02-01-2020, 11:16 AM
“अभी कहा है अपर्णा?”
“यही देहरादून में ही है. शादी हो चुकी है उसकी. मगर अपने मायके में है. कुछ झगड़ा चल रहा है उसका अपने पति से. ज़्यादा डीटेल नही पता मुझे. मिला था अभी कुछ दिन पहले उस से. गुस्सा अभी तक बरकरार था उसका. इतने दिनो बाद भी वही नाराज़गी थी चेहरे पर. चलो छोड़ो….मेरे अधूरे प्यार की दास्तान यही ख़तम होती है.”
“मुझे नही लगता कि अब रेल बना पाओगे तुम मेरी. अपर्णा की बाते करके दीवाने से लग रहे हो.”
“अपर्णा के अलावा किसी से प्यार नही किया मैने रीमा. लेकिन उसने मेरे प्यार को समझा ही नही. एक मौका भी नही दिया. चलो छोड़ो अब और बात नही करूँगा.”
“कुछ खाओगे ?”
“नेकी और पूछ-पूछ…ले आओ कुछ.”
“हटो फिर मेरे उपर से…लाती हूँ कुछ.” रीमा ने कहा.
गौरव हट गया रीमा के उपर से. रीमा ने अपने कपड़े उठाए और पहन-ने लगी. गौरव ने कपड़े छीन लिए.
“ये सितम मत करो रीमा जी, ये सुंदरता अगर इन कपड़ो में ढक लोगि तो हमारा क्या होगा. हम तड़प-तड़प कर मर जाएँगे. उफ्फ यू आर डॅम हॉट” गौरव ने कहा.
“अच्छा ऐसा है क्या?”
“बिल्कुल जी.”
“मैं तुम्हारे सामने नंगी नही घूमूंगी. तुम्हारा कोई भरोसा नही कब रेल बना दो मेरी.”
“देखिए रेल तो बन-नी ही है आपकी. चाहे आप कपड़े पहनो या ना पहनो. निर्वस्त्र रहेंगी तो हमारी आँखो को आराम मिलेगा.”
रीमा मुस्कुराइ और कमर मत्काति हुई चल दी वहाँ से.
“उफ्फ क्या चाल है. ये धरती ना हिल जाए, ऐसे ना चलिए मटक-मटक कर.” गौरव ने हंसते हुए कहा.
“चुप रहिए आप. एक तो हमें नंगा घुमाया जा रहा है हमारे ही घर में उपर से ये अश्लील बाते हम ये बर्दास्त नही करेंगे.” राइम चलते-चलते बोली.
गौरव दौड़ कर आया रीमा के पास और उसे दबोच लिया पीछे से. “उफ्फ क्या अदा है आपकी. रुका नही जाएगा अब कसम से.”
“क्या .......कुछ खा तो लो पहले.”
“कुछ खाने की इच्छा नही है बस आप साथ रहो मेरे.” गौरव ने कहा.
“ओह नो अब मेरा क्या होगा तुम तो फिर से उत्तेजित हो गये .” रीमा ने कहा.
रीमा को अपने नितंबो पर गौरव का ताना हुआ लिंग महसूस जो रहा था.
“अब तुम्हारी चूत की रेल बनाई जाएगी. चलो वापिस बिस्तर पर.” उठा लिया गौरव ने रीमा को गोदी में और ले आया उसे वापिस बिस्तर पर.
“कुछ खा लेते तो एनर्जी मिलती. आचे से रेल बना सकते थे फिर.”
“मेरा एंजिन खाली पेट भी बहुत अच्छा चलता है. घबराओ मत कोई कमी नही छोड़ूँगा.”
“पता है मुझे तभी तो डर रही हूँ .”
गौरव ने पटक दिया रीमा को बिस्तर पर
“आअहह….ये क्या किया.”
“गुस्सा देखना था तुम्हारे चेहरे पे. इसी की कमी थी वाह क्या बात है. ट्रेन में बड़ी प्यारी लग रही थी गुस्से में.”
“गुस्सा देखने के लिए हाथ-पैर तोड़ दो किसी के .”
“सॉरी रीमा जी. ज़्यादा ज़ोर से गिरा दिया शायद.”
“शायद मेरी कमर टूट गयी है. मेरी रेल बनाते-बनाते अब तुम मेरी जान ले लोगे लगता है .” रीमा के चेहरे पर गुस्सा था.
गौरव रीमा के उपर आ गया और उसके होंटो को किस करने लगा पर रीमा ने चेहरा घुमा लिया, “हट जाओ तुम बस अब, मुझे कुछ नही करना तुम्हारे साथ.”
“गुस्सा थूक दीजिए. बहुत प्यारी लग रही हैं आप कसम से. पर ये गुस्सा ज़्यादा देर तक नही होना चाहिए.” गौरव ने कहा और रीमा के बायें उभार के निपल को मूह में लेकर चूसने लगा.
“आअहह ये क्या कर रहे हो हटो. मैं तुमसे नाराज़ हूँ और तुम……हटो….आआअहह.”
“हटाना पड़ेगा धकैल कर आपको खुद ही. इन सुंदर उभारो से खुद नही हटूँगा.”
रीमा हंस पड़ी इस बात पर, “बदमास हो तुम पक्के.”
“जैसा भी हूँ तुम्हारे सामने हूँ. मेरी बदमासी अपने भैया को मत बताना. बहुत चिदते हैं वो मुझसे. आग बाबूला हो जाएँगे वो.”
“पागल हो क्या. ये बातें क्या किसी को बताने की होती हैं.”
गौरव ने अब रीमा के दूसरे उभर को थाम लिया और उसके निपल को चूसने लगा. बारी बारी से वो दोनो उभारो से खेल रहा था. कमरे में सिसकियाँ गूँज-ने लगी रीमा की.
“टांगे खोलो अपनी” गौरव ने कहा.
“ज़्यादा देर मत लगाना इस बार. पहले ही थॅकी हुई हूँ मैं .”
“ओके जी कम वक्त में बड़ा काम कर देंगे. आप टांगे खोल कर अपनी चूत के लिए रास्ता तो दीजिए” गौरव ने कहा.
रीमा ने हंसते हुए टांगे खोल दी. गौरव ने टांगे अपने कंधो पर रख ली और समा गया एक ही झटके में रीमा के अंदर.
“ऊऊऊओह…..म्म्म्ममम…..एक ही बार में डाल दिया क्या पूरा .”
“जी हां बिल्कुल आपको जल्दी निपटाना था काम मैने सोचा क्यों एक-एक इंच सरकाए. वक्त की कमी के कारण पूरा डाल दिया जी.”
“यू आर टू मच…..आआहह…अब जल्दी कीजिएगा हमें बाजार भी जाना है शाम को.”
“बिल्कुल जी ये लीजिए काम शुरू भी हो गया.” गौरव ने पहला धक्का मारा
“ऊऊहह एस.” रीमा कराह उठी.
फिर तो धक्को की बोचार हो गयी रीमा के अंदर. हर धक्के पर रीमा पागलो की तरह कराह रही थी.
“यही देहरादून में ही है. शादी हो चुकी है उसकी. मगर अपने मायके में है. कुछ झगड़ा चल रहा है उसका अपने पति से. ज़्यादा डीटेल नही पता मुझे. मिला था अभी कुछ दिन पहले उस से. गुस्सा अभी तक बरकरार था उसका. इतने दिनो बाद भी वही नाराज़गी थी चेहरे पर. चलो छोड़ो….मेरे अधूरे प्यार की दास्तान यही ख़तम होती है.”
“मुझे नही लगता कि अब रेल बना पाओगे तुम मेरी. अपर्णा की बाते करके दीवाने से लग रहे हो.”
“अपर्णा के अलावा किसी से प्यार नही किया मैने रीमा. लेकिन उसने मेरे प्यार को समझा ही नही. एक मौका भी नही दिया. चलो छोड़ो अब और बात नही करूँगा.”
“कुछ खाओगे ?”
“नेकी और पूछ-पूछ…ले आओ कुछ.”
“हटो फिर मेरे उपर से…लाती हूँ कुछ.” रीमा ने कहा.
गौरव हट गया रीमा के उपर से. रीमा ने अपने कपड़े उठाए और पहन-ने लगी. गौरव ने कपड़े छीन लिए.
“ये सितम मत करो रीमा जी, ये सुंदरता अगर इन कपड़ो में ढक लोगि तो हमारा क्या होगा. हम तड़प-तड़प कर मर जाएँगे. उफ्फ यू आर डॅम हॉट” गौरव ने कहा.
“अच्छा ऐसा है क्या?”
“बिल्कुल जी.”
“मैं तुम्हारे सामने नंगी नही घूमूंगी. तुम्हारा कोई भरोसा नही कब रेल बना दो मेरी.”
“देखिए रेल तो बन-नी ही है आपकी. चाहे आप कपड़े पहनो या ना पहनो. निर्वस्त्र रहेंगी तो हमारी आँखो को आराम मिलेगा.”
रीमा मुस्कुराइ और कमर मत्काति हुई चल दी वहाँ से.
“उफ्फ क्या चाल है. ये धरती ना हिल जाए, ऐसे ना चलिए मटक-मटक कर.” गौरव ने हंसते हुए कहा.
“चुप रहिए आप. एक तो हमें नंगा घुमाया जा रहा है हमारे ही घर में उपर से ये अश्लील बाते हम ये बर्दास्त नही करेंगे.” राइम चलते-चलते बोली.
गौरव दौड़ कर आया रीमा के पास और उसे दबोच लिया पीछे से. “उफ्फ क्या अदा है आपकी. रुका नही जाएगा अब कसम से.”
“क्या .......कुछ खा तो लो पहले.”
“कुछ खाने की इच्छा नही है बस आप साथ रहो मेरे.” गौरव ने कहा.
“ओह नो अब मेरा क्या होगा तुम तो फिर से उत्तेजित हो गये .” रीमा ने कहा.
रीमा को अपने नितंबो पर गौरव का ताना हुआ लिंग महसूस जो रहा था.
“अब तुम्हारी चूत की रेल बनाई जाएगी. चलो वापिस बिस्तर पर.” उठा लिया गौरव ने रीमा को गोदी में और ले आया उसे वापिस बिस्तर पर.
“कुछ खा लेते तो एनर्जी मिलती. आचे से रेल बना सकते थे फिर.”
“मेरा एंजिन खाली पेट भी बहुत अच्छा चलता है. घबराओ मत कोई कमी नही छोड़ूँगा.”
“पता है मुझे तभी तो डर रही हूँ .”
गौरव ने पटक दिया रीमा को बिस्तर पर
“आअहह….ये क्या किया.”
“गुस्सा देखना था तुम्हारे चेहरे पे. इसी की कमी थी वाह क्या बात है. ट्रेन में बड़ी प्यारी लग रही थी गुस्से में.”
“गुस्सा देखने के लिए हाथ-पैर तोड़ दो किसी के .”
“सॉरी रीमा जी. ज़्यादा ज़ोर से गिरा दिया शायद.”
“शायद मेरी कमर टूट गयी है. मेरी रेल बनाते-बनाते अब तुम मेरी जान ले लोगे लगता है .” रीमा के चेहरे पर गुस्सा था.
गौरव रीमा के उपर आ गया और उसके होंटो को किस करने लगा पर रीमा ने चेहरा घुमा लिया, “हट जाओ तुम बस अब, मुझे कुछ नही करना तुम्हारे साथ.”
“गुस्सा थूक दीजिए. बहुत प्यारी लग रही हैं आप कसम से. पर ये गुस्सा ज़्यादा देर तक नही होना चाहिए.” गौरव ने कहा और रीमा के बायें उभार के निपल को मूह में लेकर चूसने लगा.
“आअहह ये क्या कर रहे हो हटो. मैं तुमसे नाराज़ हूँ और तुम……हटो….आआअहह.”
“हटाना पड़ेगा धकैल कर आपको खुद ही. इन सुंदर उभारो से खुद नही हटूँगा.”
रीमा हंस पड़ी इस बात पर, “बदमास हो तुम पक्के.”
“जैसा भी हूँ तुम्हारे सामने हूँ. मेरी बदमासी अपने भैया को मत बताना. बहुत चिदते हैं वो मुझसे. आग बाबूला हो जाएँगे वो.”
“पागल हो क्या. ये बातें क्या किसी को बताने की होती हैं.”
गौरव ने अब रीमा के दूसरे उभर को थाम लिया और उसके निपल को चूसने लगा. बारी बारी से वो दोनो उभारो से खेल रहा था. कमरे में सिसकियाँ गूँज-ने लगी रीमा की.
“टांगे खोलो अपनी” गौरव ने कहा.
“ज़्यादा देर मत लगाना इस बार. पहले ही थॅकी हुई हूँ मैं .”
“ओके जी कम वक्त में बड़ा काम कर देंगे. आप टांगे खोल कर अपनी चूत के लिए रास्ता तो दीजिए” गौरव ने कहा.
रीमा ने हंसते हुए टांगे खोल दी. गौरव ने टांगे अपने कंधो पर रख ली और समा गया एक ही झटके में रीमा के अंदर.
“ऊऊऊओह…..म्म्म्ममम…..एक ही बार में डाल दिया क्या पूरा .”
“जी हां बिल्कुल आपको जल्दी निपटाना था काम मैने सोचा क्यों एक-एक इंच सरकाए. वक्त की कमी के कारण पूरा डाल दिया जी.”
“यू आर टू मच…..आआहह…अब जल्दी कीजिएगा हमें बाजार भी जाना है शाम को.”
“बिल्कुल जी ये लीजिए काम शुरू भी हो गया.” गौरव ने पहला धक्का मारा
“ऊऊहह एस.” रीमा कराह उठी.
फिर तो धक्को की बोचार हो गयी रीमा के अंदर. हर धक्के पर रीमा पागलो की तरह कराह रही थी.