02-01-2020, 01:25 PM
गौरव डॉक्टर के पास से मरहम पट्टी करवाने के बाद सीधा घर पहुँचा.
“भैया ये क्या हुआ, ये सर पे पट्टी क्यों बँधी है..?” पिंकी ने पूछा.
“सर पे पता नही क्या मार दिया जालिम ने. पिंकी एक बात सुनो मेरी. जब तक ये साइको पकड़ा नही जाता तुम देल्ही चली जाओ चाच्चा जी के पास. मम्मी दादी तो वहाँ गये ही हुए हैं. तुम तीनो वही रुक जाओ कुछ दिन.”
“भैया मेरा कॉलेज है यहाँ…मैं देल्ही कैसे जा सकती हूँ.”
“अरे छुट्टी ले लो ना. मगर तुम एक पल भी यहाँ नही रुकोगी. साइको ने चेतावनी दी है मुझे कि मेरे लिए प्लान बना रखा है उसने. मैं नही चाहता कि तुम लोगो पर कोई आँच आए.”
“भैया मैं ये बात नही मानूँगी.”
“थप्पड़ लगेगा एक गाल पर. जो कहा है वो करो. समान पॅक करो अपना. सुबह निकल रही हो तुम देल्ही. कॉलेज में छुट्टी के लिए मैं बोल दूँगा. मैं कोई बात नही सुनूँगा तुम्हारी.”
पिंकी पाँव पटक कर अपने कमरे में चली गयी और अंदर से कुण्डी लगा ली. गौरव उसके रूम के बाहर आ कर बोला, “सुबह मुझे कोई बहाना नही चाहिए. तुम सुबह 7 बजे निकल रही हो देल्ही. कार बुक करवा रहा हूँ मैं. सो जाओ और जल्दी उठ जाना.”
गौरव आ गया अपने रूम में और छोटी सी भूल पढ़ने बैठ गया. “आज ख़तम कर दूँगा मैं ये कहानी. सबने मेरे से पहले पढ़ ली.. ….. आज ख़तम करके रहूँगा.”
12 बजे बैठा था गौरव और 3 बजे तक पढ़ता रहा. पढ़ते वक्त उसकी आँखे नम थी. शायद कहानी ही कुछ ऐसी थी. पढ़ने के बाद चुपचाप सो गया.
सुबह 6 बजे उठ गया गौरव. 7 बजे जैसे तैसे पिंकी को देल्ही रवाना किया. बिल्कुल नही जाना चाहती थी पिंकी कही भी. मगर गौरव के आगे उसकी एक नही चली.
“भैया ये क्या हुआ, ये सर पे पट्टी क्यों बँधी है..?” पिंकी ने पूछा.
“सर पे पता नही क्या मार दिया जालिम ने. पिंकी एक बात सुनो मेरी. जब तक ये साइको पकड़ा नही जाता तुम देल्ही चली जाओ चाच्चा जी के पास. मम्मी दादी तो वहाँ गये ही हुए हैं. तुम तीनो वही रुक जाओ कुछ दिन.”
“भैया मेरा कॉलेज है यहाँ…मैं देल्ही कैसे जा सकती हूँ.”
“अरे छुट्टी ले लो ना. मगर तुम एक पल भी यहाँ नही रुकोगी. साइको ने चेतावनी दी है मुझे कि मेरे लिए प्लान बना रखा है उसने. मैं नही चाहता कि तुम लोगो पर कोई आँच आए.”
“भैया मैं ये बात नही मानूँगी.”
“थप्पड़ लगेगा एक गाल पर. जो कहा है वो करो. समान पॅक करो अपना. सुबह निकल रही हो तुम देल्ही. कॉलेज में छुट्टी के लिए मैं बोल दूँगा. मैं कोई बात नही सुनूँगा तुम्हारी.”
पिंकी पाँव पटक कर अपने कमरे में चली गयी और अंदर से कुण्डी लगा ली. गौरव उसके रूम के बाहर आ कर बोला, “सुबह मुझे कोई बहाना नही चाहिए. तुम सुबह 7 बजे निकल रही हो देल्ही. कार बुक करवा रहा हूँ मैं. सो जाओ और जल्दी उठ जाना.”
गौरव आ गया अपने रूम में और छोटी सी भूल पढ़ने बैठ गया. “आज ख़तम कर दूँगा मैं ये कहानी. सबने मेरे से पहले पढ़ ली.. ….. आज ख़तम करके रहूँगा.”
12 बजे बैठा था गौरव और 3 बजे तक पढ़ता रहा. पढ़ते वक्त उसकी आँखे नम थी. शायद कहानी ही कुछ ऐसी थी. पढ़ने के बाद चुपचाप सो गया.
सुबह 6 बजे उठ गया गौरव. 7 बजे जैसे तैसे पिंकी को देल्ही रवाना किया. बिल्कुल नही जाना चाहती थी पिंकी कही भी. मगर गौरव के आगे उसकी एक नही चली.