02-01-2020, 11:59 AM
(This post was last modified: 11-03-2021, 01:27 PM by komaalrani. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
सोफ़ी
" आफिस में आज एक जल्दी मीटिंग है ,निकलना है। "
कह के शरमाते लजाते वो उठ खड़े हुए , लेकिन मम्मी भी उनके उठते उठते भी उनकी पेंट खोल चेक चेक कर लिया।
सब ठीक था , फार्मल ग्रे पैंट के अंदर मम्मी की दो दिन की पहनी पैंटी , और उनका ' वो ' भी थोड़ा सोया ज्यादा जागा।
अपनी पैंटी के ऊपर से ' उसे ' रगड़ते मम्मी बोलीं ,
" बहुत याद आ रही है मेरी छिनार चूत मरानो समधन के भोंसडे की न , जा जा अरे जल्द ही दिलवाऊंगी तुझे रसीले भोंसडे का रस , उन के भी भोंसडे में तुझ से ज्यादा चींटे काट रहे हैं , अभी आता होगा बुरचोदो का फोन। "
और सच में वो निकले भी नहीं थे की मेरी सास का फोन आ गया , आफ कोर्स स्पीकर फोन था ,
और आज तो कल से भी दस गुना ज्यादा खुल्लम खुला दोनों समधनों के बीच बातें हो रही थी।
……………………….
शाम को उन्हें आफिस से सीधे सोफी के पास जाना था।
अरे वही सोफी ,जादूगरनी ब्यूटी पार्लर वाली जिसे मम्मी ने इनका रंग रूप ,नाक नक्श बदलने का एकमुश्त ठीक दिया था ,
(एक बार फिर से पेज ३२ पर जाकर चाहें तो सोफी और उसके कारनामों की यादें ताजा कर लें )
और जिसकी शाप पे पहली बार मैंने आर्टिफिसियल बूब्स ही नहीं आर्टिफिसियल वैजाइना तक देखी थी।
उसने इन्हें पक्का अपने शीशे में उतार लिया था , और अपनी शाप के साथ, ' होमवर्क ' भी इन्हें अच्छा ख़ासा देती थी ,
मेकअप का , ड्रेस सेन्स का।
मम्मी और मुझे से भी उस की पक्की दोस्ती हो गयी थी।
लेकिन सोफी से भी बढ़कर सोते जागते उनकी गुरु तो थीं ,और कौन ,... मेरी मम्मी।
आफिस में आफ कोर्स वो प्रापर अपने ही कपडे पहन के जाते थे
( सिवाय अंदर मॉम के रस से सनी भीगी पैंटी को छोड़ कर )
लेकिन घर में ,और उस के बाद पल पल पर गुरु ज्ञान बरसता रहता था
और मम्मी की बातें तो वो मम्मी के कहने के पहले ही मानने में यकीन रखते थे।
एक एक चीजें ,छोटी छोटी बातें , एटीट्यूड ,अंदाज ,नाजो अदा , ..
एक दिन मैं और मम्मी उन के साथ बैठ कर हमारी शादी का वीडियो देख रहे थे और उन की मायकेवालियों को खास तौर से उनकी उस ममेरी बहन को दिखा दिखा के छेड़ रहे थे।
और जैसा की होता है शादी में ,मेरे घर वाले लड़कों की निगाहें उनकी उस कटीली छमिया के आ रहे नए नए उभार पर चिपकी थीं , कुछ तो खुल के कमेंट भी कर रहे थे , और मम्मी ने प्वाइंट आउट किया ,
" देख ध्यान से ,जैसे ही कोई उसके उभारों को देखता है , बिना उधर देखे ही उसे अंदाज लग जाता है और कैसे वो अपनी चुन्नी ठीक करने की कोशिश करती है। ये हर लड़की की ख़ास अदा होती है।
और चलते समय उसके पिछवाड़े के उभार देख कैसे मस्त थिरक रहे हैं। "
दोपहर में सुजाता आयी थी उसने बोला की कोई फेयर लगा है , खासतौर से लेडीज के लिए बहुत स्पेशल शाप हैं , डिस्काउंट भी।
उन्हें तो आफिस से सोफी के यहाँ जाना था , कोई ' ख़ास असाइनमेंट ' था , सोफी ने बोला था। , तय ये हुआ की हम लोग वही फेयर में जाएंगे और वो सोफी के यहाँ से सीधे वहीँ ,
सुजाता के हसबैंड को कहीं आज टूर पर जाना था तो हम सब खाना भी वहीँ खा के घर आएंगे।
जबरदस्त सेल थी और जबरदस्त डिस्काउंट। खचाखच भीड़।
औरतें ही औरतें ,कच्ची अमियों से लेकर खेली खायी तक , पटी पड़ी थीं।
मैं,मम्मी और सुजाता ,समझ में नहीं आ रहा था किधर से शुरू करें।
एक लेन साड़ियों की थी ,हम तीनो उधर ही चल पड़े, जार्जेट ,शिफॉन , साउथ इन्डियन हर त्तरह की साड़ियों के स्टाल, और साड़ियों की खरीदारी तो आप समझ सकते हैं. मम्मी एक शिफॉन की दूकान पर बैठ गयी और वो और सुजाता ,...
लेकिन मेरे दिमाग में सामने की लेन दिख रही थी जहाँ हाट वेस्टर्न ड्रेसेज मिल रही थीं।
मैंने मम्मी और सुजाता को वहीँ छोड़ा और उस ओर जा पहुंची।
मेरे मन में कुछ और था , अपने से ज्यादा अपनी उस छिनार ननदिया के लिए , ... चार दिन ही तो रह गए थे ,इनके मायके जाने के लिए। उसके लिए।
अरे माल पटाना है तो कुछ तो इन्वेस्ट करना ही पडेगा , और मैं चाहती थी की वहीँ इनके मायके में ही उसे हॉट हॉट ड्रेसेज पहना के ,
उसके घरवालों के बीच ही झलकउवा कपड़ों में ,...
और उसके भइया की ओर से गिफ्ट होगा तो उसे ,
तो फिर मैंने खूब रिवीलिंग हॉट हॉल्टर, स्पैन्डेक्स,छोटी छोटी स्कर्ट ,साइड स्प्लिट वाली और साथ में मैचिंग अंतवस्त्र,...
उसके बूब्स की साइज तो मुझे मालुम ही थी ,३२ सी, तो ,
पुश अप ब्रा ,
पीक अ बू ब्रा और
थॉन्ग्स,..
वहीँ पर मुझे सोफ़ी दिख गयी , अरे वही उनकी गुरुआनी।
उनके साथ एक और थी कोई ,...पहले नहीं मिली थी ,लेकिन थी एकदम मस्त माल, सब की निगाहें उसी की ओर ,
स्पैन्डेक्स टॉप , लांग स्कर्ट ,फ़्लैट हील्स , ब्वाय कट हेयर ,
एकदम माडर्न लुक ,ग्रीन आइज , भरी भरी आई लैशेज, मस्कारा और हल्का सी काजल की रेख , हाई चीकबोन्स।
हाँ वैसे " मानचेस्टर" लग रही थी लेकिन ध्यान से देखने पर उसके लंबे स्लेंडर फ्रेम पे छोटी छोटी बूबीज भी अच्छी लग रही थी जो उसकी टाइट टॉप उभार रही थी।
सोफी के साथ उसने भी मुझे देखा और हम तीनों ने आँखों ही आँखों में हाई फाइव किया।
" आफिस में आज एक जल्दी मीटिंग है ,निकलना है। "
कह के शरमाते लजाते वो उठ खड़े हुए , लेकिन मम्मी भी उनके उठते उठते भी उनकी पेंट खोल चेक चेक कर लिया।
सब ठीक था , फार्मल ग्रे पैंट के अंदर मम्मी की दो दिन की पहनी पैंटी , और उनका ' वो ' भी थोड़ा सोया ज्यादा जागा।
अपनी पैंटी के ऊपर से ' उसे ' रगड़ते मम्मी बोलीं ,
" बहुत याद आ रही है मेरी छिनार चूत मरानो समधन के भोंसडे की न , जा जा अरे जल्द ही दिलवाऊंगी तुझे रसीले भोंसडे का रस , उन के भी भोंसडे में तुझ से ज्यादा चींटे काट रहे हैं , अभी आता होगा बुरचोदो का फोन। "
और सच में वो निकले भी नहीं थे की मेरी सास का फोन आ गया , आफ कोर्स स्पीकर फोन था ,
और आज तो कल से भी दस गुना ज्यादा खुल्लम खुला दोनों समधनों के बीच बातें हो रही थी।
……………………….
शाम को उन्हें आफिस से सीधे सोफी के पास जाना था।
अरे वही सोफी ,जादूगरनी ब्यूटी पार्लर वाली जिसे मम्मी ने इनका रंग रूप ,नाक नक्श बदलने का एकमुश्त ठीक दिया था ,
(एक बार फिर से पेज ३२ पर जाकर चाहें तो सोफी और उसके कारनामों की यादें ताजा कर लें )
और जिसकी शाप पे पहली बार मैंने आर्टिफिसियल बूब्स ही नहीं आर्टिफिसियल वैजाइना तक देखी थी।
उसने इन्हें पक्का अपने शीशे में उतार लिया था , और अपनी शाप के साथ, ' होमवर्क ' भी इन्हें अच्छा ख़ासा देती थी ,
मेकअप का , ड्रेस सेन्स का।
मम्मी और मुझे से भी उस की पक्की दोस्ती हो गयी थी।
लेकिन सोफी से भी बढ़कर सोते जागते उनकी गुरु तो थीं ,और कौन ,... मेरी मम्मी।
आफिस में आफ कोर्स वो प्रापर अपने ही कपडे पहन के जाते थे
( सिवाय अंदर मॉम के रस से सनी भीगी पैंटी को छोड़ कर )
लेकिन घर में ,और उस के बाद पल पल पर गुरु ज्ञान बरसता रहता था
और मम्मी की बातें तो वो मम्मी के कहने के पहले ही मानने में यकीन रखते थे।
एक एक चीजें ,छोटी छोटी बातें , एटीट्यूड ,अंदाज ,नाजो अदा , ..
एक दिन मैं और मम्मी उन के साथ बैठ कर हमारी शादी का वीडियो देख रहे थे और उन की मायकेवालियों को खास तौर से उनकी उस ममेरी बहन को दिखा दिखा के छेड़ रहे थे।
और जैसा की होता है शादी में ,मेरे घर वाले लड़कों की निगाहें उनकी उस कटीली छमिया के आ रहे नए नए उभार पर चिपकी थीं , कुछ तो खुल के कमेंट भी कर रहे थे , और मम्मी ने प्वाइंट आउट किया ,
" देख ध्यान से ,जैसे ही कोई उसके उभारों को देखता है , बिना उधर देखे ही उसे अंदाज लग जाता है और कैसे वो अपनी चुन्नी ठीक करने की कोशिश करती है। ये हर लड़की की ख़ास अदा होती है।
और चलते समय उसके पिछवाड़े के उभार देख कैसे मस्त थिरक रहे हैं। "
दोपहर में सुजाता आयी थी उसने बोला की कोई फेयर लगा है , खासतौर से लेडीज के लिए बहुत स्पेशल शाप हैं , डिस्काउंट भी।
उन्हें तो आफिस से सोफी के यहाँ जाना था , कोई ' ख़ास असाइनमेंट ' था , सोफी ने बोला था। , तय ये हुआ की हम लोग वही फेयर में जाएंगे और वो सोफी के यहाँ से सीधे वहीँ ,
सुजाता के हसबैंड को कहीं आज टूर पर जाना था तो हम सब खाना भी वहीँ खा के घर आएंगे।
जबरदस्त सेल थी और जबरदस्त डिस्काउंट। खचाखच भीड़।
औरतें ही औरतें ,कच्ची अमियों से लेकर खेली खायी तक , पटी पड़ी थीं।
मैं,मम्मी और सुजाता ,समझ में नहीं आ रहा था किधर से शुरू करें।
एक लेन साड़ियों की थी ,हम तीनो उधर ही चल पड़े, जार्जेट ,शिफॉन , साउथ इन्डियन हर त्तरह की साड़ियों के स्टाल, और साड़ियों की खरीदारी तो आप समझ सकते हैं. मम्मी एक शिफॉन की दूकान पर बैठ गयी और वो और सुजाता ,...
लेकिन मेरे दिमाग में सामने की लेन दिख रही थी जहाँ हाट वेस्टर्न ड्रेसेज मिल रही थीं।
मैंने मम्मी और सुजाता को वहीँ छोड़ा और उस ओर जा पहुंची।
मेरे मन में कुछ और था , अपने से ज्यादा अपनी उस छिनार ननदिया के लिए , ... चार दिन ही तो रह गए थे ,इनके मायके जाने के लिए। उसके लिए।
अरे माल पटाना है तो कुछ तो इन्वेस्ट करना ही पडेगा , और मैं चाहती थी की वहीँ इनके मायके में ही उसे हॉट हॉट ड्रेसेज पहना के ,
उसके घरवालों के बीच ही झलकउवा कपड़ों में ,...
और उसके भइया की ओर से गिफ्ट होगा तो उसे ,
तो फिर मैंने खूब रिवीलिंग हॉट हॉल्टर, स्पैन्डेक्स,छोटी छोटी स्कर्ट ,साइड स्प्लिट वाली और साथ में मैचिंग अंतवस्त्र,...
उसके बूब्स की साइज तो मुझे मालुम ही थी ,३२ सी, तो ,
पुश अप ब्रा ,
पीक अ बू ब्रा और
थॉन्ग्स,..
वहीँ पर मुझे सोफ़ी दिख गयी , अरे वही उनकी गुरुआनी।
उनके साथ एक और थी कोई ,...पहले नहीं मिली थी ,लेकिन थी एकदम मस्त माल, सब की निगाहें उसी की ओर ,
स्पैन्डेक्स टॉप , लांग स्कर्ट ,फ़्लैट हील्स , ब्वाय कट हेयर ,
एकदम माडर्न लुक ,ग्रीन आइज , भरी भरी आई लैशेज, मस्कारा और हल्का सी काजल की रेख , हाई चीकबोन्स।
हाँ वैसे " मानचेस्टर" लग रही थी लेकिन ध्यान से देखने पर उसके लंबे स्लेंडर फ्रेम पे छोटी छोटी बूबीज भी अच्छी लग रही थी जो उसकी टाइट टॉप उभार रही थी।
सोफी के साथ उसने भी मुझे देखा और हम तीनों ने आँखों ही आँखों में हाई फाइव किया।