02-01-2020, 11:33 AM
अंकिता 20 मिनिट में पहुँच गयी गौरव के घर. गौरव गुमशुम चुपचाप बैठा था सोफे पर पिंकी के साथ.
दरवाजा खुला ही रख छोड़ा था गौरव ने. सौरभ को भी होश आ गया था. गौरव ने अंकिता को फोन करने के बाद डॉक्टर को फोन करके बुला लिया था. डॉक्टर के इंजेक्षन के बाद सौरभ को होश आ गया था.
“कौन था ये…गौरव.” अंकिता ने पूछा. अंकिता खून से लटपथ चेहरे को पहचान नही पाई.
“वही जिस पर हमें शक था मेडम, विजय.”
“तुम्हे ये नही करना चाहिए था. अब मुझे मजबूर हो कर तुम्हारे खिलाफ कुछ आक्षन लेना पड़ेगा.”
“ले लीजिए जो आक्षन लेना है…मगर मैं इसे किसी भी हालत में जिंदा नही छोड़ सकता था…मेरे सामने इसने मेरी बहन के साथ…….” आंशु भर आए गौरव की आँखो में.
“बस भैया….बस.” पिंकी ने गौरव के सर पर हाथ रखा.
“ह्म्म…गौरव, ये गोली तुमने सेल्फ़ डिफेन्स में मारी है, इज़ देट क्लियर.”
“जैसा आप कहें मेडम, मैने आपको सब सच बता दिया.” गौरव ने अंकिता की आँखो में देख कर कहा.
“ये बात हम दोनो के बीच रहेगी. धिंडोरा मत पीटना कि तुमने साइको को गोली मार दी. समझे.” अंकिता ने कहा.
“समझ गया मेडम, समझ गया.” गौरव ने कहा.
“चलो ये केस आख़िर कार क्लोज़ हो गया, कंग्रॅजुलेशन गौरव, गुड जॉब.”
गौरव ने अंकिता की आँखो में देखा और बोला, “थॅंक योउ मेडम…सब आपकी डाँट का नतीजा है.”
अंकिता हंस पड़ी इस बात पर, “वो तो है, और ये मत सोचना कि आगे डाँट नही पड़ेगी. अभी और भी बहुत केसस पड़े हैं जिन्हे तुम्हे हैंडल करना है. इज़ देट क्लियर.” हँसी के बाद अंकिता की बात में थोड़ी कठोरता आ गयी थी.
“बिल्कुल मेडम…सब क्लियर है.”
अंकिता की नज़र सौरभ पर पड़ी तो वो बोली, "ये यहाँ क्या कर रहा है?"
"ये अगर वक्त पे ना आता तो मेरे सामने ही मेरी बहन का रेप हो जाता. हां सौरभ पर तुम यहाँ आए कैसे " गौरव ने कहा.
"मैं आपको बताना चाहता था कि विजय ही साइको है. मैं विजय की बीवी से मिला था. उसने मुझे बताया कि विजय उस रात घायल अवस्था में घर लोटा था जिस रात मेरी साइको से झड़प हुई थी. विजय के पेट को उसकी बीवी ने घर पर ही शिया. इतना क्लू काफ़ी था मुझे समझने के लिए कि विजय ही साइको है. बस ये बात बताने मैं थाने पहुँचा आपसे मिलने. वहाँ पता चला कि आप घर चले गये हैं. आपके घर का अड्रेस ले कर यहाँ आ गया. जब मैं दरवाजे की बेल बजाने लगा तो मुझे अंदर से किसी के चीखने की आवाज़ आई. मैं समझ गया कि कुछ गड़बड़ है. मैने खिड़की से झाँक कर देखा तो मेरे होश उड़ गये. मैं आपके घर के पीछे गया और पीछे का दरवाजा तोड़ दिया. वही से अंदर आया मैं. बाकी तो आपको पता ही है."
"ह्म्म्म....आवाज़ तो हुई थी पीछे, पर ये नही सोचा था मैने कि तुम आए हो." गौरव ने कह कर सौरभ को गले लगा लिया "तुम वक्त पर ना आते तो अनर्थ हो जाता. मैं खुद को कभी माफ़ नही कर पाता कि मेरे सामने......"
"अपना फ़र्ज़ निभाया मैने और कुछ नही. मैं चलता हूँ अब." सौरभ ने कहा.
विजय की डेड बॉडी को वहाँ से हटा लिया गया. सबके जाने के बाद गौरव ने पिंकी से कहा, "कितना कुछ सहना पड़ा तुम्हे मेरे होते हुए. मुझे माफ़ कर दे."
"भैया ऐसा मत बोलो. उसने हालात ही कुछ ऐसे पैदा कर दिए थे. चलो अब मेरा गिफ्ट दो."
गौरव ने गले लगा लिया पिंकी को और बोला, "दुनिया में सबसे ज़्यादा प्यार करता हूँ मैं तुम्हे."
"मुझे पता है भैया, पता है मुझे."
दोनो भाई बहन भावुक हो रहे थे. उनके रिस्ते में और ज़्यादा गहराई आ गयी थी इस वाकये के बाद.
..............................
दरवाजा खुला ही रख छोड़ा था गौरव ने. सौरभ को भी होश आ गया था. गौरव ने अंकिता को फोन करने के बाद डॉक्टर को फोन करके बुला लिया था. डॉक्टर के इंजेक्षन के बाद सौरभ को होश आ गया था.
“कौन था ये…गौरव.” अंकिता ने पूछा. अंकिता खून से लटपथ चेहरे को पहचान नही पाई.
“वही जिस पर हमें शक था मेडम, विजय.”
“तुम्हे ये नही करना चाहिए था. अब मुझे मजबूर हो कर तुम्हारे खिलाफ कुछ आक्षन लेना पड़ेगा.”
“ले लीजिए जो आक्षन लेना है…मगर मैं इसे किसी भी हालत में जिंदा नही छोड़ सकता था…मेरे सामने इसने मेरी बहन के साथ…….” आंशु भर आए गौरव की आँखो में.
“बस भैया….बस.” पिंकी ने गौरव के सर पर हाथ रखा.
“ह्म्म…गौरव, ये गोली तुमने सेल्फ़ डिफेन्स में मारी है, इज़ देट क्लियर.”
“जैसा आप कहें मेडम, मैने आपको सब सच बता दिया.” गौरव ने अंकिता की आँखो में देख कर कहा.
“ये बात हम दोनो के बीच रहेगी. धिंडोरा मत पीटना कि तुमने साइको को गोली मार दी. समझे.” अंकिता ने कहा.
“समझ गया मेडम, समझ गया.” गौरव ने कहा.
“चलो ये केस आख़िर कार क्लोज़ हो गया, कंग्रॅजुलेशन गौरव, गुड जॉब.”
गौरव ने अंकिता की आँखो में देखा और बोला, “थॅंक योउ मेडम…सब आपकी डाँट का नतीजा है.”
अंकिता हंस पड़ी इस बात पर, “वो तो है, और ये मत सोचना कि आगे डाँट नही पड़ेगी. अभी और भी बहुत केसस पड़े हैं जिन्हे तुम्हे हैंडल करना है. इज़ देट क्लियर.” हँसी के बाद अंकिता की बात में थोड़ी कठोरता आ गयी थी.
“बिल्कुल मेडम…सब क्लियर है.”
अंकिता की नज़र सौरभ पर पड़ी तो वो बोली, "ये यहाँ क्या कर रहा है?"
"ये अगर वक्त पे ना आता तो मेरे सामने ही मेरी बहन का रेप हो जाता. हां सौरभ पर तुम यहाँ आए कैसे " गौरव ने कहा.
"मैं आपको बताना चाहता था कि विजय ही साइको है. मैं विजय की बीवी से मिला था. उसने मुझे बताया कि विजय उस रात घायल अवस्था में घर लोटा था जिस रात मेरी साइको से झड़प हुई थी. विजय के पेट को उसकी बीवी ने घर पर ही शिया. इतना क्लू काफ़ी था मुझे समझने के लिए कि विजय ही साइको है. बस ये बात बताने मैं थाने पहुँचा आपसे मिलने. वहाँ पता चला कि आप घर चले गये हैं. आपके घर का अड्रेस ले कर यहाँ आ गया. जब मैं दरवाजे की बेल बजाने लगा तो मुझे अंदर से किसी के चीखने की आवाज़ आई. मैं समझ गया कि कुछ गड़बड़ है. मैने खिड़की से झाँक कर देखा तो मेरे होश उड़ गये. मैं आपके घर के पीछे गया और पीछे का दरवाजा तोड़ दिया. वही से अंदर आया मैं. बाकी तो आपको पता ही है."
"ह्म्म्म....आवाज़ तो हुई थी पीछे, पर ये नही सोचा था मैने कि तुम आए हो." गौरव ने कह कर सौरभ को गले लगा लिया "तुम वक्त पर ना आते तो अनर्थ हो जाता. मैं खुद को कभी माफ़ नही कर पाता कि मेरे सामने......"
"अपना फ़र्ज़ निभाया मैने और कुछ नही. मैं चलता हूँ अब." सौरभ ने कहा.
विजय की डेड बॉडी को वहाँ से हटा लिया गया. सबके जाने के बाद गौरव ने पिंकी से कहा, "कितना कुछ सहना पड़ा तुम्हे मेरे होते हुए. मुझे माफ़ कर दे."
"भैया ऐसा मत बोलो. उसने हालात ही कुछ ऐसे पैदा कर दिए थे. चलो अब मेरा गिफ्ट दो."
गौरव ने गले लगा लिया पिंकी को और बोला, "दुनिया में सबसे ज़्यादा प्यार करता हूँ मैं तुम्हे."
"मुझे पता है भैया, पता है मुझे."
दोनो भाई बहन भावुक हो रहे थे. उनके रिस्ते में और ज़्यादा गहराई आ गयी थी इस वाकये के बाद.
..............................