02-01-2020, 01:34 PM
“अच्छा सुनो मैं अपना रिव्यू देता हूँ.”
“हां बोलो मैं सुन रही हूँ.”
“छोटी सी भूल एक ऐसी कहानी है जो हमें जिंदगी का मतलब सिखाती है. ये कहानी हमारी अन्तेर आत्मा को झकज़ोर देती है. जीवन के काई पहलुओं को उजागर करती है ये कहानी. अगर आप एक नारी को समझना चाहते हैं तो ये कहानी पढ़ें. अगर आप ये जान-ना चाहते हैं कि ब्लात्कार का नारी के अस्तिताव पर कितना गहरा घाव होता है तो छोटी सी भूल ज़रूर पढ़ें. बहुत ही अच्छे से समझाया है एक औरत की भावनाओ को छोटी सी भूल ने.
ऋतु के जैसा कॅरक्टर किसी कहानी में नही देखा मैने. वो भटकती है जिंदगी में. बिल्लू की हवस का शिकार हो जाती है. बहुत गिर जाती है अपनी जिंदगी में. मगर उसके चरित्र की एक बात हमएसा उसके प्रति प्रेम जगाए रखती है. वो बात है उसका ये अहसास की वो ग़लत कर रही है, पाप कर रही है. कितने लोग हैं दुनिया में जिन्हे ये अहसास भी होता है की वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. हम कभी अपनी ग़लती स्वीकार नही करते. मगर ऋतु हमेशा स्वीकार करती है. ये उसके चरित्र की सुंदरता को दर्शाता है.
ये कहानी दिखती है की किस तरह बदले की आग किसी की जिंदगी बर्बाद कर सकती है. बिल्लू की बहन का रेप हुआ. ऋतु के हज़्बेंड ने किया रेप कुछ लोगो के साथ मिल कर. बिल्लू ने बदले की आग में ऋतु को सिड्यूस किया और उसके चरित्र को छलनी छलनी कर दिया. ये सब बातें बहुत ही एरॉटिक रूप में दिखाई गयी हैं कहानी में. ज़रूरी भी था. कहानी ही कुछ ऐसी थी. सेक्स इस कहानी का अटूट हिस्सा लगता है. क्योंकि बिल्लू सेक्स का ही सहारा लेता है संजय से बदला लेने के लिए. ऋतु को बहुत ही बुरी तरह सिड्यूस किया जाता है और उसे बर्बाद कर दिया जाता है.
ऋतु और बिल्लू दोनो को बहुत गिरते हुए दिखाया गया कहानी में. मगर कहानी कुछ और ही रूप लेती है बाद में. जतिन ने दिखाया है की जो इंसान गिरता है उसकी ही उपर उठने की भी संभावना होती है. बहुत गिरे ऋतु और बिल्लू दोनो और बाद में इतना उठे की शायद हम लोग उतना उठने की सोच भी ना पाए.
प्यार हुआ उन दोनो के बीच और ऐसा प्यार हुआ की आप रो पड़ेंगे देख कर. खूब रोया मैं रात को. इतनी सुंदर प्रेम कहानी मैने अपनी जिंदगी में नही पढ़ी.
पेज नो 79 से 89 तक प्यार का तूफान चलता है कहानी में जिसमें की आप उलझ जाते हैं और आप ना चाहते हुए भी आँसू बहाने लगते हैं. ऐसा तूफान सिर्फ़ जतिन भाई ही क्रियेट कर सकते हैं. अभी तक निकल नही पाया मैं उस तूफान से और सच पूछो तो निकलना चाहता भी नही. पता नही कितनी बार पढ़ुंगा मैं पेज 79 से 89 तक. पर ये जानता हूँ की हर बार एक बार और पढ़ने की इतचा होगी. क्या किसी रीडर के साथ कोई और कर सकता है ऐसा जतिन भाई के अलावा. कोई भी नही.
प्यार की जो उँचाई दिखाई गयी है बिल्लू और ऋतु के बीच उसे बहुत कम लोग समझेंगे. क्योंकि बहुत से लोग प्यार को समझते ही कहा हैं. ऐसी उँचाई हर कोई नही पा सकता अपनी जिंदगी में.
छोटी सी भूल एरॉटिक ब्लास्ट से शुरू हो कर प्यार के तूफान पर ख़तम होती है. इस एक लाइन में ही मेरा पूरा रिव्यू छुपा है. जो इस लाइन की गहराई को समझ लेगा वो पूरी कहानी को समझ लेगा.
आख़िर में यही कहूँगा की प्यार का संदेश है छोटी सी भूल. ये संदेश हमें कुछ इस तरह से सुनाया है जतिन भाई ने की आँखे बहने लगती है सुनते हुए. इंटरनेट पर इस कहानी से ज़्यादा सुन्दर कहानी नही मिलेगी. जतिन भाई की खुद की स्टोरीस भी शायद इस कहानी का मुक़ाबला नही कर सकती. उन सभी लोगो को छोटी सी भूल पढ़नी चाहिए जो प्यार को समझना चाहते है, जिंदगी को समझना चाहते हैं और डूब जाना चाहते हैं एक प्यारी सी दुनिया में. और क्या कहूँ…दिस ईज़ आ मस्ट रेड”
गौरव जब अपनी बात करके हटा तो उसने देखा की रीमा की आँखे नम हैं.
“अरे क्या हुआ तुम्हे?” गौरव ने पूछा.
“तुम्हारे रिव्यू ने फिर से रुला दिया. पूरी कहानी आँखो में घूम गयी.”
“मेरे दिल में जो था इस कहानी के लिए कह दिया.”
“बहुत अच्छा रिव्यू दिया है. एक बार फिर से पढ़ूंगी घर जा कर. कहानी को नये रूप में सामने रखा है तुमने.”
“ह्म्म.. आज पहली बार घर आई हो कुछ लोगि.”
“तुम पास रहो बस मेरे…और कुछ नही चाहिए.” रीमा ये बोल कर चिपक गयी गौरव से.
“क्या तुमने सच में छोड़ दिया अपने बॉय फ्रेंड को मेरे लिए.”
“झूठ नही बोलती हूँ मैं.”
“ऐसा क्यों किया तुमने पर”
“मुझे नही पता … तुम्हारा साथ अच्छा लगता है बस”
“रेल बनवाने की आदत पड़ गयी क्या.”
“आज मेरी डेट्स आई हुई हैं. सेक्स के लिए नही आई हूँ यहाँ. तुम्हारे साथ के लिए आई हूँ”
“सॉरी रीमा मज़ाक कर रहा था.. ….”
“आइ लव यू गौरव.”
“क्या … क्या कहा तुमने.”
“आइ लव यू”
“रीमा हटो यार मज़ाक मत करो. मैं कुछ लाता हूँ तुम्हारे लिए.”
रीमा ने गौरव की आँखो में देखा और बोली, “आइ लव यू, क्या मज़ाक में कहता है कोई किसी को.”
गौरव रीमा को अपने से अलग कर देता है, “रीमा दिस ईज़ टू मच. दोस्त हैं हम. दोस्त ही रहेंगे. तुम्हे पता है मैं किस से प्यार करता हूँ फिर भी.”
“हां पर वो तुमसे बात तक नही करती. क्यों पीछे पड़े हो उसके. क्या पता वो किसी और को चाहती हो.”
“रीमा प्लीज़ ये सब बोलने की ज़रूरत नही है तुम्हे. अगर तुम सच में प्यार करती हो मुझे तो धन्यवाद है तुम्हारा. मगर मैं झूठ नही बोलूँगा. मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई अहसास नही है. तुम्हे धोका नही दे सकता. मैं तुम्हे दोस्त के रूप में देखता हूँ और कुछ नही.”
रीमा की आँखे टपकने लगी ये सुन कर. गौरव ने ये देख कर उसे बाहों में भर लिया और बोला, “पागल हो गयी हो तुम क्या. रो क्यों रही हो. मैने तुम्हे सच बोल दिया रीमा. झुत बोलने से फायदा क्या है. कभी तुमसे प्यार हुआ तो ज़रूर कहूँगा. अभी वो अहसास नही है तो कैसे कह दूं.”
“कोई बात नही गौरव. चलो छोड़ो. लाओ कुछ खाने के लिए भूक लगी है मुझे. वैसे सच ही कहा था तुमने, बिल्लू और ऋतु के जैसा प्यार हर किसी को नसीब नही हो सकता. काश मेरी छोटी सी भूल भी प्यार में बदल जाती. मेरी तुम्हारी गाड़ी तो सेक्स पर ही रुक गयी है. एक दूसरे के शरीर से खेले और बाय-बाय करके चलते बने.”
“अब कैसे सम्झाउ तुम्हे.”
“कुछ समझाने की ज़रूरत नही है. चलो कुछ खाने को ले आओ. भूक लग रही है मुझे.”
“यार खाना तो बनाना पड़ेगा. ऐसा करता हूँ बाहर से मॅंगा देता हूँ.”
“नही…बाहर से क्यों मँगाओगे. मैं बना देती हूँ.”
रीमा ने प्यार से स्वदिस्त खाना बनाया.
“वाह यार बहुत अच्छा खाना बनाती हो तुम तो. मज़ा आ गया.”
गौरव मुझे कॉलेज जाना होगा. एक असाइनमेंट सब्मिट करनी थी शाम तक. वो सब्मिट करके घर चली जाउंगी.”
“ठीक है मैं तुम्हे छोड़ दूँगा. अभी तो 2 ही बजे हैं.”
“बस अभी छोड़ दो तो अतचा है. असाइनमेंट लिखनी भी तो है अभी. लाइब्ररी में बैठ कर लिख लूँगी.”
“ओके…जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
गौरव रीमा को कॉलेज छोड़ कर घर वापिस आ जाता है और बेड पर लेट जाता है. उसके दिमाग़ में रीमा की कही बाते ही घूम रही थी. जब वो उसे कॉलेज छोड़ने गया था तो रीमा रास्ते भर चुप रही थी. गौरव की जीप से उतर कर उसने गौरव को एक दर्द भारी मुस्कान से बाय किया था.
“ओह रीमा मुझे वक्त दो. झुत नही बोल सकता था तुमसे. तुम आतची लड़की हो. सुंदर हो. काश तुमसे ही प्यार हो जाए मुझे. प्यार भी अजीब चीज़ है. जहा ढूँढते हैं वहाँ नही मिलता. जहा पाने की तम्मन्ना भी नही होती वहाँ मिल जाता है. सोचूँगा रीमा तुम्हारे बारे में. थोडा सा वक्त दो मुझे.”
सोचते-सोचते गौरव की आँख लग गयी. बहुत गहरी नींद शो गया वो.
“हां बोलो मैं सुन रही हूँ.”
“छोटी सी भूल एक ऐसी कहानी है जो हमें जिंदगी का मतलब सिखाती है. ये कहानी हमारी अन्तेर आत्मा को झकज़ोर देती है. जीवन के काई पहलुओं को उजागर करती है ये कहानी. अगर आप एक नारी को समझना चाहते हैं तो ये कहानी पढ़ें. अगर आप ये जान-ना चाहते हैं कि ब्लात्कार का नारी के अस्तिताव पर कितना गहरा घाव होता है तो छोटी सी भूल ज़रूर पढ़ें. बहुत ही अच्छे से समझाया है एक औरत की भावनाओ को छोटी सी भूल ने.
ऋतु के जैसा कॅरक्टर किसी कहानी में नही देखा मैने. वो भटकती है जिंदगी में. बिल्लू की हवस का शिकार हो जाती है. बहुत गिर जाती है अपनी जिंदगी में. मगर उसके चरित्र की एक बात हमएसा उसके प्रति प्रेम जगाए रखती है. वो बात है उसका ये अहसास की वो ग़लत कर रही है, पाप कर रही है. कितने लोग हैं दुनिया में जिन्हे ये अहसास भी होता है की वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. हम कभी अपनी ग़लती स्वीकार नही करते. मगर ऋतु हमेशा स्वीकार करती है. ये उसके चरित्र की सुंदरता को दर्शाता है.
ये कहानी दिखती है की किस तरह बदले की आग किसी की जिंदगी बर्बाद कर सकती है. बिल्लू की बहन का रेप हुआ. ऋतु के हज़्बेंड ने किया रेप कुछ लोगो के साथ मिल कर. बिल्लू ने बदले की आग में ऋतु को सिड्यूस किया और उसके चरित्र को छलनी छलनी कर दिया. ये सब बातें बहुत ही एरॉटिक रूप में दिखाई गयी हैं कहानी में. ज़रूरी भी था. कहानी ही कुछ ऐसी थी. सेक्स इस कहानी का अटूट हिस्सा लगता है. क्योंकि बिल्लू सेक्स का ही सहारा लेता है संजय से बदला लेने के लिए. ऋतु को बहुत ही बुरी तरह सिड्यूस किया जाता है और उसे बर्बाद कर दिया जाता है.
ऋतु और बिल्लू दोनो को बहुत गिरते हुए दिखाया गया कहानी में. मगर कहानी कुछ और ही रूप लेती है बाद में. जतिन ने दिखाया है की जो इंसान गिरता है उसकी ही उपर उठने की भी संभावना होती है. बहुत गिरे ऋतु और बिल्लू दोनो और बाद में इतना उठे की शायद हम लोग उतना उठने की सोच भी ना पाए.
प्यार हुआ उन दोनो के बीच और ऐसा प्यार हुआ की आप रो पड़ेंगे देख कर. खूब रोया मैं रात को. इतनी सुंदर प्रेम कहानी मैने अपनी जिंदगी में नही पढ़ी.
पेज नो 79 से 89 तक प्यार का तूफान चलता है कहानी में जिसमें की आप उलझ जाते हैं और आप ना चाहते हुए भी आँसू बहाने लगते हैं. ऐसा तूफान सिर्फ़ जतिन भाई ही क्रियेट कर सकते हैं. अभी तक निकल नही पाया मैं उस तूफान से और सच पूछो तो निकलना चाहता भी नही. पता नही कितनी बार पढ़ुंगा मैं पेज 79 से 89 तक. पर ये जानता हूँ की हर बार एक बार और पढ़ने की इतचा होगी. क्या किसी रीडर के साथ कोई और कर सकता है ऐसा जतिन भाई के अलावा. कोई भी नही.
प्यार की जो उँचाई दिखाई गयी है बिल्लू और ऋतु के बीच उसे बहुत कम लोग समझेंगे. क्योंकि बहुत से लोग प्यार को समझते ही कहा हैं. ऐसी उँचाई हर कोई नही पा सकता अपनी जिंदगी में.
छोटी सी भूल एरॉटिक ब्लास्ट से शुरू हो कर प्यार के तूफान पर ख़तम होती है. इस एक लाइन में ही मेरा पूरा रिव्यू छुपा है. जो इस लाइन की गहराई को समझ लेगा वो पूरी कहानी को समझ लेगा.
आख़िर में यही कहूँगा की प्यार का संदेश है छोटी सी भूल. ये संदेश हमें कुछ इस तरह से सुनाया है जतिन भाई ने की आँखे बहने लगती है सुनते हुए. इंटरनेट पर इस कहानी से ज़्यादा सुन्दर कहानी नही मिलेगी. जतिन भाई की खुद की स्टोरीस भी शायद इस कहानी का मुक़ाबला नही कर सकती. उन सभी लोगो को छोटी सी भूल पढ़नी चाहिए जो प्यार को समझना चाहते है, जिंदगी को समझना चाहते हैं और डूब जाना चाहते हैं एक प्यारी सी दुनिया में. और क्या कहूँ…दिस ईज़ आ मस्ट रेड”
गौरव जब अपनी बात करके हटा तो उसने देखा की रीमा की आँखे नम हैं.
“अरे क्या हुआ तुम्हे?” गौरव ने पूछा.
“तुम्हारे रिव्यू ने फिर से रुला दिया. पूरी कहानी आँखो में घूम गयी.”
“मेरे दिल में जो था इस कहानी के लिए कह दिया.”
“बहुत अच्छा रिव्यू दिया है. एक बार फिर से पढ़ूंगी घर जा कर. कहानी को नये रूप में सामने रखा है तुमने.”
“ह्म्म.. आज पहली बार घर आई हो कुछ लोगि.”
“तुम पास रहो बस मेरे…और कुछ नही चाहिए.” रीमा ये बोल कर चिपक गयी गौरव से.
“क्या तुमने सच में छोड़ दिया अपने बॉय फ्रेंड को मेरे लिए.”
“झूठ नही बोलती हूँ मैं.”
“ऐसा क्यों किया तुमने पर”
“मुझे नही पता … तुम्हारा साथ अच्छा लगता है बस”
“रेल बनवाने की आदत पड़ गयी क्या.”
“आज मेरी डेट्स आई हुई हैं. सेक्स के लिए नही आई हूँ यहाँ. तुम्हारे साथ के लिए आई हूँ”
“सॉरी रीमा मज़ाक कर रहा था.. ….”
“आइ लव यू गौरव.”
“क्या … क्या कहा तुमने.”
“आइ लव यू”
“रीमा हटो यार मज़ाक मत करो. मैं कुछ लाता हूँ तुम्हारे लिए.”
रीमा ने गौरव की आँखो में देखा और बोली, “आइ लव यू, क्या मज़ाक में कहता है कोई किसी को.”
गौरव रीमा को अपने से अलग कर देता है, “रीमा दिस ईज़ टू मच. दोस्त हैं हम. दोस्त ही रहेंगे. तुम्हे पता है मैं किस से प्यार करता हूँ फिर भी.”
“हां पर वो तुमसे बात तक नही करती. क्यों पीछे पड़े हो उसके. क्या पता वो किसी और को चाहती हो.”
“रीमा प्लीज़ ये सब बोलने की ज़रूरत नही है तुम्हे. अगर तुम सच में प्यार करती हो मुझे तो धन्यवाद है तुम्हारा. मगर मैं झूठ नही बोलूँगा. मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई अहसास नही है. तुम्हे धोका नही दे सकता. मैं तुम्हे दोस्त के रूप में देखता हूँ और कुछ नही.”
रीमा की आँखे टपकने लगी ये सुन कर. गौरव ने ये देख कर उसे बाहों में भर लिया और बोला, “पागल हो गयी हो तुम क्या. रो क्यों रही हो. मैने तुम्हे सच बोल दिया रीमा. झुत बोलने से फायदा क्या है. कभी तुमसे प्यार हुआ तो ज़रूर कहूँगा. अभी वो अहसास नही है तो कैसे कह दूं.”
“कोई बात नही गौरव. चलो छोड़ो. लाओ कुछ खाने के लिए भूक लगी है मुझे. वैसे सच ही कहा था तुमने, बिल्लू और ऋतु के जैसा प्यार हर किसी को नसीब नही हो सकता. काश मेरी छोटी सी भूल भी प्यार में बदल जाती. मेरी तुम्हारी गाड़ी तो सेक्स पर ही रुक गयी है. एक दूसरे के शरीर से खेले और बाय-बाय करके चलते बने.”
“अब कैसे सम्झाउ तुम्हे.”
“कुछ समझाने की ज़रूरत नही है. चलो कुछ खाने को ले आओ. भूक लग रही है मुझे.”
“यार खाना तो बनाना पड़ेगा. ऐसा करता हूँ बाहर से मॅंगा देता हूँ.”
“नही…बाहर से क्यों मँगाओगे. मैं बना देती हूँ.”
रीमा ने प्यार से स्वदिस्त खाना बनाया.
“वाह यार बहुत अच्छा खाना बनाती हो तुम तो. मज़ा आ गया.”
गौरव मुझे कॉलेज जाना होगा. एक असाइनमेंट सब्मिट करनी थी शाम तक. वो सब्मिट करके घर चली जाउंगी.”
“ठीक है मैं तुम्हे छोड़ दूँगा. अभी तो 2 ही बजे हैं.”
“बस अभी छोड़ दो तो अतचा है. असाइनमेंट लिखनी भी तो है अभी. लाइब्ररी में बैठ कर लिख लूँगी.”
“ओके…जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
गौरव रीमा को कॉलेज छोड़ कर घर वापिस आ जाता है और बेड पर लेट जाता है. उसके दिमाग़ में रीमा की कही बाते ही घूम रही थी. जब वो उसे कॉलेज छोड़ने गया था तो रीमा रास्ते भर चुप रही थी. गौरव की जीप से उतर कर उसने गौरव को एक दर्द भारी मुस्कान से बाय किया था.
“ओह रीमा मुझे वक्त दो. झुत नही बोल सकता था तुमसे. तुम आतची लड़की हो. सुंदर हो. काश तुमसे ही प्यार हो जाए मुझे. प्यार भी अजीब चीज़ है. जहा ढूँढते हैं वहाँ नही मिलता. जहा पाने की तम्मन्ना भी नही होती वहाँ मिल जाता है. सोचूँगा रीमा तुम्हारे बारे में. थोडा सा वक्त दो मुझे.”
सोचते-सोचते गौरव की आँख लग गयी. बहुत गहरी नींद शो गया वो.