रास्ते में गौरव को एक सुनसान सड़क पर एक कार खड़ी मिली. उसमे हलचल हो रही थी. गौरव ने अपनी जीप रोकी और कार के शीसे का दरवाजा खड़काया.
“क्या है…क्या दिक्कत है.” एक लड़का शीशा खोल कर बोला.
“यहाँ सुनसान में क्या कर रहे हो. रात भी हो चुकी है. क्या तुम्हे साइको का डर नही.”
“तुम्हे क्या लेना देना…दफ़ा हो जाओ.”
“बड़े बाप की औलाद लगता है. पोलीस की वर्दी का कोई डर नही इसे.” गौरव ने मन में सोचा.
गौरव ने अंदर झाँक कर देखा तो पाया कि एक लड़की बैठी सूबक रही है. वो अपनी आँखो से आँसू पोंछ रही थी.
“कौन है ये लड़की…और ये रो क्यों रही है.”
“तेरी बहन है ये…तेरी बहन चोद रहा हूँ मैं. चल अब दफ़ा हो जा यहाँ से.”
“अच्छा ऐसी बात है क्या…बहना चलो बाहर आ जाओ” गौरव ने कहा.
गौरव ने ये बोला ही था कि उस लड़के ने बंदूक निकाल कर गौरव पर तान दी.
“एक बार समझ नही आता तुझे…चल निकल यहाँ से.”
अगले ही पल गौरव वो बंदूक छीन कर वापिस उस लड़के पर तान दी. “इन खिलोनो से खेलना ख़तरनाक है मुन्ना. चल चुपचाप बाहर निकल वरना तेरा भेजा उड़ा दूँगा अभी.”
“रूको…रूको निकलता हूँ… तुम जानते नही मुझे की मैं कौन हूँ. मैं गौरव मेहरा का भाई हूँ. पूरा डेप्ट खरीद सकता हूँ तुम्हारा.”
“गौरव मेहरा… इंट्रेस्टिंग. जल्द मुलाकात होगी तुमसे मुन्ना. चल अब ये कार यही छोड़ और पैदल निकल यहाँ से.”
“देख लूँगा तुम्हे मैं.” वो लड़का चलते हुए बोला.
“अबे सुन तेरे भाई के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है क्या?”
“हां है क्यों…”
“मुझे रेंट पर लेनी थी. कल आउन्गा तुम्हारे घर. सोच लेना अच्छी कमाई हो जाएगी तुम लोगो की ..”
“मेरे भैया के आगे बोलते ना ये तो अभी लाश गिरी होती तुम्हारी यहाँ.”
“लाश तो तेरी भी गिर सकती है चुपचाप निकल ले यहाँ से.”
वो लड़का भाग गया वहाँ से कार छोड़ कर.
“आओं बाहर…अब चिंता की कोई बात नही है.”
लड़की डरते-डरते बाहर आती है.
“क्या नाम है तुम्हारा ?”
“सुमन..”
“चलो आओ तुम्हे घर छोड़ देता हूँ.”
“मैं हॉस्टिल में रहती हूँ. कॉलेज छोड़ दीजिए मुझे.”
“हां-हां छोड़ दूँगा बैठो तो सही”
समान चुपचाप जीप में बैठ गयी.
“क्यों आई थी इसके साथ जब पता है की ऐसे लड़के अच्छा बर्ताव नही करते.”
“कुछ दिनो से ही ये बदल गया. पहले तो ऐसा नही था.”
“समझा कर उसे अब दूसरी लड़की मिल गयी होगी.”
“पता है मुझे. तभी नही आना चाहती थी उसके साथ. ज़बरदस्ती बंदूक दिखा कर लाया मुझे वो.”
“ह्म्म… कंप्लेंट लिखवा दे उसकी…अभी जैल में डाल दूँगा साले को.”
“छ्चोड़िए…बदनामी मेरी ही होगी और उसका कुछ नही बिगड़ेगा.”
“संभोग किया आपने उसके साथ..?”
“एक्सक्यूस मी…”
“छ्चोड़िए वैसे ही पूछ रहा था.”
“जी हां किया है…”
“ऐसे लोगो के साथ आपको इन लोगो से संभाल कर रहना चाहिए. ये अमीर बाप के बिगड़ैल लड़के भावनाओ को नही समझते. बस शोसन करते हैं. सब ऐसे नही होते मगर अधिकतर ऐसे ही होते हैं …”
“आप फ्लर्ट ना कीजिए मेरे साथ. अभी मेरा मन ठीक नही है.”
“मतलब किसी और वक्त चलेगा कूल कल मिलूँगा आपको.”
“फायदा होगा नही कुछ आपको…फिर भी मिल लीजिएगा.” सुमन हल्का सा मुस्कुरा दी.
“वैसे मैं फ्लर्ट नही कर रहा था…पता नही क्यों लगा ऐसा आपको. लीजिए कॉलेज आ गया आपका. वैसे नाम क्या था उसका.”
“संजीव मेहरा.”
“ह्म…ठीक है चलिए आप.”
“शुक्रिया आपका. आज वो मुझे मार पीट रहा था. पहली बार किया उसने ऐसा. बहुत बुरा लग रहा था मुझे. बहुत चोट पहुँची दिल को.”
“कोई बात नही जायें आप. गुड नाइट. अब उस से दूर ही रहना.”
गौरव चल दिया वहाँ से जीप लेकर विजय के घर की तरफ. “सरिता जी कही सो ना गयी हो.”
“क्या है…क्या दिक्कत है.” एक लड़का शीशा खोल कर बोला.
“यहाँ सुनसान में क्या कर रहे हो. रात भी हो चुकी है. क्या तुम्हे साइको का डर नही.”
“तुम्हे क्या लेना देना…दफ़ा हो जाओ.”
“बड़े बाप की औलाद लगता है. पोलीस की वर्दी का कोई डर नही इसे.” गौरव ने मन में सोचा.
गौरव ने अंदर झाँक कर देखा तो पाया कि एक लड़की बैठी सूबक रही है. वो अपनी आँखो से आँसू पोंछ रही थी.
“कौन है ये लड़की…और ये रो क्यों रही है.”
“तेरी बहन है ये…तेरी बहन चोद रहा हूँ मैं. चल अब दफ़ा हो जा यहाँ से.”
“अच्छा ऐसी बात है क्या…बहना चलो बाहर आ जाओ” गौरव ने कहा.
गौरव ने ये बोला ही था कि उस लड़के ने बंदूक निकाल कर गौरव पर तान दी.
“एक बार समझ नही आता तुझे…चल निकल यहाँ से.”
अगले ही पल गौरव वो बंदूक छीन कर वापिस उस लड़के पर तान दी. “इन खिलोनो से खेलना ख़तरनाक है मुन्ना. चल चुपचाप बाहर निकल वरना तेरा भेजा उड़ा दूँगा अभी.”
“रूको…रूको निकलता हूँ… तुम जानते नही मुझे की मैं कौन हूँ. मैं गौरव मेहरा का भाई हूँ. पूरा डेप्ट खरीद सकता हूँ तुम्हारा.”
“गौरव मेहरा… इंट्रेस्टिंग. जल्द मुलाकात होगी तुमसे मुन्ना. चल अब ये कार यही छोड़ और पैदल निकल यहाँ से.”
“देख लूँगा तुम्हे मैं.” वो लड़का चलते हुए बोला.
“अबे सुन तेरे भाई के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है क्या?”
“हां है क्यों…”
“मुझे रेंट पर लेनी थी. कल आउन्गा तुम्हारे घर. सोच लेना अच्छी कमाई हो जाएगी तुम लोगो की ..”
“मेरे भैया के आगे बोलते ना ये तो अभी लाश गिरी होती तुम्हारी यहाँ.”
“लाश तो तेरी भी गिर सकती है चुपचाप निकल ले यहाँ से.”
वो लड़का भाग गया वहाँ से कार छोड़ कर.
“आओं बाहर…अब चिंता की कोई बात नही है.”
लड़की डरते-डरते बाहर आती है.
“क्या नाम है तुम्हारा ?”
“सुमन..”
“चलो आओ तुम्हे घर छोड़ देता हूँ.”
“मैं हॉस्टिल में रहती हूँ. कॉलेज छोड़ दीजिए मुझे.”
“हां-हां छोड़ दूँगा बैठो तो सही”
समान चुपचाप जीप में बैठ गयी.
“क्यों आई थी इसके साथ जब पता है की ऐसे लड़के अच्छा बर्ताव नही करते.”
“कुछ दिनो से ही ये बदल गया. पहले तो ऐसा नही था.”
“समझा कर उसे अब दूसरी लड़की मिल गयी होगी.”
“पता है मुझे. तभी नही आना चाहती थी उसके साथ. ज़बरदस्ती बंदूक दिखा कर लाया मुझे वो.”
“ह्म्म… कंप्लेंट लिखवा दे उसकी…अभी जैल में डाल दूँगा साले को.”
“छ्चोड़िए…बदनामी मेरी ही होगी और उसका कुछ नही बिगड़ेगा.”
“संभोग किया आपने उसके साथ..?”
“एक्सक्यूस मी…”
“छ्चोड़िए वैसे ही पूछ रहा था.”
“जी हां किया है…”
“ऐसे लोगो के साथ आपको इन लोगो से संभाल कर रहना चाहिए. ये अमीर बाप के बिगड़ैल लड़के भावनाओ को नही समझते. बस शोसन करते हैं. सब ऐसे नही होते मगर अधिकतर ऐसे ही होते हैं …”
“आप फ्लर्ट ना कीजिए मेरे साथ. अभी मेरा मन ठीक नही है.”
“मतलब किसी और वक्त चलेगा कूल कल मिलूँगा आपको.”
“फायदा होगा नही कुछ आपको…फिर भी मिल लीजिएगा.” सुमन हल्का सा मुस्कुरा दी.
“वैसे मैं फ्लर्ट नही कर रहा था…पता नही क्यों लगा ऐसा आपको. लीजिए कॉलेज आ गया आपका. वैसे नाम क्या था उसका.”
“संजीव मेहरा.”
“ह्म…ठीक है चलिए आप.”
“शुक्रिया आपका. आज वो मुझे मार पीट रहा था. पहली बार किया उसने ऐसा. बहुत बुरा लग रहा था मुझे. बहुत चोट पहुँची दिल को.”
“कोई बात नही जायें आप. गुड नाइट. अब उस से दूर ही रहना.”
गौरव चल दिया वहाँ से जीप लेकर विजय के घर की तरफ. “सरिता जी कही सो ना गयी हो.”