02-01-2020, 01:22 PM
Update 76
गौरव जब सरिता के घर पहुँचा तो रात के 11 बज चुके थे.
"घर की सारी लाइट्स बंद हैं, लगता है सरिता जी शो गयी हैं. उन्हे उठाना ठीक नही होगा. सुबह मिलूँगा उनसे."
गौरव अपनी जीप मोड़ कर वहाँ से चलने वाला ही था कि उसे एक चींख सुनाई दी. चींख घर के अंदर से ही आई थी. गौरव ने तुरंत अपनी पिस्टल निकाली और घर की तरफ भागा.उसने घर की बेल बजाई और दरवाजे को ज़ोर-ज़ोर से पीटा. मगर कुछ रेस्पॉन्स नही मिला. दुबारा कोई चींख तो नही आई घर के अंदर से कुछ-कुछ आवाज़े आ रही थी.
गौरव ने तुरंत फोन करके और पोलीस वालो को वहाँ बुलवा लिया.
"सरिता जी दरवाजा खोलिए...मैं हूँ इनस्पेक्टर गौरव."
मगर अंदर से कोई रेस्पॉन्स नही आया.
"ये दरवाजा तौड़ना होगा मुझे." गौरव ने कहा और डोर लॉक पर फाइयर किया.
दरवाजा खुल गया और गौरव हाथ में बंदूक ले कर तुरंत अंदर घुस गया. वो दीवार से चिपक गया और ध्यान से देखने की कोशिश की. अंधेरा था कमरे में पूरी तरह. गौरव कुछ भी नही देख पा रहा था. उसने दीवार पर लाइट्स के बटन्स ढूँढे और उन्हे ऑन किया. मगर कुछ भी नही जला.
"लाइट काट रखी है शायद." गौरव ने सोचा.
"सरिता जी आप कहाँ हो. मैं इनस्पेक्टर गौरव .... मिला था ना शाम को आपको. वहेरे आर यू."
"ओफ टॉर्च भी नही है आज. क्या करूँ इस अंधेरे में." गौरव ने सोचा.
तभी अचानक कुछ हलचल हुई और कोई टकरा गया गौरव से.
"क...क...कौन है..."
"सरिता जी मैं हूँ गौरव पांडे."
"आप क्यों कर रहे हैं मेरे साथ ऐसा..?"
गौरव को कुछ समझ नही आया. उसने फ़ौरन सरिता को दबोच लिया और उसके मूह पर हाथ रख दिया और उसके कान में बोला, "सस्शह...बिल्कुल चुप रहिए. कोई आपके घर में घुसा है शायद."
तभी घर के पिछली तरफ कुछ आवाज़ हुई.
"आपके पास कोई टॉर्च है?" गौरव ने पूछा.
"है...मगर वो किचन में पड़ी है और वही से ये आवाज़ आ रही है शायद."
"आप चिंता मत करो मैं हूँ यहाँ...बाकी पोलीस भी आ रही है. ये जो कोई भी घुसा है आपके घर में...पकड़ा जाएगा जल्दी ही."
तभी घर के पीछे ज़ोर की आहट हुई"
"आप रुकिये यही मैं देखता हूँ की कौन है"
गौरव हाथ में बंदूक ताने आगे बढ़ता है. पहुँच जाता है धीरे-धीरे घर के पीछे. गौरव अंजान था बिल्कुल की दीवार से एक साया चिपका खड़ा है बिल्कुल उसके पीछे. कदमो की हल्की से आहट सुनाई दी उसे और वो तुरंत मुड़ा मगर जब तक वो समझ पाता उसके सर पर एक वार हुआ और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गया. तभी पोलीस के साइरन की आवाज़ गूँज उठी. भाग गया वो साया गौरव को छोड़ कर.
गौरव का सर घूम रहा था. खून बह रहा था उसके सर से. उतना मुश्किल हो रहा था. मगर फिर भी वो हिम्मत करके उठा और बंदूक हाथ में ले कर लड़खड़ाते कदमो से आगे बढ़ा. पोलीस ने चारो तरफ से घेर लिया था घर को. हर तरफ देखा गया मगर वो साया नही मिला.
"निकल गया हाथ से साला. ये ज़रूर साइको ही था. पता नही क्या मारा मेरे सर पर कमिने ने, अभी तक सर घूम रहा है." गौरव ने कहा.
घर की बिजली ठीक कर दी गयी और रोशनी में फिर से पूरे घर को एक बार फिर से चेक किया गया. कुछ नही मिला.
"ह्म्म किचन की खिड़की से घुसा था वो अंदर...यही से भागा भी होगा शायद" गौरव ने कहा.
गौरव सरिता के पास आया. वो ड्रॉयिंग रूम में सोफे पर बैठ कर सूबक रही थी.
"सरिता जी माफी चाहता हूँ आपसे मगर एक बात पूछनी थी आपसे." गौरव ने कहा.
"जी पूछिए."
"जो ड्व्ड मैं ले गया था यहाँ से, क्या वैसी ड्व्ड और भी हैं."
"जी नही वो एक ही थी..."
"आर यू शुवर?"
"एस आय ऍम शुवर."
"सरिता जी प्लीज़ अगर आपको कुछ भी पता है तो बता दीजिए. इस साइको को पकड़ना बहुत ज़रूरी है."
"मुझे कुछ नही पता...मैं कोई भी मदद नही कर सकती हूँ आपकी."
"अगर आपको बुरा ना लगे तो आपके घर की तलासी लेना चाहता हूँ. क्या पता कुछ मिल जाए."
"बे-शक लीजिए तलासी. मुझे कोई ऐतराज़ नही है."
"थॅंक यू वेरी मच सरिता जी."
पूरे घर को अतचे से चेक किया जाता है. गौरव को उम्मीद थी और ड्व्ड मिलने की. मगर निराशा ही हाथ लगी."
गौरव ने 2 पोलीस वाले लगा दिए सरिता की प्रोटेक्शन के लिए. और जीप में बैठ कर चल दिया.
"थोड़ी मरहम-पट्टी करवा लेता हूँ.पता नही क्या मारा था कम्बख़त ने.
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गौरव जब सरिता के घर पहुँचा तो रात के 11 बज चुके थे.
"घर की सारी लाइट्स बंद हैं, लगता है सरिता जी शो गयी हैं. उन्हे उठाना ठीक नही होगा. सुबह मिलूँगा उनसे."
गौरव अपनी जीप मोड़ कर वहाँ से चलने वाला ही था कि उसे एक चींख सुनाई दी. चींख घर के अंदर से ही आई थी. गौरव ने तुरंत अपनी पिस्टल निकाली और घर की तरफ भागा.उसने घर की बेल बजाई और दरवाजे को ज़ोर-ज़ोर से पीटा. मगर कुछ रेस्पॉन्स नही मिला. दुबारा कोई चींख तो नही आई घर के अंदर से कुछ-कुछ आवाज़े आ रही थी.
गौरव ने तुरंत फोन करके और पोलीस वालो को वहाँ बुलवा लिया.
"सरिता जी दरवाजा खोलिए...मैं हूँ इनस्पेक्टर गौरव."
मगर अंदर से कोई रेस्पॉन्स नही आया.
"ये दरवाजा तौड़ना होगा मुझे." गौरव ने कहा और डोर लॉक पर फाइयर किया.
दरवाजा खुल गया और गौरव हाथ में बंदूक ले कर तुरंत अंदर घुस गया. वो दीवार से चिपक गया और ध्यान से देखने की कोशिश की. अंधेरा था कमरे में पूरी तरह. गौरव कुछ भी नही देख पा रहा था. उसने दीवार पर लाइट्स के बटन्स ढूँढे और उन्हे ऑन किया. मगर कुछ भी नही जला.
"लाइट काट रखी है शायद." गौरव ने सोचा.
"सरिता जी आप कहाँ हो. मैं इनस्पेक्टर गौरव .... मिला था ना शाम को आपको. वहेरे आर यू."
"ओफ टॉर्च भी नही है आज. क्या करूँ इस अंधेरे में." गौरव ने सोचा.
तभी अचानक कुछ हलचल हुई और कोई टकरा गया गौरव से.
"क...क...कौन है..."
"सरिता जी मैं हूँ गौरव पांडे."
"आप क्यों कर रहे हैं मेरे साथ ऐसा..?"
गौरव को कुछ समझ नही आया. उसने फ़ौरन सरिता को दबोच लिया और उसके मूह पर हाथ रख दिया और उसके कान में बोला, "सस्शह...बिल्कुल चुप रहिए. कोई आपके घर में घुसा है शायद."
तभी घर के पिछली तरफ कुछ आवाज़ हुई.
"आपके पास कोई टॉर्च है?" गौरव ने पूछा.
"है...मगर वो किचन में पड़ी है और वही से ये आवाज़ आ रही है शायद."
"आप चिंता मत करो मैं हूँ यहाँ...बाकी पोलीस भी आ रही है. ये जो कोई भी घुसा है आपके घर में...पकड़ा जाएगा जल्दी ही."
तभी घर के पीछे ज़ोर की आहट हुई"
"आप रुकिये यही मैं देखता हूँ की कौन है"
गौरव हाथ में बंदूक ताने आगे बढ़ता है. पहुँच जाता है धीरे-धीरे घर के पीछे. गौरव अंजान था बिल्कुल की दीवार से एक साया चिपका खड़ा है बिल्कुल उसके पीछे. कदमो की हल्की से आहट सुनाई दी उसे और वो तुरंत मुड़ा मगर जब तक वो समझ पाता उसके सर पर एक वार हुआ और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गया. तभी पोलीस के साइरन की आवाज़ गूँज उठी. भाग गया वो साया गौरव को छोड़ कर.
गौरव का सर घूम रहा था. खून बह रहा था उसके सर से. उतना मुश्किल हो रहा था. मगर फिर भी वो हिम्मत करके उठा और बंदूक हाथ में ले कर लड़खड़ाते कदमो से आगे बढ़ा. पोलीस ने चारो तरफ से घेर लिया था घर को. हर तरफ देखा गया मगर वो साया नही मिला.
"निकल गया हाथ से साला. ये ज़रूर साइको ही था. पता नही क्या मारा मेरे सर पर कमिने ने, अभी तक सर घूम रहा है." गौरव ने कहा.
घर की बिजली ठीक कर दी गयी और रोशनी में फिर से पूरे घर को एक बार फिर से चेक किया गया. कुछ नही मिला.
"ह्म्म किचन की खिड़की से घुसा था वो अंदर...यही से भागा भी होगा शायद" गौरव ने कहा.
गौरव सरिता के पास आया. वो ड्रॉयिंग रूम में सोफे पर बैठ कर सूबक रही थी.
"सरिता जी माफी चाहता हूँ आपसे मगर एक बात पूछनी थी आपसे." गौरव ने कहा.
"जी पूछिए."
"जो ड्व्ड मैं ले गया था यहाँ से, क्या वैसी ड्व्ड और भी हैं."
"जी नही वो एक ही थी..."
"आर यू शुवर?"
"एस आय ऍम शुवर."
"सरिता जी प्लीज़ अगर आपको कुछ भी पता है तो बता दीजिए. इस साइको को पकड़ना बहुत ज़रूरी है."
"मुझे कुछ नही पता...मैं कोई भी मदद नही कर सकती हूँ आपकी."
"अगर आपको बुरा ना लगे तो आपके घर की तलासी लेना चाहता हूँ. क्या पता कुछ मिल जाए."
"बे-शक लीजिए तलासी. मुझे कोई ऐतराज़ नही है."
"थॅंक यू वेरी मच सरिता जी."
पूरे घर को अतचे से चेक किया जाता है. गौरव को उम्मीद थी और ड्व्ड मिलने की. मगर निराशा ही हाथ लगी."
गौरव ने 2 पोलीस वाले लगा दिए सरिता की प्रोटेक्शन के लिए. और जीप में बैठ कर चल दिया.
"थोड़ी मरहम-पट्टी करवा लेता हूँ.पता नही क्या मारा था कम्बख़त ने.
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