02-01-2020, 11:30 AM
“अब तुम्हारा बर्थडे अच्छे से मनाएँगे हम हाहहाहा.”
“प्लीज़….क्यों कर रहे हो तुम ऐसा.”
“चुप कर साली. मुझे तेरे जैसी कॉलेज गर्ल्स बहुत पसंद है. अभी कुछ दिन पहले एक कॉलेज गर्ल की अच्छे से ली थी. वाह क्या मज़ा दिया था उसने. तू भी मज़े कर आज अपने जनमदिन पर. मरने से पहले थोड़ा मज़ा कर लेगी तो तेरी आत्मा को शांति मिलेगी हाहाहा.”
विजय ने गौरव को एक कुर्सी ले कर उस पर रस्सी से बाँध दिया काश कर और उसके गले पर एक इंजेक्षन लगा दिया. “जल्दी ही होश आ जाएगा इसे और ये खुद तुझे चुद-ते हुए देखेगा. एक बार बहुत डांटा था इसने मुझे एक बात पर पिछले साल. वो भी दो लोगो के सामने. आज तक मैं चुपचाप रहा. पर ये तो मेरे पीछे ही पड़ गया. आज मेरा बदला पूरा होगा.हाहाहा”
“प्लीज़ ऐसा अनर्थ मत करो.” पिंकी सुबक्ते हुए बोली.
“कुछ भी बोलो, मैं तुम्हारी ले कर रहूँगा वो भी तेरे इस भाई के सामने हहहे.”
“तुम सच में साइको हो.”
“हाहहाहा…बहुत खूब….देख देख तेरे भाई को होश आ गया. वेलकम बॅक सर. कैसे हैं आप.”
“विजय तुम्हे तुम्हारे गुनाहो की सज़ा ज़रूर मिलेगी. मैं नही दे पाया तो कोई और देगा मगर तू मरेगा ज़रूर. मैं तो हैरान हू कि तुम्ही हो वो साइको जिसने शहर में आतंक मचा रखा था.”
“ज़्यादा बकवास मत करो और देखो तुम्हारी बहन कैसे मज़े देती है मुझे.”
विजय ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और उसे पिंकी के मूह के आगे झुलाने लगा, “ले अपने बर्थडे के दिन ब्लो जॉब का मज़ा ले हाहाहा.”
“कमिने दूर हटो उस से वरना खून पी जाउन्गा तुम्हारा मैं.”
विजय ने अपनी बंदूक एक तरफ रख दी और पिंकी के उभारो को पकड़ लिया दोनो हाथो से.
कमरे में चींख गूँज उठी पिंकी की. बहुत दर्दनाक चींख. बहुत ज़ोर से दबाया था विजय ने उसके उभारो को.
“कमिने हट जा वरना तेरा वो हाल करूँगा की तेरी रूह काँप उठेगी.”
“अगर तुमने अपना मूह खोल कर ये लंड चूसना शुरू नही किया तो मैं ये बूब्स और ज़ोर से दबाउन्गा.”
पिंकी ने मूह खोलने की बजाए मूह और कस कर बंद कर लिया और अपनी आँखे बंद कर ली.
“अच्छा ये बात है. मैं भी देखता हूँ कि तुम मूह कैसे नही खोलती.” विजय ने अपनी बंदूक उठा ली और गौरव की तरफ तान दी.
“अगर तुरंत मूह खोल कर ये लंड तुमने मूह में नही लिया तो मैं तेरे भाई का भेजा उड़ा दूँगा.”
“पिंकी…कुछ मत करना ऐसा. मर जाने दो मुझे बेसक. मगर इसकी कोई बात मत मान-ना.” गौरव ने भावुक हो कर कहा.
“वाह भाई वाह…क्या बात है. देखता हूँ मैं भी कि ये किसकी बात मानती है. मेरी या तुम्हारी.”
विजय ने अपने लिंग को पिंकी के बंद मूह पर रगड़ना शुरू कर दिया, “जल्दी खोल ये मूह वरना तेरा भाई मारा जाएगा. बिल्कुल चिंता नही है क्या तुझे अपने भाई की. अपने भाई के लिए इतना भी नही कर सकती . कैसी बहन है तू. ठीक है फिर देख अपने भाई को मरते हुए.”
“नही रूको…”
“नही पिंकी…नही…ओह नो…” गौरव ने आँखे बंद कर ली.
पिंकी ने मूह खोल दिया था और विजय ने झट से अपने लिंग को उसके मूह में डाल दिया था. पिंकी की आँखो से आँसुओ की बरसात होने लगी. गौरव छटपटा रहा था कुर्सी पर. आँख खोल कर नही देख पाया कि उसकी छोटी बहन के साथ क्या हो रहा है. आँखे भर आई उसकी ऐसी हालत में. खुद को बहुत ही असहाय महसूस कर रहा था वो. बहुत कोशिश की उसने रस्सी से आज़ाद होने की मगर विजय ने उसे बहुत मजबूती से बाँध रखा था.
विजय ने पिंकी के बॉल खींचे ज़ोर से और बोला, “अच्छे से चूस साली ये क्या मज़ाक लगा रखा है. बिल्कुल मज़ा नही आ रहा.”
इतनी ज़ोर से बॉल खींचे थे विजय ने कि पिंकी ज़ोर से कराह उठी थी. विजय ने उसके मूह से लिंग निकाल लिया और बोला, “कोई फायदा नही तेरे मूह में लंड रखने का. तेरी चूत में डालता हूँ.”
विजय ने बहुत ज़ोर से दबाया फिर से पिंकी के उभारो को. इस बार वो और भी ज़्यादा ज़ोर से चीखी. विजय ने पिंकी के हाथ पाँव खोल दिए कुर्सी से और उसे फर्श पर पटक दिया. कराह उठी पिंकी.
“विजय!” गौरव बहुत ज़ोर से चिल्लाया.
“क्या बात है सर, खोल ही ली आपने आँखे. अब देखिए मैं कैसे लेता हूँ आपकी बहन की हहहे.”
तभी अचानक धदाम की आवाज़ हुई.
“ये कैसी आवाज़ थी.” विजय ने हैरानी में कहा.
गौरव समझ गया कि आवाज़ घर के पीछे से आई है. मगर वो कुछ नही बोला.
“क्या कोई और भी है तुम दोनो के अलावा घर में.” विजय ने पिंकी के बॉल खींचते हुए कहा
“कोई और नही है, बस हम दोनो ही हैं. साथ वाले घर में बच्चे धूम मचाते रहते हैं. वही से आवाज़े आती रहती हैं ऐसी.”
“ह्म्म ठीक है सर, अब आप अपनी बहन को चुद-ते हुए देखिए. आपके घर में भी खूब आवाज़े होंगी अब.”
विजय बंदूक एक तरफ रख कर पिंकी के उपर चढ़ गया. पिंकी ने अपनी आँखे बंद कर ली. “क्या बात है, सो क्यूट. मज़ा आएगा तेरी लेने में.”
“विजय!” गौरव चिल्लाया और बहुत छटपटाया कुर्सी पर.
“हां सर बोलिए क्या बात है…आप बता दीजिए कि कौन सी पोज़िशन में लूँ मैं आपकी बहना की. ये ठीक रहेगी या दोगि स्टाइल लगा लूँ. हाहाहा.”
“कमिने तुझे भगवान कभी माफ़ नही करेंगे” गौरव चिल्लाया.
“हाहहाहा….क्या बात है सर….बस आप माफ़ कर देना, भगवान को मैं संभाल लूँगा.”
पिंकी बहुत छटपटा रही थी विजय के नीचे मगर विजय ने उसे पूरी तरह काबू में कर रखा था. “एक बार घुस्वा लो मेरी जान क्यों छटपटा रही हो. मरने से पहले एक चुदाई तुम्हे अच्छी लगेगी..सच कह रहा हूँ हहहे….क…क…कौन है.” विजय हंसते हंसते अचानक हैरानी में बोला.
“तेरा बाप हूँ बेटा.” सौरभ ने विजय को पिंकी के उपर से खींच लिया और उसे ज़ोर से ज़मीन पर पटक दिया और टूट पड़ा उस पर.
विजय जल्दी ही संभाल गया और दोनो के बीच जबरदस्त हाथापाई शुरू हो गयी. कभी सौरभ हावी होता था तो कभी विजय.
सौरभ के हाथ बंदूक आ गयी किसी तरह. और उसने रख दी विजय के सर पर, “बस खेल ख़तम होता है तुम्हारा. किसी को वादा किया है खून ना बहाने का वरना अभी उड़ा देता भेजा तुम्हारा.”
मगर अचानक विजय ने सौरभ की गर्दन पर इंजेक्षन गाढ दिया. सौरभ दर्द से कराह उठा. उसकी आँखो के आगे अंधेरा छाने लगा और वो गिर गया विजय के उपर बेहोश हो कर. मगर इस दौरान पिंकी ने एक अच्छा काम किया. उसने गौरव के हाथ, पाँव खोल दिए. “पिंकी तुम अपने कमरे में जाओ…और कुण्डी लगा लो.”
पिंकी तुरंत भाग गयी वहाँ से और अपने कमरे में आ गयी.
विजय ने सौरभ को एक तरफ धकेला और उसके हाथ से बंदूक ले कर गौरव की तरफ तान दी. मगर गौरव आगे ही बढ़ता गया रुका नही.
“प्लीज़….क्यों कर रहे हो तुम ऐसा.”
“चुप कर साली. मुझे तेरे जैसी कॉलेज गर्ल्स बहुत पसंद है. अभी कुछ दिन पहले एक कॉलेज गर्ल की अच्छे से ली थी. वाह क्या मज़ा दिया था उसने. तू भी मज़े कर आज अपने जनमदिन पर. मरने से पहले थोड़ा मज़ा कर लेगी तो तेरी आत्मा को शांति मिलेगी हाहाहा.”
विजय ने गौरव को एक कुर्सी ले कर उस पर रस्सी से बाँध दिया काश कर और उसके गले पर एक इंजेक्षन लगा दिया. “जल्दी ही होश आ जाएगा इसे और ये खुद तुझे चुद-ते हुए देखेगा. एक बार बहुत डांटा था इसने मुझे एक बात पर पिछले साल. वो भी दो लोगो के सामने. आज तक मैं चुपचाप रहा. पर ये तो मेरे पीछे ही पड़ गया. आज मेरा बदला पूरा होगा.हाहाहा”
“प्लीज़ ऐसा अनर्थ मत करो.” पिंकी सुबक्ते हुए बोली.
“कुछ भी बोलो, मैं तुम्हारी ले कर रहूँगा वो भी तेरे इस भाई के सामने हहहे.”
“तुम सच में साइको हो.”
“हाहहाहा…बहुत खूब….देख देख तेरे भाई को होश आ गया. वेलकम बॅक सर. कैसे हैं आप.”
“विजय तुम्हे तुम्हारे गुनाहो की सज़ा ज़रूर मिलेगी. मैं नही दे पाया तो कोई और देगा मगर तू मरेगा ज़रूर. मैं तो हैरान हू कि तुम्ही हो वो साइको जिसने शहर में आतंक मचा रखा था.”
“ज़्यादा बकवास मत करो और देखो तुम्हारी बहन कैसे मज़े देती है मुझे.”
विजय ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और उसे पिंकी के मूह के आगे झुलाने लगा, “ले अपने बर्थडे के दिन ब्लो जॉब का मज़ा ले हाहाहा.”
“कमिने दूर हटो उस से वरना खून पी जाउन्गा तुम्हारा मैं.”
विजय ने अपनी बंदूक एक तरफ रख दी और पिंकी के उभारो को पकड़ लिया दोनो हाथो से.
कमरे में चींख गूँज उठी पिंकी की. बहुत दर्दनाक चींख. बहुत ज़ोर से दबाया था विजय ने उसके उभारो को.
“कमिने हट जा वरना तेरा वो हाल करूँगा की तेरी रूह काँप उठेगी.”
“अगर तुमने अपना मूह खोल कर ये लंड चूसना शुरू नही किया तो मैं ये बूब्स और ज़ोर से दबाउन्गा.”
पिंकी ने मूह खोलने की बजाए मूह और कस कर बंद कर लिया और अपनी आँखे बंद कर ली.
“अच्छा ये बात है. मैं भी देखता हूँ कि तुम मूह कैसे नही खोलती.” विजय ने अपनी बंदूक उठा ली और गौरव की तरफ तान दी.
“अगर तुरंत मूह खोल कर ये लंड तुमने मूह में नही लिया तो मैं तेरे भाई का भेजा उड़ा दूँगा.”
“पिंकी…कुछ मत करना ऐसा. मर जाने दो मुझे बेसक. मगर इसकी कोई बात मत मान-ना.” गौरव ने भावुक हो कर कहा.
“वाह भाई वाह…क्या बात है. देखता हूँ मैं भी कि ये किसकी बात मानती है. मेरी या तुम्हारी.”
विजय ने अपने लिंग को पिंकी के बंद मूह पर रगड़ना शुरू कर दिया, “जल्दी खोल ये मूह वरना तेरा भाई मारा जाएगा. बिल्कुल चिंता नही है क्या तुझे अपने भाई की. अपने भाई के लिए इतना भी नही कर सकती . कैसी बहन है तू. ठीक है फिर देख अपने भाई को मरते हुए.”
“नही रूको…”
“नही पिंकी…नही…ओह नो…” गौरव ने आँखे बंद कर ली.
पिंकी ने मूह खोल दिया था और विजय ने झट से अपने लिंग को उसके मूह में डाल दिया था. पिंकी की आँखो से आँसुओ की बरसात होने लगी. गौरव छटपटा रहा था कुर्सी पर. आँख खोल कर नही देख पाया कि उसकी छोटी बहन के साथ क्या हो रहा है. आँखे भर आई उसकी ऐसी हालत में. खुद को बहुत ही असहाय महसूस कर रहा था वो. बहुत कोशिश की उसने रस्सी से आज़ाद होने की मगर विजय ने उसे बहुत मजबूती से बाँध रखा था.
विजय ने पिंकी के बॉल खींचे ज़ोर से और बोला, “अच्छे से चूस साली ये क्या मज़ाक लगा रखा है. बिल्कुल मज़ा नही आ रहा.”
इतनी ज़ोर से बॉल खींचे थे विजय ने कि पिंकी ज़ोर से कराह उठी थी. विजय ने उसके मूह से लिंग निकाल लिया और बोला, “कोई फायदा नही तेरे मूह में लंड रखने का. तेरी चूत में डालता हूँ.”
विजय ने बहुत ज़ोर से दबाया फिर से पिंकी के उभारो को. इस बार वो और भी ज़्यादा ज़ोर से चीखी. विजय ने पिंकी के हाथ पाँव खोल दिए कुर्सी से और उसे फर्श पर पटक दिया. कराह उठी पिंकी.
“विजय!” गौरव बहुत ज़ोर से चिल्लाया.
“क्या बात है सर, खोल ही ली आपने आँखे. अब देखिए मैं कैसे लेता हूँ आपकी बहन की हहहे.”
तभी अचानक धदाम की आवाज़ हुई.
“ये कैसी आवाज़ थी.” विजय ने हैरानी में कहा.
गौरव समझ गया कि आवाज़ घर के पीछे से आई है. मगर वो कुछ नही बोला.
“क्या कोई और भी है तुम दोनो के अलावा घर में.” विजय ने पिंकी के बॉल खींचते हुए कहा
“कोई और नही है, बस हम दोनो ही हैं. साथ वाले घर में बच्चे धूम मचाते रहते हैं. वही से आवाज़े आती रहती हैं ऐसी.”
“ह्म्म ठीक है सर, अब आप अपनी बहन को चुद-ते हुए देखिए. आपके घर में भी खूब आवाज़े होंगी अब.”
विजय बंदूक एक तरफ रख कर पिंकी के उपर चढ़ गया. पिंकी ने अपनी आँखे बंद कर ली. “क्या बात है, सो क्यूट. मज़ा आएगा तेरी लेने में.”
“विजय!” गौरव चिल्लाया और बहुत छटपटाया कुर्सी पर.
“हां सर बोलिए क्या बात है…आप बता दीजिए कि कौन सी पोज़िशन में लूँ मैं आपकी बहना की. ये ठीक रहेगी या दोगि स्टाइल लगा लूँ. हाहाहा.”
“कमिने तुझे भगवान कभी माफ़ नही करेंगे” गौरव चिल्लाया.
“हाहहाहा….क्या बात है सर….बस आप माफ़ कर देना, भगवान को मैं संभाल लूँगा.”
पिंकी बहुत छटपटा रही थी विजय के नीचे मगर विजय ने उसे पूरी तरह काबू में कर रखा था. “एक बार घुस्वा लो मेरी जान क्यों छटपटा रही हो. मरने से पहले एक चुदाई तुम्हे अच्छी लगेगी..सच कह रहा हूँ हहहे….क…क…कौन है.” विजय हंसते हंसते अचानक हैरानी में बोला.
“तेरा बाप हूँ बेटा.” सौरभ ने विजय को पिंकी के उपर से खींच लिया और उसे ज़ोर से ज़मीन पर पटक दिया और टूट पड़ा उस पर.
विजय जल्दी ही संभाल गया और दोनो के बीच जबरदस्त हाथापाई शुरू हो गयी. कभी सौरभ हावी होता था तो कभी विजय.
सौरभ के हाथ बंदूक आ गयी किसी तरह. और उसने रख दी विजय के सर पर, “बस खेल ख़तम होता है तुम्हारा. किसी को वादा किया है खून ना बहाने का वरना अभी उड़ा देता भेजा तुम्हारा.”
मगर अचानक विजय ने सौरभ की गर्दन पर इंजेक्षन गाढ दिया. सौरभ दर्द से कराह उठा. उसकी आँखो के आगे अंधेरा छाने लगा और वो गिर गया विजय के उपर बेहोश हो कर. मगर इस दौरान पिंकी ने एक अच्छा काम किया. उसने गौरव के हाथ, पाँव खोल दिए. “पिंकी तुम अपने कमरे में जाओ…और कुण्डी लगा लो.”
पिंकी तुरंत भाग गयी वहाँ से और अपने कमरे में आ गयी.
विजय ने सौरभ को एक तरफ धकेला और उसके हाथ से बंदूक ले कर गौरव की तरफ तान दी. मगर गौरव आगे ही बढ़ता गया रुका नही.