02-01-2020, 11:38 AM
Update 71
अगली सुबह अपर्णा जल्दी उठ गयी और अपने कमरे का टीवी ऑन किया. वो साइको की न्यूज़ सुन-ना चाहती थी. उसे पता था कि टीवी पर ज़रूर साइको की न्यूज़ चल रही होगी.
जब उसने न्यूज़ देखनी शुरू की तो राहत मिली दिल को कि साइको सच में मारा गया. मगर जब टीवी पर विजय की तस्वीर दिखाई गयी तो उसके पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.
" ये साइको नही है" अपर्णा बड़बड़ाई.
उसने तुरंत खिड़की से परदा हटा कर बाहर देखा. आशुतोष जीप में बैठा सो रहा था. वो तुरंत भाग कर सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आई और दरवाजा खोल कर आशुतोष की जीप की तरफ बढ़ी.
उसने आशुतोष का कंधा पकड़ कर हिलाया.
"क...क...कौन है." आशुतोष हड़बड़ा कर उठ गया. "अपर्णा जी आप"
"वो जो मारा गया वो साइको नही है."
"क्या आपको कैसे पता चला." आशुतोष ने हैरानी में पूछा.
"मैने अभी-अभी न्यूज़ देखी. मरने वाला साइको नही कोई और है."
"ओह नो." आशुतोष जीप से बाहर आता है और तुरंत एएसपी साहिबा को फोन लगाता है.
"मेडम विजय साइको नही था, अपर्णा जी ने अभी न्यूज़ देख कर बताया कि विजय साइको नही है."
"क्या " अंकिता भी हैरान रह गयी.
"आशुतोष फोन दो ज़रा अपर्णा को." अंकिता ने कहा.
आशुतोष ने फोन अपर्णा को पकड़ा दिया, एएसपी साहिबा बात करना चाहती हैं"
"हां अपर्णा क्या आशुतोष जो बोल रहा है वो ठीक है?"
"जी हां मेडम....जिसे मारा गया है वो साइको नही है."
"जीसस...फोन दो आशुतोष को."
"आशुतोष ये लो बात करो." अपर्णा ने फोन वापिस थमा दिया आशुतोष को.
"हां आशुतोष तुम वही रूको. बाकी की तुम्हारी टीम कहाँ है."
"उन्हे तो मैने भेज दिया था रात ही आपसे बात करने के बाद."
"ठीक है मैं सभी को वापिस भेजती हूँ, तुम वही रूको और सतर्क रहो."
"आप चिंता ना करें मेडम, मेरे होते हुए यहाँ कुछ नही होगा."
"गुड." अंकिता ने फोन काट दिया.
"अपर्णा जी आप अंदर जाओ, यहाँ बाहर ख़तरा है."
"हां जा रही हूँ, तुम भी ख्याल रखना अपना आशुतोष." अपर्णा कह कर वापिस अंदर आ गयी.
अंकिता ने आशुतोष से बात करने के बाद तुरंत गौरव को फोन मिलाया.
“गुड मॉर्निंग मेडम. ”
“गुड मॉर्निंग कैसे हो.”
“ठीक हूँ मेडम , आज ड्यूटी नही आ पाउन्गा मेडम.”
“आना पड़ेगा तुम्हे, साइको अभी भी आज़ाद घूम रहा है.”
“क्या ऐसा कैसे हो सकता है.”
“ऐसा ही है, अपर्णा के अनुसार विजय साइको नही था. अभी अभी बात की मैने उस से.”
“ऐसा कैसे हो सकता है ….”
“ऐसा ही है, तुम जल्दी से पहुँचो थाने, मैं भी पहुँच रही हूँ. अब सब कुछ नये सिरे से सोचना पड़ेगा.”
“आ रहा हूँ मेडम…. ……” गौरव ने मायूसी में कहा.
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अगली सुबह अपर्णा जल्दी उठ गयी और अपने कमरे का टीवी ऑन किया. वो साइको की न्यूज़ सुन-ना चाहती थी. उसे पता था कि टीवी पर ज़रूर साइको की न्यूज़ चल रही होगी.
जब उसने न्यूज़ देखनी शुरू की तो राहत मिली दिल को कि साइको सच में मारा गया. मगर जब टीवी पर विजय की तस्वीर दिखाई गयी तो उसके पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.
" ये साइको नही है" अपर्णा बड़बड़ाई.
उसने तुरंत खिड़की से परदा हटा कर बाहर देखा. आशुतोष जीप में बैठा सो रहा था. वो तुरंत भाग कर सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आई और दरवाजा खोल कर आशुतोष की जीप की तरफ बढ़ी.
उसने आशुतोष का कंधा पकड़ कर हिलाया.
"क...क...कौन है." आशुतोष हड़बड़ा कर उठ गया. "अपर्णा जी आप"
"वो जो मारा गया वो साइको नही है."
"क्या आपको कैसे पता चला." आशुतोष ने हैरानी में पूछा.
"मैने अभी-अभी न्यूज़ देखी. मरने वाला साइको नही कोई और है."
"ओह नो." आशुतोष जीप से बाहर आता है और तुरंत एएसपी साहिबा को फोन लगाता है.
"मेडम विजय साइको नही था, अपर्णा जी ने अभी न्यूज़ देख कर बताया कि विजय साइको नही है."
"क्या " अंकिता भी हैरान रह गयी.
"आशुतोष फोन दो ज़रा अपर्णा को." अंकिता ने कहा.
आशुतोष ने फोन अपर्णा को पकड़ा दिया, एएसपी साहिबा बात करना चाहती हैं"
"हां अपर्णा क्या आशुतोष जो बोल रहा है वो ठीक है?"
"जी हां मेडम....जिसे मारा गया है वो साइको नही है."
"जीसस...फोन दो आशुतोष को."
"आशुतोष ये लो बात करो." अपर्णा ने फोन वापिस थमा दिया आशुतोष को.
"हां आशुतोष तुम वही रूको. बाकी की तुम्हारी टीम कहाँ है."
"उन्हे तो मैने भेज दिया था रात ही आपसे बात करने के बाद."
"ठीक है मैं सभी को वापिस भेजती हूँ, तुम वही रूको और सतर्क रहो."
"आप चिंता ना करें मेडम, मेरे होते हुए यहाँ कुछ नही होगा."
"गुड." अंकिता ने फोन काट दिया.
"अपर्णा जी आप अंदर जाओ, यहाँ बाहर ख़तरा है."
"हां जा रही हूँ, तुम भी ख्याल रखना अपना आशुतोष." अपर्णा कह कर वापिस अंदर आ गयी.
अंकिता ने आशुतोष से बात करने के बाद तुरंत गौरव को फोन मिलाया.
“गुड मॉर्निंग मेडम. ”
“गुड मॉर्निंग कैसे हो.”
“ठीक हूँ मेडम , आज ड्यूटी नही आ पाउन्गा मेडम.”
“आना पड़ेगा तुम्हे, साइको अभी भी आज़ाद घूम रहा है.”
“क्या ऐसा कैसे हो सकता है.”
“ऐसा ही है, अपर्णा के अनुसार विजय साइको नही था. अभी अभी बात की मैने उस से.”
“ऐसा कैसे हो सकता है ….”
“ऐसा ही है, तुम जल्दी से पहुँचो थाने, मैं भी पहुँच रही हूँ. अब सब कुछ नये सिरे से सोचना पड़ेगा.”
“आ रहा हूँ मेडम…. ……” गौरव ने मायूसी में कहा.
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