02-01-2020, 01:05 PM
फर्स्ट फ्लाइट के ऑफीस से गौरव सीधा विजय के घर पहुँचा. उसने दरवाजा खड़काया. सरिता ने दरवाजा खोला.
“मैं इनस्पेक्टर गौरव पांडे हूँ. कुछ बात करनी थी आपसे.” गौरव ने कहा.
गौरव बोल कर हटा ही था कि उसके मूह पर एक थप्पड़ जड़ दिया सरिता ने. “तुम्हे कैसे भूल सकती हूँ. तुम्ही ना मारा है ना मेरे पति को.”
थप्पड़ खाने के बाद एक पल को गौरव कुछ नही बोल पाया. मगर थप्पड़ मारने के बाद सरिता थोड़ी नरम पड़ गयी.
"बतायें अब मैं क्या मदद कर सकती हूँ आपकी?" सरिता ने कहा.
"मार लीजिए एक थप्पड़ और, फिर आराम से बात करेंगे. थप्पड़ मारने के बाद आप शांत सी हो गयी हो. मार लीजिए एक और...बुरा नही मानूँगा." गौरव ने कहा.
"आइए अंदर" सरिता ने कहा
गौरव अंदर आ कर चुपचाप सोफे पर बैठ गया. सरिता भी उसके सामने बैठ गयी.
"मेरी आँखो के सामने रेप अटेंप्ट किया विजय ने मेरी बहन का. आपको बता नही सकता कि क्या-क्या किया उसने. मुझे यही लगा कि वही साइको है. गुस्से में मार दी गोली मैने उसे. नही रोक पाया खुद को...सॉरी."
"मैने आपको थप्पड़ एक पत्नी के रूप में मारा. एक औरत होने के नाते कह सकती हूँ कि आपने ठीक ही किया. मेरी आँखो के सामने रेप किया था मेरी छोटी बहन का उन्होने. मार देना चाहती थी मैं भी उन्हे पर अपने पत्नी धरम के कारण चुप थी."
"कितने साल हुए आपकी शादी को." गौरव ने पूछा.
"3 साल"
"सरिता जी मुझे शक है कि आपके पति साइको के साथ मिले हुए थे. इसलिए यहाँ आया हूँ. उस साइको ने शहर में आतंक मचा रखा है. उसको पकड़ना बहुत ज़रूरी है वरना वो यू ही खून बहाता रहेगा. क्या आप कुछ ऐसा बता सकती हैं जो कि मेरी मदद कर सके."
"कुछ दिनो से वो सारा-सारा दिन बाहर रहते थे. रात को काई बार घर ही नही आते थे. कुछ पूछती थी तो मुझे मारने-पीटने लगते थे. एक दिन पेट पर चाकू खा कर आए थे. मैने यही घर पर ही पेट सिया था उनका. ज़्यादा कुछ नही जानती मैं. वो मेरे लिए हमेशा एक रहस्या ही रहे."
"ह्म्म्म माफ़ कीजिए मुझे मैने आपको बेवजह तकलीफ़ दी...मैं चलता हूँ." गौरव ने कहा और सोफे से खड़ा हो गया.
अचानक उसकी नज़र टीवी के उपर पड़ी एक मूवी की सीडी पर पड़ी. उसका टाइटल देख कर गौरव ने कहा,"ह्म्म्म....साइको...क्या ये मूवी आपके हज़्बेंड देखते थे."
"हां....बार बार इसे ही देखते थे वो. पता नही क्या है ऐसा इसमे. मैने कभी नही देखी."
"देखी तो मैने भी नही ये मूवी, हां पर नाम बहुत सुना है इसका. अगर आपको बुरा ना लगे तो क्या मैं ये सीडी ले सकता हूँ. लौटा दूँगा आपको जल्द."
"ले जाइए मुझे नही चाहिए ये वैसे भी. वापिस करने की भी कोई ज़रूरत नही है." सरिता ने कहा.
"थॅंक्स सरिता जी. मैं चलता हूँ अब."
जैसे ही गौरव घर से बाहर निकला ऋतू ने उसे घेर लिया, "क्या आप माफी माँगने आए थे विजय की पत्नी से. क्या आपको अब अहसास हो रहा है कि आपने ग़लत आदमी को मार दिया."
"देखिए इन्वेस्टिगेशन चल रही है. मैं कुछ नही कह सकता अभी."
"वैसे थप्पड़ क्यों पड़ा आपके गाल पे. कुछ बता सकते हैं."
"तुम्हे कैसे पता ..." गौरव सर्प्राइज़्ड रह गया.
"मैने खुद देखा अपनी आँखो से. रेकॉर्ड भी हो गया कॅमरा में"
"मुझे आपसे कोई बात नही करनी है...जो करना है करिए." गौरव बोल कर जीप में बैठ कर वहाँ से निकल गया.
"एक पत्नी ने आज अपने मन की भादास निकाली. एक करारा थप्पड़ मिला इनस्पेक्टर साहिब को. शायद ये थप्पड़ अब उनकी नींद तोड़ दे और वो और ज़्यादा सतर्क हो कर अपनी ड्यूटी करें....ओवर टू यू....." ऋतू ने कॅमरा के सामने खड़े हो कर कहा.
“मैं इनस्पेक्टर गौरव पांडे हूँ. कुछ बात करनी थी आपसे.” गौरव ने कहा.
गौरव बोल कर हटा ही था कि उसके मूह पर एक थप्पड़ जड़ दिया सरिता ने. “तुम्हे कैसे भूल सकती हूँ. तुम्ही ना मारा है ना मेरे पति को.”
थप्पड़ खाने के बाद एक पल को गौरव कुछ नही बोल पाया. मगर थप्पड़ मारने के बाद सरिता थोड़ी नरम पड़ गयी.
"बतायें अब मैं क्या मदद कर सकती हूँ आपकी?" सरिता ने कहा.
"मार लीजिए एक थप्पड़ और, फिर आराम से बात करेंगे. थप्पड़ मारने के बाद आप शांत सी हो गयी हो. मार लीजिए एक और...बुरा नही मानूँगा." गौरव ने कहा.
"आइए अंदर" सरिता ने कहा
गौरव अंदर आ कर चुपचाप सोफे पर बैठ गया. सरिता भी उसके सामने बैठ गयी.
"मेरी आँखो के सामने रेप अटेंप्ट किया विजय ने मेरी बहन का. आपको बता नही सकता कि क्या-क्या किया उसने. मुझे यही लगा कि वही साइको है. गुस्से में मार दी गोली मैने उसे. नही रोक पाया खुद को...सॉरी."
"मैने आपको थप्पड़ एक पत्नी के रूप में मारा. एक औरत होने के नाते कह सकती हूँ कि आपने ठीक ही किया. मेरी आँखो के सामने रेप किया था मेरी छोटी बहन का उन्होने. मार देना चाहती थी मैं भी उन्हे पर अपने पत्नी धरम के कारण चुप थी."
"कितने साल हुए आपकी शादी को." गौरव ने पूछा.
"3 साल"
"सरिता जी मुझे शक है कि आपके पति साइको के साथ मिले हुए थे. इसलिए यहाँ आया हूँ. उस साइको ने शहर में आतंक मचा रखा है. उसको पकड़ना बहुत ज़रूरी है वरना वो यू ही खून बहाता रहेगा. क्या आप कुछ ऐसा बता सकती हैं जो कि मेरी मदद कर सके."
"कुछ दिनो से वो सारा-सारा दिन बाहर रहते थे. रात को काई बार घर ही नही आते थे. कुछ पूछती थी तो मुझे मारने-पीटने लगते थे. एक दिन पेट पर चाकू खा कर आए थे. मैने यही घर पर ही पेट सिया था उनका. ज़्यादा कुछ नही जानती मैं. वो मेरे लिए हमेशा एक रहस्या ही रहे."
"ह्म्म्म माफ़ कीजिए मुझे मैने आपको बेवजह तकलीफ़ दी...मैं चलता हूँ." गौरव ने कहा और सोफे से खड़ा हो गया.
अचानक उसकी नज़र टीवी के उपर पड़ी एक मूवी की सीडी पर पड़ी. उसका टाइटल देख कर गौरव ने कहा,"ह्म्म्म....साइको...क्या ये मूवी आपके हज़्बेंड देखते थे."
"हां....बार बार इसे ही देखते थे वो. पता नही क्या है ऐसा इसमे. मैने कभी नही देखी."
"देखी तो मैने भी नही ये मूवी, हां पर नाम बहुत सुना है इसका. अगर आपको बुरा ना लगे तो क्या मैं ये सीडी ले सकता हूँ. लौटा दूँगा आपको जल्द."
"ले जाइए मुझे नही चाहिए ये वैसे भी. वापिस करने की भी कोई ज़रूरत नही है." सरिता ने कहा.
"थॅंक्स सरिता जी. मैं चलता हूँ अब."
जैसे ही गौरव घर से बाहर निकला ऋतू ने उसे घेर लिया, "क्या आप माफी माँगने आए थे विजय की पत्नी से. क्या आपको अब अहसास हो रहा है कि आपने ग़लत आदमी को मार दिया."
"देखिए इन्वेस्टिगेशन चल रही है. मैं कुछ नही कह सकता अभी."
"वैसे थप्पड़ क्यों पड़ा आपके गाल पे. कुछ बता सकते हैं."
"तुम्हे कैसे पता ..." गौरव सर्प्राइज़्ड रह गया.
"मैने खुद देखा अपनी आँखो से. रेकॉर्ड भी हो गया कॅमरा में"
"मुझे आपसे कोई बात नही करनी है...जो करना है करिए." गौरव बोल कर जीप में बैठ कर वहाँ से निकल गया.
"एक पत्नी ने आज अपने मन की भादास निकाली. एक करारा थप्पड़ मिला इनस्पेक्टर साहिब को. शायद ये थप्पड़ अब उनकी नींद तोड़ दे और वो और ज़्यादा सतर्क हो कर अपनी ड्यूटी करें....ओवर टू यू....." ऋतू ने कॅमरा के सामने खड़े हो कर कहा.