02-01-2020, 11:28 AM
.....................................................
तभी गौरव का फोन बाज उठा. फोन उसकी छोटी बहन पिंकी का था.
"भैया मेरे बर्थडे पर तो वक्त से आ जाओ. मम्मी, पापा भी नही हैं आज यहाँ. ऐसा बर्थडे कभी नही मना मेरा कभी ." पिंकी ने कहा.
"आ रहा हूँ बस थोड़ी देर में. बता क्या गिफ्ट लाउ तेरे लिए."
"मुझे कॅश दे देना मैं खुद खरीद लूँगी. तुम्हारा लाया गिफ्ट कभी अच्छा नही लगता ."
"जैसी तेरी मर्ज़ी.... आ रहा हूँ थोड़ी देर में."
कुछ देर गौरव यू ही बैठा रहा और विजय के बारे में सोचता रहा. "इसे रंगे हाथ पकड़ना होगा तभी बात बनेगी....फिलहाल घर चलता हूँ वरना पिंकी जान ले लेगी."
गौरव चल दिया अपनी जीप में घर की तरफ. रास्ते से उसने एक शोरुम से जीन्स खरीद ली पिंकी के लिए. घर पहुँच कर गौरव ने चुपचाप दरवाजा खोला. "ये अंधेरा क्यों कर रखा है पिंकी ने." गौरव ने तुरंत लाइट जलाई.
मगर लाइट जला कर जैसे ही वो मुड़ा उसके पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी. ड्रॉयिंग रूम के बीचो बीच एक कुर्सी पर पिंकी बैठी थी बिना कपड़ो के. उसके हाथ बँधे हुए थे. उसके बिल्कुल पीछे एक नकाब पोश खड़ा था जिसने की पिंकी के सर पर बंदूक तान रखी थी.
"मैने सोचा बर्थडे पर मैं भी शामिल हो जाउ...हहहे. अपनी पिस्टल मुझे दे दो और हाथ उपर करके खड़े हो जाओ." नकाब पोश ने कहा.
"विजय यू बस्टर्ड...तुम्हारी इतनी हिम्मत"
"मेरे पीछे पड़े हो हा. आज पता चलेगा तुम्हे...हाहाहा. जल्दी से अपनी पिस्टल मुझे दो वरना तुम्हारी बहन का भेजा उड़ा दूँगा."
गौरव के पास कोई चारा नही था. उसने बंदूक निकाल कर ज़मीन पर रख दी और पाँव से ठोकर मार कर नकाब पोश की तरफ धकैल दी.
"गुड.... अब अपने हाथ उपर करो. कोई भी हरकत की तो अंजाम बहुत बुरा होगा सर हाहाहा."
“मिस्टर गौरव पांडे सामने सोफे पर देखो एक इंजेक्षन पड़ा है. वो लगा लो अपने हाथ में. और कोई भी होशियारी की तो भेजा उड़ा दूँगा तुम्हारी बहन का.”
“तुम चाहते क्या हो?”
“चुपचाप वो इंजेक्षन लगाओ…वरना देर नही करूँगा इसका भेजा उड़ाने में.”
गौरव ने इंजेक्षन उठाया और बोला, “मुझे ये इंजेक्षन लगाना नही आता. मैं कोई डॉक्टर नही हूँ जो इंजेक्षन ठोक लूँ अपने हाथ में.”
“ज़्यादा बकवास मत करो…कुछ ज़्यादा नही करना तुम्हे…बस इंजेक्षन घुसा लो कही भी हहहे.”
“तुम पागल हो.”
“हाहाहा…जल्दी करो वरना…”
गौरव सोच में पड़ गया. “
“क्या सोच रहे हो जल्दी करो….वरना.”
“तुम ये सब क्यों कर रहे हो.”
“ज़्यादा बाते मत करो जो कहा है वो करो…वरना” नकाब पोश ने पिंकी के मूह पर चाँटा मारा. उसका मूह पहले से सूजा हुआ था. वो रोने लगी चाँटा पड़ते ही.
“चुप कर साली, अपने भैया को बोल जो कहा है वो करे वरना तेरा वो हाल करूँगा कि तेरी रूह काँप उठेगी.
“कामीने दूर रह मेरी बहन से वरना जिंदा नही छोड़ूँगा तुझे.” गौरव चिल्लाया.
“अच्छा ये ले एक और मारा साली को.”
“भैया……मुझे बचा लो….”
“तुम चाहते क्या हो साफ-साफ बोलो. ये इंजेक्षन मैं क्यों लगाउ.”
“क्योंकि मैं कह रहा हूँ इसलिए. अब मैं दुबारा नही कहूँगा. ज़रा भी देर की तो इसका भेजा उड़ा दूँगा.”
गौरव असमंजस में पड़ गया की क्या करे क्या ना करे. “देखो एक बात ध्यान से सुनो. तुम मुझे गोली मार दो बेसक पर मेरी बहन को कुछ मत करो. उसे इस सब से दूर रखो. वो ये सब नही सह सकती. प्लीज़.”
“आया तो मैं तुम्हे मारने ही था. ये मिल गयी तो मज़ा और भी ज़्यादा आएगा. बर्थडे के लिए घर सज़ा रखा है पर किसी को बुलाया ही नही. ऐसा क्यों. अच्छा किया जो मैं आ गया. हहहे.”
“तुम आख़िर चाहते क्या हो.”
“मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी बहन मेरा लंड चूसे और तुम चुपचाप बैठ कर देखो. बोलो करोगे ऐसा.”
“विजय तुम्हे शरम आनी चाहिए…ये सब बोलते हुए. क्या तुम्हारी कोई बहन नही.”
“अब तुम पहचान ही गये हो मुझे तो ये नकाब उतार देता हूँ हहहे.” विजय ने नकाब उतार दिया.
“विजय मार दो मुझे अभी…क्योंकि अगर मैं बच गया तो बहुत बुरी मौत दूँगा तुम्हे.”
“हाहाहा, अगर तुम मेरे पीछे ना पड़ते तो ये नौबत नही आती. रहीं बात तुम्हारे मरने की तो वो तो तुम्हे मारना ही है. तुम्हारे साथ तुम्हारी बहन भी मरेगी हाहाहा.”
“तो फिर मारो गोली ये इंजेक्षन का नाटक किसलिए कर रहे हो. चलाओ गोली किस बात का इंतेज़ार कर रहे हो.” गौरव चिल्लाया.
“तुम्हारी बहन बहुत सेक्सी है सिर, सोच रहा था कि आप बेहोश हो जाते तो कुछ मौज मस्ती कर लेता और फिर तुम दोनो का काम ख़तम कर देता. पर नही मुझे लगता है तुम अपनी बहन को चुद-ते हुए देखना चाहते हो.”
गौरव सुन नही पाया ये सब और उसने इंजेक्षन फेंक कर मारा विजय की तरफ. विजय ने फाइयर किया गौरव की तरफ मगर निशाना चूक गया. तब तक गौरव ने आगे बढ़ कर विजय को दबोच लिया. दोनो ज़मीन पर गिर गये. विजय के हाथ में इंजेक्षन आ गया और उसने वो गौरव के गले में गाढ दिया. गौरव के हाथ गन तो आ गयी थी मगर वो चला नही पाया. बेहोश हो कर वो वही गिर गया.