02-01-2020, 01:16 PM
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Update 75
रीमा ने ड्व्ड, द्वड प्लेयर में डाल दी और प्ले करके गौरव के साथ बिस्तर पर आ कर बैठ गयी.
“अजीब बात है कोई नंबरिंग नही आई और मूवी शुरू हो गयी. पिक्चर क्वालिटी भी कुछ ज़्यादा अछी नही लग रही है. क्या साइको ऐसी ही है…फिर क्यों चर्चा है इसकी इतनी.”
“एक मिनिट…रीमा वो साइको 1960 की बनी हुई थी. इसे देखने से लगता है कि रीसेंट्ली बनी हुई है. तुम्हे ये सड़क कुछ जानी पहचानी सी नही लगती.”
“अरे हां ये सड़क ये मार्केट…देखी हुई सी लगती है.”
मूवी में बस सड़क दिखाई जा रही थी और मार्केट दिखाई जा रही थी. कोई आवाज़ नही आ रही थी. अचानक कॅमरा एक सुनसान सी जगह घूम गया. कॅमरा अब एक लड़की को फॉलो कर रहा था.”
“ओह माय गॉड….ये तो रागिनी है.”
“रागिनी कौन रागिनी?
“हमारे कॉलेज मैं पढ़ती थी. उसका खून हुआ था साइको के हाथो. तुम्हे तो पता होना चाहिए…कैसे बेख़बर पोलीस वाले हो तुम?”
“ओह हां याद आया, मैं भूल गया था आज दिमाग़ इतना घुमा हुआ है की पूछो मत. कही ये उसके मर्डर की वीडियो तो नही बना रखी साइको ने.”
तभी वीडियो में दिखाया गया कि अचानक किसी ने रागिनी को आकर पीछे से दबोच लिया और उसे कुछ सूँघा दिया. फिर उसे घसीट कर कार की डिकी में डाल दिया.
“ओ.ऍम.जी. ये तो रागिनी के मर्डर की ही वीडियो है. गौरव बंद करो इसे मैं नही देख सकती.” रीमा ने कहा.
“रीमा मुझे ये देखनी पड़ेगी. प्लीज़ तुम दूसरे कमरे में चली जाओ…जैसे ही ये ख़तम होगी मैं तुम्हे बुला लूँगा.”
“हॉरर मुझे अच्छी लगती है पर ये तो रियल है.”
“मेरी मानो मेरे साथ रहो. इसे देख कर एनालिसिस करेंगे, क्या पता साइको के खिलाफ कुछ मिल जाए.”
मूवी में अगला सीन एक घर का था. रागिनी नंगी पड़ी हुई थी फर्श पर और गिड़गिदा रही थी, “प्लीज़ मुझे जाने दो…प्लीज़.”
“हाहाहा….यहाँ से तुम कही नही जा सकती. यहाँ से अब तुम्हारी लाश ही बाहर जाएगी. घबराओ मत तुम्हे ऐसी मौत दूँगा की फख्र होगा तुम्हे कि तुम मेरे हाथो मारी गयी.”
मूवी में साइको का चेहरा नही दिख रहा था. पूरा फोकस रागिनी पर ही था.
“दो चाय्स हैं तुम्हारे पास. ये चाकू देख रही हो. इसे अपनी चूत में डाल लो. जिध तरह से लंड लेती हो चूत में उसी तरह से ये चाकू भी डाल लो. अगर तुम चुपचाप चाकू डाल लोगि तो तुम्हे कुछ नही करूँगा. और अगर नही डाला चाकू तुमने तो मैं डाल दूँगा. मेरे डालने से दर्द ज़्यादा होगा. खुद ही डाल लो तो अच्छा है.”
रागिनी फूट-फूट कर रोने लगी और बोली, “प्लीज़ मैं ये नही कर सकती…प्लीज़.”
“गौरव ये साइको तो बहुत ख़तरनाक है.”
“ये घर जहा ये वीडियो बनी है…कहाँ होगा ये घर…कुछ अजीब सा नही है ये कमरा. ऐसे कमरे कौन बनाता है आज कल. बहुत ही पुराना घर लगता है.”
“हां गौरव ऐसे घर तो गाँव में देखे थे कभी. अब ऐसी कन्स्ट्रक्षन कोई नही करवाता.”
अचानक मूवी रुक जाती है.
“ये क्या हुआ…इतनी ही है क्या ये.” गौरव ने कहा.
“अच्छा है जो इतनी ही है….आगे उसका मर्डर ही किया होगा उसने.”
“मुझे लग रहा था कि शायद साइको की शक्ल देखने को मिलेगी…पर ये तो यही रुक गयी.”
बहुत ट्राइ करते हैं वो दोनो मूवी को आगे बढ़ाने की मगर मूवी आगे नही बढ़ती. वो वही तक थी.
“ये द्वड तुम्हे कहा मिली गौरव.” रीमा ने पूछा.
“ये मुझे विजय के घर पर मिली. विजय को गोली मारी थी मैने. वही साइको लग रहा था मुझे. पर अब बात और भी उलझ गयी है. इस ड्व्ड का मतलब है कि विजय असली साइको से मिला हुआ था.” गौरव रीमा को अपने घर पर घटी सारी बात बताता है.
“ये भी तो हो सकता है कि उसे ये द्वड कही मिली हो और इस से प्रेरित हो कर उसने भी साइको जैसा करने की सोची हो. वो कॉपीकॅट भी हो सकता है.”
“कॉपीकॅट तो वो था ही. इसमे कोई शक नही मुझे. बस ये पता लगाना है कि क्या वो साइको से मिला हुआ था. इस ड्व्ड का विजय के घर से मिलना काफ़ी सारे सवाल खड़े करता है. जिनका जवाब मुझे ढूँढना होगा. मुझे जाना होगा रीमा…सॉरी…आज तुम्हे कोई सुख नही दे पाया.”
“अच्छा ही है मैं बच गयी. वरना आज जाने क्या हाल करते मेरा.”
“कब तक बचोगी…आज वैसे भी मूड ठीक नही था. अब ये द्वड देख कर दिमाग़ और ज़्यादा उलझ गया है.
ऐसी हालत में संभोग में परवेश मूर्खता है. धैर्या से फिर कभी आनंद लेंगे हम…और आपकी खूब रेल बनाएँगे”
“बना लीजिएगा हमें इंतेज़ार रहेगा.” रीमा ने मुस्कुराते हुए कहा.
“आपकी इन्ही बातों से बहक जाता हूँ मैं. ट्रेन में भी आपने मुझे बहका दिया था इन अदाओ से.”
“ट्रेन में ऐसा कुछ नही किया था मैने..वो सब आपका किया धरा था.”
“चलिए कोई बात नही मेरा किया धरा ही सही…मज़ा तो खूब मिला था ना आपको.”
“हां वो तो मिला था…तभी तो तरसते हैं आपके लिए.” रीमा ने नज़रे झुका कर कहा.
“उफ्फ क्या शर्मा रही हैं आप. मिलूँगा जल्दी ही आपसे. आज वो बात नही बन पाएगी…जिसकी आपको चाहत है. दिमाग़ बहुत सारी बातों से घिरा हुआ है.”
“मैं समझ सकती हूँ…आप जाओ अभी फिर मिलेंगे आराम से.” रीमा ने कहा.
“कूल…वी विल मीट सून एन्ड विल मेक ए ब्लास्ट.”
“अब ये ब्लास्ट क्या है रेल से ज़्यादा ख़तरनाक है क्या …”
“हां कुछ ऐसा ही समझ लो..”
गौरव ड्व्ड लेकर बाहर आ गया और वापिस विजय के घर की तरफ चल दिया, “क्या पता ऐसी और भी ड्व्ड हो विजय के पास…देखता हूँ जाकर.”