02-01-2020, 01:12 PM
गौरव थाने से निकला ही था कि उसका फोन बज उठा.
"कहा हो जानेमन."
"हाई रीमा....कैसी हो..."
"आपको अगर याद हो तो कुछ काम अधूरे छोड़ गये थे आप. आ जाइए हम तड़प रहे हैं तभी से."
"उफ़फ्फ़ ऐसे बुलाएँगी आप तो मना नही कर पाएँगे. वैसे आपको अपने भैया का डर नही क्या."
"अभी-अभी भैया का फोन आया था. वो आज रात घर नही आएँगे."
"अच्छा....देख लो कही मरवा दो मुझे."
"तुम आओ ना. अच्छा छोटी सी भूल कहा तक पढ़ी. अब तक तो ख़तम हो गयी होगी."
"अरे नही यार. पढ़ ही रहा हूँ. परसो रात ख़तम करना चाहता था मगर कुछ लोगो से पंगा हो गया. फिर मन नही किया पढ़ने का. शांति से पढ़ुंगा मैं क्योंकि बहुत ही नाज़ुक मोड़ पर है कहानी अब."
"ह्म्म्म....आ रहे हो कि नही."
"आ रहा हूँ जी...आप बिस्तर सज़ा कर रखो...."
"सजाने की क्या ज़रूरत है आपने उथल-पुथल तो कर ही देना है.... ......"
"हाहहाहा.... आ रहा हूँ मैं बस थोड़ी देर में तुम्हारी रेल बनाने."
"नहियीईईईईई....... अच्छा चलो आ जाओ... वेटिंग फॉर यू." रीमा ने कहा और फोन काट दिया.
"तुम बन ही गयी रीमा दा गोल्डन गिर ....... ....अच्छी बात है और ज़्यादा मज़ा आएगा संभोग में ... ...." गौरव सोच कर मुस्कुरआया और जीप में बैठ कर रीमा के घर की तरफ चल दिया.
गौरव पहुँच गया रीमा के पास कोई 30 मिनिट में. पहुच कर उसने बेल बजाई. रीमा ने दरवाजा खोला.
“बहुत जल्दी आ गये आप. मुझे लगा एक दो घंटे में आएँगे.”
“अब आपने कुछ इस तरीके से बुलाया की खुद को रोक नही पाए. खींचे चले आए आपके पास.”
रीमा हल्का सा मुस्कुराइ और बोली, “आइए जल्दी अंदर, कही कोई देख ना ले.”
“ओह हां…बिल्कुल”
गौरव अंदर आ गया और रीमा ने मुस्कुराते हुए कुण्डी बंद कर ली.
“तुम्हारे होंटो पे जो ये सेडक्टिव स्माइल रहती है वो बुरा हाल कर देती है मेरा. ऐसे ना सताया कीजिए हमें…पछताना आपको ही पड़ेगा.”
“अच्छा क्या पछताना पड़ेगा. हमें कुछ समझ नही आया.”
“वैसे आज हमारा मन खराब है. आपने याद किया तो आना पड़ा मुझे…वरना सीधा घर जा रहा था.”
“क्या हुआ ऐसा?”
“अपर्णा के साथ बहुत बुरा हुआ. उसके मा-बाप का सर काट कर डब्बे में सज़ा कर घर भेज दिया उसके उस साइको ने.”
“ओ.ऍम.जी. ….. बस आगे मत बताना कुछ. मैं सुन नही पाउन्गि. ये तो हद हो गयी दरिंदगी की.” रीमा ने मूह पर हाथ रख कर कहा.
“मैं बहुत परेशान हूँ अपर्णा के लिए. मगर कुछ कर नही सकता. वो मुझसे बोलने तक को राज़ी नही है.”
“ह्म्म्म… इसका मतलब आज मूड नही है जनाब का. कोई बात नही आपके आने से ही रोनक बढ़ गयी है यहाँ की. मेरे पास कुछ नयी मूवीस की द्वड पड़ी हैं….दोनो मिल कर देखते हैं.” रीमा ने कहा.
“ओह हां मूवी से याद आया. मेरे पास एक सीडी है साइको वो देखे.”
“वाओ क्या अल्फ़्रेड हिचकॉक की साइको की बात कर रहे हो. बहुत सुना है उसके बारे में.” रीमा ने उत्सुकता से कहा.
“अब ये तो नही पता कि ये वही है कि नही. सुना तो मैने भी है उसके बारे में. उसके उपर साइको लिखा ज़रूर है.”
“कहा है ड्व्ड आओ चला कर देखते हैं.”
“डीवीडी जीप में पड़ी है अभी लेकर आता हूँ”
“ठीक है ले आओ..तब तक मैं पॉपकॉर्न तैयार करती हूँ.”
गौरव जीप से ड्व्ड ले आया, “तुम्हारे कमरे में ही देखेंगे ना.”
“हां वही देखनेगे…तुम चलो मैं आ रही हूँ.”
रीमा स्नॅक्स ले कर आ गयी जल्दी ही. “लगा दी क्या ड्व्ड.”
“तुम खुद लगाओ ये लो.” गौरव ने ड्व्ड रीमा को पकड़ा दी.
“ह्म्म हां वही मूवी तो है…मज़ा आएगा. बहुत दिन से देखना चाह रही थी मैं.”
"कहा हो जानेमन."
"हाई रीमा....कैसी हो..."
"आपको अगर याद हो तो कुछ काम अधूरे छोड़ गये थे आप. आ जाइए हम तड़प रहे हैं तभी से."
"उफ़फ्फ़ ऐसे बुलाएँगी आप तो मना नही कर पाएँगे. वैसे आपको अपने भैया का डर नही क्या."
"अभी-अभी भैया का फोन आया था. वो आज रात घर नही आएँगे."
"अच्छा....देख लो कही मरवा दो मुझे."
"तुम आओ ना. अच्छा छोटी सी भूल कहा तक पढ़ी. अब तक तो ख़तम हो गयी होगी."
"अरे नही यार. पढ़ ही रहा हूँ. परसो रात ख़तम करना चाहता था मगर कुछ लोगो से पंगा हो गया. फिर मन नही किया पढ़ने का. शांति से पढ़ुंगा मैं क्योंकि बहुत ही नाज़ुक मोड़ पर है कहानी अब."
"ह्म्म्म....आ रहे हो कि नही."
"आ रहा हूँ जी...आप बिस्तर सज़ा कर रखो...."
"सजाने की क्या ज़रूरत है आपने उथल-पुथल तो कर ही देना है.... ......"
"हाहहाहा.... आ रहा हूँ मैं बस थोड़ी देर में तुम्हारी रेल बनाने."
"नहियीईईईईई....... अच्छा चलो आ जाओ... वेटिंग फॉर यू." रीमा ने कहा और फोन काट दिया.
"तुम बन ही गयी रीमा दा गोल्डन गिर ....... ....अच्छी बात है और ज़्यादा मज़ा आएगा संभोग में ... ...." गौरव सोच कर मुस्कुरआया और जीप में बैठ कर रीमा के घर की तरफ चल दिया.
गौरव पहुँच गया रीमा के पास कोई 30 मिनिट में. पहुच कर उसने बेल बजाई. रीमा ने दरवाजा खोला.
“बहुत जल्दी आ गये आप. मुझे लगा एक दो घंटे में आएँगे.”
“अब आपने कुछ इस तरीके से बुलाया की खुद को रोक नही पाए. खींचे चले आए आपके पास.”
रीमा हल्का सा मुस्कुराइ और बोली, “आइए जल्दी अंदर, कही कोई देख ना ले.”
“ओह हां…बिल्कुल”
गौरव अंदर आ गया और रीमा ने मुस्कुराते हुए कुण्डी बंद कर ली.
“तुम्हारे होंटो पे जो ये सेडक्टिव स्माइल रहती है वो बुरा हाल कर देती है मेरा. ऐसे ना सताया कीजिए हमें…पछताना आपको ही पड़ेगा.”
“अच्छा क्या पछताना पड़ेगा. हमें कुछ समझ नही आया.”
“वैसे आज हमारा मन खराब है. आपने याद किया तो आना पड़ा मुझे…वरना सीधा घर जा रहा था.”
“क्या हुआ ऐसा?”
“अपर्णा के साथ बहुत बुरा हुआ. उसके मा-बाप का सर काट कर डब्बे में सज़ा कर घर भेज दिया उसके उस साइको ने.”
“ओ.ऍम.जी. ….. बस आगे मत बताना कुछ. मैं सुन नही पाउन्गि. ये तो हद हो गयी दरिंदगी की.” रीमा ने मूह पर हाथ रख कर कहा.
“मैं बहुत परेशान हूँ अपर्णा के लिए. मगर कुछ कर नही सकता. वो मुझसे बोलने तक को राज़ी नही है.”
“ह्म्म्म… इसका मतलब आज मूड नही है जनाब का. कोई बात नही आपके आने से ही रोनक बढ़ गयी है यहाँ की. मेरे पास कुछ नयी मूवीस की द्वड पड़ी हैं….दोनो मिल कर देखते हैं.” रीमा ने कहा.
“ओह हां मूवी से याद आया. मेरे पास एक सीडी है साइको वो देखे.”
“वाओ क्या अल्फ़्रेड हिचकॉक की साइको की बात कर रहे हो. बहुत सुना है उसके बारे में.” रीमा ने उत्सुकता से कहा.
“अब ये तो नही पता कि ये वही है कि नही. सुना तो मैने भी है उसके बारे में. उसके उपर साइको लिखा ज़रूर है.”
“कहा है ड्व्ड आओ चला कर देखते हैं.”
“डीवीडी जीप में पड़ी है अभी लेकर आता हूँ”
“ठीक है ले आओ..तब तक मैं पॉपकॉर्न तैयार करती हूँ.”
गौरव जीप से ड्व्ड ले आया, “तुम्हारे कमरे में ही देखेंगे ना.”
“हां वही देखनेगे…तुम चलो मैं आ रही हूँ.”
रीमा स्नॅक्स ले कर आ गयी जल्दी ही. “लगा दी क्या ड्व्ड.”
“तुम खुद लगाओ ये लो.” गौरव ने ड्व्ड रीमा को पकड़ा दी.
“ह्म्म हां वही मूवी तो है…मज़ा आएगा. बहुत दिन से देखना चाह रही थी मैं.”