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Adultery बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed}
Update 77

 
सुबह 11 बजे गौरव समशान घाट में था. अपर्णा के पेरेंट्स का अंतिम शंसकार हो रहा था.
 
गौरव चुपचाप खड़ा हो गया अपर्णा के पास. कुछ बोल नही पाया. हेमंत (गब्बर) भी पास में ही खड़ा था. आशुतोष कुछ दूरी पर खड़ा था. अपर्णा को परेशान नही करना चाहता था वो. इसलिए उस से दूर ही रहा. सौरभ को भी बुला लिया था आशुतोष ने फोन करके. वो भी आशुतोष के पास ही खड़ा था.
 
अपने पेरेंट्स की चिता को देखते हुए अपर्णा की आँखे टपक रही थी. अपर्णा की नज़र सौरभ पर गयी तो वो आई उसके पास और बोली, “देखो तुम्हारे उस दिन के खेल ने क्या कहर ढा दिया मेरी जिंदगी में. सब तुम्हारे कारण हुआ है. चले जाओ तुम यहाँ से. तुम्हे यहाँ किसने बुलाया है.”
 
सौरभ ने कुछ नही कहा. वो चुपचाप नज़रे झुकाए खड़ा रहा.
 
मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी.” अपर्णा फूट फूट कर रोने लगी. अपर्णा की चाची ने उसे रोते देखा तो उसे गले से लगा लिया. “बस अपर्णा बस.”
 
बहुत ही दुख भरा माहौल था वहाँ. जलती हुई चिता के साथ साथ कई सारी ख़ुशीया, सपने, उम्मीदे भी जल रही थी. अपने किसी करीबी की मृत्यु इंसान के अस्तितव को हिला देती है. कुछ ऐसा ही हो रहा था अपर्णा के साथ. वक्त लगेगा उसे फिर से संभलने में. बहुत वक्त लगेगा.
 
अपर्णा की हालत ना आशुतोष देख पा रहा था और ना ही गौरव. दोनो बस उसे तड़प्ते हुए देख ही सकते थे. अजीब स्तिथि थी जिंदगी की ये.
 
अंकिता भी थी वहाँ. वो भी चुपचाप खड़ी थी. गौरव उसके पास गया और बोला, “मेडम आज मुझे छुट्टी चाहिए. मेरा मन बहुत उदास है. कुछ भी करने का मन नही है.”
 
ठीक है जाओ….मगर कल और ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी तुम्हे.” अंकिता ने कहा.
 
थॅंक यू मेडम.” गौरव ने कहा
 
हेमंत और उसके पेरेंट्स बड़ी मुश्किल से ले गये अपर्णा को शमशान से. वो वहाँ से जाने को तैयार ही नही थी. घर आकर उसने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया. आशुतोष हमेशा की तरह अपनी जीप में बैठ गया.
 
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RE: बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed} - by usaiha2 - 02-01-2020, 01:27 PM



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