहाँ पहुँचे.”
“मतलब कि हमारा शक सही था. हम सही सोच रहे थे कि जंगल में कुछ गड़बड़ है.”
“हां पर वो साइको तो निकल गया ना हाथ से फिर से.” अंकिता ने कहा.
“मुझसे ही ग़लती हो गयी. पर मैं क्या करता. मेरा पूरा ध्यान पिंकी और रीमा को सुरक्षित रखने पर था.”
अंकिता ने गहरी साँस ली और बोली, “लीव इट.”
वहाँ हर तरफ तलाश की गयी मगर साइको का कुछ पता नही चला. गौरव और अंकिता शुरंग के ज़रिए वापिस उसी कमरे में पहुँच गये. उस जगह को अच्छे से देखा गया. पर वहाँ ऐसा कोई शुराग नही मिला जिस से उन्हे साइको को ढूँढने में मदद मिले. उस जगह को शील बंद कर दिया गया. जंगल को पूरी तरह छाना गया पर वहाँ भी साइको का कुछ पता नही चला.
“वो भाग गया होगा पोलीस को देख कर.” गौरव ने कहा.
“हां यही लगता है.” अंकिता ने कहा.
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